पड़ोस के आदमी से प्यार करने लगी हाउसवाइफ

अब मेरे मॅन में उसके लिए प्यार आने लगा था. फिर मैं उसके बारे में सोच कर सो गयी.

सुबह मैं उठी और अपने काम में लग गयी. 12 बजे तक मैं खाना बना के फ्री हो गयी. मेरे पति जुनेद को खाना खाने के लिए बुलाने गये, लेकिन जुनेद नही आया.

फिर मेरे पति मुझे बोले: मीना एक काम करना, तुम जुनेद को तिफ्फ़िं दे आना.

मैने पति को खाना खिलाया, और फिर तिफ्फ़िं लेके गयी. जुनेद मुझे देख के बोले-

जुनेद: मीना जी, इसकी क्या ज़रूरत थी. आप जबरन ही परेशान हो रही हो.

मैने बोला: इसमे परेशानी की कों सी बात है?

ऐसे ही 4 दिन भी निकल गये. ना चाहते हुए भी मैं जुनेद की तरफ झुकती जेया रही थी, और अपने पति से डोर होती जेया रही थी. मैने खुद को सम्हलने की बहुत कोशिश की, लेकिन मैं नाकाम रही. मेरे दिल और दिमाग़ पे जुनेद पूरी तरह छा चुका था.

मैं मॅन से जुनेद की हो चुकी थी. लेकिन मैं अपना तंन जुनेद को चाह कर भी नही सौंप रही थी. मैं अपने पति को धोखा नही देना चाहती थी. विचारों के भावर जाल में फ़ससी हुई थी मैं. लेकिन मैं भी पूरी पक्की पतिव्रता हिंदू औरत थी.

मैने तान लिया था, की मैं अपना तंन अपने पति के अलावा और किसी गैर मर्द को नही दूँगी. फ़ातिमा भी वापस आ चुकी थी. जुनेद अब अधिकतर घर पे ही रहता था. अब तो मैं रोज़ ही फ़ातिमा के घर जाती थी.

अब फ़ातिमा के साथ कम, और जुनेद के साथ ज़्यादा टाइम बिताती थी मैं, और जुनेद से ही ज़्यादा बात-चीत होती थी.

कुछ दीनो बाद फ़ातिमा मेरी चुटकी लेते हुए जुनेद के लिए मुझे च्छेदने लगी. मैं उसको माना करती, लेकिन शर्मा भी जाती. धीरे-चीरे फ़ातिमा की छेड़-चाढ़ बढ़ने लगी. मैं उसको कुछ नही बोलती, बस मुस्कुरा देती.

अब तो फ़ातिमा सीधे ही मुझे चिढ़ने लगी “मीना मामी जान” बोल के. और मैं शरम से लाल हो जाती. फ़ातिमा मुझे उकसा रही थी. वो काई बार इशारे-इशारे में मुझे जुनेद से छुड़वाने के लिए उकसाती, और मैं शर्मा जाती.

मुझे फ़ातिमा का जुनेद के लिए छेड़ना और चूड़ने के लिए उकसाना अब अछा लगने लगा था. मेरा रोज़ 12 से 4 का टाइम फ़ातिमा के घर ही बीतने लगा था जुनेद और मेरे पति भी आचे दोस्त बन गये थे.

ऐसे ही समय गुज़रता गया, और 15 दिन बीट गये. एक दिन दोपहर में फ़ातिमा और उसके पति मेरे घर आए शादी का इन्विटेशन लेके. शादी गुजरात में थी 7 दिन बाद. फ़ातिमा 3 दिन बाद ही जाने वाली थी. फ़ातिमा ने मुझे और मेरे पति को शादी में पक्का आने को कहा था.

मेरे पति तो अगले हफ्ते 10 दीनो के लिए गाओं जाने वाले थे. फ़ातिमा ने मेरे पति से मुझे शादी में भेजने के लिए माना लिया. शादी में जाने से पहले-पहले उसको शॉपिंग करनी थी. अगली दोपहर हमने शॉपिंग का प्लान बनाया.

फिर दोपहर 12 बजे मैं, फ़ातिमा और जुनेद ऑटो से मार्केट के लिए निकले. मैं जुनेद और फ़ातिमा के बीच में बैठी थी. फ़ातिमा जान-बूझ के मुझे जुनेद की तरफ धक्का देती, और हस्ती. जुनेद और मेरी जांघें एक-दूसरे से सट्टी हुई थी.

मैं फ़ातिमा की हरकटो पे मुस्कुरा रही थी. हम मार्केट में गये, और शॉपिंग की.

फ़ातिमा ज़िद पे आड़ गयी, और बोली: मीना आंटी आप शादी में आओगी तो क्या ये सारी पहनोगी? नही, आपको सलवार सूट पहनना पड़ेगा.

मैं बोली: तू पागल हो गयी है क्या? मैने कभी नही पहना.

फ़ातिमा बोली: नही मीना आंटी, तुमको तो सलवार-सूट ही पहनना पड़ेगा.

उसकी ज़िद के सामने मेरी एक ना चली. फिर हम दुकान पे गये. वाहा फ़ातिमा चुटकी लेके जुनेद से बोली-

फ़ातिमा: मामू आप ही सेलेक्ट करो ना मीना आंटी के लिए.

और फ़ातिमा मेरी तरफ देख के आँख मारी, और वो मुस्कुरा दी. मैं भी मुस्कुरा दी. जुनेद ने 5-6 सलवार सूट पसंद किए, और फ़ातिमा ने सारे ले लिए. फ़ातिमा और जुनेद को सारे दुकान वाले जानते थे, क्यूंकी इनका भी गारमेंट्स का ही बिज़्नेस था.

दुकान से हम टेलर की दुकान पे गये जहा मैने अपना नाप दिया, और फ़ातिमा ने उस टेलर को पॅटर्न बताया की किस पॅटर्न में सलवार-सूट बनाना था. दूसरे दिन तक बना के रेडी करने का भी बोल दिया फ़ातिमा ने. फिर हम बाहर खाना खाने गये, और रात के 10 बजे तक घर पहुचे.

मैं फ़ातिमा से बोली: चलो ठीक है फ़ातिमा मैं भी घर जाती हू.

वो मेरा हाथ पकड़ के बोली: कहा जेया रही हो मीना आंटी?

और वो मुझे खींचते हुए जुनेद के कमरे में लेके गयी. वाहा वो मुझे बिस्तर पे गिराते हुए बोली-

फ़ातिमा: आज रात यही मामू के साथ उनके बिस्तर पे गुज़ार लो.

इतना बोल के वो ज़ोर-ज़ोर से हासणे लगी. मैं भी मुस्कुराइ और बोली-

मैं: फ़ातिमा तू पूरी पागल है.

फिर मैं बाहर निकालने लगी, की तभी फ़ातिमा बोली: हा जाओ-जाओ, एक दिन लौट के मामू के इसी बिस्तर पे आना है.

मैं पलट के मुस्कुराइ और घर की तरफ चली गयी. मेरे पति सो चुके थे. मैने भी हाथ मूह धोए, और कपड़े बदल के बिस्तर में लेट गयी. आज मैं बहुत खुश थी. साथ ही फ़ातिमा की हरकत और बातों पे मुझे शरम और उत्तेजना के मिले-जुले भाव आ रहे थे.

थकान के कारण मैं सो गयी. अपनी डेली रुटीन के हिसाब से मैं 12 बजे फ़ातिमा के घर पहुच गयी. जुनेद घर पे नही था. मैने 2-3 बार फ़ातिमा से पूछा जुनेद कहा था, और कब तक आएगा. लेकिन फ़ातिमा ने ठीक से जवाब नही दिया.

अगली बार मैने फिरसे पूछा तो फ़ातिमा बोली: क्यूँ जुनेद मामू के बिना तड़प हो रही है क्या? और मामू को तुम इतना तडपा रही हो, उसका ज़रा भी ख़याल नही तुमको? दिन भर जुनेद चाहिए तुमको और रात को टाटा बाइ-बाइ. कभी सोचा दिल से जुनेद मामू के लिए?

मैं फ़ातिमा की बात सुन के चुप-छाप हो गयी. वैसे फ़ातिमा ने कुछ ग़लत भी तो नही कहा था. थोड़ी देर बाद फ़ातिमा मेरे पास आई, और मेरा हाथ पकड़ के बोली-

फ़ातिमा: सॉरी मीना आंटी.

मैं कुछ बोलती उससे पहले ही डोरबेल बाज गयी. फ़ातिमा मेरे गाल पकड़ के बोली-

फ़ातिमा: लो आ गये तुम्हारे शौहर.

जुनेद के लिए शौहर शब्द सुन के मेरे उपर बिजली सी गिर पड़ी, और पुर शरीर में सिहरन होने लगी. जुनेद मुझे देख के मुस्कुराया. उसने फ़ातिमा को तेलिया पकड़ाय और सोफे पे बैठ गया.

फिर फ़ातिमा मुझको अंदर वाले कमरे में ले गयी, और उनमे से सलवार सूट निकाला, और मुझे देती हुई बोली-

फ़ातिमा: लो मीना आंटी, अपने शौहर की पसंद का सूट पहन के तो दिखाओ.

मैं उसकी बात पे स्महार्मा के . गयी, और उससे . लेके बातरूम में जाने लगी. तभी फ़ातिमा मुझे . हुए बोली-

फ़ातिमा: हाए मीना आंटी, हमसे इतनी शरम? हमारी जगह जुनेद मामू होते तो यही अपने कपड़े बदल लेती, और बातरूम में जाने की तकलीफ़ नही उतनी पड़ती.

मैं मुस्कुराती हुई बोली: फ़ातिमा तू बिल्कुल पागल है, कुछ तो भी बोलती है.

फिर मैं बातरूम में चली गयी, और अपनी सारी ब्लाउस और पेटिकोट उतार के सलवार सूट पहन लिया. सलवार सूट बहुत ही ट्रॅन्स्परेंट था. उसकी कुरती डीप गले वाली थी, और बहुत टाइट थी, जिसमे मेरे बड़े-बड़े दूध बहुत ही मादक लग रहे थे, और मेरी ब्लॅक रंग की ब्रा सॉफ-सॉफ दिकहईी दे रही थी. मैं शरमाती हुई बातरूम से बाहर निकली.

फ़ातिमा मुझको देख के बोली: मीना आंटी तुम तो बिल्कुल हूर की पारी लग रही हो. जुनेद मामू तुमको देख लेंगे तो उनका तो खड़ा हो जाएगा. मैं साँझ गयी फ़ातिमा क्या खड़ा होने की बात कर रही थी. फिर फ़ातिमा मुझे हॉल में जुनेद के पास ले गयी.

जुनेद मुझे देख कर देखते ही रह गया. फ़ातिमा ने इशारे से मुझे जुनेद के पाजामे की तरफ देखने को कहा. मैने देखा, तो वाकाई में जुनेद का लंड खड़ा हो गया था, और उसके पाजामे में टेंट की तरह तंन के खड़ा था.

मुझे बहुत शरम आई, साथ में मुझे मस्ती और खुमारी का मज़ा भी आया. मैने बदल-बदल कर सारे सूट पहन के जुनेद और फ़ातिमा को दिखाए. मुझ पर खुमारी और वासना का रंग चढ़ चुका था.

फ़ातिमा ने मुझे छेड़-छेड़ के बहुत उत्तेजित कर दिया था. आख़िर में फ़ातिमा ने कुछ ऐसा किया जिससे मैं जुनेद के सामने अधनंगी ब्रा पनटी में थी. जुनेद मुझे और मेरे जिस्म को घूरे जेया रहा था, और मैं किसी मूर्ति की तरह चुप-छाप खड़ी थी.

हुआ यू की जब मैं आखरी सूट पहन के दिखाने के बाद कमरे के बातरूम में जाने लगी. तभी फ़ातिमा बोली-

फ़ातिमा: अब यू ना शरमाओ मीना आंटी, आपको इतनी ही शरम आ रही है तो हम चले किचन में ये रही आपकी सारी और बाकी के कपड़े यही कमरे में इतमीनान से बदल लो.

इतना बोल के फ़ातिमा चली गयी. लेकिन उस शातिर ने बाहर जाके जुनेद को कमरे में भेज दिया, ये बोल के की मीना आंटी आपको कमरे में बुला रही है. जब जुनेद कमरे में आया, तो मैं सिर्फ़ ब्लॅक ब्रा और पनटी में थी.

जुनेद ने मुझे इस अधनंगी हालत में देखा, और एक तक देखता ही रहा. मैं भी चुप-छाप अपने अधनंगे जिस्म की नुमाइश करती रही.

फिर जुनेद मेरे करीब आया और मुझे अपनी बाहों में भर लिया. मैं भी चुप-छाप उसकी बाहों में सिमट गयी. जुनेद की बाहों में मुझे अजीब से सुकून और सुख की अनुभूति मिली.

अब जुनेद के हाथ मेरे दूध पे थे. मैं भी बिना झीजक के जुनेद की आगोश में सुख के मज़े ले रही थी. जुनेद और मैं ऐसे ही 10-15 मिनिट तक एक-दूसरे की आगोश में रहे. इन 10-15 मिनिट्स में जुनेद के हाथ मेरे दूध और छूट का जायज़ा ले चुके थे.

इसके आयेज की कहानी आपको अगले पार्ट में मिलेगी.