ऑनलाइन मिली औरत को संतुष्ट करने की हसीन कहानी

तक़रीबन एक महीने तक ऐसा टाइम मिला नहीं कि हम दोनों की बात हो सके। मेरे ऑफिस का काम बहुत था, और तक़रीबन मार्च 2022 को उसने मेसेज किया था-

मधु: क्या हम 25 को मिल सकते हैं नोएडा में?

मेसेज पढ़ कर मैं एक दम ख़ुशी से झूमने लगा, और मिलने के सपने संजोने लगा। मैंने रात को जवाब दिया-

मैं: हाँ मिल सकते हैं सुबह 11 बजे। लेकिन मिलना कहाँ है?

मधु ने उसके घर का एड्रेस भेजा, और हम मिलने का इंतज़ार करने लगे। अब आ गया मिलन कि दिन, और मैंने सुबह उठ के मस्त लंड के बाल और चेहरे के बाल साफ़ किये, और मस्त नाहा के तैयार हो गया। फिर घर में ऑफिस जाने का बहाना करके निकल गया, जबकि मेरा वर्क फ्रॉक होम ही चल रहा था।

मेरी धड़कने किसी बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा तेज चल रही था। जीपीएस सेट किया और मेरी गाड़ी चल पड़ी मेरी मधु के घर की ओर मधुर रस की तलाश में। आधे घंटे बाद मैं पहुँच गया उस जगह पे। कोठी जैसा घर था, और कुछ गाड़ियाँ भी सामने लगी थी। शायद 3 माले की कोठी पे किरायेदार भी रहते थे।

मैंने घंटी बजाई तो एक औरत शायद उनकी नौकरानी दरवाज़ा खोली। मैंने पूछा कि मधु जी से मिलना है, तो वो बोली-

नौकरानी: थोड़ी देर रुकिए, मैं पूछ के आती हूँ।

मैं बाहर इंतज़ार करता रहा, और जब लगा कि दरवाज़ा फिरसे खुला, तो मैंने देखा। और अब मधु ख़ुद आयी थी मुझे लेने। जैसे ही वो मुझे देखी, तो गले लग गई, और बोली “so good to see you” और घर के भीतर आने को कहा। फिर मैं उसके पीछे-पीछे चल दिया।

मुझे उसने सोफ़े पे बैठने के लिये कहा, और फैन ऑन करने गई। मैं बैठ गया सोफ़े पे, और उसका मस्त भरा हुआ बदन देख के मन ही मन खुश हो रहा था। मैं भगवान को मस्का मार रहा था-

मैं: हे भगवान, शुकरिया मुझे मधु से मिलवाने के लिये।

मधु आके मेरे बग़ल में बैठी, और नौकरानी को आवाज़ लगाई पानी लाने के लिये। फिर हमारी बात चालू हुई कुछ झिझक के साथ-

मधुः कैसे हो आप? और कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई घर ढूँढने में?

मैंः अच्छा हूँ, और आज और अच्छा हो जाऊँगा शायद। और यहाँ पहुंचने में कोई दिक़्क़त नहीं हुई?

मधुः अभी भी शायद बोल रहे हैं। कोई संदेह है क्या आपको?

मैंः सपना जैसा लग रहा है सब, और कभी सोचा नहीं था कि ज़िंदगी में कोई मिलेगी। लगता था कि लाइफ हिला-हिला के ही ख़त्म हो जाएगी।

मधु ( थोड़ी शरारती होके पूछी):‌ क्या हिलाते-हिलाते?

मैंः आपको पता तो है।

मधुः आप नहीं तुम बोलो।

इतने में नौकरानी पानी ले आई, और मधु ने उसको जाने के लिये कहा। क्योंकि उसका काम ख़त्म हो चुका था। फिर उठ के वो दरवाज़ा देने चली गई, और एक दम से आके मेरी गोदी में बैठ गई और कस के गले लगा लिया। थोड़ी देर वो ऐसे ही बैठी रही। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से चिपकी हुई थी।

ये एहसास मेरे लंड में खून का प्रवाह बढ़ा रहा था, और मेरा लंड खड़ा हो रहा था। जब मेरा लंड उसकी गांड को दस्तक दिया, तो मधु बोली-

मधुः किसी का कुछ खड़ा हो गया।

मैंः किसी के बड़े-बड़े तरबूज मेरे सीने में दबे हुए है। इसीलिए वो खड़ा हो रहा है।

मेरी बात ख़त्म हो ही रही थी, कि मधु मेरे होंठों को किस करने लगी। मैं भी उसका साथ देने लगा, और हम दोनों ज़बरदस्त तरीके से चुम्मा देने लगे एक दूसरे को। मेरे दोनों हाथ कभी उसकी पीठ पर तो कभी गांड पे घूमते रहे और दबाते रहे। हम दोनों मदहोश हो रहे थे।

फिर मैं उसकी गरदन को चूमने लगा, और उसके रोंगटे खड़े होने लगे। वो कामुकता की नदी में डुबकी लगाने लगी। मैंने थोड़ा उसकी मख़मली गाउन को अपने हाथों से कंधे से हटाया, और कंधे को चूमने लगा। तो वो और ज्यादा उत्तेजित हो गई, और आवाज़ें निकालने लगी आह-आह की।

मैं चूमते हुए जब गर्दन के नीचे चूचियों के ऊपर पहुंचा, तो वो झट से थोड़ा पीछे हुई, और गांड उठाके गाउन को एक झटके से निकाल दिया। मेरी आँखें खुली की खुली रह गई क्योंकि उसने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए नंगी चूचियाँ मेरे सामने हिल-हिल के मुझे बुला रही थी कि आओ मुझे दबाओ, चूसो, और खेलो।

मैंने देरी ना करते हुए झट से दोनों दुदू को पकड़ा, और चूमने लगा। मधु मधमस्त हो रही थी, और अपने हाथों से एक दुदू पकड़ के मेरी आखों में देखते हुए मेरे मुँह में दे दी। मैं एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह दुदू को चूसने लगा। फिर बीच-बीच में निप्पल को जीभ से चाट रहा था।

दूसरा दुदू बुरा ना मान जाए इसलिए उसको भी दबाने लगा। बड़े-बड़े दुदू से खेलने में मज़ा आ रहा था। मधु भी उत्तेजित हो रही थी, और मेरे सर को अपने दुदू में दबा रही थी।

मैंने महसूस किया कि वो अपनी चूत को मेरे लंड पे रगड़ रही थी मेरी गोदी में बैठ के गांड हिला-हिला के। शायद जब औरतें ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं,‌ तो उनकी चूत में खलबली मचती है और वो उसको रगड़ने लगती हैं। मधु मेरे सामने नंगी बैठी थी सिर्फ़ पेंटी पहन के। मैंने उसको उठा कर सोफ़े पे लेटा दिया तांकि उसके बदन का एक्सेस मिल सके।

फिर मैं उसके पेट और नाभि चूमने और चाटने लगा। मधु एक दम पागल हो चुकी थी, और मैं भी अपना होश खोके काम के बस में हो चुका था।

मैं उठ कर सीधा उसके पांव को पकड़ के चूमने लगा, और धीरे-धीरे चूमते हुए जांघ तक आया।

तभी मैं पेंटी खोलने लगा तो मधु ने गांड उठा के ख़ुद ही अपना पेंटी निकाल दी। वाह क्या नज़ारा था दोस्तों! एक दम चिकनी चूत, एक भी बाल नहीं। मैंने चूत के ऊपर के पाव (चूत के ऊपर जो बाल होते हैं वो जब चिकने हो जाये तो वो जगह को मैं पाव बोलता हूँ) को झट से एक चुम्मा दिया, और सूंघा तो एक मदहोश करने वाली सुगंध आयी।

मैं साथ में सोच में पड़ गया। बीवी ने तो कभी चूत चटवायी नहीं, तो कैसा स्वाद होगा ये सोचता रहा और फिर बोला कि चल देबू आज चूत चख ले। फिर मैंने उसकी टाँगे फैला दी, और जीभ से चूत पहली बार चाटी तो नमकीन सा लगा, और मैं थोड़ा रुक गया।

मधुः क्या हुआ, मेरी चूत का स्वाद पसंद नहीं आया?

मैंः कभी पहले किया नहीं, तो स्वाद ले रहा था।

फिर चाटते-चाटते अच्छा लगने लगा, और वो गांड उठा-उठा के चूत चटवाने लगी। मैं उसकी चूत की छोटी सी डंडी को सहलाता तो वो चीख उठती-

मधु: हाय-हाय क्या मज़ा आ रहा है। पूरी चूत खा जा कमीने।

मुझे भी अपनी पहली चूत चटाई में मज़ा आ रहा था। कभी मैं उँगली तो कभी जीभ से चूत चुदाई करता। फिर मधु अपने चरमसुख पे पहुंच गई, और पानी छोड़ते हुए शांत हो गई।

मैं समझ गया कि वो झड़ चुकी थी, और होंठों को चबाके नशीली नज़रों से मुझे देखी। फिर झट से खींच ली वो‌ मुझे अपने ऊपर। मैं भी उसके ऊपर लेट गया और वो सरक के नीचे आ गई। अब मैं उसकी जगह और वो मेरी जगह।

मधुः ये ग़लत बात है कि मैं पूरी नंगी हूँ और आप कपड़ों मैं।

मैंः उतार दो और मुझे नंगा कर दो।

मैंने अपना टी-शर्ट निकाली, और मधु मेरी जीन्स पैंट निकालने लगी। तो मैंने अपनी गांड उठाई, तांकि वो आसानी से मेरा कपड़ा उतार सके। उसने मेरी चड्डी भी पैंट के साथ ही निकाल दी, और मेरी चड्डी को सूंघने लगी क्योंकि चड्डी गीली हो गई थी। मेरा लंड एक दम खम्बे की तरह खड़ा हो गया था, और मधु उसको पकड़ के झटके देने लगी हाथों से।

वो लंड को बढ़िया से चाटने लगी, और आइस-क्रीम चूसने जैसे चूसना शुरू किया। मेरी ज़िंदगी का पहला blowjob मिल रहा था, और मैंने वो महसूस करने के लिये अपनी आँखें बंद करके अपना ध्यान मधु की हरकतों पे केंद्रित कर लिया। उसने शायद लंड चूसने में महारत हासिल की थी।

इतना बढ़िया चूस रही थी कि मत पूछो। दोस्तों ये आपको भी पता है ये एहसास शब्दों में बयाँ नहीं कर सकते। अब मेरे गोटों में कुछ उबाल मार रहा था, तो मैंने कहा-

मैं: मैं निकालने वाला हूँ माल।

ये सुन के मधु ने तेज-तेज चूसना चालू कर दिया, और कुछ देर बाद मेरे मुँह से एक ज़ोर की आवाज़ आयी-

मैं: आहह आहह।

फिर सारा बीज मैंने मधु के मुँह मैं छोड़ दिया। मधु सारा पी गई और मेरे लंड और पेट को चाट के साफ़ करने लगी। वो मुझे स्वर्ग का एहसास दे गई।

अब हम दोनों उठ के बेडरूम मैं आ गए, और खड़े-खड़े आगोश में आ गये। मधु की दोनों चूचियाँ बिना किसी रुकावट के मेरी छाती से चिपक रही थी,‌ और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर खलबला रहा था।

थोड़ी देर गले मिलने के बाद उसने मुझे बिस्तर पे लिटा के मेरे लंड से खेलना चालू किया। तो मैं समझ गया कि वो चुदने के लिये तैयार हो गई थी। हम दोनों 69 करने लगे, और थोड़ी देर में मेरा खूँटा सीना ताने खड़ा हो गया। मधु एक दम से जाके मेरा लंड पकड़ के अपनी चूत के दरवाज़े पे रखी, और घिसने लगी।

वो फिर मेरे लंड के ऊपर बैठने लगी तो मेरा लंड उसकी गीली चूत में धसता हुआ किसी डूबते सूरज की तरह मधु की चूत में लीन हो गया।

हम दोनों अब सातवें आसमान पे थे। वो एक बेशर्म औरत की तरह चुदने लगी। उसकी चूत और चूतड मेरे लंड और बदन पे टकरा रहे थे, और थप थप थप की आवाज़ पूरे कमरें में गूंज रही थी।

जब वो उछल-उछल के चुद रही थी, तो उसके बड़े-बड़े दुदू भी ऊपर-नीचे हिल रहे थे। तो मैं अपने दोनों हाथों से दोनों दुदू को मसलने लगा, और उसकी बड़ी गांड पे अपना हाथ सहला रहा था। एक दम मधमस्त होके हम दोनों एक-दूसरे से चुद रहे थे। कुछ देर बाद वो फिरसे झड़ी और मुझसे लिपट गई।

मेरा लंड तो अब भी अपने उफान पे था। तो मैं उसको अपनी गांड उठा के चोदने लगा। वो चिल्ला रही थी-

मधु: और ज़ोर से चोदो मुझे, मेरी चूत का भोंसड़ा बना दो। मेरा पति कुछ नहीं कर पाता, और एक बच्चा दे दो।

कुछ देर चोदने के बाद मैंने उसको घोड़ी बनने को कहा तो वो तुरंत अपने चार पैरों पे आ गई, और अपनी मोटी गांड मेरी तरफ़ करके बोली-

मधु: आ जाओ, मुझे घोड़ी बनाके चोदो और फाड़ दो।

हम एक घोड़ा-घोड़ी जैसे चुदाई करने लगे, और मधु ज़ोर-ज़ोर से आहें भरने लगी। मेरा लंड अभी भी किसी ज़िद्दी लड़के की तरह खड़ा था, और रस निकालने को राज़ी नहीं था।

कुछ देर घोड़ी चोदने के बाद वो नीचे लेट गई, और मैंने अपना इंजिन चालू रखा था। काफ़ी देर लगातार चूत को मार रहा था तो मधु को जलन महसूस हुई, और वो बोली-

मधु: जवानी अभी भी कूट-कूट के भरी है आप में। आपकु सेक्सी बॉडी और चुदाई से मैं बहुत खुश हूँ। और एक अच्छी चुदाई बहुत सालों बाद मिली है।

मैं झड़ने वाला था तो वो बोली: चूत में बीज निकालो, और थोड़ी देर लंड को चूत के भीतर रखे रहो।

मैंने वैसा ही किया, और लंड को चूत में रख के ही उसके ऊपर लेट गया। वो भी खुश होके मेरे बालों को सहला रही थी।

कुछ देर बाद हम उठे, और बाथरूम जाके अपने आपको साफ़ किया। तब तक मेरा ऑफिस का समय हो गया था, तो मैं अपने मोबाइल का हॉटस्पॉट चला कर लैपटॉप से लॉगिन हो गया। मैंने जितनी भी मीटिंग थी, वो सब कैंसल की ताकि कोई रुकावट ना हो प्यार मोहब्बत के खेल में।

हम दोनों नंगे ही थे घर में। ख़ाना उसने ऑर्डर कर दिया और आके मेरी गोदी मैं बैठ गई।

मैंः एक बात बताओ, पति कहाँ हैं तुम्हारे?

मधुः वो दुबई मैं हैं, और मैं अकेली आयी कुछ घर के काम को लेके।

हम दोनों पूरे नंगे थे, और वो मेरी गोदी में थी। तो काम-वासना फिर से जाग गई। पता नहीं उसको क्या पागलपन सूझा, कि वो एक दम से उठी, और फ्रिज की तरफ़ गई और चॉकलेट सिरप लाई। वो सिरप मेरे लंड पे डाल के चूसने लगी। मेरा लंड उसको पसंद आ राहा था। पूरा लंड साफ़ करके उसने सिरप अपनी चूत पे डाल दिया।

अब मेरी बारी थी उधार चुकाने की। मैं अपनी जीभ लेके पहुंच गया चूत की सँकरी गलियों में। इतना मज़ा कभी मेरे जीवन में नहीं मिला था, और मुझे तो यक़ीन ही नहीं हो रहा था। मैं किसी भूखे कुत्ते के जैसे चूत चाट रहा था, और सिरप की सफ़ाई करने लगा। मैं अपने आप से ख़ुश भी था, कि मधु पूरा मज़ा कर रही थी, और वो बहुत संतुष्ट थी।

मैं उसको उठा कर उसके दोनों हाथों को दीवार में टीका के, पांव को थोड़ा फैला के पीछे से खड़े-खड़े ही चूत में लंड घुसा के चोदने लगा। वो भी गांड को पीछे करके धक्का देने लगी, तो मैं पीछे से उसकी हिलती हुई चूचियों के पकड़ के ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था। तो वो मदहोश होके कामुकता भरी आवाज़ निकाल रही थी, और गाली दे रही थी।

मधुः मादरचोद, कितना चोदेगा मुझे और आज ही मेरी चूत को खोद-खोद के कुआँ बना देगा क्या? साले कुछ तो रहम कर।

मैंः हराम की जनी, तुझे क्या गाली देके चुदने में मज़ा आता है?

मधुः हाँ बहुत मज़ा आता है गाली देके चुदाई करने में। पति के सामने अच्छी संस्कारी होना पड़ता है। तो तेरे सामने तो जो चाहूँ कर सकता हूँ ना?

मैंः हाँ, तुम तो मेरी रण्डी हो। और मैं तुम्हारा ग़ुलाम। जो चाहे और जो भी ख्वाहिशें है सब कर सकते हो।

मधुः अब जल्दी करो ख़ाने वाला ख़ाना लेके आ राहा होगा।

हम दोनों ज़ोरदार पालम-पेली के बाद साथ में झड़ गये। उस दिन हमने बाथरूम सेक्स भी किया और मैं घर वापस आ गया।

मैंने घर में बोला की अब दो-तीन हफ़्ते ऑफिस रेगुलर जाना पड़ेगा, कुछ बड़े आधिकारी आ रहे हैं। तक़रीबन 1 महीना मैं रोज़ दिन में जाके उसे चोद के रात को घर आता था।

हमने कुछ नये-नये तरीक़े इंटरनेट से देख के किए, और हम दोनों ने एक दूसरे के साथ पूरा आनंद लिया। जैसे ही उसका महीना नहीं आया, वो समझ गई कि वो पेट से थी और उसका बच्चे का सपना सच हो रहा था। एक दिन जब मैं पहुँचा उसके पास वो बहुत खुश थी, और मुझे देखते ही उछल के मेरी बाहों में आ गई, और मेरे कानो में बोली-

मधु: आप बाप बनने वाले हो।

हम दोनों बहुत खुश थे और मुझे तसल्ली थी कि मैं एक दुखियारी को मदद कर सका। वो दुबई चली गई, ताकि वो उसके पति के साथ चुदाई करके बता सके कि बच्चा उसका था।

अब उसने डेटिंग एप अकाउंट डिलीट कर दिये, और फ़ोन नंबर भी बदल दिये, तांकि कोई किसी से संपर्क ना रख सके। और वो अपनी ज़िंदेगी में अपने परिवार के साथ खुश रह सके।

आशा करता हूँ कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी, और आप लोगों के सुझाव और फीडबैक का इंतज़ार रहेगा। आप मुझे संपर्क कर सकते है। मेरी ईमेल है