मेरी चुदाई का एक अनोखा अनुभव – 3

हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.

इश्स स्टोरी का 8त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है. अब आगे

यह सब होने के कुछ देर बाद अज़हर ने कार रोकी और वो पीछे की सीट पे आ कर बैठ गये और सलमांजी आगे चले गये तक जेया कर मेने रहट की सास ली.

हम होटेल मे पॉच गये. वाहा हुँने डू डबल बेड के रूम ऑलरेडी बुक करवा रखे थे. यूयेसेस दिन हम ज़्यादा घूम नही पाए क्यूकी पॉच हे लाते थे शाम मे.

शाम मे हम सब समीना अप्पा और सलमांजी के रूम मे बैठ कर बाते करने लगे. फिर रात मे वही खाना खा कर तोड़ा ड्रिंक्स करने लगे. उसके बाद जब हम अपने रूम मे जाने के लिए उठने लगे तो सलमांजी ने ह्यूम रोक दिया और मुजपे नज़र डालते हुए बोलने लगे

सलमांजी:- अरे यहा हे सू जाओ… अब इश्स हालत में कैसे चल कर अपनी रूम तक जाओगे??

अज़हर ने सारी बात मुजपे डाल दी और बोले

अज़हर:- मूज़े क्या है आप इश्स से हे पूछ लो.

सलमांजी मेरी तरह मुस्कुराते बोलने लगे

सलमांजी:- लाइट्स बंद कर देंगे तो किसी को कुछ भी नही दिखेगा और वैसे भी ठंड के मारे रज़ाई तो लेनी हे पड़ेगी फिर तो किसी बात की टेन्षन हे नही.

समीना:- और क्या…. कोई किसी को परेशन नही करेगा… जिससे अपने पार्ट्नर से जितनी मर्ज़ी हो खेल ले…!!

अज़हर ने उनकी बात मान ली लेकिन में चुप छाप हे खड़ी थी. वैसे भी नशे की हालत मे मूज़े कुछ साँझ नही रहा था.

उसके बाद लाइट्स बंद करके हम सब एक हे डबल बेड पे लेट गये. में और अप्पा बीच मे सू गये और दोनो मर्द कॉर्नर्स पर. जगह भौत कम थी इसलिए हम सब एक दूसरे से नज़दीक सू रहे थे.

हम चारो के कपड़े हुमारे जिस्म से भौत जल्दी हे हाट गये थे. हल्की हल्की सी रोशनी मे मेने देखा की सलमांजी समीना अप्पा को सीधा लेता कर दोनो पैरो को अपने कंधे पर रख कर ज़ोर के धक्के मरने लगे थे. कंबल रज़ाई सब उन्न दोनो के जिस्म से हाट चुकी थी.

मेने हल्की रोशनी मे सलमांजी के मोटे लंबे लंड को देखा जब अप्पा लंड को छूट मे लेते समय आहः अहहाः कहकर सिसकारिया लेने लगी.

अज़हर का लंड सलमांजी से छोटा था. में सोच रही थी की समीना अप्पा को कितना मज़ा आ रहा होगा जब सलमांजी अप्पा को धक्के मार रहे थे.

यूयेसेस वक़्त अज़हर मूज़े भी घोड़ी बना कर पीछे से लंड दल कर ठोकने लगे थे. पूरा बेड हम दोनो जोड़ी के धक्के से बुरी तरह से हिल रहा था. कुछ देर के बाद मेने देखा सलमांजी बेड पे लेट गये और अप्पा को अपने उपेर ले लिया. अब समीना अप्पा उन्हे छोढ़ रही थी.

मेरी चुचिया अज़हर की धक्को की वजह से पूरी तरह हिल रही थी. थोड़ी टाइम बाद मेने महसूस किया की कोई हाथ मेरे हिलते हुए चुचियो की मसल रहा था. और में यह भी साँझ गयी थी की वो हाथ अज़हर का नही पर सलमांजी का है. वो मेरी निपल्स को चुटकियो मे पकड़ कर मसल रहे थे.

इश्स हरकत से में दर्द से करहा उठी. अज़हर खुश हो गये की उनके धक्को ने मेरी चीख निकल दी लेकिन ऐसा था नही. काफ़ी देर तक ऐसे हे दोनो अपनी बीवियो को ठोकते रहे और निढाल हो गये.

दोनो जोड़ी वही अलग अलग कंबल और रज़ाई मे घुस कर बिना कपड़ो के हे अपने अपने पार्ट्नर से चिपक कर सू गये. में और अप्पा बीच मे सू गये और दोनो के सौहर अपने अपनी साइड के कॉर्नर्स पे.

आधी रात को अचानक से हे मेरी नींद खुली जब मूज़े लगा कोई मेरे जिस्म पर हाथ फेरा रहा है. मेरी रज़ाई मे एक तरफ अज़हर सोए हुए थे और दूसरी तरफ से कोई रज़ाई उठा कर अंदर सरक गया और मेरे नंगे जिस्म से चिपक गया.

में साँझ गयी की यह कोई और नही सलमांजी है. उन्होने कैसे समीना अप्पा को दूसरी तरफ करके खुद मेरी तरफ आ गये यह मूज़े पता हे नही चला.

उनके हाथ अब मेरी चूतादो पे घूमने लगे थे. फिर उनके हाथ मेरे दोनो चूतादो के बीच की दरार से होते हुए मेरी गांद के छेड़ पर कुछ पल के लिए रुके और फिर आगे बढ़ कर मेरी छूट के उपेर रुक गये. में बिना हीले चुप छाप लेती रही क्यूकी में देखना चाहती थी की सलमांजी क्या क्या करते है. सच काहु तो दार भी रही थी क्यूकी मेरी दूसरी तरफ अज़हर मुझसे लिपट कर सू रहे थे.

सलमांजी का मोटा लंड मूज़े चूहते हे खड़ा हो चुका था और मेरे चूतादो पर छू रहा था. सलमांजी ने पीछे से मेरी छूट मे पहले एक उंगली डाली और थोड़ी हे देर मे दूसरी भी उंगली घुसा दी. उनकी उंगलियो की वजह से मेरी छूट गीली होने लगी थी. टाँगो को मोड़ कर लेते रहने के कारण मेरी छूट उनके सामने बिल्कुल खुली हुई टायर थी.

उन्होने कुछ देर तक मेरी छूट मे अपनी उंगलियों को अंदर बाहर कर के छोड़ा और बाद मे अपने लंड के गोल टोपे को मेरी छूट के खुले हुए मूह पे रख दिया. तब मेने अपने जिस्म को बिल्कुल ढीला चोर दिया. क्यूंकी में भी किसी पराए मर्द की हरकटो से भौत गरम होने लगी थी. उन्होने अपनी कमर से एक धक्का लगाया और लंड को मेरी छूट मे फसा दिया.

साहिबा:- आहाहहः अहाहा….. !!!

मेरी मूह से ना चाहते हुए भी सिसकारी की आवाज़ निकल गयी और तभी अज़हर ने भी अपनी करवट बदल ली. में भौत गभहरा गयी और वाहा से उठने का बहाना कर के सलमांजी को धक्का दे कर अपने से हटते हुए उनके कान मे फुसफुसते हुए बोली

सबीना:- प्लीज़ नही कीजिए मूज़े चोर दीजिए अगर अज़हर उठ गये तो कयामत आ जाएगी.

सलमांजी:- रूको जानेमन…!! अभी कोई और इंतेजाँ करता हू में.

कहते हे वो बेड से उठे और एक झटके से मूज़े भी बेड से उठा कर नंगी हालत मे हे साइड के सोफे पे ले गये. यूयेसेस पे मूज़े लेता कर उन्होने मेरी टाँगो को फैलाया और खुद नीचे कार्पेट पे बैठ गये. फिर उन्होने अपने सिर को मेरी झंगो के बीच डाला और मूह छूट पे ले जेया कर अपनी जीब से मेरी छूट चाटने लगे थे.

मेने अपनी टांगे च्चत की तरफ उठा रखी थी और वो अपने हाथो से मेरी झंगो को फैलाकर मेरी टॅंगो को पकड़े हुए थे. मेने भी अपने हाथो से उनके सिर को मेरी छूट पे दबा दिया था. इसलिए उनकी जीब अब मेरी छूट मे घुस कर मूज़े पागल किए जेया रही थी.

में अपने दूसरे हाथ एक एक कर के अपनी निपल्स को ज़ोर ज़ोर से मसल रही थी. अपने मूह को मेने इतनी ज़ोर से भिच रखा था जिस से किसी भी तरह की कोई आवाज़ मूह से नही निकल जाए. लेकिन फिर भी इतनी कोशिश के बाद भी हल्की दबी दबी सी सिसकारी मूह से निकल हे रही थी.

मेने उठ कर उनकी तरफ झुक के उनके कान मे फुसफुसते हुए कहा

साहिबा:- अहहहा उूुउउईई यह क्या कर दिया अपने अहहहः में पागल हू जाआवँगी अहहहहा प्लेआस्ीईए उूुउउईए अब और बर्दाश्त नही हो रहा है उऊफ्फुऊफ़ अहहः अब जल्दी से एयेए जाओ अहहः……

लेकिन वो मेरी छूट से हटे नही और मेरी छूट को चाटते रहे. लेकिन कुछ हे देर मे मेरा जिस्म उनकी हरकटो को झेल नही पाया. और मेरे छूट रास की एक तेज़ धाअर बह निकली. वो निकलते हे में निढाल हो कर वही सोफे पे लेट गयी.

यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.
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