किरण के साथ पहली चुदाई का मज़ा

ही फ्रेंड्स, अब आयेज की कहानी..

कुछ देर उसके बूब्स चूसने से उसका जिस्म गरम हो गया, और अब वो चूड़ने के लिए बेताब होने लग गयइ. वो मुझसे चिपकती ही जा र्ही थी, कुछ देर बाद मानिए उसकी ब्रा को निकल दिया.

जेसे ही मैने उसके बूब्स को देखा तो मेरी आँखें उन्हे देखती रह गयइ, उसके बूब्स बहोट ही मस्त थे. एक दम गोरे और एक दम टाइट और उपेर से उन पर मस्त ब्राउन कलर के निपल्स बहोट ही मस्त लग र्हे थे.

मैं उसके एक निपल्स को मूह मे ले कर चूसने लग गया, और उसे मैं पागलो की तरह काटने लग गया. उसके मूह से आहह आहह की अवजें निकालने लग गयइ, वो मुझे धीरे धीरे निपल्स चूसने को कह र्ही थी.

पर मैं व्हन मानने वाला था, वो भी गरम हो गयइ थी और मेरी जीन्स के उपेर से ही वो मेरा लंड सहलने लग गयइ. मेरा लंड भी पूरा खड़ा हो गया था, फिर मैं उठा और मैने अपने कपड़े उतार दिए, और सिर्फ़ अंडरवेर मे आ गया.

मैं फिर से उसके निपल्स को चूसने और काटने लग गया, मैं फिर उसकी पनटी को उतार दिया और उसे मैने पूरी नंगी कर दिया. जेसे ही मैने उसकी छूट देखी तो मैं उसकी छूट देखता ही रह गया.

आज उसने शेव करी हुई थी, उसकी छूट पर एक भी बाल न्ही था. उसकी छूट एक दम गुलाबी और मुलायम थी.

किरण – मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती थी, इसलिए मैं आज इसे शेव करके आती हूँ. इसके लिए मुझे उषा ने खा था, की ये मेरा फर्स्ट टाइम है और इससे अछा इंप्रेशन पड़ता है. इसलिए मैं इसे आज शेव किया है.

जेसे जेसे मैं उसकी चुदाई के लिए बेताब हो रा था, वो भी पूरे जोश मे चूड़ने के लिए बेताब हो कर ज़ोर ज़ोर से आहें भर र्ही थी. अब किरण भी बहोट गरम हो चुकी थी, उसने मेरा अंडरवेर निकल कर फेंक दिया, और मेरा लंड बाहर निकल दिया.

मेरा मोटा लंड देख कर उसकी गंद फट गयइ क्योकि इससे पहले उसने लंड के दर्शन न्ही किए थे. फिर मैने उसे लंड को मूह मे लेने को खा, पहले तो उसने माना कर दिया पर मेरे बहोट कहने पर वो मान गयइ और मेरा लंड मूह मे ले कर चूसने लग गयइ.

मुझे भी अब बहोट मज़ा आ रा था, आज मेरा वो सपना पूरा हो रा था जो मैं बहोट दीनो से देखर हा था. मैं उसके मूह को अपना लंड दल कर आचे से छोड़ रा था, वो भी मेरा लंड चूस्ते हुए मज़ा ले र्ही थी.

थोड़ी देर तक मैने उसको अपना लंड चुस्वाया और फिर मेरा मान उसे छोड़ने का हुआ. मैने उसके मूह से लंड बाहर निकाला, और मैने उसको बेड पर ल्ट दिया. थोड़ी देर तक मैने उसके होंठो को अपने होंठो मे ले कर आचे से चूसा.

फिर अपने मैने लंड को उसकी छूट पर र्खा और अपने लंड को मैने उसकी छूट अपने लंड से शालाना शुरू कर दिया. इससे वो तड़पने लग गयइ.. और वो बोली – जानू प्लीज़ अब मत तड़पो और अपना लंड डाल दो और इससे मेरी छूट को फाड़ दो.

मैने भी देर ना करते हुए अपना लंड उसकी छूट मे गुस्सा दिया, और उसकी छूट टाइट थी इसलिए मेरा लंड अंदर न्ही जा रा था. मैने उसकी दोनो टॅंगो को मैने अपने हाथो मे पकड़ कर फैला दिया.

फिर मैने अपने लंड पर तोड़ा सा थूक लगया और फिर लंड उसकी छूट पर र्ख कर ज़ोर से ढाका मा. मेरे झटके से मेरे लंड का टॉप उसकी छूट मे चला गया, वो बहोट ज़ोर से चीखने लग गयइ.

किरण – प्लीज़ लंड को बाहर निकालो.

ये कहते हुए वो ज़ोर ज़ोर से रोने लग गयइ, मैने नीचे देखा तो उसकी छूट मे से खून निकल रा था. मैने उसके लांबो पर अपने होंठ र्ख लिया और फिर मैने एक जोरदार ढाका मारा. जिससे मेरा लंड उसकी छूट को फड़ता हुआ और अंदर चला गया.

वो अब तड़पने लग गयइ और उसकी छूट से अब खून बाहर आने लग गया. खून को देख कर वो दर गयइ और ज़ोर से रोने लग गयइ.

मैं – अरे ये पहली बार होता ही है, और सब के साथ होता है. अब तुम्हारी सील टूट चुकी है.

मैने उसके होंठो को अपने होंठो से लॉक काग़ा कर र्खा, तो वो कुछ बोल न्ही पा र्ही थी. मैने धीरे धीरे अब लंड को आयेज पीछे करना शुरू कर दिया था, तो थोड़ी मे वो नॉर्मल होने लग गयइ.

अब वो आहह आ कर र्ही थी, और मेरा लंड नीचे से बड़े आराम से अंदर बाहर हो रा था. अब वो अपनी गंद उठा उठा कर मेरा पूरा साथ दे र्ही थी. ढेरे स्पीड मे किरण को मज़ा आ रा था, पर मुझे ज़्यादा मज़ा न्ही आ रा था.

फिर मैने उसकी कमर को पकड़ कर उसे मैं ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लग गया. अब मैं उसे और ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लग गया. मैं अपना लंड पूरा बाहर निकल कर फिर से पूरा अंदर दल रा था.

कुछ देर मे अब मुझे भी मज़ा आने लग गये, पर जेसे जेसे चुदाई हो र्ही थी. मेरे लंड की रग़ाद से वो और ज़ोर ज़ोर से छिला र्ही थी, अब लंड अंदर जाने से फॅक फॅक की आवाज़ें आने लग गयइ थी.

किरण – आ आहह आ मार गयइ आहह आहह.

काफ़ी फेर की चुदाई के बाद मैने अपना लंड उसकी छूट से बाहर निकाला.. और फिर उसको किस करते हुए मैं उसके बूब्स को दबाने लग गया. फिर कुछ देर बाद मैने फिर से अपना लंड उसकी छूट मे डाला और फिर से चुदाई करने लग गया.

जेसे जेसे मेरा मोटा लंड उसकी छूट मे जा रा था. वैसे वेसए उसकी छूट फैल र्ही थी और साथ ही वो ज़ोर ज़ोर से छिला र्ही थी. बहोट देर तक लगातार चुदाई के बाद जब मेरा पूरा पानी निकालने वाला था.

तो मैने अपनी स्पीड को बढ़ा दिया, और कुछ ही झटको के बाद मैं झाड़ गया और हम दोनो थोड़ी देर एक दूसरे के साथ लेते र्हे. दोस्तो अब मेरे अंदर इतनी ताक़त न्ही थी, की मैं उनके उपेर से उठा जान.

क्योकि मेरी हालत बहोट ही खराब हो गयइ थी. थोड़ी देर बाद उषा आई और उसने मुझे उठाया तब तक जा कर मैं नॉर्मल हुआ.

उषा – देखो तुमने मेरी सहेली की क्या हालत कर दी है, मैं तुम्हे छ्चोड़ूँगी न्ही.

मैं – देखो किन सी जलन की बुऊ आ र्ही है, मैं तुम्हे भी देख लूँगा.

उषा – अछा तो तो टाइम ब्ताएगा.

फिर वो दोनो चली गयइ और मैं और अशोक विन पर ल्ट गये.

अशोक – यार तूने तो सब कुछ कर लिया, पर मुझे कुछ न्ही मिला.

मैं – क्यो? तेरे पास इतना अछा मोका था.

अशोक – यार मैने बहोट ट्राइ किया, पर वो मानी ही न्ही.

मैं – तू टेन्षन ना ले, तुझे मैं बहोट जल्दी मज़ा करूँगा.

फिर कुछ दीनो बाद हम दोनो ने मिल कर उषा की जबरदस्त चुदाई करी.. वो मैं आपको इस कहानी के अगले पार्ट मे बटुंगा.
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