जीजू की इच्छा पूरी करने के लिए गांद मरवाने की कहानी

ही दोस्तों, मेरा नाम अनुज है, और ये मेरी कहानी का दूसरा पार्ट है. अगर आपने मेरी पिछली कहानी पढ़ी होगी, तो आप जान चुके होंगे की मैं एक गे हू. मुझे काफ़ी टाइम पहले ही ये पता चल गया था, लेकिन मैं अभी तक किसी से छुड़ा नही था.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की जब मैं दीदी-जीजू के घर गया, तो मुझे दीदी कुछ उखड़ी-उखड़ी लगी. फिर मैने दीदी और जीजू की चुदाई देखी, और फिर मुझे उनकी लड़ाई का रीज़न पता चला

जीजू दीदी की गांद मारना चाहते थे, लेकिन दीदी मरवाना नही चाहती थी. फिर मैने जीजू से बात की, और फाइनली जीजू ने ये गांद मारने वाली बात मुझे बता दी. तभी मैने जीजू को अपनी गांद मारने की पेशकश की. अब आयेज बढ़ते है.

अपनी गांद की पेशकश करते हुए मैं खड़ा होके जीजू को अपनी गांद दिखाने लग गया. जीजू मेरी इस हरकत पर हैरान हो गये. पहले तो वो कुछ सोचने लगे. फिर वो बोले-

जीजू: मुझे लगा ही था.

मैं: क्या लगा था?

जीजू: की तू गे है. इतनी बड़ी गांद जब तू बार-बार दिखा रहा था, तभी मुझे एहसास हो गया था. और अब तो पक्का हो गया.

मैं जीजू के पास ही खड़ा था, और ये बात बोलते हुए उन्होने मेरी गांद पर हाथ रख कर मेरा चूतड़ दबा दिया. फिर वो बोले-

जीजू: सेयेल तेरी गांद तो वैसे मस्त है. एक-दूं गोल-गोल और मोटी. गांद के मामले में तो तू अपनी दीदी को भी मॅट देता है. मुझे तेरी गांद मारने में बहुत मज़ा आएगा. आज शाम को मैं तुम्हारे रूम में अवँगा. तैयार रहना.

जीजू की बात सुन कर मैं खुश हो गया, और शाम की वेट करने लगा. फिर हम दोनो दोबारा सब के साथ पार्क में टाइम स्पेंड करने लगे. थोड़ी देर में हम पार्क से घर वापस आ गये.

अब शाम हो गयी थी, और सब के सोने में कुछ ही टाइम बाकी था. मैं बड़ा ही उत्सुक होके जीजू से चूड़ने की वेट कर रहा था. उनका बड़ा और मोटा लंड बार-बार मेरी आँखों के सामने आ रहा था.

फिर डिन्नर का वक़्त हो गया, और सब डिन्नर टेबल पर बैठ गये. जीजू मेरे साथ वाली कुर्सी पर बैठे थे. डिन्नर करते हुए उन्होने जान-बूझ कर अपना स्पून नीचे गिरा दिया. जब वो स्पून उठाने के लिए नीचे झुके, तो उन्होने मेरा चूतड़ मसल दिया.

उनकी इस हरकत ने मुझे और उत्तेजित कर दिया. मेरे लंड ने प्रेकुं रिलीस करना शुरू कर दिया था. फाइनली 10 बाज गये, और सब लोग अपने-अपने रूम में सोने चले गये. मैं भी अपने रूम में आ गया. मैने टाइट ट्रॅक्स और त-शर्ट पहन ली.

मेरे ट्रॅक्स में मेरी गांद कमाल की गोल और मोटी लग रही थी. अगर ऐसी गांद किसी लड़की की हो, तो लड़के उसके लिए जान भी दे देंगे. इंतेज़ार की घड़िया ख़तम ही नही हो रही थी, और एक घंटा बीट चुका था. मैने वॅसलीन की डिब्बी पहले से लाके रख ली थी, ताकि मेरी सील टूटने में मुझे ज़्यादा दर्द ना हो.

फिर 11:30 बजे मेरे रूम का दरवाज़ा नॉक हुआ. मैं जल्दी से उठा, और दरवाज़ा ओपन किया. मेरी गांद की सील तोड़ने वाला मेरे सामने खड़ा था. जीजू अंदर आए, और मैने रूम दोबारा लॉक कर लिया. अब मैं सोच रहा था, की जीजू शुरुआत कैसे करेंगे.

फिर मैं जीजू के पास गया, और हम दोनो एक-दूसरे की आँखों में देखने लग गये. अचानक से जीजू ने मुझे थप्पड़ मार दिया. मैं थप्पड़ पड़ने पर हैरान हो गया. मैने उनसे पूछा-

मैं: क्या हुआ जीजू?

जीजू बोले: सेयेल मुझे लड़के नही लड़कियाँ अची लगती है. इसलिए अगर तुझे लगता है की मैं तुझे किस करूँगा, तो तुझे ग़लत लगता है.

ये बोल कर उन्होने मुझे एक और थप्पड़ मार दिया. फिर जीजू ने मुझे धक्का देके ज़मीन पर गिरा दिया. जब मैं उठने लगा, तो उन्होने मुझे धक्का देके रोका, और घुटनो के बाल बैठने को कहा. मैने भी वैसा ही किया, और अपने घुटनो पर बैठ गया.

फिर जीजू ने अपना पाजामा नीचे किया, और लंड बाहर निकाल लिया. जीजू का लंड आधा खड़ा हुआ था. फिर वो बोले-

जीजू: ले मेरी कुटिया चूस इसको.

ये बोल कर जीजू ने अपना लंड मेरे मूह में डाल दिया. मैं उनके लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. 2-3 मिनिट में ही जीजू का लंड पूरा खड़ा होके सख़्त हो गया. अब उनका लंड मेरे गले तक जेया रहा था.

उन्होने मेरे सर के पीछे हाथ रखा, और ज़ोर के धक्के देने लगे. मेरी साँस रुक रही थी, लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था. कुछ देर ऐसे ही जीजू मेरा मूह छोड़ते रहे. फिर उन्होने मुझे खड़ा किया और मेरे मूह पर थप्पड़ मारा.

मेरी आँखों में आँसू आ गये, लेकिन कही ना कही ये थप्पड़ मुझे और ज़्यादा उत्तेजित कर रहे थे. फिर जीजू ने मुझे बेड पर धक्का दिया, और मैं उल्टा बेड पर मूह के बाल लेट गया. अब लेटने से मेरी गांद जीजू ने सामने फैली हुई थी.

फिर जीजू ने अपने सारे बाकी के कपड़े उतार दिए, और मेरी जांघों पर आके बैठ गये, बिल्कुल मेरी गांद के उपर. फिर उन्होने मेरा पाजामा नीचे करके उतार दिया. मैने अंडरवेर नही पहना था, और अब मैं आधा नंगा हो गया था.

फिर वो बोले: गांद तो तेरी मस्त है लड़कियों जैसी.

ये बोल कर उन्होने वॅसलीन की डिब्बी से क्रीम निकली, और मेरी गांद के च्छेद पर लगाने लगे. कुछ क्रीम उन्होने अपने लंड पर भी लगाई. फिर उन्होने मेरी गांद के च्छेद पर लंड सेट किया, और दबाव डालने लगे. मुझे दर्द होने लगा, और मैं तोड़ा हिलने लगा.

इसकी वजह से जीजू का लंड मेरी गांद के च्छेद पर टिक नही पा रहा था. फिर उन्होने मेरे चूतड़ कस्स के पकड़े, और इतनी ज़ोर का झटका मारा, की उनका लंड मेरी गांद में फ़ासस गया. मेरी चीख निकालने से पहले उन्होने मेरे मूह को पिल्लो में दबा दिया, और खचा-खच मेरी गांद छोड़ने लगे.

दर्द इतना हुआ की एक बार तो मुझे लगा की मैं बेहोश हो जौंगा. लेकिन मैं होश में ही रहा. बस मुझे चक्कर आने लगे. लेकिन जीजू इस बात की परवाह किए बगैर मेरी गांद फाड़ते रहे.

कुछ मिनिट्स में मुझे भी मज़ा आने लगा, और मैं कामुक आहें भरने लगा. जीजू मेरे उपर लेट गये, और मेरी दीदी का नाम लेके गांद छोड़ते रहे. लगभग 20 मिनिट उन्होने मेरी गांद छोड़ी, और फिर अपना माल गांद के अंदर ही निकाल दिया.

फिर उन्होने अपने कपड़े पहने और मेरे रूम से बाहर निकल गये.

तो दोस्तों इस तरह से मेरे जीजू ने मेरी गांद की सील तोड़ी. उसके बाद भी मैं की और लोगों से छुड़ा. और वो स्टोरीस मैं आपके साथ फिर कभी शेर करूँगा.