हवासी जीजा ने साली को नंगा देखा

मैं आपको तोड़ा अपने और तोड़ा अपनी साली के बारे में बता देता हू पहले.

मैं देल्ही में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हू. मेरी शादी को 1 साल हो गया है. मेरी वाइफ भी एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती है. हाइट 5’11” है. मेरा रंग गोरा है. मेरे लंड का साइज़ 8 इंच है.

मेरी साली का नाम संगीता है. उसका कॉलेज ख़तम हो गया है. अब वो अपने भाई के साथ उसके बिज़्नेस में हेल्प करवाती है. उसका रंग हल्का गोरा है. उसकी हाइट 5’7″ है. उसके फिगर का साइज़ 32-30-38 है.

संगीता मुझे शुरू से ही बहुत पसंद थी. जब भी वो मेरे आस-पास होती तो मैं बस उसी को देखता रहता. उसका फॅवुरेट कलर पिंक है. और वो ज़्यादा कपड़े पिंक कलर के ही पहनती है. यहा तक की लिपस्टिक भी पिंक लगती है.

शादी के कुछ महीने बाद मेरी बीवी ने मुझे कहा-

बीवी: संगीता हमसे मिलने यहा आ रही है, तो तुम उसको कल स्टेशन से जेया कर ले आना.

ये बात सुन कर मैं मॅन ही मॅन में बहुत खुश हुआ. मैने सोचा चुदाई ना सही, कम से कम उसके बूब्स और गांद को देख कर ही मॅन खुश कर लूँगा. अब मैं अगले दिन का इंतेज़ार करने लगा.

अगला दिन जैसे-तैसे आया. मैं संगीता को लेने स्टेशन पहुँच गया. ट्रेन थोड़ी लाते थी, तो मैं वाहा पर उसकी वेट करने लगा. जैसे ही ट्रेन आ कर स्टेशन पर रुकी, तो मैं संगीता को ढूँढने लगा. जैसे ही संगीता ट्रेन से नीचे उतरी तो मैं बस उसी को घूरे जेया रहा था.

उसने पिंक कलर का टॉप और ब्लॅक कलर की जीन्स पहनी थी. उसमे वो बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लग रही थी. उसके बूब्स टॉप से बाहर आने को बेताब थे. उसकी जीन्स इतनी ज़्यादा टाइट थी, की मुझे समझ में नही आ रहा था की उसकी गांद उसमे फिट कैसे थी. संगीता हाथ दिखा कर मुझे अपने पास बुला रही थी. मैं उसके पास गया तो वो बोली-

संगीता: जीजू क्या हुआ? क्या सोच रहे हो? ये मैं ही हू.

मैं: कुछ नही, काफ़ी टाइम बाद तुम्हे देखा ना, तो वही देख रहा था तुम थोड़ी मोटी हो गयी हो.

संगीता (हासणे लगी): क्या जीजू, मैं तो डाइयेट कर रही हू फिट होने के लिए, और आप मुझे मोटी बोल रहे हो. नैन आपसे बात नही करूँगी.

मैं: ओह हो सॉरी साली साहिबा. मैं तो मज़ाक कर रहा था. इतने टाइम बाद तुम हाथ लगी हो, अब मैं मज़ाक भी ना करू?

संगीता: करो-करो, मैने कब माना किया है? चलो ये बाग ले लो आप मेरा एक.

मैने संगीता का बाग पकड़ा, और उसको बोला: तुम आयेज चलो, मैं पीछे-पीछे आता हू. बाहर से हम कॅब लेंगे, और फिर घर जाएँगे.

संगीता आयेज-आयेज चलने लगी. मेरी नज़र संगीता की गांद पर थी. एक तो उसकी पीछे निकली हुई गांद, उपर से टाइट जीन्स बहुत हॉट लग रही थी. मेरा लंड तो उसे देख कर ही खड़ा हो गया. मैने जैसे-तैसे लंड को संभाला और हम बाहर पहुँचे.

फिर मैने कॅब बुक की. समान सारा दिग्गी में रखा, और संगीता के साथ पिछली सीट पर बैठ गया. मैं तो बैठ गया, पर नेरा लंड अभी भी खड़ा ही था. फिर मैं कॅब वाले को रास्ता समझने लग गया, तो मैने अपने लंड पे ध्यान ही नही दिया. रास्ता समझा कर मैने जैसे ही संगीता की तरफ देखा, तो वो मेरे लंड को ही देख रही थी.

मैने जल्दी से हाथ लगा कर उसको नीचे किया. संगीता ने नज़र बाहर की तरफ कर ली. मैं समझ गया था की संगीता ने देख लिया था. फिर मैं बात बदलने के लिए उसे ऐसे ही पूछने लग गया-

मैं: संगीता सफ़र कैसा रहा?

संगीता: सफ़र ठीक था. जीजू कितनी डोर है घर?

मैं: बस 20 मिनिट में पहुँच जाएँगे.

अब संगीता मेरी तरफ देख कर बात कर रही थी. फिर वो एक-दूं से बोली-

संगीता: जीजू आपको पता है मेरा बहुत टाइम से मॅन था यहा आने का? भाई के बिज़्नेस के चलते मैं यहा आ ही नही पाई?

मैं: अब तो आ गयी हो ना, तो मैं तुम्हे एक महीना कही नही जाने दूँगा.

संगीता: नही-नही जीजू, भाई को प्राब्लम हो जाएगी, इतने दिन मैं यहा रहूंगी तो. आप नही जानते वो बहुत गुस्सा करेगा.

मैं: चलो देखते है फिर (मैने हंसते हुए कहा).

मैं हैरान था की संगीता ये सब देख कर भी मुझसे आचे से कैसे बात कर रही थी. ये सोचते-सोचते कब घर आ गया पता ही नही चला. फिर हम घर के अंदर गये. मैने संगीता को पानी पिलाया. मेरी वाइफ घर पर नही थी, क्यूंकी वो अभी जॉब पर ही थी. संगीता ने पानी पी कर कहा-

संगीता: जीजू मुझे बातरूम दिखा दो, मैं नहा लेती हू. बॉडी बिल्कुल अजीब सी लग रही है.

मैने फिर उसको बातरूम दिखाया, और वो नहाने चली गयी. मैं बस वही सोचे जेया रहा था की उसने मेरे लंड को खड़ा देखा, पर वो फिर भी कुछ नही बोली, और एक-दूं नॉर्मल कैसे थी. फिर मुझे संगीता की बातरूम से आवाज़ आई.

संगीता: जीजू, टवल तो है ही नही बातरूम में. क्या मुझे टवल दे दोगे?

मैं: सॉरी बेटा, अभी लाता हू.

मैं टवल लेकर बातरूम के दरवाज़े के बाहर खड़ा था, और मैने उसको आवाज़ दी. फिर उसने अपना हाथ बातरूम से बाहर निकाला, और मैने उसके हाथ में वो टवल पकड़ा दिया. उसने टवल तो ले लिया, पर वो दरवाज़ा बंद करना भूल गयी. दरवाज़े से हल्का सा अंदर दिख रहा था, तो मैं देखने लग गया.

उसकी बॉडी पर एक भी कपड़ा नही था. उसकी पीठ मेरी तरफ थी. गांद उसकी जो मैने अभी तक बस जीन्स में ही देखी थी, वो मेरे बिल्कुल सामने थी. उसकी गांद इतनी ज़्यादा सेक्सी थी, की मैं अपने आप को रोक ही नही पाया. मैने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला, और उसको आयेज पीछे करने लग गया.

फिर अचानक संगीता मेरी तरफ घूम गयी. जैसे ही वो मेरी तरफ घूमी, मैने देखा उसके बूब्स नीचे लटक रहे थे. उसकी छूट पर एक भी बाल नही था. दोस्तों मैं ये सब देख कर एक-दूं पागल सा हो गया था. मैं अपने लंड को तेज़ी से आयेज-पीछे करने लगा. संगीता ने मुझे ये सब करते हुए देख लिया, और उसने दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर दिया.

इसके आयेज क्या हुआ, ये आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी का मज़ा आया हो, तो फीडबॅक ज़रूर दे. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.