ये कहानी 8 लोगों की बेहद लंबी कहानी है, जो पहले 3 भागो में आपको हल्की सी समझ आएँगी. ये बीच-बीच में बोरिंग भी होगी, क्यूंकी मैं ये कहानी काफ़ी डीटेल में लिखना चाहता हू. इसलिए आप भी सहयोग करे.
ये कहानी मेरी मों (डेविका आगे 43 साल, सावली, और थिक आंड फिट फिगर की मालकिन, जिसकी गहरी आँखें दीवाना कर देती है) और उनके अफेर्स या उनको मिले प्यार की है. जिसमे मैने हमेशा हेल्प की है, और मम्मी की खुशी सबसे उपर रखी है.
तो दोस्तों आज हम देखेंगे मों की पहली केमिस्ट्री की जो एक पार्टी से शुरू हुई, जो की मेरे पापा (संजय) के दोस्त (रतन) अंकल (आगे 54) के रिटाइयर्मेंट की थी. उन्होने अर्ली रिटाइयर्मेंट लिया था. यहा पापा के दोस्त अपने फॅमिली के साथ आए थे. मैं और मों भी वाहा थे.
पार्टी के लिए काफ़ी बड़ी होटेल चूज़ की गयी, और होटेल को भी काफ़ी ज़्यादा फूलों से सज़ा दिया गया था. लेकिन वाहा उससे भी सुंदर, बिना फूलों के सजी, और अपनी नॅचुरल ब्यूटी ले कर मों मौजूद थी.
सभी लोग मैं नही कहूँगा, लेकिन काफ़ी लोग उनको देख भी रहे थे. फिर तभी वाहा पर पार्टी के ऑर्गनाइज़र आए और मम्मी को नमस्ते भाभी जी कह कर आवाज़ दी. उनके साथ उनकी बेटी(साक्षी) भी थी जो की बहुत खूबसूरत लग रही थी.
फिर उसने मुझे कहा: अर्रे तुम यहा क्यूँ हो?
और वो मुझे उसके और मेरे कामन दोस्त के पास चलने को बोली. मैं उसके साथ निकल गया. और यहा उनकी क्या बात हुई, मुझे पता नही. लेकिन मम्मी मुस्कुरा रही थी और हाथ मिला कर भी शायद विश किया था उनको उनके रिटाइयर्मेंट के लिए. शायद जिस वजह से पार्टी थी.
इस पार्टी में क्या हुआ ये आप आयेज पढ़ेंगे. उमीद है लंबी कहानी हिस्सो में आसानी से पढ़ कर आप आनंद उठाए.
इसके बाद हम घर आए. तब मों के फोन पर कॉल आई किसी की. वो किसकी थी, मुझे तब पता भी नही था.
मम्मी: हा-हा पहुँच गये हम अभी. हा आप भी आराम कीजिए. ज़रूर, हा नमस्ते. रखती हू.
फिर मम्मी ने कहा रतन अंकल का कॉल था. अब मम्मी ने पापा को कॉल किया, और अपने रूम में जाते-जाते सब बताने लगी. पापा दो वीक के लिए सर्वे करने वडिषा गये हुए थे. अब मैं भी सोने चला गया, लेकिन मेरा चारजर बाग में रह गया तो मैं वो लेने गया.
तभी मैने देखा मम्मी के एक हाथ में फोन और एक हाथ में ग्लास. मैने ध्यान नही दिया, और सोने चला गया कुछ भी बिना बोले. सुबा फिरसे छाई पीने मैं हॉल में अपनी रोज़ की जगह पर बैठ कर टीवी देख रहा था. तब भी मम्मी के हाथ में फोन ही था, और उन्होने मुझे आवाज़ दी
मम्मी: बाबा ब्रश किया या नही?
मे: हा किया.
मम्मी: पहले ढोकला खा लो, फिर छाई देती हू.
मे: ओक.
इतना बोल कर वो बातरूम गयी, और 5 मिनिट में तुरंत बाहर निकल कर सारी पहन ली, और बाल थोड़े गीले हल्के से बाँध कर वापस आई. फिर मुझे ढोकला ला कर दिया. मैने वो फिनिश किया, और फिर वो छाई लाती हू बोल कर किचन की तरफ गयी.
वो छाई लेकर आई और 5 मिनिट बाद छाई थोड़ी ही बाकी थी. तभी हमारे घर रतन अंकल पधारे. उन्होने आते ही उपर से नीचे तक मा को देखा, और मुस्कुराए. और फिर मेरी तरफ देखा और कुछ बोलते उससे पहले मैने उन्हे कहा-
मे: नमस्ते अंकल.
अंकल (मम्मी की तरफ देख कर हल्के से मुस्कुरा कर): नमस्ते भाई साहब.
वो आ कर सोफा पर बैठ गये. मम्मी ने गालों की लत कान के पीछे सेट करते हुए उनसे छाई लाती हू बोल कर मुस्कुराते हुए जाने लगी. अंकल उनको पीछे से भी देख ही रहे थे. आज मुझे मम्मी की चाल में बदलाव नज़र आ रहा था. आप समझदार हो चाल कैसी रही होगी.
अंकल: और भाई, कैसा चल रहा कॉलेज?
मे: बहुत बढ़िया अंकल. नेक्स्ट मंत गॅदरिंग है, साक्षी ने बताया होगा ना?
मों छाई लेकर आती है, और अंकल उनकी तरफ मुस्कान भारी शकल से देखते हुए मुझे रिप्लाइ करते है-
अंकल: हा, साक्षी भी बोल रही थी.
मों: लीजिए भाई साहब छाई.
अंकल: अर्रे भाभी जी इसकी क्या ज़रूरत थी.
मों: छाई ही तो है, लीजिए.
अंकल (मुस्कुराते हुए): आप भी लो भाभी जी.
दोनो एक-दूसरे को देखते हुए अलग ही मुस्कान के साथ बात कर रहे थे. मुझे भी काफ़ी पॉज़िटिव वाइब्स मिल रही थी अंकल से. मैने तभी मम्मी को कहा-
मे: बिस्किट्स नही लाई आप?
मों (इधर-उधर देखते हुए): अर्रे हा!
अंकल: अर्रे इसकी कोई ज़रूरत नही.
मों उठने लगी तभी मैने उनको रुखने को कहा.
मे: रूको, आप बैठो, मैं ले आता हू.
मैं उठ के जाने लगा. तभी धीमी आवाज़ में अंकल बोले-
अंकल: मा पर ही गया है शायद.
मों (हेस्ट हुए): हाहाहा.
मुझे आता देख मों वापस छाई पीने लगती है, और अंकल मेरी और ध्यान देते है.
अंकल: अर्रे बेटा इतने सारे कों खाएगा?
मे: आप खाओ यार. मम्मी भी बिस्कट लवर है. आप तो बहाना थे. मैने उनके लिए ख़ास तकलीफ़ ली.
और सभी लोग हासणे लगे. अंकल हेस्ट हुए भी मम्मी को देख रहे थे. मम्मी शर्मा रही थी, और मेरी तरफ बड़ी आँखें करके बड़े ही मस्ती भरे अंदाज़ में बोली-
मों: बदमाश कही का.
मेरा कान पकड़ के अपनी तरफ खींच के प्यार से गाल पे थपथपाया और गहरी नज़र से अंकल की तरफ देखते हुए मेरे गाल पर किस की. अंकल ने छाई की घूँट लगाई और होंठो पर जीभ फेरते हुए आँखें हल्की बंद करके छाई की मिठास का मज़ा ले रहे थे.
सब ऐसे ही हस्स रहे थे. तभी मैने भी मों को एक किस किया और अंकल को कहा-
मे: आप लोग बैठो, मुझे रेडी होना है.
मों: आइर्निंग करके कपड़े रेडी रखे है, उपर वाले बेडरूम में.
मे: थॅंक्स.
मैं निकला तभी अंकल ने अपनी जगह से उठ कर बिस्कट की प्लेट लेकर मम्मी के पास रखी.
अंकल: लीजिए भाभी जी.
मों: अर्रे भाई साहब आप भी उस बदमाश की बातों में आ गये.
अंकल: हाहाहा, लीजिए आपको पसंद है ना.
मों: आप भी ना.
अंकल: लीजिए ना भाभी जी.
इस बार मैने देखा अंकल अचानक से करीब आ कर बिस्कट मम्मी के होंठो तक ले गये. मम्मी ने दोनो नाज़ुक होंठो को खोल कर बिस्कट को लपेट लिया, और आधा बिस्कट प्यारी मुस्कान के साथ तोड़ दिया.
मों: बस? अब बाकी आप खा लो.
अंकल के हाथ में आधा बिस्कट था. वो मम्मी की तरफ देखते हुए बिस्कट को अपने मूह में डालते है, और मज़े से चबाते हुए अलग सी मुस्कान के साथ मों की तरफ देखते है. दोनो हेस्ट हुए एक-दूसरे की नज़र से नज़र को स्वीकार करते है. मों छाई के कप और सब उठा के जाने लगती है.
तभी अंकल का ध्यान बिस्कट की प्लेट पर जाता है. मों किचन में जाती है. तभी अंकल उस प्लेट को उठा कर बेजीझक किचन की और चलना शुरू करते है. प्लेट के बहाने शायद वो कुछ चान्स खोजते है.
मैं बातरूम के पास से ये देख रहा था, की अंकल किचन की और जेया रहे थे. यहा ज़रूर कुछ होने वाला था, इसलिए मैने ताप शुरू कर बकेट में पानी की आवाज़ स्टार्ट करी, और वाहा अंकल और मों किचन में थे.
कहानी आयेज बढ़ने लगी कैसे, वो अगले पार्ट में ज़रूर पढ़े. इश्स कहानी में कैसे दोनो के बीच टेंप्टेशन और अट्रॅक्षन बढ़ने लगा, और अपनी लिमिट में किस तरह हवस के बगैर प्यार आयेज बढ़ता है. कहानी लंबी है और एरॉटिक और मज़ेदार भी.