हेलो फ्रेंड्स मैं स्वरना फिरसे आप सभी के सामने एक नयी चुदाई भारी कहानी शुरू कर रही हू, जिससे आप सभी के लंड और छूट में से फिरसे भरपूर पानी का फुवरा निकले, और आप सब वासना में पूरी तरह से डूब जाए.
उमीद है लड़कों का लंड खड़ा हो के सलामी देगा, या किसी लड़की की छूट की गर्मी शांत करेगा. लड़कियों को भी सॅटिस्फॅक्षन मिलेगी अपनी उंगलियों से, या फिर खीरे या लोकी से. और अगर चाहे तो किसी का लंड लेले और सुखी ज़मीन गीली करवा ले.
आप सब ने इस कहानी का 1स्ट्रीट पार्ट पढ़ ही लिया होगा. पर अगर नही पढ़ा, तो सभी से रिक्वेस्ट है की पहले वो पढ़ लीजिए, और फिर आ कर ये पार्ट शुरू कीजिए. तो अब आयेज शुरू करते है.
फिर हमने दर्शन किए, और उधर ही पार्क में तोड़ा टाइम बाते करने लग गये. अंधेरा होते ही हम घर आ गये. तब करीब 7 बाज रहे थे. घर पहुँचते ही मा बोली-
मा: मैं जल्दी खाना बना लेती हू.
ये कह के मा किचन में चली गयी, और मैं और पापा टीवी चालू करके वही लिविंग रूम में बैठ गये. जब मेरी नज़रें किचन में गयी तो मुझे मा के हिलते हुए चूतड़ दिख रहे थे. उनके मस्त गोल-मटोल चूतड़ मुझे उत्तेजित करने लगे थे.
जैसे मा इधर-उधर चलती या हिलती तो उनकी गांद के दोनो भाग उपर-नीचे हिल रहे थे. जब मा नीचे झुकती, तो उनके दोनो छूतदों के बीच वाली दरार एक-दूं सॉफ-सॉफ दिखाई दे रही थी. ये सब की वजह से ना चाहते हुए भी मेरी नज़रें उस तरफ ही बार-बार जेया रही थी, और मैं खुद को रोक नही पा रहा था. मैं टीवी कम पर अपनी मा के माधमस्त छूतदों और गांद को ही ज़्यादा देख रहा था.
ऐसे ही मा को देखते रहते एक बार तो मेरी और मा की नज़रें टकरा भी गयी. और ऐसे होते ही मैं एक-दूं घबरा गया. पर मा, वो तो मुझे देख कर हासणे लगी. मा अब बार-बार मेरी नज़रे देखते हुए अपना काम करने लगी थी. इतने में ही पापा बोले-
पापा: मुन्ना अब कंपनी कब जाय्न करनी है?
मुन्ना: पापा नेक्स्ट वीक से 1स्ट्रीट जन्वरी से करने को कहा है.
पापा: चलो अछा है. अब खूब मॅन लगा कर काम करना. किसी को भी कंपनी में कोई शिकायत का मौका मत देना.
मैं और पापा बातें ही कर रहे थे उतने में मा भी लिविंग रूम में आ गयी, और मेरी तरफ देख कर हेस्ट हुए बोली-
मा: किस मौके की बात हो रही है?
पापा: हम बस मुन्ना की जॉब की बात कर रहे है.
मा (मेरी तरफ आँख मारते हुए बोली): वैसे ही मेरा बेटा भौत स्मार्ट और इंटेलिजेंट है. इसलिए उसे कुछ भी बताने की कोई ज़रूरत नही है. वो खुद ही सब कुछ समझ जाता है.
मा की अब ये बातें अब मुझे हिम्मत दे रही थी, तो मैं भी उनकी तरफ देख कर मुस्कुराने लग गया था. इतने में ही बीच में पापा बोले-
पापा: हा बिल्कुल, मुन्ना तो है ही होशियार.
फिर हम सब हासणे लग गये और मा बोली-
मा: चलिए मैं खाना लगती हू. बहुत देरी हो चुकी है. सुबा ऑफीस भी तो जाना है ना आपको.
पापा को उनकी बात सुनते ही एहसास हुआ, और वो उठ कर हाथ धो कर खाने बैठ गये. मा भी किचन में चली गयी, और मैं वही बैठा-बैठा उनके सेक्सी छूतदों को देखता रह गया.
जब मा और पापा आए तो मैं भी उठ कर हाथ धो कर आया और खाने बैठ गया. तब तक मा ने मेरी प्लेट लगा दी थी. फिर सब ने सिर्फ़ खाना ही खाया. खाना ख़तम होते ही पापा उनके रूम में चले गये, और मैं भी मेरी रूम में आ गया. मा किचन में उनका काम ख़तम कर रही थी.
मैं रात को सोते टाइम सिर्फ़ अंडरवेर में ही सोता हू. पर अभी ठंडी के दिन थे इसलिए मैने एक पतली लूँगी जैसा पहन लिया था और साथ ही त-शर्ट भी पहन ली थी. मैं बेड पे लेट तो गया था, पर मुझे नींद ही नही आ रही थी.
आँखें बंद करने के बाद भी, ना चाहते हुए भी, मुझे मा के कड़क और सेक्सी बूब्स और उनके गोल-मटोल हिलते हुए चूतड़ और उनके गरम हाथो का टच ये सब बार-बार उत्तेजित और गरम कर रहा था.
ये सब सोच-सोच कर मेरे बदन में कुछ-कुछ होने लगा था, और साथ ही मेरा लंड स्लोली-स्लोली खड़ा होने लग गया था. मुझे अब लगने लगा था की मेरा लंड मेरी अंडरवेर को फाड़ कर बाहर आने की कोशिश कर रहा था. तभी मैने लूँगी के अंदर हाथ डाल कर अंडरवेर को नीचे सरका दिया, और लंड को पूरा आज़ाद कर दिया.
पर मैने लूँगी को वही वैसे ही ठीक किया और लंड को लूँगी से कवर कर दिया. ये सब करने की वजह से मेरा लंड इस टाइम अब पूरा खड़ा हो चुका था, बिल्कुल पूरा 8 इंच का. किसी मोटी ककड़ी जितना मोटा भी. इतना विकराल लंड भला कैसे अंडरवेर में चुप सकता था?
ये सब करने में मैं ये भूल चुका था की मा और पापा घर में ही थे. जब मेरी ये हरकते चल रही थी, तभी मा मेरे रूम का डाइरेक्ट्ली डोर खोल कर अंदर आ गयी और बोली-
मा: बेटा आज ठंड थोड़ी ज़्यादा है, इसलिए तुझे ये क्विल्ट देने आई थी.
जब मैने आँखें खोल के मा को देखा तब उनकी नज़रें मेरी लूँगी के अंदर बने टेंट पर पहुँच चुकी थी. मैं भी एक-दूं घबरा कर शॉक में खड़ा हो गया. कह सकते हो इतनी ठंड में भी मुझे पसीने आ चुके थे. मैं सीधा मेरी लूँगी ठीक करने में लग गया, पर मा हेस्ट हुए बोली-
मा: कोई बात नही बेटा, ये सब तो होता ही है इस आगे में.
उनकी नज़रें अभी भी मेरी लूँगी में बने टेंट पर ही अटकी हुई थी, और बोल रही थी-
मा: अब सो जाओ बेटा, 11 बजने वाले है.
मा उनके रूम में चली गयी. मम्मी पापा का रूम एग्ज़ॅक्ट्ली मेरे रूम से लग कर ही था 1 ही वॉल पे. मेरा लंड हिलाते-हिलाते मैं भी सो गया था. जब सुबा उठा तो देखा पापा उनके ऑफीस जेया चुके थे. मैं नहाने जेया रहा था, तब मा ने मुझे किचन से ही आवाज़ दे कर रोका, और हेस्ट हुए बोली-
मा: उठ गये बेटा? रात में नींद तो ठीक से आई थी ना?
उनकी ये बात सुन कर मैं उनसे नज़रें नही मिला पा रहा था. फिर भी मैने उन्हे जवाब दिया-
मुन्ना: हा मा, बिल्कुल अची तरह से नींद आई थी.
फिर जब मैने हल्के से नज़रे उठा कर उनकी तरफ देखा, तो मैं तो होश ही खो बैठा, और बस उन्हे देखते ही रह गया था. मा ने रेड कलर की बॉडी फिट टाइट निघट्य पहन ली थी. उसमे से उनकी रेड कलर की ब्रा और पनटी भी सॉफ-सॉफ दिखाई दे रही थी.
उनका इतना क्लियर बदन और क्लीवेज देख कर मेरा तो वही खड़े-खड़े लंड हलचल मचाने लग गया था. मेरे मॅन में बस यही शब्द आ रहे थे की ‘मा क्या माल लग रही है पूरी’. तभी मा ने मुझे आवाज़ देते हुए पूछा-
मा: मुन्ना बेटा, कहा खो गये हो? और ये ऐसे क्या खड़े रह कर देख रहे हो मुझे?
ये बोलते हुए उनकी नज़रें नीचे मेरी टवल की तरफ ही थी, जो मैने अपनी कमर पे लगाया हुआ था लंड के उपर. लेकिन लंड में उभार आंड की वजह से लंड अची तरह से तन्ना हुआ सॉफ दिखाई दे रहा था. मेरा खड़ा लंड देख कर मा हेस्ट हुए बोली-
मा: बेटा अब जल्दी जाओ और आचे से नहा कर आओ. मैं तुम्हारे लिए अछा नाश्ता बना कर रखती हू.
मुन्ना: ओके मा.
मैं बातरूम में चला गया, और डोर लगा कर टवल हटा दिया, और फिर पूरा नंगा हो कर शवर के नीचे खड़ा हो गया. अभी भी मेरा लंड उतना ही तन्ना हुआ था. मैने लंड को हाथ में पकड़ कर मूठ मारना शुरू कर दिया. फिर मा की चुचियों और उनकी मटकती गांद को याद करते हुए लंड की मूठ मार कर उसको पूरी तरह से शांत करने लग गया, और पानी निकाल कर ही शांत हुआ.
बाहर आ कर फिर मैं रूम में चला गया, और फिर रेडी हो कर लिविंग रूम में आ कर सोफा पर बैठ गया आराम से. मुझे वाहा देख कर मा मेरे लिए नाश्ता लेकर आई और मेरे साथ ही वही पास में सोफा पे बैठ गयी. उनकी जांघें मेरी जांघों को टच कर रही थी. उनके बदन की मदहोश करने वाली खुश्बू मुझे फिरसे उत्तेजित कर रही थी.
मा का सेक्सी बदन देख कर मैं तो पागल ही हो चुका था. आज उनकी नज़रों में भी कुछ अजीब सी प्यास मुझे दिखाई दे रही थी. मैं नाश्ता कर रहा था, तब मा मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली-
मा: बेटा नाश्ता अछा नही बना क्या? या कुछ सोच रहे हो बेटा? क्या बात है मुन्ना?
मुन्ना: नही कुछ नही मा, बस ऐसे ही है.
मैने नाश्ता ख़तम किया, और कॉफी पी कर मैने मा से कहा-
मुन्ना: मैं ज़रा बाहर जेया कर आता हू, और लंच टाइम तक वापस आ जौंगा.
मा: ठीक है बेटा, आराम से जाना, और बिके ठीक से चलना, और जल्दी से वापस आ जाना. मैं तुम्हारा वेट करूँगी.
मुन्ना: ठीक है मा.
मैने बिके निकली और चला गया. बाहर मैने मेरा काम ख़तम किया, और कुछ अराउंड 12 बजे मैं वापस घर आ गया. मेरी बिके की आवाज़ सुनते ही मा गाते खोलने बाहर आ गयी. मैने मा से कहा-
मुन्ना: मा आपने क्यूँ तकलीफ़ की? मैं खुद ही गाते खोल लेता ना.
मा: बेटा मेरा काम ख़तम हो चुका था, और मैं तुम्हारा ही वेट कर रही थी. इसलिए आ गयी बाहर गाते खोलने.
फिर हम गाते बंद करके घर के अंदर आ गये.
मा: तुम जेया कर फ्रेश हो जाओ, मैं खाना लगा लेती हू.
मैं फ्रेश हो कर आया, और मा ने भी खाना लगा लिया था. फिर हम दोनो ने खाना खाया, और मैं अपने रूम में चला गया. रूम में जेया कर मैने कपड़े उतार दिए, और फिरसे लूँगी पहन कर बेड पे बैठ कर न्यूसपेपर पढ़ने लग गया. कुछ टाइम बाद मा सब काम ख़तम करके मेरे रूम में आ गयी. मैने उन्हे देखते हुए कहा-
मुन्ना: आओ मा बैठो, मुझे लगा था आप आपके रूम में सोने चली गयी होंगी.
मा: मुझे अभी नींद नही आ रही है.
ये कहानी आयेज कंटिन्यू करूँगी दूसरे पार्ट में. तब तक ये पढ़ कर आप सब तोड़ा इंतेज़ार कीजिए, और अगर आप सब के पास कोई सजेशन हो तो मुझे मैल कीजिए