एक बुड्ढे की कहानी जो वासना से भरा हुआ था

ही दोस्तों, मैं जवाहर वापस आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. आशा करता हू की आपने पिछला पार्ट पढ़ा होगा, और उसमे आपको मज़ा भी आया होगा.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मैं अपनी बेटे की क्लासमेट मनीषा का दीवाना हो गया था. मैने उसकी बातरूम वीडियोस बना ली थी, और उनको देख कर मूठ मारता था.

फिर एक दिन जब वो घर पर थी, तो मैने प्लान बना कर पवन को बाहर भेज दिया, और फिर हेल्प करने के बहाने मनीषा को अपने रूम ले गया. फिर मैने उसको अपने साथ बेड पर गिरा लिया. अब आयेज चलते है.

मैं जान-बूझ कर उसके उपर गिर गया था, ताकि वो मेरे भारी शरीर के नीचे डब जाए, और हिल ना पाए. जब मैं उसके उपर गिरा तो वो बोली-

मनीषा: अंकल ध्यान से, मुझे साँस नही आ रही.

मैं: सॉरी बेटा, मैं उठने की कोशिश करता हू.

मनीषा: अंकल जल्दी कीजिए.

मैं: मुझसे उठा नही जेया रहा.

बोलते-बोलते हम दोनो की साँसे आपस में टकरा रही थी. तभी मैं अपने मूह को मनीषा के मूह के एक-दूं करीब ले आया. इससे उसकी साँसे तेज़ हो गयी. उसने हिलना बंद कर दिया.

मुझे लगा यही सही मौका था, और मैने अपने होंठ उसके होंठो के साथ चिपका दिए. वाह! क्या सॉफ्ट होंठ थे उसके. मैने उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया.

10 सेकेंड्स के लिए वो भी कुछ समझ नही पाई, की ये उसके साथ क्या हो रहा था. लेकिन फिर वो झटपटाने लगी. उसने ज़ोर लगाना शुरू कर दिया, लेकिन मैं काफ़ी भारी था.

मैने अपनी टाँगो से उसकी टाँगो को कंट्रोल किया, और उसको किस करना जारी रखा. 3-4 मिनिट वो ज़ोर लगती रही मुझे अपने उपर से हटाने के लिए. लेकिन जब उसकी एक ना चली, तो उसने ज़ोर लगाना बंद कर दिया. शायद वो तक कर हार मान चुकी थी.

फिर मैने उसके होंठो को अपने होंठो से अलग किया. जब मैने होंठ हटाए, तो वो तेज़-तेज़ साँसे लेने लगी. साँस लेते हुए वो बोली-

मनीषा: अंकल आप ये क्या कर रहे हो? प्लीज़ ऐसा मत करो.

मैं: बेटा अब जो शुरू हो चुका है, उसको मैं रोक नही सकता. ई आम सॉरी.

और ये बोल कर मैं अपने होंठ फिरसे उसके होंठो के पास लेके जाने लगा.

मनीषा: अंकल नही….

इससे पहले की वो आयेज कुछ बोल पाती, मैने अपने होंठो से उसका मूह बंद कर दिया. 10 मिनिट मैने उसके होंठो को जी भर कर चूसा. साथ-साथ मैं उसके बूब्स भी दबाता रहा.

फिर 10 मिनिट बाद मैने उसके होंठ छ्चोढे, और उसकी गर्दन पर किस करने लग गया. अब वो मुझे माना नही कर रही थी. आक्च्युयली वो कोई भी रिक्षन नही दे रही थी, बस चुप-छाप तेज़ साँसे लिए जेया रही थी. मेरे लिए तो अछा था की उसने अपने आप ही सरेंडर कर दिया था.

फिर मैं नीचे गया, और उसकी त-शर्ट उपर उठाई. अब उसके क्रीम ब्रा में काससे हुए चूचे मेरे सामने थे. मैने उसकी त-शर्ट में कट डाल कर फाड़ दिया, और ब्रा को भी बीच में से काट दिया.

ब्रा काट-ते ही उसके फूल समान चूचे मेरे सामने थे. मैने उसके दोनो निपल्स को चूसना शुरू कर दिया. मनीषा की साँसे और तेज़ हो गयी. मैं जब निपल्स को काट-ता, तो उसकी आ निकलती. फिर मैं कमर को चूमते हुए नाभि को चाटने लगा, और फिर उसकी जीन्स का बटन खोलने लगा.

वो बस बेड पर सीधी लेती हुई थी. उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नही था. बस तेज़ साँसे ले रही थी, और उसकी आँखों में हल्के आँसू भी थे. अब ये मुझे समझ नही आया, की वो आँसू खुशी के थे या गुम के.

मैने उसकी जीन्स उसके बदन से अलग कर दी, और उसकी जांघों को चाटने लग गया. क्या स्वाद था उसकी जांघों का. मैने पैर से लेके छूट तक की जगह अपनी थूक से गीली कर दी. अब बारी थी उसकी वर्जिन छूट की.

मैने उसकी छूट पर पनटी के उपर से थोड़े किस किए. फिर मैने उसकी गांद की तरफ से हाथ डाला, और उसकी पनटी निकाल दी. उसकी छूट पूरी तरह से गीली थी. इससे पता चल रहा था, की वो मज़े में थी.

फिर मैं उसकी गुलाब की पंखुड़ियों जैसी छूट को चाटने लगा. 3-4 मिनिट चाटने के बाद ही उसकी छूट ने अपना सफेद पानी छ्चोढ़ दिया, और पानी छ्चोढते हुए उसका जिस्म काँप गया. अब बारी थी उसकी क़ास्सी हुई छूट को खुल्ला करने की.

मैने अपने कपड़े उतारे, और उसके मूह पर जाके बैठ गया. मैं अपने लंड से उसके मूह पर थप्पड़ मारने लगा. फिर मैने लंड को उसके लिप्स पर रगड़ा. मैं अपने लंड को उसके मूह में डालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वो मूह इधर-उधर करे जेया रही थी.

फिर मैने उसके निपल को ज़ोर से मसला, जिससे आ भरते हुए उसका मूह खुल गया, और मैने जल्दी से लंड उसके मूह में डाल दिया. लंड डालते ही मैने उसके मूह में धक्के देने शुरू कर दिए. लंड जाने से उसकी साँस उखड़ती, और उसके मूह से थूक बाहर आने लगती.

कुछ मिनिट बाद मैं नीचे गया, और अपना लंड उसकी छूट पर रगड़ने लग गया. वो आ आ कर रही थी, और अपने सर पर बाजू रख कर आँखें च्छूपा रही थी.

फिर मैने धक्का मार कर आधा लंड उसकी छूट में घुसा दिया. उसकी चीखें निकालने लगी, और मैने अपने होंठ फिरसे उसके होंठो से जोड़ दिए. मेरे पास ज़्यादा टाइम नही था, तो मैने ज़ोर के धक्के मार कर लंड पूरा छूट में घुसा दिया.

वो ह्म ह्म करती रही, लेकिन मैं नही रुका. अब मेरा लंड उसकी गरम छूट में था. मैं उसके होंठ चूस्टा रहा, और उसकी छूट छोड़ता रहा. बीच-बीच में मैं उसके बूब्स भी चूस्टा. कुछ देर छोड़ने के बाद मुझे अपने लंड पर फिरसे उसकी छूट का रस्स फील हुआ.

साली बार-बार झाडे जेया रही थी, लेकिन साथ नही दे रही थी. 15 मिनिट छोड़ने के बाद मेरा निकालने वाला था. मैने अपना लंड उसकी छूट में से निकाला, और उसके मूह के पास लाके उसके मूह पर पिचकारी छ्चोढ़ दी. वो बस मेरी तरफ देख रही थी.

फिर मैं तक कर उसके पास लेट गया. 5 मिनिट में वो खड़ी हुई, और कपड़े डालने लगी. उसकी छूट पर ब्लड लगा हुआ था, लेकिन उसने वैसे ही पनटी पहन ली. फिर उसने अपने कपड़े जीतने बचे थे पहने. त-शर्ट फटत चुकी थी, जो उसने स्काफ़फ़ से धक ली. उसके बाद वो बिना कुछ बोले घर से चली गयी.

आयेज की कहानी अगले पार्ट में आएगी. यहा तक कहानी का मज़ा आया हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करो. मिलते है अगले पार्ट में.