दोस्त ने दोस्त की मम्मी से बढ़ाई नज़दीकियाँ

मैं आर्यन 25 का हू. मेरे मों-दाद की आक्सिडेंट में डेत हो गयी थी. तब मैने 12त कंप्लीट की थी. दाद का एक बिज़्नेस था नॉइदा में, तो स्कूल कंप्लीट करने के बाद मैने कॉलेज से ड्रॉप ले लिया, और बिज़्नेस संभालने लगा दाद के असिस्टेंट अमित अंकल के साथ.

बुत 2 साल के बाद जब बिज़्नेस स्टेबल हुआ, तो उन्होने मुझे कहा की मुझे अपनी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट करनी चाहिए. मैने ब्बा के लिए देल्ही में ही अड्मिशन ले लिया. वाहा मैने हॉस्टिल लिया था, बुत मुझे हॉस्टिल फुड अछा नही लगा तो मैने एक फ्लॅट ले लिया.

फिर जब हमारी क्लास का 1स्ट्रीट दे था, उस दिन रोहन और साथ में 3 और लड़कों की रॅगिंग हो रही थी. तब मैने उन सब को रॅगिंग से बचाया क्यूंकी मैं जिम करता था, और मेरी हाइट भी 6 फीट थी. उस टाइम मेरी दोस्ती रोहन से हुई, जो आगे में मुझसे 3 एअर छ्होटा था, और तोड़ा पतला-दुबला था, बिल्कुल चौमू जैसा 5’6″ हाइट. स्टडी में भी वो आवरेज था.

फिर जब कॉलेज ओवर हुआ, तो मैं अपनी बिके लेके जेया रहा था. तब मैने रोहन को देखा. वो बस की वेट कर रहा था. मैने उसे लिफ्ट दी, और उसके घर छ्चोढा. तब मैने उसकी मा को 1स्ट्रीट टाइम देखा था.

उसकी मा का नाम निशा था, और आगे 43. उसकी शादी कम आगे में हो गयी थी. उसका पति एक गवर्नमेंट एंप्लायी था अची पोस्ट पे. बुत कुछ साल पहले उसकी डेत हो गयी थी. निशा दिखने में एक-दूं मधुरी डिक्सिट की तरह थी गोरा फेस गोल-मटोल बूब्स, मोटी गांद, ‘नोरा फतेही’ की तरह हल्की सी चब्बी. इस आगे में भी क़यामत लगती थी. अब आपको ज़्यादा बोर ना करते हुए स्टोरी पे आता हू.

तो रोहन को कॉलेज से घर ड्रॉप करने आया था. तब उसने मुझे अंदर आने को बोला. उस टाइम वो घर में अकेला था. निशा ने अपने 2 फ्लॅट रेंट पे दे रखे थे, तो वो उनके काम से गयी थी. तब हम दोनो बातें करने लगे. 1 घंटे बाद उसकी मा भी आ गयी.

जब मैने उसकी मा को देखा तो शॉक हो गया की वो उसकी मा थी या दीदी. क्यूंकी देखने में वो अपनी आगे से 10 साल कम लगती थी. फिर मैने निशा से थोड़ी देर बात की और उसे आज कॉलेज में हुई रॅगिंग के बारे में बता दिया और ये भी कहा की आज के बाद ऐसा नही होगा. निशा ने बोला मेरी बॉडी ही इतनी अची है की कोई मुझसे पंगा नही लेगा. फिर मैं अपने हॉस्टिल आ गया.

अब दिमाग़ में बार-बार निशा का ख़याल आ रहा था. रात में मुझसे कंट्रोल नही हुआ, तो मैने मूठ मार ली. फिर मैं सोचने लगा की कैसे उसे अपना बनौ. ऐसे ही टाइम निकलता गया. जब भी मौका मिलता मैं निशा के करीब आने की कोशिश करता.

अब निशा भी मुझसे घुल-मिल गयी थी. फिर 3 मंत्स के बाद एक दिन मैं बीमार हो गया, क्यूंकी हॉस्टिल का खाना मुझे पसंद नही था, और बाहर के खाने ने मेरी हेल्त खराब कर दी थी. जब मैं हॉस्पिटल में अड्मिट था, तब अमित अंकल मेरे पास आए थे. नेक्स्ट दे रोहन और निशा मुझसे मिलने अक़ीे.

निशा: हेलो आर्यन बेटा, कैसे हो?

मे: अर्रे आप दोनो यहा. मैं ठीक हू.

निशा: हा रोहन ने बताया की 2 दिन से तुम कॉलेज नही गये हो.

मे: हा मुझे हॉस्टिल का फुड अछा नही लगता.

निशा: देखो मैं तुम्हारे लिए परानते लाई हू.

मे: थॅंक्स आंटी.

निशा: चलो अब खाओ जल्दी.

मे: वाउ आंटी परानते सच में बहुत टेस्टी है. थॅंक्स परानते के लिए.

निशा: वेलकम बेटा.

फिर थोड़ी देर में अमित अंकल भी आ गये. मैने सब की जान-पहचान कराई.

अमित अंकल: बेटा मैने सब जगह रूम देखा. बुत तुम्हारे कॉलेज के पास रूम आचे नही मिल रहे.

रोहन: भाई तू रूम क्यूँ देख रहा है?

मे: सोच रहा हू हॉस्टिल छ्चोढ़ के रूम में शिफ्ट हो जौंगा, और एक कुक रख लूँगा.

निशा: बेटा तुम हमारे घर में आ जाओ, एक रूम खाली है, तुमको रेंट पे दे दूँगी.

फिर मैने अमित अंकल से बात की और डन किया. फिर अमित अंकल बिज़्नेस देखने के लिए वापस चले गये. मैं हॉस्पिटल से डिसचार्ज हुआ, और 2 दिन के बाद रोहन के घर शिफ्ट हो गया. उसके घर में 3 रूम थे, उसमे से 1 रूम मुझे दे दिया. मैं बहुत खुश था की अब मैं मेरा प्लान आचे से बना पौँगा.

घर में निशा ज़्यादातर निघट्य पहनती थी, और उसमे एक-दूं कमाल लगती थी. एक दिन निशा घर की सफाई कर रही थी. मैं भी जल्दी उठ गया था, पर बिस्तेर पे लेता था, और मेरा लंड खड़ा था. तभी निशा मेरे रूम में सफाई करने आई. मैने सोने का नाटक किया. फिर उसने मेरे खड़े लंड को देखा और देखती रही. उसके बाद वो जल्दी से वाहा से चली गयी. मैं बहुत खुश था, की उसने मेरे लंड को देख लिया.

अब टाइम ऐसे ही निकलता गया. मैं और रोहन साथ में बिके पे कॉलेज जाते, फिर घर आते, उसके बाद मैं जिम जाता, वाहा से आके रोहन के साथ स्टडी करता, फिर हम डिन्नर करके सो जाते. निशा पूरा दिन घर में ही रहती. मैने सोचा की जल्दी कोई प्लान बनता हू. फिर एक दिन मैं और निशा बैठ के बातें कर रहे थे.

निशा: और बेटा, तुम दोनो की स्टडी कैसे चल रही है?

मे: आंटी एक-दूं अची, अभी तो एग्ज़ॅम भी आ रहे है, तो डबल मेहनत करते है हम दोनो.

निशा: ये तो बहुत अची बात है. वैसे तुम्हारा आयेज क्या प्लान है लाइफ में.

मे: बस स्टडी कंप्लीट करके फुल टाइम बिज़्नेस की ज़िम्मेदारी.

निशा: गुड, तुम इतने इंटेलिजेंट हो, हारद्वोर्क करते हो, रोहन को भी कुछ सिख़ाओ.

मे: डॉन’त वरी आंटी, वो भी एग्ज़ॅम में आचे नंबर लाएगा.

तभी घर की डोरबेल बाजी. कोई आदमी आया था. उसने एक लेटर दिया. निशा ने लेटर पढ़ा, और उदास मॅन से अपने रूम में चली गयी. मैं भी उसके रूम में गया.

मे: आंटी क्या हुआ? सब ठीक तो है.

निशा (मुझे देख के नॉर्मल होने का नाटक किया): हा बेटा, सब ठीक है.

मे: नही सब ठीक होता तो आप ऐसे बिहेव नही करती. मुझे बताइए क्या बात है?

निशा: बेटा कोई बात नही है, तुम टेन्षन मत लो.

मैने वो लेटर निशा के हाथ से लिया. वो मुझे रोकने लगी, बुत मैने ज़ोर लगा के उसे उठा लिया. अब लेटर मेरे हाथ में था. मुझे धक्का देने के चक्कर में निशा गिर गयी. मैने उसे उठाया, और उसे बेड पे लिटाया.

निशा: आर्यन तुमने ये क्या किया?

मे: सॉरी आंटी, बुत मुझे एक बार ये लेटर पढ़ने दो.

फिर मैने लेटर पढ़ा. उसमे बॅंक का नोटीस था की उसने बॅंक का लास्ट 4 मंत्स से इंस्टल्लमेंट नही दिया था. निशा रोने लगी. मैने उसे चुप कराया.

मे: आंटी चुप हो जाओ आप, और मुझे पोरी बात बताओ.

निशा: बेटा मेरे पति के जाने के बाद मुझपे जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. मैने बॅंक से लोन लिया था अपना एक पार्लर शुरू करने के लिए, बुत वो चला नही. अभी भी कुछ इनस्टालमेंट्स देना बाकी है. उसपे रोहन की कॉलेज की फीस भी देनी है.

मे: बस इतनी सी बात. अब कोई प्राब्लम लेने की ज़रूरत नही.

निशा: वो कैसे?

मे: मैं हू ना, कल ही बॅंक के सारे इंस्टल्लमेंट पुर हो जाएँगे.

निशा: बुत आर्यन तुम क्यूँ दोगे पैसे? मैं तुमसे पैसे क्यूँ लू?

मे: देखो आंटी, ये पैसे बाद में आप मुझे दे देना जब आपके पास हो. बुत अभी तो आप मेरी बात मान लीजिए. (फिर मेरे ज़्यादा समझने पर निशा मॅन गयी. मैने भी अमित अंकल से बोल के पैसे मंगवा लिए)

निशा: थॅंक्स आर्यन, बुत ये बात रोहन को मत बताना.

मे: प्रॉमिस करता हू.

फिर मैं रूम से बाहर आया. निशा को चोट लगने की वजह से चला नही जेया रहा था.

मैने आंटी को कहा डॉक्टर के पास चलने को. वो माना कर रही थी. बुत मेरे ज़्यादा फोर्स करने पर रेडी हो गयी. मैं उसे अपनी बिके पे बिता के डॉक्टर के पास ले आया.

डॉक्टर ने निशा की चेकप किया और उसे बोला की वो अपनी फिटनेस पे ध्यान दे. डॉक्टर ने उसे मेडिसिन दे दी, और बोला रेग्युलर एक्सर्साइज़ करने को, और हेल्ती फुड खाने को.

फिर हम घर आ गये. रोहन भी उस टाइम घर आया. हमे बाहर से आते देख उसने

पूछा-

रोहन: क्या हुआ?

मे: कुछ नही बस आंटी का पैर स्लिप हो गया था. उनको डॉक्टर के पास ले गया था.

फिर मैने रोहन को समझाया, और उसे बताया की डॉक्टर ने क्या-क्या बोला. फिर मैने रोहन से कहा-

मे: तू टेन्षन मत ले, मैं हू ना. आंटी को आचे से एक्सर्साइज़ करा दूँगा.

वो भी इसके लिए रेडी हो गया.

सो फ्रेंड्स आज के लिए इतना ही, उमीद करता हू आपको स्टोरी अची लगी होगी. नेक्स्ट पार्ट का वेट करे की कैसे मैने जिम के बहाने निशा के करीब आया, और उसे प्यार किया. अपना फीडबॅक ज़रूर दे.
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