देसी बुर के साथ अँग्रेज़ी बाजा

हेलो फ्रेंड्स, मई 36 साल की गोरी-चित्ति, लंबी-चौड़ी, भरे बदन की नीतू हू. मेरी कामुक काया लोगो के आकर्षण का केन्द्रा बना रहती है. जो भी जवान बुड्ढे और टीनेजर मुझे देखते है, वो छाती पीट-पीट कर आहें भरते है.

वास्तविकता मे ना पा सकने वाले, मुझे सपने मे छोड़ने की कल्पना करता है. मेरे सीने पर मस्त आकार की गोरी चमकीली 36″ साइज़ की बेहद आकर्षक चूचिया कहर धाती है. पीछे की तरफ मेरी गोल उभरी हुई गांद की तो दुनिया दीवानी है.

मई प्रयट्तन उधहयोग(टूरिसम इंडस्ट्री) से जुड़ी हुई हू और गाइड का काम करती हू. इस पेशे मे रोज़ मेरा नये-नये लोगो से मिलना होता है. इनमे से बहुत ऐसे होते है, जो मुझे छोड़ने की खुली पेशकश कर देते है. कुछ ऐसे होते है, जो घुमा फिरा के बोलने वाले होते है.

लेकिन आदमी जो भी मिलता है, जवान, बुड्ढे, या फिर टीनेजर, सभी मुझे पाने की चाहत रखते है. अब मई कहानी पर आती हू. ये वाक़या 6 माह पहले का है. करोना कल मे यदि सबसे ज़्यादा कोई एफेक्टेड हुआ था, तो वो था प्रयट्तन उधहयोग. इससे जुड़े लोग भारी वीत्या संकट(फाइनान्षियल क्राइसिस) मे थे.

मई भी इस संकट को झेल रही थी. एप्रिल के फर्स्ट वीक मे मुझे एक ब्रिटिश नागरिक को आगरा घुमाने का काम मिला. मई बेहद खुश थी. उस आदमी का नाम टॉम था. पुर 6 फीट की हाइट थी उसकी और बेहद आकर्षक पर्सनॅलिटी थी. वो बहुत हासमुख और मज़किया था.

फिर मई टॉम को साथ लेके घुमाने निकल पड़ी. थोड़ी इधर-उधर की बाते करते हुए हम लोग ताज महल पहुँच गये. मई टॉम को ताज महल की सैर करवा रही थी. वाहा मई उसको बोल रही थी-

मई: ये संगेमरमर की खूबसूरत इमारत, म्य्हेल बादशाह शाह जहाँ ने अपनी प्यारी बेगम मुमताज़ की याद मे बनवाई थी.

टॉम, जो बड़े ही ध्यान से मुझे निहार रहा था, और सुन रहा था, वो मुझे बोला-

टॉम: हा माँ, ताज तो खूबसूरत है ही. लेकिन तुम भी बेहद खूबसूरत हो.

मई उसकी बात सुन कर सिर्फ़ मुस्कुराइ. फिर टॉम मेरे बिल्कुल करीब आ गया. वो मेरी बॉडी से सतत कर खड़ा हो गया और मेरे हाथो को अपने हाथो मे लेते हुए बोला-

टॉम: ये चिकना, गोरा और नाज़ुक बदन संगेमरमर से भी सुंदर है. काश ये फूलो से बदन का मज़ा एक दिन के लिए भी मिल जाए, तो मई अपने को सबसे लकी इंसान समझूंगा.

इन आशिक़ी की बातो मे मई उलझती चली गयी. फिर टॉम ने मुझे सीने से लगा लिया और मेरे माथे को चूम लिया. इस्पे मई उसको कुछ ना बोली. फिर टॉम बोला-

टॉम: चलो माँ, अब चलते है.

फिर मई टॉम के साथ उसके होटेल मे आ गयी. रूम मे जाते ही टॉम मुझे बेतहाशा पागलो की तरह चूमने चाटने लग गया. वो मेरे रस्स-भरे गुलाबी होंठो को चूसने लगा. मई होंठो को चूमते चाट-ते और मधुर रस्स-पॅयन करते हुए निढाल सी हो गयी.

फिर टॉम मेरी सुरहीदार गर्दन को सहलाते हुए मेरी कामुक चूचियो तक पहुच गया. चूमने चाटने भर से ही मेरे अंग-अंग से जैसे मदिरा छलकने लगी. मई भी धीरे-धीरे मस्ती की भंवर मे डूबती जेया रही थी.

टॉम मेरी कुरती को उतार रहा था और कुरती के आयेज ब्रा मैने खुद उतार दी. मेरी क़ास्सी हुई गोरी और सुडोल चूचियो को देख कर टॉम मेरे रूप जाल मे पूरी तरह फ़ासस गया. मई भी अपना आपा खोते जेया रही थी. अब मैने टॉम की पंत खोल अलग कर दी.

अंडरवेर के अंदर से टॉम के विशाल लंड का मुझे एहसास हुआ. मई काई महीनो से चूड़ी नही थी. विशाल लंड को पा कर मुझे लगा, की मेरी वीरान भूमि मे बहार आ गयी थी. फिर मैने एक झटके से टॉम का अंडरवेर उतार दिया .

जैसे ही टॉम का अंडरवेर निकला, तो उसका 8 इंच का मोटा लंड फुकारता हुआ हवा मे लहराने लगा. लंड फिंग रहा था और फिंगटे हुए बार-बार लंड टॉम की नाभि से फटत-फटत की आवाज़ के साथ टकरा रहा था. फिर फिंगटे लंड को मैने अपने हाथ मे ले लिया.

मुझे अब मुट्ठी के नीचे गुदगुदी सा एहसाश हो रहा था. टॉम मेरी चूचियो को सहला रहा था और मसल रहा था. कभी वो चूचियो को मूह मे लेके चूस चाट रहा था. मई उत्तेजना से भर कर सी-सी कर रही थी.

मेरी छूट अब गीली हो चुकी थी. मैने टॉम का हाथ अपने हाथ मे ले लिया और अपनी छूट पर रख दिया. छूट को देख कर टॉम मूह खोल कर छूट पर झपट पड़ा और बड़बड़ाने लगा.

टॉम: ई लीके इंडियन ब्यूटी आंड ऑल्सो लीके वेट पुसी.

ये सब बड़बड़ाते हुए, टॉम एक-दूं कुत्ते की तरह चत्तर-चत्तर करके मेरी बर चाटने लगा. अँग्रेज़ बर की चुदाई जितनी देर करता है, उससे लगभग डबल ये लोग बर चाट-ते है. या यू कहे, की ये लोग सेयेल पक्के बर-चाटते होते है.

फिर टॉम आयेज बोला: जानती हो नीतू, गीली हुई छूट इंडियन ब्यूटी मे ही होती है. अँग्रेज़ी छूट तो सूखी होती है और उसमे मज़ा भी नही आता. वैसी बर चाटने मे वो कशिश नही मिलती.

मई बोली: फिर चाट ले जितना जी चाहे.
लेकिन समय पर मेरी छूट की गर्मी निकालने के बाद.

टॉम मस्ती से बर चाट रहा था. कभी-कभी वो जीभ को छूट के अंदर डाल देता. जीभ जब ग-स्पॉट को टच करती, तो मई चहक उठती. असीम आनंद की अनुभूति हो रही थी मुझे.

मेरी बर के अंदर का पारा चढ़ता ही जेया रहा था और मई आ श कर रही थी. टॉम का लंड भी पुर शबाब पर था. फिर मई बोली-

मई: क्यू मिसटर, तेरा लंड तो बिल्कुल चुदाई के लिए रेडी है. सेफ्टी चढ़ा डू?

टॉम बोला: वेट आ मोमेंट. अट फर्स्ट मुझे जी भर के बर का मादक रस्स पीने दे.

मई बोली: पी ले सेयेल, पी ले. लेकिन मेरी छूट का भी ख़याल रख. बेचारी लंड के लिए तड़प रही है.

टॉम बोला: ओक ओक.

फिर मैने कॉंडम का पॅकेट खोल कर कॉंडम निकाला और लंड पर चढ़ा दिया. टॉम ने मुझे गोद मे उठाया, बेड के किनारे पर मेरी गांद को टीकाया और मेरी दोनो टाँगो को फैला कर अपने कंधे पर रख लिया.

अब मेरी छूट मूह उसके लंड का इंतेज़ार कर रही थी. फिर टॉम ने अपना लोड्‍ा मेरी छूट पर रगड़ना शुरू कर दिया. रगड़ते हुए लंड को जन्नत का दरवाज़ा मिल गया, या यू कहे लंड का टोपा जन्नत पहुँच चुका था. फिर मैने ज़ोर से अपनी गांद उछाली और उधर से टॉम ने भी करारा धक्का मारा.

धक्के से 3.5″ मोटा लोड्‍ा, मेरी बर की दीवारो को चीरता हुआ बर मे समा गया. मोटा लंड जब सरकता छूट मे प्रवेश करता है, तो कैसा मज़ा आता है, ये छुड़वाने वाली बहनो से पूछना. मेरी लेखनी(राइटिंग) मे वो धार नही है, जिससे मई इसका बखान कर साकु.

हा इतना मई ज़रूर बोलूँगी, की इस सुख से बड़ा सुख दूसरा कोई नही है. आदमी के पास चाहे जितनी दौलत शोहरत हो जाए और छुड़वाने का सुख ना हो, तो सारे सुख बेकार हो जाएँगे. टॉम अब मुझे ढाका-धक फ़चा-फॅक छोड़ रहा था. वो हर धक्के के साथ बोल रहा था-

टॉम: ये ले रानी, ये ले. मई गांद उछाल रही थी और चिल्ला रही थी. मार धक्का, ज़ोर से मार. और ज़ोर से छोड़, ढाका-धक छोड़.

धुआ-दार चुदाई चल रही थी. छूट की नास्स-नास्स तंन चुकी थी और छूट घपा-घाप लंड को ले रही थी. लंड भी ढाका-धक बर छोड़ रहा था. छोड़ते-छोड़ते बर का भड़ता बनता जेया रहा था, पर मई हार मानने वाली नही थी.

मुझे अँग्रेज़ी लंड पर चुदाई का राज कायम करना था. ये रोमांचक मुक़ाबला चलते हुए आधे से ज़्यादा घंटा बीट चुका था. फिर मई टॉम को पटरी बदलने को बोली. अब मई चिट लेट गयी. फिर टॉम मेरी टाँगो के बीच आया, बर पर लंड के टोपे को रखा और धकेल दिया.

वो लोड को तूफान की गति से अंदर-बाहर करके मेरी बर छोड़ने मे लगा था. मई हाँफती जेया रही थी और खचा-खच अपनी बर छुड़वा रही थी. फिर छोड़ते-छोड़ते टॉम आ श करते हुए मुझे ज़्यादा से ज़्यादा आगोश मे बाँधने लगा.

मई टॉम की आगोश जकड़े-जकड़े कसमसा रही थी. आख़िर वो घड़ी आ गयी, जब टॉम के लंड ने वीर्या की बरसात कर दी और सारी सेफ्टी ध्वस्त हो गयी. मई टॉम को अपने पैरो से जकड़े हुए थी. एक तरह से मैने टॉम को हिरासत मे रखा था, की वो कही भाग ना पाए.

टॉम ने मुझसे छूटने की कोशिश की, पर सब बेकार चला गया. मई अपनी छूट मे हुलचल पैदा करके टॉम के लंड को अंदर ही अंदर खड़ा करना चाह रही थी. फिर मेरी कोशिश कामयाब रही और टॉम का लंड छूट मे पड़े-पड़े तंन गया.

फिर क्या था, शुरू हो गयी ढाका-धक चुदाई. पूरी रात टॉम मुझे छोड़ता रहा और मई चुड़वाती रही. आज की कहानी बस यही तक थी. आपकी चहेती पुष्परानी.

आपको कहानी कैसे लगी, मुझे ज़रूर बताए. आप अपनी फीडबॅक मुझे मैल करके भी भेज सकते है.
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