ही फ्रेंड्स, मेरा नाम कौशल है, और मैं राजस्थान का रहने वाला हू. मेरी उमर 26 साल है, और अभी मैं देल्ही में एक मंक में जॉब कर रहा हू. हाइट मेरी 5’9″ है, और लंड मेरा 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है. मैं देल्ही में एक रेंटेड फ्लॅट में रहता हू. अब मैं अपनी कहानी पर आता हू. उमीद है आपको कहानी पसंद आएगी.
क्यूंकी मैं अकेला रहता हू फ्लॅट में तो काम करने के लिए घर पर एक लड़की रखी हुई है. उस लड़की का नाम संध्या है. उसका रंग सावला है, लेकिन फिगर बहुत ज़बरदस्त है. उसका साइज़ तकरीबन 36-29-36 होगा. दोस्तों सावले रंग वाली लड़की और मस्त फिगर एक डेड्ली कॉंबिनेशन होता है.
संध्या 28 साल की है, तो मैं उसको दीदी कह कर बुलाता था. वो घर पर खाना पकना और सफाई करने का काम करती थी. वैसे मैं उसके बारे में ऐसा कुछ सोचता नही था. लेकिन जब वो पोछा लगती थी, तब उसके बूब्स देख कर मेरे दिमाग़ में गंदे ख़याल आने लगे. उसकी मटकती गांद मुझे अपने वश में कर रही थी.
पर संध्या से बात करके पता चलता था की वो एक शरीफ लड़की थी. इसलिए मैने उसको इमॅजिन करके मूठ तो काई बार मारी, लेकिन कभी उसके साथ ऐसी-वैसी बात नही की. पर कुछ दिन बाद कुछ ऐसा हुआ, की मुझे उसको अपने बिस्तर में लाने का चान्स मिल गया.
ही फ्रेंड्स, मेरा नाम कौशल है, और मैं राजस्थान का रहने वाला हू. मेरी उमर 26 साल है, और अभी मैं देल्ही में एक मंक में जॉब कर रहा हू. हाइट मेरी 5’9″ है, और लंड मेरा 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है. मैं देल्ही में एक रेंटेड फ्लॅट में रहता हू. अब मैं अपनी कहानी पर आता हू. उमीद है आपको कहानी पसंद आएगी.
क्यूंकी मैं अकेला रहता हू फ्लॅट में तो काम करने के लिए घर पर एक लड़की रखी हुई है. उस लड़की का नाम संध्या है. उसका रंग सावला है, लेकिन फिगर बहुत ज़बरदस्त है. उसका साइज़ तकरीबन 36-29-36 होगा. दोस्तों सावले रंग वाली लड़की और मस्त फिगर एक डेड्ली कॉंबिनेशन होता है.
संध्या 28 साल की है, तो मैं उसको दीदी कह कर बुलाता था. वो घर पर खाना पकना और सफाई करने का काम करती थी. वैसे मैं उसके बारे में ऐसा कुछ सोचता नही था. लेकिन जब वो पोछा लगती थी, तब उसके बूब्स देख कर मेरे दिमाग़ में गंदे ख़याल आने लगे. उसकी मटकती गांद मुझे अपने वश में कर रही थी.
पर संध्या से बात करके पता चलता था की वो एक शरीफ लड़की थी. इसलिए मैने उसको इमॅजिन करके मूठ तो काई बार मारी, लेकिन कभी उसके साथ ऐसी-वैसी बात नही की. पर कुछ दिन बाद कुछ ऐसा हुआ, की मुझे उसको अपने बिस्तर में लाने का चान्स मिल गया.2-3 दिन हो गये थे, लेकिन संध्या काम पर नही आई थी. मुझे लगा पता नही क्या हो गया, तो मैं उसके घर पूछने के लिए चला गया. उसका घर मेरी बिल्डिंग के पास में ही एक कॉलोनी में था. जब मैं उसके घर पहुँचा, तो उसके घर की हालत देख कर मुझे उसकी ग़रीबी का एहसास हुआ.
अंदर गया तो बेड पर एक बुद्धा आदमी लेता हुआ था. उसकी टाँग पर फ्रॅक्चर था. मैं समझ गया की वो उसका बाप था. मुझे देखते ही उसने संध्या को आवाज़ लगाई. संध्या बाहर आई, और मुझे देख कर हैरान हो गयी. इससे पहले की हमारी कोई बात होती, पीछे से कोई और दरवाज़े पर आ गया.
वो सीधा अंदर आके संध्या को बोला: इंतेज़ां हुआ मेरे पैसों का?
संध्या (डरते हुए): मैं कर रही हू. जल्दी कुछ ना कुछ कर लूँगी.
वो आदमी: जल्दी करो, वरना दूसरी टाँग भी टूट सकती है अंकल की.
ये बोल कर वो चला गया. मैं समझ गया की वो किसी पंगे में फ़ससी थी. फिर मैने उससे पूछा-
मैं: ये क्या था संध्या?
संध्या: सिर मैं आपको शाम को आके सब बताती हू, अभी आप जाओ यहा से.
फिर मैं वाहा से आ गया. शाम को संध्या आई और बोली-
संध्या: सिर मेरे पापा ने ग़लत लोगों से काफ़ी पैसे लिए हुए है. अब वापस नही दे पाए, तो उन्होने उनकी टाँग तोड़ दी.
मैं: ओह! तो अब.
संध्या: अब मैं कोशिश कर रही हू, लेकिन कुछ जुगाड़ हो नही पा रहा.
मैं: वैसे कितने पैसे है?
संध्या: 1 लाख है सिर.
मैं: ओह! अमाउंट तो बड़ी है.
संध्या: सिर आप कुछ हेल्प कर सकते है?
मैं: संध्या, इतनी अमाउंट तो तुम्हे कोई नही देगा.
तभी मेरे दिमाग़ में एक ख़याल आया, की क्यूँ ना संध्या से पैसों के बदले में सेक्स करने को बोलू. तो मैं बोला-
मैं: वैसे अगर पैसों का इंतेज़ां हो भी जाए, तो तुम्हारे पास कोई चीज़ है गॅरेंटी के लिए?
संध्या: वो तो नही है सिर.
मैं: देखो एक काम हो सकता है. लेकिन तुम बुरा मत मानना.
संध्या: क्या सिर?
मैं: अगर तुम मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करने दो, तो मैं तुम्हे पैसे दे सकता हू. और तुम्हे सिर्फ़ आधे पैसे वापस देने होंगे. लेकिन जब तक तुम मुझे आधे पैसे नही डोगी, तब तक मैं तुम्हारे साथ सेक्स करता रहूँगा.
संध्या: ये क्या बकवास कर रहे हो आप? ची! शरम नही आती आपको.
ये बोल कर वो चली गयी. उसके ऐसे जाने से मेरा मूड खराब हो गया. मैने सोचा की सेक्स करने को तो क्या मिलना था, एक अची कंवली थी, वो भी गयी. लेकिन 2 दिन बाद संध्या फिर वापस आई. मैं अपना काम कर रहा था, तभी घर की बेल बाजी.
मैने दरवाज़ा खोला तो सामने संध्या खड़ी थी. उसने लेगैंग्स-कुरती पहनी थी, और साथ में दुपट्टा था. मैं उसको वापस देख कर हैरान था. फिर वो बोली-
संध्या: सिर अगर मैं हा बोलू, तो पैसे कब तक मिलेंगे?
मैं समझ गया की ये उसकी हा थी. मैने उसका हाथ पकड़ कर उसको बाहों में भरा और बोला-
मैं: जैसे ही चुदाई ख़तम, तुम्हारे पैसे तुम्हे मिल जाएँगे.
ये बोलते ही मैने अपने होंठ उसके होंठो से लगा लिए, और अपने हाथ उसकी गांद पर रख लिए. मैं उसके होंठो को पागलों की तरह चूसने लगा और गांद दबाने लगा. वो सत्य नही दे रही थी, लेकिन उसकी साँसे तेज़ हो रही थी.
फिर मैने उसका दुपट्टा निकाल दिया, और उसकी गर्दन और क्लीवेज चूमने लगा. मैने अपने हाथ उसके बूब्स पर रखे, और ज़ोर-ज़ोर से दबाते हुए क्लीवेज चाटने लगा. वो उत्तेजित हो रही थी. फिर मैने उसकी कुरती निकाल दी, और ब्रा निकाल कर उसके मोटे-मोटे बूब्स चूसने लगा. क्या कड़क निपल्स थे उसके.
कुछ देर बूब्स चूसने के बाद मैने उसको बाहों में उठाया, और अपने बेड पर ले गया. मैने उसकी लेगैंग्स उतरी, और उसकी जांघों को चूमने लगा. उसकी पनटी गीली हो चुकी थी. फिर मैने उसकी पनटी उतरी, और उसकी छूट चाटने लगा. वो पागल हो रही थी, और आ आ कर रही थी. हैरानी की बात तो ये थी, की वो अभी तक वर्जिन थी.
अब मुझसे और वेट नही हो रही थी. मैने जल्दी से अपने कपड़े उतारे, और अपना लंड उसकी छूट पर रगड़ने लगा. वो आ आ की सिसकियाँ भर रही थी. फिर मैने धक्का मार कर पहले अपना टोपा, फिर आधा लंड, और फिर पूरा लंड उसकी छूट में घुसा दिया. उसको काफ़ी दर्द हुआ, और तोड़ा खून भी निकला.
फिर मैं उसको किस करते हुए आराम-आराम से उसको छोड़ने लगा. धीरे-धीरे उसका दर्द ख़तम हो गया, और उसको मज़ा आने लगा. अब वो भी किस्सिंग में मेरा साथ देने लगी. फिर मैने उसको तेज़ धक्के मार कर छोड़ना शुरू कर दिया. बड़ा मज़ा आ रहा था. उसकी छूट बहुत गरम थी.
कुछ देर बाद मैने उसको घोड़ी बनाया. घोड़ी बन कर वो और भी सेक्सी लग रही थी. आधा घंटा छोड़ने के बाद मैने अपना माल उसकी गांद पर निकाल दिया. फिर हम दोनो तक कर लेट गयी.
वो बोली: सिर, मेरे पैसे?
मैं झट से उठा, और अंदर से 1 लाख लाके उसको दे दिया. पैसे देने से पहले मैने उसको बोला-
मैं: शर्त याद है ना, जब तक 50000 नही दिए, तब तक मैं तुम्हे छोड़ूँगा?
संध्या: जी सिर.
आज तक उसके 50000 पुर नही हुए, और मैं रोज़ उसको छोड़ कर अपना बिस्तर गरम करता हू.
थे एंड.