चुड्ती हुई काम वाली के एक बाप को उकसाने की कहानी

मैं अनिल हू. मैं ऐसे परिवार में पैदा हुआ जहा पर हमेशा कम से कम 2 मैड काम करने के लिए रहती ही थी. जैसा अक्सर होता है, घर के, अडोस-पड़ोस की जवान लड़कियों और औरतो के बदले मेरा आकर्षण अपनी घर के नौकरानी पर ही बढ़ता गया.

18 साल का हुआ और एक ही रात में एक के बाद एक दोनो मैड ने मुझे अपनी माधमस्त जवानी का स्वाद चखाया. एक ही रात में 2-2 जवान माल को छोड़ कर मैं बहुत खुश था. मेरी खुशी और बढ़ गयी जब दोनो ने ये सर्टिफिकेट भी दे दिया की सिर्फ़ मेरा लोड्‍ा ही बढ़िया नही था. मैने उन्हे अपने बाबू जी से ज़्यादा बढ़िया से छोड़ा.

लगातार टीन महीने उन्हे छोड़ता रहा. एक रात मैं काँटा को छोड़ रहा था, और दूसरी मैड कल्पना मेरे बाबू जी से छुड़वा रही थी.

काँटा ने कहा: हम समझते थे के जवानी के जोश में तुम्हे जो पहली औरत मिली उसको छोड़ कर खुश किया. लेकिन नही अनिल, तुम एक बहुत ही बढ़िया मर्द हो. तुम्हारे बाबू जी भी बढ़िया छोड़ते है, लेकिन तुम्हारे सामने वो बेकार है. कोई भी औरत, तुम्हारी मा और बेहन भी तुमसे छुड़वा कर बहुत खुश होगी. जल्दी हम तुम्हे एक बढ़िया इनाम देंगे.

मैं: चुप रंडी, मुझे मा और बेहन नही यही माल, सिर्फ़ तू ही हमेशा हमेशा के लिए चाहिए.

जिस समय की ये बात है, मेरी मा अलका 41 साल की थी. मेरे बाबू जी दिग्विजय सिंग 45 साल के थे. उनकी पर्सनॅलिटी बहुत ही बढ़िया थी. मेरी बड़ी बेहन अनिता 20 साल की थी, और कॉलेज के फाइनल एअर में थी. मैं उसी कॉलेज में फर्स्ट एअर में था. मेरी छ्होटी बेहन दिव्या 13 साल की ही थी. उसको इस कहानी से अलग रखते है.

एक रात हम खाना खा रहे थे, की हमारे घर के बिजली गुल हो गयी. सारा घर अंधेरे में डूब गया. मैड ने बाहर जेया कर देखा और वापस आ कर बोली-

काँटा: सिर्फ़ अपने ही घर नही, पूरी सोसाइटी अंधेरे में है. लगता है के कोई मेजर फॉल्ट हुआ है.

बाबू जी ने एक-दो जगह फोन लगाया और बात की.

बाबू जी: मैं ग्रिड में कोई मेजर फॉल्ट है. एलेक्ट्रिसिटी डेप्ट. का कहना है की काम शुरू कर दिया है. लेकिन कितना समय लगेगा, मालूम नही.

अनिता: एक तो इतनी गर्मी, उपर से बिजली भी चली गयी. लगता है की रात भर जागना ही पड़ेगा.

खैर, कॅंडल की रोशनी में ज़रूरी काम हो गया. मैं एक कॅंडल लेकर अपने रूम में आया. रूम में बहुत गर्मी तो थी ही, बहुत उमस भी थी. थोड़ी ही देर बाद काँटा भी मेरे पास आई. हमारी एक मैड का नाम कल्पना था और दूसरी का काँटा. काँटा मुझे ज़्यादा पसंद थी.

काँटा: तुम्हारा रूम बहुत गरम है. कही से हवा नही आती है. आज तुम उस किनारे वाले रूम में आ जाना, मैं भी वही रहूंगी. घर के बाकी लोग आज टेरेस पर ही सोएंगे. रूम्स में बहुत गर्मी है.

थोड़ी देर बाद मैं भी टेरेस पर आ गया. बाकी सभी, मेरे मा और बाबू जी, दोनो बहने और दोनो मैड पहले से ही वही बैठे थे. मेरी बेहन अनिता की शादी की बात चल रही थी.

मा: बेटी, आज नही तो कल तू शादी करेगी ही. फिर विनोद से ही क्यूँ नही करती? खूबसूरत है, मज़बूत कद-काठी का है. बढ़िया नौकरी करता है. अमीर बाप का बेटा है. और सबसे बड़ी बात, विनोद तुम्हे बहुत पसंद करता है. तुमसे बहुत प्यार करता है.

अनिता: मा, कितनी बार कहा है, मैं भी विनोद को पसंद करती हू. लेकिन मैं अभी शादी नही करूँगी. अगले साल ग्रॅजुयेशन होगी, और फिर मैं ईयेज़ के तैयारी करूँगी. ईयेज़ बनूँगी, उसके बाद शादी करने का सोचूँगी.

मा: लेकिन बेटा, विनोद उतने समय तक तुम्हारी वेट नही करेगा.

अनिता: उसको वेट करने को कों बोल रहा है. अगर विनोद तुझे इतना पसंद है तो तू ही उससे शादी कर ले.

अनिता खिलखिलाते हुए उठी, और टेरेस से नीचे चली गयी.

मा: बहुत उमस है. ज़ोरो की बारिश होगी. सोचा था की टेरेस पर ही सौंगी, लेकिन नही सू सकती. बारिश कभी भी शुरू हो जाएगी. मैं रूम में जेया रही हू. चल दिव्या बेटी.

मा अपनी छ्होटी बेटी को लेकर चली गयी. बाबू जी कल्पना से बातें कर रहे थे, और थोड़ी डोर पर काँटा मेरे बगल में बैठी थी. एक तो हर तरफ बिल्कुल अंधेरा था, और दूसरी तरफ क्लाउडी नाइट. कही से किसी तरह की रोशनी नही आ रही थी. मैंने काँटा से कहा-

मैं: वो दोनो आपस में बिज़ी है. मेरा लोड्‍ा सहला दे, और चूस दे.

मैने उस अंधेरे में काँटा का हाथ पकड़ कर अपने पाजामा पर रखा.

काँटा: तू पागल है? बाबू जी के सामने लोड्‍ा चुस्वाएगा? तू यहा बैठ कर देख की तेरा बाप कल्पना को कैसे छोड़ता है. चुदाई देख कर नीचे आ जाना. मैं उसी रूम में तेरा वेट करूँगी.

काँटा फिर चली गयी. अब टेरेस पर हम टीन थे. थोड़ी ही डोर पर बाबू जी और कल्पना साथ बैठे थे. इतना अंधेरा था की कुछ नही दिख रहा था. दोनो की फुसफुसाहट तो सुनाई दे रही थी, लेकिन क्या बोल रहे थे, कुछ भी समझ नही आ रहा था. कुछ देर बाद आवाज़ सुनाई दी.

कल्पना: साहब, सुना है की उमर बढ़ने के साथ मर्दों का लोड्‍ा ढीला होंने लगता है. लेकिन टीन साल से देख रही हू, आप और भी ताक़त से छोड़ रहे है, और ज़्यादा देर तक टाइट रहने लगा है. अनिता ने शादी करने से माना कर दिया. क्यूँ शादी करेगी, बिना कोई ज़िम्मेदारी के, झंझट के, लोड का मज़ा ले रही है. आ साहब बस ऐसे ही पेलते रहिए. बहुत मज़ा आ रहा है.

मुझे मालूम भी नही पड़ा की मा और बहनो के जाने के बाद इन दोनो ने कब चुदाई शुरू कर दी. अब दोनो की आवाज़ सॉफ-सॉफ सुनाई पद रही थी. उन्हे चिंता नही थी की थोड़ी ही डोर पर मैं बैठा हू.

बाबू जी: तुझे कैसे मालूम? कों छोड़ रहा है मेरी बेटी को? आ रानी, मेरा लोड्‍ा तो जैसा था शायद वैसा ही है. तुम्हारी छूट भी ढीली नही हो रही है. बहुत मज़ा आता है तुम्हारे साथ. बोल ना, कों छोड़ रहा है मेरी बेटी को?

शादी के पहले ही बेटी छुड़वाने लगी है, ये जान कर बाबू जी को गुस्सा आना चाहिए था. बाबू जी गुस्सा करने के बदले अपनी माल से पूच रहे थे, की उनकी बेटी को कों छोड़ रहा था.

अब मुझे चुदाई कू फ़चक-फ़चक की आवाज़ भी सॉफ-सॉफ सुनाई देने लगी थी.

कल्पना: अनिता को जब मालूम होगा की मैने आप से कहा है, तो वो मुझे बहुत मारेगी, और घर से निकाल देगी. साहब, आप मुझे बहुत ही बढ़िया लगते है. मैं आप से डोर नही होना चाहती हू. प्लीज़ उसको नही मालूम होना चाहिए की मैने आपको उसकी चुदाई के बात बताई है.

बाबू जी: रानी विश्वास रख. अब अनिता ने छुड़वाना शुरू कर लिया है, तो फिर बोलने सुनने के लिए कुछ बाकी नही बचा. लेकिन साली किससे छुड़वा रही है?

बाबू जी अपनी बड़ी बेटी के चुदाई के किससे सुनने के लिए बेताब थे. कल्पना लाउड सिसकारी मारते हुए चुदाई का मज़ा ले रही थी.

कल्पना: राजा, आपकी बेटी, वो रंडी घर के बाहर किससे चुड़वति है वही जाने. हराम-ज़ादी घर में भी चुड़वति है.

कल्पना की बात सुन कर मैं तो बहुत एग्ज़ाइटेड हो गया. बाबू जी भी गरमा गये होंगे.

बाबू जी: कुटिया घर में किससे चुड़वति है? उस बुड्ढे माली से?

कल्पना: नही साहब, आपकी बेटी के पसंद इतनी घटिया नही है. पिछली रात ही अनिता को अपने भाई से चुड़वते देखा है. अनिता ने ये कहा की 5-6 महीने से छोड़ रहे हो, तब भी मॅन नही भरा. क्या दूसरा कोई आदमी हर रात अपनी माल को टीन-टीन बार छोड़ता है?

कल्पना सफेद झूठ बोल रही थी. अनिता को छोड़ना तो बहुत डोर की बात थी. मुझे याद नही की मैने आखरी बार उसका हाथ कब पकड़ा था. जी तो किया की बाबू जी के सामने ही कुटिया को गला घोंट कर मार डालु. मुझे तो गुस्सा आया ही कल्पना की बात सुन कर, बाबू जी को भी गुस्सा आ गया.

बाबू जी: मैं अभी दोनो को घर से बाहर निकाल दूँगा.

बाबू जी छोड़ना छ्चोढ़ कर शायद खड़े हो गये थे. कल्पना ने फिर लोड्‍ा पकड़ा होगा.

कल्पना: राजा, आपका ये लोड्‍ा भी भूखा है और मेरी छूट भी प्यासी है. इन्हे भूखा क्यूँ छ्चोढ़ रहे हो? अभी यहा कोई आने वाला नही, रात भर छोड़ो. उन दोनो को घर से बाहर निकलोगे तो बदनामी आपकी ही होगी. सब यही कहेंगे की मेहता साहब के बेटी अपने भाई से चुड़वति है. जो नही होना चाहिए, वो हो रहा है. फिर इस बात को घर के बाहर के लोगों को क्यूँ मालूम होने देना चाहते हो?

कल्पना: अनिता सब को ये भी कह सकती है की उसका बाप ही उसको छोड़ना चाहता था, और जब उसने बाप से नही चुडवाया, तब उसको बदनाम कर रहा है की वो अपने भाई से चुड़वति है. अनिता और अनिल को घर से बाहर निकालने से ज़्यादा बढ़िया एक दूसरा रास्ता है.

कल्पना की बात सुन कर मुझे उसका प्लान समझ में आने लगा था. कुटिया चाहती थी की बाबू जी अपनी बेटी को भी छोड़े. बाबू जी भी दूसरे बढ़िया रास्ते के बारे में जानना चाहते थे.

बाबू जी: कों सा रास्ता कल्पना?

कल्पना: साहब मुझे ग़लत मत समझिए. अनिता आज के ज़माने के लड़की है. जवान लड़कों के साथ उतना-बैठना है. अनिता ही नही, आज कल कॉलेज में पढ़ने वाली सभी लड़कियाँ खुल कर चुड़वति है. आप का लोड्‍ा इतना बढ़िया है, तो आपके बेटे अनिल का भी होगा.

कल्पना: वैसे भी अनिल देखने में बहुत ही खूबसूरत और जवान मर्द है. जैसे भी हो, अनिता ने अपनी जवानी दिखा कर भाई को पटाया हो, या भाई ने ही बेहन को पता लिया हो, दोनो चुदाई करने लगे है. आपको शायद ये बात मालूम होगी की आज कल की जवान लड़कियों को अपनी उमर के लड़कों से ज़्यादा बड़ी उमर के लोग पसंद आते है. तभी तो हम दोनो अनिल जैसे जवान मर्द को छ्चोढ़ आप से चुड़वति है.

कल्पना: और आप तो अभी भी बहुत जवान है. मीठी-मीठी बातें कर बेटी को पताइए, और उसको जाम कर छोड़िए. एक बार आप से छुड़वा लेगी, तो रंडी अपने भाई से छुड़वाना छ्चोढ़ देगी. अपने बाप से ही चुड़वति रहेगी. छोड़िएगा अपनी बेटी को?

कल्पना ने हमारे बाबू जी के दिमाग़ में इन्सेस्ट का ज़हरीला कीड़ा डाल दिया.

बाबू जी: अनिता जैसी माल को कों नही छोड़ना चाहेगा? मैं कल से ही उसको पटाने के कोशिश करूँगा. लेकिन कल्पना रानी, ये बात सिर्फ़ हम दोनो के बीच ही रहनी चाहिए.

कल्पना: कों सी बात? आपने क्या कहा, मैने कुछ नही सुना. राजा, मैं तड़प रही हू, जल्दी से छोड़ो यार.

बाबू जी दोबारा कल्पना को छोड़ने लगे. मैं चुपके से टेरेस से उतार कर नीचे आ गया. कल्पना ने मेरी बेहन के मेरे साथ छुड़वाने के झूठी कहानी सुना कर मेरे बाबू जी को अपनी बेटी को छोड़ने के लिए तैयार कर लिया.

उन दोनो की बातें सुन मेरा लोड्‍ा भी अपनी बड़ी बेहन की अनदेखी बर में घुसने के लिए तड़पने लगा था. अब देखना था, की अनिता अपनी बर में किसका लोड्‍ा पहले लेती है, अपने बाबू जी का, या अपने भाई का.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी का मज़ा आया हो, तो कॉमेंट ज़रूर करे.

अगला भाग पढ़े:- रात में मा ने, और दिन में दीदी ने जन्नत दिखाई-2