चूड़ने के बाद लड़की को पता चला सच

ही फ्रेंड्स, मैं दीप्ति अपनी स्टोरी के लास्ट पार्ट के साथ आप सब के सामने हाज़िर हू. जिन लोगों ने अभी तक पिछला पार्ट नही पढ़ा है, वो पहले पिछला पार्ट ज़रूर पढ़े. पिछला पार्ट पढ़ने के बाद आपको कहानी बेहतर समझ में आएगी.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था की दादा जी से बचने के लिए मैं टाइया जी, और उनके बेटे चेतन के साथ फार्महाउस देखने चली गयी. फिर वाहा उन्होने मुझे सिड्यूस करके मेरी छूट और गांद की बंद बजा दी. अब आयेज बढ़ते है.

चुदाई के बाद हम तीनो वैसे ही नंगे पड़े थे. फिर वो दोनो उठे, और अपने-अपने कपड़े पहनने लग गये. उनको देख कर मैं भी खड़ी हो गयी, और अपने कपड़े पहनने लगी. उसके बाद वो दोनो बाहर चले गये, और मैं भी उनके पीछे-पीछे चल दी.

वो दोनो गाड़ी में आयेज की सीट्स पर बैठ गये, और मैं पीछे की सीट पाट थी. फिर हम घर की तरफ चल दिए. वो दोनो आपस में बातें कर रहे थे, और मुझसे कोई कुछ भी नही कह रहा था.

हम अभी कुछ ही डोर पहुँचे थे, की सामने से दूसरी गाड़ी में पापा आ रहे थे. टाइया जी ने गाड़ी रोकी, और विंडो खोल कर पापा से पूछा-

टाइया जी: कहा जेया रहा है तू?

पापा: भैया मुझे कुछ काम है. मैं शाम तक आ जौंगा.

टाइया जी: ठीक है.

और फिर हमारी और उनकी गाड़ी ऑपोसिट डाइरेक्षन में आयेज बढ़ गयी. कुछ देर में हम घर पहुँच गये. दादा घर के बाहर जानवरो को चारा डाल रही थी. जैसे ही मैं गाड़ी से उतरी, तो चेतन बोला-

चेतन: दीप्ति तू चल, हम लोगों को किसी काम के लिए जाना है.

मैने इशारे से ओक बोला, और घर के अंदर आ गयी. मुझे मा से मिलना था, और सब कुछ बताना था की 2 दीनो में मेरे साथ इस घर में क्या हो गया था. मा-पापा जिस कमरे में थे, मैं उस कमरे की तरफ चली बे गयी. जब मैं वाहा पहुँची, तो मा के कमरे का दरवाज़ा बंद था.

अभी मैं दरवाज़ा नॉक ही करने वाली थी, की अंदर से आती ह हुई आवाज़ सुन कर मेरे हाथ रुक गये. अंदर से आ आ की आवाज़ आ रही थी. ये आवाज़ सुन कर मैं थोड़ी हैरान हुई. मैने सोचा की पापा तो वाहा थे नही, तो मम्मी के रूम से ऐसी आवाज़े कैसे आ सकती थी. फिर मैने दरवाज़े पर हाथ रखा, तो दरवाज़ा खुला हुआ था.

मैने तोड़ा सा धक्का दिया, और ज़रा सा दरवाज़ा खुल गया. उतना मेरे अंदर देखने के लिए काफ़ी था. जैसे ही मैने अंदर देखा, मेरे पावं के नीचे से ज़मीन निकल गयी. अंदर मम्मी ब्लाउस और पेटिकोट में दादा जी की गोद में बैठी हुई थी, और दादा जी ब्लाउस के उपर से मम्मी के बूब्स दबा रहे थे.

तभी मम्मी बोली: आहह धीरे दबाइए ना, दर्द होते है.

दादा जी: ये मेरे है, मैं जैसे चाहु दबौउ.

मम्मी: हा है तो आपके ही. शुरू से ही आपके थे.

फिर दादा जी ने मम्मी का पेटिकोट उठाया, और उसके अंदर हाथ डाल कर कक़ची के उपर से उनकी छूट मसालने लगे. साथ-साथ वो मम्मी के कंधे पर किस कर रहे थे. फिर उन्होने मम्मी को खड़ा करके अपनी तरफ घुमाया, और उनका पेटिकोट निकाल दिया.

अब मम्मी बस ब्लाउस और पनटी में थी. दादा जी ने मम्मी की पनटी उतरी, और उनको पकड़ कर अपनी तरफ खींचा. उन्होने मम्मी की छूट पर अपना मूह लगाया, और उसको चाटना शुरू हो गये. पीछे से मैं देख पा रही थी, की कैसे दादा जी मम्मी के चूतड़ दबा रहे थे.

कुछ देर छूट चूसने के बाद दादा जी पुर नंगे हो गये. फिर मा नीचे अपने घुटनो पर बैठ गयी, और दादा जी के लंड को मूह में डाल कर चूसने लग गयी. मा की नंगी गांद मुझे पीछे से दिख रही थी. जब लंड चिकना हो गया, तो दादा जी ने मम्मी को खड़ा किया.

फिर उन्होने मम्मी को अपनी गोद में अपनी तरफ फेस करवा कर बिताया, और अपना लंड उनकी छूट में डाल दिया. लंड छूट में जाते ही मम्मी की आहह निकल गयी. फिर दादा जी ने मम्मी के छूतदों पर हाथ रहे, और उन्हे अपने लंड पर उछालने लग गये.

मम्मी भी किसी रंडी की तरह दादा जी के लंड पर उछालने लग गयी. मुझे दादा जी का लंड मम्मी की छूट के अंदर-बाहर होते हुए सॉफ दिख रहा था. फिर दादा जी ने मम्मी का ब्लाउस खोल दिया, और ब्रा भी निकाल दी. अब मम्मी के बड़े-बड़े बूब्स दादा जी के सामने नंगे थे.

दादा जी ने मम्मी के बूब्स को पकड़ा, और अपने मूह में डाल कर चूसना शुरू कर दिया. मम्मी मज़े से अपने बूब्स चुस्वते हुए दादा जी के लंड को अपनी छूट में ले रही थी. कुछ देर ऐसे ही मम्मी दादा जी के लंड पर उछालती रही.

फिर दादा जी ने मम्मी को अपनी गोद से उतरा, और बेड पर घोड़ी बनने को कहा. अब मम्मी का मूह दरवाज़े की तरफ था. फिर दादा जी मम्मी के पीछे आए, और मम्मी की छूट में लंड डाल कर पेलने लगे. उनके ज़ोरदार झटकों से मम्मी के बूब्स आयेज-पीछे दोल रहे थे.

मम्मी आ आ कर रही थी, और उनके चेहरे पर मज़े वाले एक्सप्रेशन्स थे. तभी मम्मी की नज़र मुझ पर पड़ी. उनको मुझे देख कर ज़रा भी दर्र नही लगा. 15 मिनिट मम्मी को उसी पोज़िशन में छोड़ने के बाद दादा जी झड़ने वाले थे. फिर वो आहह आ करते हुए उनकी छूट में ही झाड़ गये. उसके बाद वो दोनो नंगे लेट गये.

5 मिनिट में दादा जी खड़े हुए, उन्होने कपड़े पहने, और फिर वो रूम के बाहर आने लगे. मैं जल्दी से साइड में होके च्छूप गयी. फिर दादा जी के जाने के बाद मम्मी अपने कपड़े पहन रही थी. तभी मैं उनके रूम में गयी.

मैं: मम्मी ये क्या हो रहा था.

मम्मी: जो तूने देखा, वही हो रहा था.

मैं: मम्मी दादा जी ने मेरे साथ भी यही किया है. और उसके बाद टाइया जी और चेतन ने भी मुझे छोड़ा है.

मम्मी: ह्म मैं जानती हू.

मैं: क्या!

मम्मी: अब बैठ कर मेरी बात सुन. तेरे पापा इंपोटेंट है. वो बच्चा पैदा नही कर सकते. बरसो पहले जब ये बात तेरे दादा जी को पता चली, तो उन्होने मुझे खुद भी छोड़ा, और तेरे टाइया जी से भी चुडवाया. फिर मैं प्रेग्नेंट हुई, और तू पैदा हो गयी.

मम्मी की ये बात सुन कर मैं हैरान हो गयी. मैने पूछा-

मैं: तो मेरे पापा कों है?

मम्मी: उन दोनो में से ही कोई है. लेकिन तेरे पापा को ये बात नही पता. उसके बाद जब भी हम यहा आते है, तेरे दादा जी इसी बात का फ़ायदा लेके मुझे छोड़ते है. क्यूंकी अगर तेरे पापा को ये पता चल गया, की तू उनकी बेटी नही है, तो वो जान दे देंगे. और हम अकेले रह जाएँगे.

मम्मी: तुझे क्या लगता है. तेरे दादा हमे स्पेशली लेने क्यूँ आए थे. इसीलिए की वो मुझे और तुझे छोड़ सके. अब तुझे फैंसला करना है, की तू सब कुछ ठीक रखना चाहती है या बिगाड़ना चाहती है.

मम्मी की बातें सुन कर मेरी बोलती बंद हो गयी. मैने पापा के लिए चुप रहने का डिसिशन लिया. उस दिन के बाद जीतने दिन हम वाहा रहे कभी दादा जी ने, कभी टाइया जी ने, और कभी चेतन ने मुझे छोड़ा. फिर कुछ दीनो बाद हम वापस अपने घर आ गये. लेकिन तब तक मैं रांड़ बन चुकी थी.

तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी. कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको शेर ज़रूर करना फ्रेंड्स के साथ.