बुड्ढे संग ब्याह रचाया बेटे से बुर चुडवाई

ही फ्रेंड्स, आज जो कहानी मैं आपके समक्ष रखने जेया रही हू, वो मेरे पड़ोस की मोहिनी की है. मोहिनी तो बस समझ लीजिए मॅन को मोहने वाली है. उसका गोरा चमकता रंग और बड़ी-बड़ी कजरारी मदिरा से भारी आँखें है. रस्स से भरे गुलाबी होंठ है उसके, और सुरहीदार गर्दन है.

और उसकी मदभरी गोरी-गोरी क़यामत धाती चूचियाँ सब को अपनी तरफ खींचती है. इठलाती मटकती उसकी गांद है, और उसकी इसी मादक और सेक्सी काया पर मोहित हो गये मोहित बाबू. मैं मोहित बाबू के बारे में बता डू.

मोहित बाबू शहर के जाने-माने बिज़्नेसमॅन है. उनकी अपार दौलत का सिर्फ़ एक ही वारिस है मोना. मोना लड़कियो जैसा नाम है, पर वो 18 साल का जवान लड़का है. मोहित बाबू 55 की आगे का दिव्या पर्सनॅलिटी का सुलझा हुआ इंसान है.

पिछले दीनो उनकी पत्नी का देहांत हो गया था. और इससे मोहित बाबू की ज़िंदगी वीरान हो गयी थी. मोहिनी जो लगभग 35 साल की थी, मोहित बाबू के बंगलो में काम करती थी. वीरान ज़िंदगी धहोटे-धहोटे मोहित बाबू की नज़रे मोहिनी से टकराई.

मोहिनी की सेक्सी कामिनी काया के मोहित बाबू कायल हो गये, और उन्होने मोहिनी से ब्याह रचा लिया. अब आयेज की कहानी मैं आप लोगो को मोहिनी बन कर सुनती हू.

सुहाग-रात को मेरे पास मोहित बाबू आए. मैं पूरी तरह साज-सॉवॅर कर मोहित बाबू का वेट कर रही थी. मोहित बाबू ने मुझे सीने से लगाया, और मेरे नाज़ुक कोमल गोरे गालो पर चुम्मा लिया. मैं मोहित बाबू की आगोश में समा गयी.

फिर मोहित बाबू मेरे रस्स से भरे मादक होंठो को चूमते हुए उसमे से चलकती मदिरा का रस्स-पॅयन करने लगे. मैं कसमसा गयी और छुड़वाने को तड़पने लगी. मोहित बाबू अब मेरी चूचियों पर थे. वो ब्लाउस के उपर से ही चूचियों को सहलाने मसालने लगे.

मेरी छूट में तो आग सी लग गयी थी. फिर मैने खुद से अपना ब्लाउस उतार दिया, और अपनी नंगी गोरी चमकती दमकती बड़ी-बड़ी चूचियों को मोहित बाबू के आयेज कर दिया. मोहित बाबू ने फिर मेरी चूचियों पर हाथ रखा.

नंगी चूचियों पर मोहित बाबू के हाथ पड़ते ही मेरे जिस्म की ज्वाला, जो पहले से ही जल रही थी, एक-दूं से धधक उठी. फिर मैने मोहित बाबू के हाथ अपने हाथो में लेकर अपनी गीली छूट पर रखे. छूट से तो मदन रस्स का झरना बह रहा था. फिर मोहित बाबू झरने का रस्स-पॅयन करने के लिए अपने मूह को मेरी बर पर ले गये.

फिर एक कुशल छोड़न-बाज़ की तरह वो बर चाटने लगा. जैसे-जैसे मोहित बाबू मेरी बर चाट-ते, मैं आ श करती. कभी-कभी मोहित बाबू जीभ को अंदर छूट में भी घुशा देते. अब छूट के अंदर ग-स्पॉट पर जीभ के टच होने से मैं उछाल पड़ती. इससे मेरे पुर बदन में बिजली सी दौड़ जाती.

अब मुझसे ज़रा भी बर्दाश्त नही हो रहा था. मैने मोहित बाबू के पाजामे को खोला, फिर अंडरवेर उतार दिया. अब मोहित बाबू का मुरझाया हुआ लंड मेरी आँखों के आयेज था. मुझे एक झटका सा लगा, और मैने मॅन में सोचा-

मैं: हे भगवान मैं ये क्या देख रही हू?

लेकिन मैने हिम्मत नही हारी, और मोहित बाबू के मुरझाए हुए लंड को सहलाने लगी. मैं लंड को आयेज-पीछे भी करने लगी. उसको मूह में लेके बहुत छाता, लेकिन छ्होटा सा लंड छ्होटा ही रह गया और लंड ना बन पाया.

ये सब देख कर मैं एक-दूं से निराश हो गयी. फिर मैं मोहित बाबू को गुस्से में बोली

मैं: जब तेरे लॉड में दूं ही नही था, तो शादी क्यू की? शादी के बाद हर लड़की की तमन्ना छुड़वाने को होती है. अब मैं कहा चड़वौ?

मोहित बाबू ने मेरी बात सुन कर सिर्फ़ मूह लटका लिया. मैं अपनी छूट की आग की तपिश में जलती रही, और करवाते बदलती रही. अब रात बीट गयी थी, मुझे मोहित बाबू का घर नरक लगने लगा था.

मोहित बाबू अपने ऑफीस जेया चुके थे. अब घर में मैं और मोहित बाबू का बेटा मोना ही रह गये थे. मेरी नज़रे जब मोना से मिली, तो मोना ने मेरे मुरझाए फूल से चेहरे को देख कर बोला-

मोना: क्या हुआ आपको? आपकी तबीयत ठीक नही लग रही.

ये कहते हुए उसने मेरी लात पर हाथ रखा. मुझे मोना का स्पर्श बहुत मादक लग रहा था. मेरी आँखों में आँसू आ गये थे, और मैं मोना से लिपट गयी.

मेरी दोनो चूचियाँ मोना के सीने में चिपकी हुई थी. वासना का संचार जवान बदन में हुआ, और मोना ने मुझे अपनी आगोश में भर लिया. मैने अपने आप को मोना के आयेज समर्पित कर दिया. अब मोना मेरे रस्स-भरे होंठो को चूसने लग गया. पुर 10 मिनिट तक होंठो को चूसने के बाद मोना का हाथ मेरी चूचियों पर था.

मैं बैल(बुल) से जवान लंड से छुड़वाने की कल्पना में डूबती चली गयी. अनायास ही मेरा हाथ मोना के फंफंते लंड पर चला गया. पंत के उपर से ही मुझे मोना के विशाल लंड के साइज़ का एहसास हो गया था.

मोना का लंड पुर 08 इंच लंबा और 04 इंच मोटा था. उसने लंड को देख कर मैं गड़-गड़ हो गयी. मैने अपनी छूट को समझाया-

मैं: सबर कर रानी, तुझे मस्त चुदाई मिलने वाली है. जवान हाथो में मेरी चूचियाँ फूल कर एक-दूं गोल और सख़्त हो गयी थी. मेरी छूट से मदन-रस्स लगातार झड़ने लगा था. फिर मैं मोना का हाथ अपनी छूट पर ले गयी. मेरी झड़ती छूट ने मोना को बर चाटने को विवश कर दिया.

फिर मोना मेरी बर चाटने लगा. बर-चट्टा मोना जीभ को छूट में अंदर तक घुसेड़ने लगा. जीभ की छूट चुदाई से मेरे बदन में आग सी लग गयी. तभी मैं बोली-

मैं: अब और नही, जल्दी से इस मोटे कदकते फंफंते लॉड को मेरी बर में डाल दे. अब और नही रहा जेया रहा है.

मोना को मुझ पर दया आ गयी. उसने मुझे गोद में उठाया, और बेडरूम में बेड पर लिटा दिया. अब मैं चिट पड़ी थी. मेरी बर का मूह आसमान की तरफ था. गीली छूट से झरना भी लगातार बहता जेया रहा था. फिर मेरी टाँगो को फैला कर मोना मेरी टाँगो के बीच बैठ गया.

उसके बाद वो मेरी चिकनी, गोरी और बाल-विहीन छूट को बड़ी ही ललचाई नज़रो से निहार रहा था. मैने मोना का लॉडा अपनी हथेली में लिया और उसको अपनी बर पर रगड़ने लगी. मैं रगड़ती गयी रगड़ती गयी, और अब उसका लॉडा मेरी बर के मुहाने पर आ गया.

फिर मैने गांद उछाल कर लॉड को बर में ले लिया. ठीक उसी वक़्त मोना ने भी ज़ोर का धक्का मार दिया. इस तरह पूरा का पूरा लॉडा घाप से मेरी बर में समा गया. बर में लॉड से मुझे स्वारगिक आनंद की अनुभूति हुई. मेरे मुख से सिसकारिया निकालने लगी.

अब मैं बार-बार गांद उछाल-उछाल कर बर में लॉड का मज़ा ले रही थी. मोना भी पुर आवेश मे था, और वो ढाका-धक मेरी बर को छोड़ने लगा. मोना जितना ज़ोर का धक्का मारता, मैं उतना ही गांद को उछालती.

अब चुदाई का खेल एक-दूं से चरम पर था. लॉड और बर की लड़ाई में दोनो योढ़ा बराबरी पर थे. मोना के धक्के से मेरी चूचियाँ भी बार-बार उछाल रही थी. मैं बार-बार आ आ श श कर रही थी. इधर गीली छूट में लंड की ठुकाई से फॅक-फॅक की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी.

चुड़वाते हुए पूरा आधा घंटा हो गया था. मैं तो बरबस हाँफ रही थी. मोना भी कुत्ते की तरह हाँफ रहा था. लेकिन लॉडा पूरी तेज़ रफ़्तार से बर को पेले ही जेया रहा था. अब लॉडा फूल कर 04 से 05 इंच का हो चुका था. मेरी बर भी सिकुड कर छ्होटी हो चुकी थी.

पूरी क़ास्सी बर में सख़्त फौलादी लॉडा कसा-कस बर को छोड़ रहा था. मोना की मेरे जिस्म पर पकड़ काफ़ी मज़बूत हो गयी थी. रफ़्तार काफ़ी बढ़ गयी थी, और बरबस ही मोना ने आ आ करते हुए सारा माल मेरी बर में झाड़ दिया.

गरम-गरम रस्स की पिचकारी से मेरी बर तृप्त हो गयी थी. मोना एक तरफ लूड़क गया, और मैं भी एक-दूं शांत हो गयी थी. मेरी आत्मा तक तृप्त हो गयी थी. मैं जब से मोना से छुड़वाने लगी थी, तब से हर वक़्त मेरे मॅन मिज़ाज पर खुशी च्छाई रहती थी.

घर में बिल्कुल अमन छाया सा लगता था. मोहित बाबू भी खुश थे, ये सोच कर की अप्सरा सी उसको पत्नी मिली थी. मोना भी काफ़ी खुश था, क्यूकी अप्सरा सी लड़की को वो बिना शादी के छोड़ रहा था. मैं भी खुश थी, क्यूकी धन दौलत तो थी ही, उपर से मस्त लॉड से बेझीजक छुड़वा रही थी.

आज की कहानी बस यही तक. दोस्तो मेरी कहानी आप लोगो को अची या बुरी जो भी लगे, मुझे फीडबॅक आवश्या दे. ताकि मैं आप लोगो के अनुरूप कहानी को ढाल पौ.