बेटे और पति ने औरत की हवस जगाई

मैं करिश्मा हू. अभी मेरी उमर 60 साल की है. जो कहानी मैं आपको पढ़ने दे रही हू, वो करीब 20-21 साल पहले की है.

मैने अपनी छूट की सील शादी के पहले ही तुद्वा ली थी. अपने लवर से 12 बार छुड़वाने के बाद मेरी शादी हो गयी थी. मेरे पति को ज़रूर मालूम हुआ होगा, की मैं पहले से ही चूड़ी हुई थी.

लेकिन सुहग्रात को उन्होने मुझे बहुत प्यार से 2 बार छोड़ा. लेकिन जो मज़ा मुझे अपने लवर के साथ आता था, वैसा मज़ा पति के साथ कभी नही आया.

पति ने कभी नही कहा की मैं कुवारि नही थी. बदले में शादी के बाद 22 साल तक पति के अलावा मैने भी किसी और से नही चुडवाया. लेकिन एक दिन सब कुछ बदल गया.

एक घंटे के अंदर मैने टीन लोडो को मुठिया कर ठंडा किया. टीन मर्दों ने मेरी चूची और छूट को खूब मसला, अंगुली से छोड़ा, और अब 60 साल की उमर में भी मेरी छूट और जवानी की बहुत डिमॅंड है.

हमारा एक ही बेटा है. जिस दिन की ये कहानी है, तब वो 21 साल का था, और मैं 41 साल की. मेरे पति तो बेटे के सामने भी मुझे मस्त माल बोलते थे. उनके ख़ास फ्रेंड्स और उनकी घरवालियों ने भी मुझे एक बहुत ही मस्त भाभी का टाइटल दे डाला था.

मेरा बेटा विनोद भी अपने बाप की तरह बहुत ही हॅंडसम भी था, और स्ट्रॉंग भी दिखता था. शादी के बाद 15-16 साल बहुत ही शांति से गुज़रे. लेकिन अचानक पति के बिहेवियर में बहुत चेंज आ गया. वो मेरे लिए मॉडर्न और एक्सपोसिंग ड्रेसस लाने लगे.

वो पार्टीस में मुझे इनडीसेंट ड्रेस पहन-ने के लिए बोलने लगे. मुझे ही नही अपने बेटे से भी कहते थे-

पति: बेटा विनोद, अपनी मा से कहो की अपनी खूबसूरत जवानी को हमेशा कवर्ड करके ना रखे. दूसरो को भी दिखाए, और सारी के बदले, स्कर्ट, ब्लाउस, आंड फ्रॉक्स पहने.

और एक दिन बेटे ने जवाब दे दिया: बाबा, मेरी वाइफ मा जैसी खूबसूरत और मस्त औरत होगी, तो घर में मैं उसको हमेशा नंगा ही रखूँगा.

और बेटे की बात सुन कर मैने कहा था: तू अपनी घरवाली को नंगा रखना, और तेरा बाप उसको तेरे और मेरे सामने छोड़ेगा.

मैं हक्की बाकी रह गयी जब बेटे ने मुझे जवाब दिया,

विनोद: सिर्फ़ बाबा ही क्यूँ? अगर मेरी घरवाली दूसरो से भी छुड़वाना चाहेगी, तो मैं उसको माना नही करूँगा.

इस बात-चीत को टीन साल गुज़र गये. आक्च्युयली मैं उस एपिसोड को भूल गयी थी. मैने अपनी ड्रेसस चेंज नही की. हमेशा सारी सेट पहन कर ही रहती थी.

विनोद ग्रॅजुयेशन के फाइनल एग्ज़ॅम देकर घर में रिज़ल्ट का वेट कर रहा था. मुझे बढ़िया से याद है, वो बुधवार था. लंच के बाद मैं अपने रूम में टीवी देख रही थी.

विनोद: मा, घर में बैठे-बैठे बहुत बोर हो गये है. चलो ना मार्केट चलते है. कुछ मार्केटिंग करेंगे, घूमेंगे, फिरेंगे.

आक्च्युयली मैं भी बोर हो रही थी. मैं भी तैयार हो गयी. रोज़ की तरह उस दिन भी मैने सारी सेट ही पहना था. ब्लॅक प्रिंटेड सारी के उपर पिंक कलर का स्लीव्ले ब्लाउस और उसके नीचे 36सी साइज़ की वाइट ब्रा.

मुझे भी अपने फीचर्स पर बहुत नाज़ था. एक जवान बेटे की मा हो कर भी मेरी कमर 26 इंच की ही थी. मेरा रंग गोरा था, और पेट में या बॉडी में कही भी एक्सट्रा माँस/फ्लेश नही आया था.

मार्केट में, सिनिमा हॉल में, या क्लब जब लोग मुझ पर कॉमेंट करते थे, की क्या मस्त माल है, अफ कितनी मस्त चिकनी कमर है, वाह क्या टाइट चूची है, तो सुन कर मुझे भी बढ़िया लगता था.

हम दोनो तैयार होकर बाहर निकले, तो बहुत दीनो के बाद बेटे ने मेरी खूबसूरती पर कॉमेंट किया.

विनोद: मा, तुम पूछती हो ना की मेरी कोई गर्लफ्रेंड क्यूँ नही है? तो मैं बताता हू, अब तक तुम्हारे जैसी कोई हसीना दिखी ही नही जिसको मैं अपनी गर्लफ्रेंड बनता. मा तुम कोई बिल्कुल अपने जैसी ही लड़की मेरे लिए ढूँढ दो, जिसके साथ मैं प्यार कर साकु.

बेटे ने जिस प्यार से मेरी तारीफ की मुझे बहुत बढ़िया लगा.

मैं: बेटा, जब तक तू कोई अपनी गर्लफ्रेंड नही ढूँढ लेता, तब तक मेरी खूबसूरती जितनी देखनी है देख ले. मुझे ही अपनी गर्लफ्रेंड समझ. लेकिन ये मत भूलना की तेरे साथ जो औरत है, वो तेरी मा है. कोई तेरे कॉलेज की लड़की नही है.

विनोद: तुम्हारे जैसी खूबसूरत, अट्रॅक्टिव औरत के साथ जब मैं चलता हू, तो अपने को राजेश खन्ना और तुम्हे हेमा मालिनी ही समझता हू.

मैं: फालतू तारीफ मत कर. ज़्यादा तारीफ करेगा तो मैं भी अपने को कोई खूबसूरत हेरोयिन समझने लगूंगी. और किसी हीरो का हाथ पकड़ कर भाग जौंगी. फिर कहा मिलेगी तुम्हे ये खूबसूरत हसीना? चल, बहुत गर्मी है, आइस्क्रीम खाते है.

हम दोनो एक ऑटो में बैठ कर सिटी सेंटर आए ( पार्क स्ट्रीट). हम एक बढ़िया आइस्क्रीम पार्लर में सामने-सामने बैठ गये. बोलने की ज़रूरत नही, वाहा बैठे सभी की नज़र हम दोनो को ही घूर रही थी. नॉर्मल कॉमेंट्स के अलावा एक ऐसा कॉमेंट सुना, जो पहले कभी नही सुना था.

“जितनी खूबसूरस्त औरत है, वैसा ही हॅंडसम मर्द भी है. बहुत ही बढ़िया जोड़ी है दोनो की”.

ये एक फीमेल की आवाज़ थी. और दोस्तों मैने पहली बार अपने बेटे को एक मा की नज़र से नही एक प्रेमिका की नज़र से देखा. और मुझे मान-ना पड़ा की अगर विनोद मेरे साथ सेक्स करना चाहता, तो मैं माना नही करती. मैं अपने बेटे को अपना प्रेमी समझ कर उससे छुड़वा लेती.

मुझे अपने पहले प्रेमी, कुंदन की याद आ गयी. उसकी याद आते ही मेरी चूचियाँ टाइट हो गयी, और छूट गीली हो गयी.

मैं हर 15 दिन पर झांट सॉफ करती थी. पिछले ही दिन झाँत सॉफ की थी. कुंदन की याद आई तो मेरा जी करने लगा की कुंदन जैसा ही मेरा बेटा विनोद भी मेरी छूट को खूब चूज़, खूब छाते.

मैं ऐसा मौका पैदा करना चाहती थी, की विनोद खुद मुझसे छुड़वाने के लिए खुशमाद करे. मैं बेटे के साथ इंटिमेसी बढ़ने का सोच रही थी. लेकिन बेटा कुछ और ही सोच रहा था.

विनोद: मा, मुझे अपने पहले प्रेमी के बारे में बताओ.

उसने अचानक से ऐसी बात पूछी, की मैं अकबका गयी. मैने झूठ कहा.

मैं: मेरा कोई प्रेमी नही था. तुम्हारे बाबा ही मेरा प्रेमी भी है और घरवाला भी. और अब दूसरा प्रेमी तू है (मैने मादक मुस्कान बिखेरते हुए कहा).

विनोद: अपनी कसम, जो कसम ले लो, मैं बाबा से कुछ नही कहूँगा. तुम अपने पहले प्रेमी कुंदन के साथ सेक्स करती थी ना?

मेरे बेटे को मेरे एक लौटे प्रेमी का नाम भी मालूम था, इसलिए उससे कुछ पूछना-च्छुपाना बेकार था. उपर से मैं खुद अपने प्रेमी के बारे में बातें करना चाहती थी. कुंदन से अलग होने के 22 साल बाद किसी ने मेरे सामने उसका नाम लिया था.

फिर मैने क्या बोला, और आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.