पंडित की बीवी विधवा होके गर्लफ्रेंड बनी

मैं हू सुनील, और मैं पुंजब का रहने वाला हू. मेरी उमर 26 साल है, और मैं प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हू. हाइट मेरी 5’9″ है, और लंड मेरा 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है. जवान होते ही मुझे सेक्स की बड़ी तलब लगने लगी थी, और उसी वक़्त की ये कहानी है. ये कहानी तब शुरू हुई, जब मैं 18 साल का था.

हमारे घर के पड़ोस में एक मंदिर था, और उसका पंडित हमारे घर के सामने वाले घर में रहता था. वो घर उसको मंदिर के ट्रस्टीस ने ही दिया था. पंडित की फॅमिली में वो खुद, उसकी बीवी, उसकी बेटी जो 2 साल की थी, और एक बेटा था 1 साल का. उसकी बीवी का नाम अनु था.

अब आपको अनु के बारे में क्या बतौ. एक तो चढ़ती जवानी में हवस अपने चरम पर होती है. दूसरा सामने वाले घर में अनु जैसी सेक्सी औरत. अनु एक 26 साल की लड़की थी. इन लोगों में शादी जल्दी ही हो जाती है, और बच्चे तो होने की है शादी के बाद.

अनु की हाइट 5’4″ थी, और फिगर 36-32-36 था. प्रेग्नेन्सी के बाद लड़की भर जाती है. ऐसा ही उसके साथ हुआ था. उसका शरीर पहले से ज़्यादा भर गया था. उपर से गोरा रंग उस पर चार चाँद लगा देता था.

पंडित के घर की विंडो हमारे घर की विंडो के बिल्कुल सामने थी. मैं जब भी विंडो पर खड़ा होता था, तो मुझे अनु के दर्शन हो जाते थे. उसको देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था. फिर मुझे मूठ मार कर खुद को शांत करना पड़ता था.

उसका बेड विंडो से नज़र आता था. जब भी वो चादर बिछा रही होती थी, तो नीचे झुकने की वजह से उसके गोरे-गोरे बूब्स दिख जाते थे. जिस दिन भी मुझे उसके बूब्स के दर्शन हो जाते, मैं दिन में इतनी बार मूठ मारता, की मेरा लंड सुन्न हो जाता.

अनु घर के बाहर मोस्ट्ली सारी पहनती थी, और घर में वो कुरती-पाजामी पहनती थी. उसके जिस्म को देख कर मैं तो उसके लिए पागल हुआ जेया रहा था. फिर मैने डिसाइड किया की मुझे उसको छोड़ना था, और इसके लिए मैं रिस्क उठाने को तैयार था.

हमारे पंडित जी से आचे संबंध थे, और मैं अक्सर उनके घर जाता रहता था. एक दिन मैं ऐसे ही उनके घर चला गया. जब अनु ने मुझसे पूछा की मुझे क्या काम था, तो मैने उसको सीधे-सीधे बोल दिया की मुझे उनसे प्यार हो गया था. उन्होने मुझे थप्पड़ मार दिया, और मैं वापस आ गया.

उसके बाद मेरी हिम्मत नही हुई उनको देखने या पूछने की. लेकिन फिर टाइम चेंज हुआ. 2 साल बाद अब मैं कॉलेज में था. एक दिन पंडित जी अचानक से मंदिर की सीडीयों से गिर कर मॅर गये. पता चला उनको हार्ट-अटॅक आया था. मुझे ये जान कर बहुत दुख हुआ, क्यूंकी वो एक आचे आदमी थे. मुझे अनु के लिए भी बुरा फील हुआ, क्यूंकी वो अकेली थी, और बच्चे छ्होटे थे.

कुछ दिन ऐसे ही बीट गये. फिर कुछ ऐसा हुआ, जिससे मैं फिरसे उसका दीवाना हो गया. मैं सुबा-सुबा खिड़की पर खड़ा था. तभी अनु सामने खिड़की पर आई. मैने उसकी तरफ नही देखा, क्यूंकी लास्ट टाइम जो हुआ था उसके बाद मैने उसको देखना बंद कर दिया था. लेकिन उस दिन जब मैने बीच में उसको देखा, तो वो भी खिड़की पर खड़ी थी, और मेरी तरफ देख रही थी.

मैं नज़र हटाने ही वाला था, की उसने मुझे एक स्माइल पास कर दी. उसको स्माइल करते देख मैं साँझ नही पाया, की वो क्यूँ स्माइल कर रही थी. मैं उसको स्माइल पास करने से खुद को नही रोक पाया. उस दिन से हमारा स्माइल का सिलसिला ऐसे ही चल पड़ा. मुझे लगा जो पहले नही हुआ था, शायद अब हो जाए.

फिर एक दिन मैने उसको उसका मोबाइल नंबर देने का इशारा किया. मैं दर्र रहा था की कही इस बार कोई पंगा ना पद जाए. लेकिन ऐसा नही हुआ. उसने अपना मोबाइल नंबर मुझे पेपर पर बड़ा-बड़ा लिख कर दे दिया. फिर मैने उसको मेसेज किया-

मैं: हेलो जी.

अनु: हेलो, कैसे हो आप?

मैं: मैं अछा हू. आप कैसी है?

अनु: मैं भी ठीक हू. मुझे आप से सॉरी बोलना था.

मैं: वो किसलिए?

अनु: वो पिछली बार के अपना बिहेवियर के लिए. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था. आपने तो शरीफी से पूछा ही था, और मैने आपको थप्पड़ मार दिया.

मैं: कोई बात नही, उस वक़्त शायद यही सही था. मुझे बुरा तो लगा था, लेकिन उसके बाद मैने किसी लड़की को पूछा भी नही.

अनु: हाए राम, क्यूँ? पूछा क्यूँ नही?

मैं: जब पहली बार में थप्पड़ पद जाए, तो दोबारा पूछने का रिस्क लेने की हिम्मत कहा होती है.

अनु: नही ऐसा नही होता. काई बार पहली बार में जो थप्पड़ मारे, दूसरी बार में वही मान जाती है.

मैं: क्या सच में?

अनु: जी बिल्कुल.

मैं: मतलब अब अगर मैं आपको मेरी गर्लफ्रेंड बनने के लिए पूचु, तो क्या आप हा बोलेंगी.

अनु: हहहे वो तो जब पूचोगे तभी पता चलेगा.

मैं: तो ऐसा ही समझ लीजिए की मैं पूच रहा हू.

अनु: ऐसे थोड़ी पूछते होते.

मैं: फिर कैसे पूछते है?

अनु: सीधे शब्दो में पूछिए ना.

मैं: ठीक है. अनु, मैं तुम्हे बहुत लीके करता हू. क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?

अनु: हा.

मैं: हा क्या?

अनु: हा मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड बनूँगी.

उसके मूह से हा सुन कर मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा. मेरा लंड उसके बारे में सोच कर खड़ा हो गया. फिर मैने उससे कहा-

मैं: अनु तुम बहुत खूबसूरत हो. मैं कब से तुम्हे प्यार करना चाहता हू.

अनु: मैं भी तुम्हारे प्यार के लिए तरस रही हू. तुम मुझे जल्दी से प्यार डेडॉ. मेरे पति के जाने के बाद मुझे प्यार की बड़ी कमी हो गयी है.

मैं: आज से तुम खुद को विधवा मत समझना. आज से मैं ही तुम्हारा पति हू. और तुम्हारा ये पति तुम्हे बहुत प्यार देगा.

अनु: मैं आपकी होने के लिए बेताब हू.

मैं: बताओ कब मिलना है फिर.

अनु: लेकिन मिलना कहा है?

मैं: मेरे घर आ जाओ.

अनु: नही, तुम मेरे घर आ जाओ. मैं आधा दिन अकेली ही होती हू. गुड़िया दोपहर में स्कूल से आती है, और छ्होतू सोया रहता है.

मैं: ठीक है.

गाइस इसके आयेज की स्टोरी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी. अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो इसको शेर ज़रूर करे.

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