सेक्सी आंटी के गड्राए जिस्म का सुरूर

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम धीरज है. मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़े. उमीद है आपको पिछला पार्ट पसंद आएगा.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा, की मैं और मेरा फ्रेंड बिके का पंक्चर लगवा रहे थे. तभी वाहा एक ड्राइवर गाड़ी का पंक्चर लगवाने के लिए रुका. उसकी गाड़ी में बड़ी हॉट लेडी थी, जिससे मेरी आँखें लॅड गयी. फिर वही लेडी मुझे अपने घर पर मिली, क्यूंकी वो मेरी मम्मी की फ्रेंड थी. अब आयेज बढ़ते है.

मम्मी ने मुझे रिम्मी आंटी बोल कर उस लेडी से मिलने के लिए कहा. मैं तो उनको देख कर फूला नही समा रहा था. वो भी मुझे देख कर हैरान हो गयी. फिर मैने स्माइल करते हुए कहा-

मैं: हेलो आंटी.

आंटी: अछा तो आप है धीरज. नाइस तो मीट योउ धीरज. बहुत तारीफे करती है आपकी मम्मी आपकी. मैं तो सुन-सुन कर बोर हो गयी थी. लेकिन आपकी तारीफ तो बनती है.

मम्मी: क्या मतलब?

आंटी: मतलब ये, की मैं अभी तुझे बता रही थी ना उस नाइस बॉय के बारे में, जिसने मेरी हेल्प की.

मम्मी: हा.

आंटी: वो आपका सुपुत्रा धीरज ही है.

मम्मी: अछा! वेरी गुड बेटा. मतलब अब तक तुम और मैं मेरे बेटे की ही तारीफ कर रहे थे. लगता है इसकी नज़र उतारनी पड़ेगी आज मुझे.

और ये सुन कर हम तीनो हासणे लग गये. फिर आंटी बोली-

आंटी: और धीरज कुछ अपने बारे में बताओ.

फिर मैने अपने कॉलेज आंड स्टडीस की डीटेल्स बताई. आंटी मेरे इंटेलिजेन्स से काफ़ी इंप्रेस हुई. बातों के दौरान मेरी नज़रे आंटी की पूरी बॉडी पर इधर-उधर घूम रही थी. चाह कर भी मैं खुद को आंटी को देखने से नही रोक पा रहा था. अब वो थी ही इतनी सेक्सी की, कोई मर्द कंट्रोल नही कर पाएगा.

आंटी भी ये बात नोटीस कर रही थी. वो बार-बार मेरी उनको देखती हुई नज़र को पकड़ लेती थी. लेकिन वो कुछ बोल नही रही थी, और बस मुझे स्माइल पास कर रही थी. मुझे भी लगा की आंटी कॅनडा से थी, तो मॉडर्न भी होगी, इसलिए वो मेरे उनको इस तरह से देखने को माइंड नही कर रही थी.

फिर ऐसे ही थोड़ी देर बातें हुई. आंटी का फिगर और उनके रस्स भरे लिप्स की मूव्मेंट देख कर मेरा लंड खड़ा हुआ जेया रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था की मैं खड़ा होके अपना लंड आंटी के मूह में डाल डू. लेकिन ये तो सिर्फ़ मैं ख़यालों में ही सोच सकता था. असल में मेरी इतनी हिम्मत कहा थी.

फिर हम लोग अपने-अपने रूम में रेस्ट करने चले गये. शाम को 7 बजे के करीब सब हॉल में आए. पापा किसी काम से दूसरे शहर जेया चुके थे, तो वो कुछ दीनो बाद आने वाले थे. मैं जब हॉल में आया, तो आंटी और मम्मी सोफा पर बैठी हुई थी. आंटी को देख कर मेरा मूह खुला का खुला रह गया.

उन्होने ब्लॅक शॉर्ट्स और पिंक त-शर्ट पहनी हुई थी. ये उनकी नाइट ड्रेस थी. जब मैने सुना की ये उनकी नाइट ड्रेस थी, तो मैने सोचा ये नाइट ड्रेस कम, और सुहग्रात ड्रेस ज़्यादा थी. फिर आंटी आके हमारे साथ बैठ गयी.

आंटी की मोटी जांघें इतनी मस्त लग रही थी, की उनको चाटने का दिल कर रहा था. दोस्तों आप खुद ही सोचिए गोरी-गोरी और मोटी-मोटी जांघें, जो शॉर्ट्स में एक-दूं टाइट फ़ससी हुई थी. उपर से पिंक टॉप, जिसमे उनके बूब्स बिल्कुल टाइट खड़े थे. क्या मस्त फिगर था आंटी का जिसको देख कर मूह में पानी आ रहा था.

आंटी अब भी ये नोटीस कर रही थी, की मैं उनको ताड़ रहा था. लेकिन मुझसे कंट्रोल हो ही नही रहा था. फिर आंटी वॉशरूम जाने लगी. जब वो जेया रही थी, तो उनकी गांद क्या मटक रही थी. दिल कर रहा था की काट ख़ौ उनकी गांद को. पर क्या कर सकते थे. फिर जब वो आई, तो मैं वॉशरूम गया. मुझे उनकी खुश्बू महसूस करनी थी.

मैं वॉशरूम जाके टाय्लेट सीट सूंघने लगा. उसमे से मुझे आंटी की गांद की खुश्बू आ रही थी. उनके पर्फ्यूम की खुश्बू पुर वॉशरूम में आ रही थी. उसी को फील करके मैने अपना लंड निकाला, और मूठ मारने लगा. मैं टाय्लेट सीट के सामने खड़ा होके ज़ोर-ज़ोर से लंड हिलने लगा. फिर मेरा आंटी के नाम का बहुत सारा माल निकला.

मूठ मार कर मैं वापस हॉल में आ गया. फिर डिन्नर का टाइम हो गया, और हम तीनो डिन्नर टेबल पर बैठ गये. जब आंटी डिन्नर टेबल पर खाने के लिए झुकती, तो मुझे उनकी सेक्सी क्लीवेज दिख जाती. उसको देख कर मुझे और भूख लगने लगी. वो भूख खाने की नही, बल्कि उनको खाने की थी. इस बार आंटी ने फिरसे मेरी नज़र पकड़ ली.

मैने सोचा की इतनी बार मुझे पकड़ने के बाद भी आंटी कों सा कुछ कह रही थी. तो मैने खुले-आम उनको देखना शुरू कर दिया. डिन्नर करने के बाद हम सब दोबारा हॉल में बैठ कर टीवी देखने लगे. मम्मी और आंटी अपने स्कूल टाइम की बातें बताने लगे.

मैं उनकी बातें सुन रहा था. आक्च्युयली मैं बातें कम सुन रहा था, और आंटी की लाते ज़्यादा देख रहा था. ऐसे ही सोने का टाइम हो गया, और हम अपने-अपने रूम में चले गये. रूम में जाके मैं बेड पर लेट गया. मुझे नींद नही आ रही थी, और मेरा लंड आंटी को याद करके फिरसे खड़ा हो रहा था.

मेरे पास पाजामे में हाथ डाल कर सहलाने के अलावा और कोई रास्ता नही था. मैं धीरे-धीरे अपने लंड को हिलने लगा. उसके बाद मेरी स्पीड तेज़ हुई, और मैं लंड को ज़ोर-ज़ोर से हिलने लग गया. फिर मैं बेड पर उल्टा हो गया, और गद्दे पर कमर हिला कर लंड इस तरह से रगड़ने लगा, जैसे आंटी के उपर चढ़ कर छोड़ रहा था.

मुझे ऐसा करने में बड़ा मज़ा आ रहा था. पूरी फीलिंग आ रही थी. आप लोग भी कभी ट्राइ करके देखना. 15 मिनिट मैं ऐसे ही गद्दे को आंटी समझ कर उसकी चुदाई करता रहा. फिर मेरा माल निकल आया. तभी मेरे रूम के दरवाज़े पर नॉक हुई. मैने सोचा की आधी रात को कों था, और सब ठीक तो था ना.

ये सोच कर मैं उठा, और मैने दरवाज़ा खोला. सामने आंटी खड़ी थी.

इसके आयेज की कहानी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी. अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ ज़रूर शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.