नौकर ने मालिक के बेटे की गांद चोद दी

हेलो दोस्तो, आज की स्टोरी मेरे साहब के टीन बिटो की है. इसमे आप पढ़ेंगे, की कैसे मैने उन तीनो को एक-एक करके छोड़ा. मेरे साहब गाओं के बहुत अमीर आदमी थे, और उनका पूरा काम वही होता था. उनके टीन बेटे थे, अरबाब, असद और इमरान.

तीनो बिटो की पढ़ाई के लिए उन्होने शहर में एक फ्लॅट खरीदा, और मुझे उनका ख़याल रखने के लिए वाहा भेज दिया. मैं अब तीनो का ख़याल रखता था. उनको कही ले-जाना होता था, तो वो भी करता था, और कुकिंग वग़ैरा भी करता था.

मैं 55 साल का हू, और मेरा तोड़ा पेट भी निकला हुआ है. 6 फीट की हाइट है मेरी, और जिस्म बहुत हेरी है. मैं चुदाई का बहुत बड़ा शौकीन हू. मेरा लंड 8.5 इंच लंबा है, और आचे-अछो की चीखें निकाल देता है.

अरबाब सबसे बड़ा बेटा था साहब का. वो तोड़ा मोटा था, और मोटी-मोटी गांद और थाइस थे उसके. अरबाब 19 साल का था. फिर असद था दूसरे नंबर पे. उसकी बॉडी भी अरबाब की तरह थी, बस दोनो में हाइट का, और 6 महीने का फराक था.

आख़िर में इमरान था, जो सबसे छ्होटा था. वो 18 साल का था. इमरान की काफ़ी फिट बॉडी थी, और सबसे क्यूट इमरान ही था. इमरान का जिस्म बना ही हम जैसो को खुश करने के लिए था.

मेरी और उन तीनो भाइयो की काफ़ी बनती थी. अब मैं बहुत सालों से उनके घर पे काम कर रहा था, तो मैने उनको पैदा होते से देखा था. अब मुझे ये रेस्पॉन्सिबिलिटी मिली थी, की मैं उनका ख़याल रखू. फ्लॅट में टीन कमरे थे. एक बंद पड़ा होता था, दूसरे में असद और अरबाब सोते थे. मैं इमरान के रूम में नीचे बिस्तर बिछा कर सोता था.

अब मैं पार्ट की तरफ आता हू. अरबाब फुटबॉल खेलता था शौंक से. एक दिन वो घर जल्दी आ गया, और उसके कपड़े गंदे थे. मैने उससे पूछा-

मैं: क्या हो गया तुम्हे? ये कपड़े कैसे गंदे हो गये?

तो उसने बताया की उसको चोट लग गयी थी, और वो चल नही पा रहा था. फिर मैं उसको सहारा दे कर बेडरूम में ले गया. फिर अरबाब से मैने पूछा-

मैं: चोट कहा लगी है? मैं थोड़ी मालिश कर देता हू क्रीम लगा कर.

लेकिन वो खुल कर नही बता रहा था. आख़िर मैने उसकी शर्ट उतारी, और बॅक की मालिश की. फिर मुझे आइडिया हो गया की उसको गांद पे चोट लगी थी. मैं उसकी चड्डी उतारने लगा, तो उसने मुझे रोक दिया. फिर मैने उसको तसल्ली दी, के घर पे कोई नही था, और असद और इमरान के आने में काफ़ी टाइम था. फिर भी मैने दरवाज़ा लॉक किया उसको खुश करने के लिए.

उसके बाद जब मैने अरबाब की चड्डी उतारी, तो वो तोड़ा शर्मा रहा था. लेकिन उसकी मोटी प्यारी और सॉफ्ट गांद देख कर मेरा लंड टाइट होने लगा. मैने आयिल लगाया, और उसकी गांद की आचे से मालिश की. इससे उसको बहुत आराम आया. मेरा तो अपना लंड फॅट रहा था सिर्फ़ उसकी गांद को टच करके.

उधर अरबाब को भी मज़ा आ रहा था, क्यूकी मैने नोटीस किया, की उसका छ्होटा सा लंड टाइट होने लगा था. खैर मैने मालिश करके उसकी चड्डी उपर की, और बातरूम की तरफ भागा. फिर मैने मूठ मार कर अपने लंड को शांत किया.

अब अगले दिन अरबाब ने छुट्टी ली हुई थी. असद और इमरान जब चले गये, तो अरबाब ने मुझे फिरसे बुलाया और मालिश करने का बोला. उसकी भी शायद मालिश में बहुत मज़ा आने लगा था. मैने भी इसका फ़ायदा उठाया, और उसकी गांद की खूब मालिश की.

दो दिन तक वो मुझसे दिन में 2-3 बार मालिश करवा रहा था. मुझसे भी अब कंट्रोल नही हो रहा था. मैं अब उसकी गांद में लंड डालना चाहता था. लेकिन मैने भी आज तक किसी लड़के की गांद नही मारी थी.

फिर तीसरे दिन दोबारा से वही हुआ. जैसे ही असद और इमरान चले गये, तो मुझे अरबाब ने मालिश के लिए बुला लिया. बस आज मैने तान ली थी, की अरबाब की गांद मारूँगा. मैं उसकी गांद और थाइस मसाज कर रहा था. जब मैने उसके लंड पे गौर किया, तो उसका प्रेकुं लीक हो रहा था. बस यही सिग्नल चाहिए था मुझे.

फिर मैने अरबाब की मोटी गांद के बीच में तोड़ा आयिल लगाया. उसके बाद मैं उसकी गांद के होल पे गोल-गोल उंगली घूमने लगा. अरबाब इससे शॉक हो गया, और मुझसे पूछने लगा. मैने उसको बस एंजाय करने को बोला. फिर आहिस्ता-आहिस्ता मैं अरबाब की गांद में उंगली घुसने लगा. आयिल की वजह से उंगली बड़े आराम से अंदर चली गयी.

फिर पूरी उंगली उसकी गांद में घुसा कर मैने उससे पूछा-

मैं: मज़ा आ रहा है?

और उसने हा में सिर हिलाया. मैं फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसकी गांद में फिंगरिंग करने लगा. वो भी अपनी आँखें बंद करके एंजाय कर रहा था. उसकी गांद का होल जब तोड़ा लूस हुआ, तो मैने एक और उंगली डाल दी. अब आराम-आराम से मेरी 2 फिंगर्स उसकी गांद में थी.

फिर थोड़ी देर बाद मैने 3 फिंगर्स डाल दी. उसकी गांद के होल को मैने सही से लूस किया. अब मैं अपना लंड अंदर घुसना चाह रहा था. फिर मैने उससे पूछा-

मे: अरबाब मज़ा आ रहा है?

अरबाब: हा, बहुत अछा फील हो रहा है.

मे: एक और चीज़ है, वो और मज़ा देगी.

अरबाब: क्या?

मे: तुम बस आँखें बंद करके एंजाय करो.

ये बोल कर मैने अपना लंड बाहर निकाला. फिर मैने उसपे तोड़ा आयिल लगाया. मैने उसके होल पे लंड सेट किया और आहिस्ता-आहिस्ता अंदर डालने लगा. उसको तोड़ा दर्द हो रहा था, और ये उसकी शकल पे नज़र आ रहा था. लेकिन वो दर्द को बर्दाश्त कर रहा था.

मैने भी बहुत आहिस्ता-आहिस्ता लंड उसकी गांद में डाला, ताकि उसको कम तकलीफ़ हो. जब आधा लंड अंदर चला गया, तो मैने और ज़्यादा नही डाला और उसकी चुदाई शुरू कर दी. चुदाई के दौरान मैने तोड़ा-तोड़ा करके पूरा लंड अंदर घुसा दिया.

15 मिनिट की चुदाई के बाद, उसको इतना मज़ा आ रहा था, की उसके मूह से आवाज़े निकल रही थी. मैने उसको दूसरी पोज़िशन ट्राइ करने को बोला, और वो मान गया. फिर मैने उसको सीधा लिटाया, और उसकी टांगे उठा कर चुदाई करनी शुरू कर दी. मैं उसके निपल्स भी चाटने लगा, और अचानक उसने मुझे रुकने को बोला.

लेकिन में अब रुकने वाला थोड़ी था. मैने उसका हाथ पकड़ा, और उसके होंठो से होंठ से मिला दिए. फिर मैने स्पीड से उसकी चुदाई शुरू कर दी. अचानक मुझे कुछ गीला-गीला फील हुआ, तो देखा की उसकी मूठ निकल गयी थी. फिर अरबाब बोला-

अरबाब: मेरा पेशाब निकल गया.

उसकी इस बात पर मैं हस्स पड़ा. फिर मैने उसको समझाया-

मैं: ये पेशाब नही है.

मैने उसकी 10 मिनिट तक गांद मारी. फिर अपना लंड निकाला, और फारिघ् हो गया. मेरा कम उसके चेस्ट और मूह तक निकला था. वो तोड़ा गुस्सा हुआ, लेकिन मैने उसको जब अपना कम टेस्ट करवाया, तो उसको टेस्ट बहुत पसंद आया.

हैरत की बात ये थी, की उसको चुदाई का भी नही पता था. फिर मैने उसको सब कुछ बताया चुदाई, सेक्स, और गे के बारे में. इन बातो से मेरा लंड वापस टाइट हो गया, और मेरी तरह अरबाब भी गरम हो गया था. फिर मैने उसकी फिरसे चुदाई की, और उसको 2 बार फारिघ् किया.

इस बार मैने अपना कम उसकी गांद में निकाल दिया. फिर हम लोग शवर लेके बैठ गये. आहिस्ता-आहिस्ता मैं और अरबाब जब भी अकेले होते, तो मौका ढूँढ कर चुदाई करते. कभी-कभी रात को देर से वो च्छूप कर आता था, और मैं स्टोर रूम में खड़े-खड़े उसकी गांद मारता था. करीब 3 महीने तक ऐसा चलता रहा, की अरबाब मुझसे गांद मरवाता था.

आहिस्ता-आहिस्ता असद को शक होने लगा, की रात को अरबाब कहा जाता था. फिर एक दिन मैं स्टोर रूम में अरबाब को छोड़ रहा था, की हमे असद ने देख लिया. अब मज़े की बात ये है, की असद ने हमे रोका नही और ना ही किसी को बताया. आप कह सकते हो, की वो भी ट्राइ करना चाहता था. क्यूकी कुछ दिन बाद जब मैं किचन में खाना बना रहा था, तो असद मेरे पास आया. फिर वो मुझे बोला-

उसने मुझे क्या बोला, और आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. यहा तक की कहानी आपको कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताना. अपनी फीडबॅक आप मुझे मैल भी कर सकते है.