मा और बेटे की शादी का उत्सव

हेलो दोस्तो, कैसे है आप सब. कहानी के पिछले पार्ट मे आपने पढ़ा था, की मैने अपने लंड की प्यास मा का मूह छोड़ कर बुझाई और मेरी मा ने भी मेरा लंड चूसने का भरपूर मज़ा लिया.

फिर मेरे दोस्तो ने मेरी मा को छोड़ने की फरमाइश की. उनकी फरमाइश पूरी करने के लिए, हम सब ने मिल कर एक प्लान बनाया. अब आयेज-

अब मेरे दोस्तो ने मेरी मा को छोड़ने का प्लान बना लिया था, और मई भी खुश था. आज मेरी मा को अपना लंड चुस्वा कर, मुझे मज़ा आ गया था.

फिर जब मई बाहर गया, तो मेरी मा को मेहंदी लगने लगी थी और साथ मे मेरी मा को हल्दी भी लगनी थी. मेरी मा बाहर आंटी के साथ बैठी हुई थी, और मज़े ले रही थी. अब साथ मे वाहा हल्दी की तैयारिया होने लग गयी.

तभी मेरे दोस्त ने अपनी मा को कुछ कहा और उसकी मा ने बाकी औंतियो को कुछ समझा दिया. अब आंटी ने मुझे भी कहा-

आंटी: तू भी आजा यहा, हम तेरी बॉडी पर भी हल्दी लगा देते है. तेरी बीवी के तो हल्दी लग ही रही है, अब तू भी लगवा ले जल्दी से.

फिर मुझे मेरे दोस्त बाहर एक सोफा पर लेकर आ गये. बाहर आके उन्होने मुझे कहा-

दोस्त: अब तू अपने कपड़े खोल ले, और बस अंडरवेर छोढ़ देना.

इस्पे मैने कहा: ठीक है, उतार देता हू.

फिर मेरी मम्मी को आंटी ने कहा-

आंटी: तू भी अपने कपड़े खोल दे और ब्रा और पनटी मे आ जेया.

मेरी मा ने कपड़े खोलने से इनकार कर दिया. तभी मैने मा को बोला-

मई: खोल दो ना यार अपने कपड़े. वरना शादी के बाद मई तेरा बुरा हाल कर दूँगा.

ये सुन कर मेरी मा ने बोला: चलो ठीक है, खोल देती हू.

फिर मेरी मा ने जल्दी से अपने उपर के कपड़े उतार दिए और अब मेरी मा सिर्फ़ ब्रा और पनटी मे थी. क्या कमाल लग रही थी मेरी मा. उनके बूब्स की लाइन मुझे सॉफ दिख रही थी. मेरा दिल फिरसे अपनी मा के बूब्स की लाइन पर पानी छोढ़ने का कर रहा था.

तभी मैने भी जल्दी से अपने कपड़े खोल दिए और अब मई सिर्फ़ अंडरवेर मे था. मेरा लंड तो मा को देख कर पहले से खड़ा था. जब मेरी मा ने मेरे अंडरवेर मे मेरे खड़े लंड को देखा, तो मेरी मा को हस्सी आ गयी.

फिर मा ने मेरी तरफ देख कर आँख मार दी. मई कपड़े उतार कर सोफा पर बैठ गया और मेरी मा आके मेरे पैरो के पास बैठ गयी. मेरी मा मेरे घुटनो के पास बैठी थी, क्यूकी वो मेरी होने वाली बीवी थी.

फिर आंटी आयेज आई और उन्होने मेरे जिस्म पर हल्दी लगानी शुरू कर दी. वो साथ मे मेरी मा के जिस्म पर भी हल्दी लगा रही थी. मेरी मा इस सब के मज़े ले रही थी. फिर कुछ देर के बार मेरे दोस्त मा को हल्दी लगाने के लिए आ गये.

अब सबसे पहले मई अपने दोस्तो के नाम बता देता हू. मेरे 5 दोस्त थे. पहला हरेश, दूसरा परवीन, तीसरा विजय, चौथा नरेश, पाँचवा सोनू. ये सभी मेरे बहुत आचे दोस्त थे और सभी ने एक कांड किया था, जो मई आपको बाद मे बतौँगा.

फिर सबसे पहले मई सभी के बारे मे बता डू. मेरा सबसे पहला दोस्त परवीन था और वो पतला सा था. उसका लंड बे पतला था, पर उसको छोड़ना बहुत बढ़िया आता था

अब दूसरे नंबर पर आते है. दूसरा दोस्त था नरेश. वो भी मेरा काफ़ी अछा दोस्त था. उसका लंड भी काफ़ी बड़ा था और उसकी सेहत भी काफ़ी ज़्यादा थी. वो कुछ ज़्यादा ही मज़ेदार था.

अब आयेज आता है विजय. विजय हम सब मे से सबसे ज़्यादा गोरा था. और उसका लंड भी मोटा था और उसका लंड किसी भी गोरे से कम नही था. उसके बाद आते है हरेश. वो भी मेरा दोस्त था. उसकी हाइट ठीक ही थी, पर खेतो मे काम करने की वजह से उसका जिस्म काफ़ी सख़्त और बढ़िया था. और उसका लंड भी काफ़ी ज़्यादा मोटा था.

अब आता है सोनू पर. सोनू ने भाग कर शादी कर ली थी और सोनू का लंड भी बड़ा था. वो देखने मे ठीक-ताक था, पर मस्त था. फिर मेरी मा के पास मेरे दोस्त आते है और फिर वो हल्दी अपने हाथो मे लेते है. तभी मेरी मा बोलती है-

मा: आप नही लगा सकते.

तो वो सभी बोलते है: क्यू? जब आंटी ने लगाया है, तो अब हम भी लगाने वाले है.

तभी मेरी मा ने मेरी तरफ देखा. फिर मैने मा को बोल दिया-

मई: कोई बात नही लगा लेने दो.

फिर परवीन सबसे पहले मेरी मा के गालो पर हल्दी लगाने लग जाता है और साथ मे वो मेरी मा के गालो से खेल रहा था. उसके बाद हरेश आया और उसने मेरी मा के बूब्स की लाइन के उपर हल्दी लगाना चालू कर दिया. मेरी मा के बूब्स पर अब हल्दी लगने लग गयी थी.

हरेश ने मा के बूब्स पर काफ़ी ज़्यादा हल्दी लगा दी थी. फिर कुछ देर के बाद सोनू आया और उसने मेरी मा की ब्रा के अंदर हाथ डाल कर मेरी मा के बूब्स पर हल्दी लगाना चालू कर दिया. मेरी मा उससे हल्दी लगवा कर मज़े लेना शुरू हो गयी थी.

फिर मेरी मा के निपल्स पर भी उसने हल्दी को लगा दिया. उसके बाद फिर विजय आया. विजय ने मेरी मा को सोफे पर बिता दिया और फिर मेरी मा की टाँगो को उठा कर सोनू और परवीन ने मेरी मा की टाँगो को पकड़ लिया.

उन्होने मेरी मा की टाँगो को उठा कर उपर कर दिया और मेरी मा की पनटी मे उसने हाथ डाल दिया. फिर वो मेरी मा की पनटी के अंदर हल्दी को मसालने लग गया. मेरी मा को मज़ा आ रहा था, क्यूकी हल्दी ठंडी होती है. फिर मा की छूट पर हल्दी लगाने के बाद, विजय ने अपना हाथ मा की पनटी से बाहर निकाल लिया.

उसके बाद आया मेरा एक और दोस्त नरेश. उसने मेरी मा को घोड़ी बनने के लिए कहा और तभी मेरी मा ने मेरी तरफ देखा. लेकिन मैने मा को हा मे सिर हिला दिया. अब मेरी मा ने जल्दी से अपनी गांद को घुमा लिया और फिर घोड़ी बन गयी.

फिर मेरे दोस्त ने मेरी मा की पनटी को पीछे किया और मेरी मा की गांद के होल पर हल्दी लगाना चालू कर दिया. मेरी मा की गांद के होल को उसने काफ़ी देर तक मसला था. ये देख कर मुझे भी मज़ा आ रहा था और शायद मेरी मा को भी मज़ा आ रहा था.

फिर कुछ देर के बाद उसने भी मेरी मा को छोढ़ दिया. अब मेरी मा की गांद, बूब्स, गले और छूट पर हल्दी लगी थी. ये सब देख कर मुझे मज़ा आ रहा था. मेरी मा को भी शायद खूब ज़्यादा मज़ा आया था इस सब मे.

फिर कुछ देर के बाद अब मेरी बारी थी. मैने अपनी मा को बोला-

मई: मेरे दोस्तो ने तो तुम्हे हल्दी लगा दी है. अब मेरी बीवी अपने होने वाले पति से हल्दी लगवाएगी.

तभी मेरी मा ने कहा: ठीक है, आप भी लगा लो. लेकिन पहले मई लगौंगी.

ये बोल कर मेरी मा खड़ी हो गयी. मा ने अपने हाथ मे हल्दी की और मेरे गालो पर हल्दी लगाने लग गयी. उसके बाद मा ने मेरे पैरो मे हल्दी लगाई. हल्दी लगाने के बाद जब मेरी मा पीछे हटने लगी, तो मेरे दोस्त विकी ने कहा-

विकी: . जी, इसके लंड पर भी हल्दी लगा दो.

विकी के ये बोलते ही मैने अपना लंड बाहर निकाल लिया. मेरी मा ने मेरे लंड की तरफ देखा और मा . लग गयी. .-. मेरी मा ने अपने हाथ मे हल्दी ली और मेरे लंड की तरफ अपना हाथ . लग गयी.

इस कहानी मे इतना ही. इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट मे पता चलेगा. अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो अपनी फीडबॅक ज़रूर दे. आप मुझे अपने आइडियास भी मैल कर सकते है.

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