मा के जिस्म का मज़ा लिया

पिछला पार्ट ज़रूर पढ़े – मा की छूट गहराई नापी

आंटी- तुम्हारा पति तो फ़ौजी है, तो तुम वो…

मा- वो क्या?

आंटी- तो तुम्हे सेक्स करने का मॅन नही करता. तुम्हारे पति जब इतने समय तक नही आते.

मा- लगता है ना पर क्या करू इंतज़ार करना पड़ता और वो जब आते है तो मुझे रोज छोड़ते है.

आंटी- देख बताती तुझे बुरा तो नही लगेगा ना.

मा- बता ना मेरी छूट तड़प रही है. अब तू ये मत कहना की किसी भी मर्द को छोड़ने के लिए बोलू. 4 महीने हो गये है. 8 महीना और लगेगा उन्हे आने मे और मेरा एक बेटा भी है.

आंटी- वही तो तेरा बेटा.

मा- क्या मतलब मेरा बेटा.

आंटी- तेरा बेटा तुझे छोड़ेगा.

मा- तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है. वो मुझे कैसे छोड़ सकता है. मैने उसे जानम दिया और मैं उसे कह भी नही सकती.

आंटी- अक्चा बताओ वो इतना बड़ा हो गया है तो सेक्स वीडियो तो देखता ही होगा और उसे भी छूट चाहिए होगी.

मा- हा वो बड़ा हो गया मैने उसके मोबाइल मे पॉर्न भी देखी है. जब उसने मेरे कमरे मे मोबाइल को चार्जिंग मे डाला था.

और मेरा बेटा मुझे छोड़ने के बारे मे सोच भी नही सकता.

आंटी- ओ हो इतना यकीन है अपने बेटे से. अच्छा तो मैं मान जौंगी. एक काम करोगी इस से पता चल जाएगा की वो तुम्हे छोड़ना चाहता है या नही.

मा- कैसा काम?

आंटी- कल तुम अपने ब्लाउस को तोड़ा ढिल्ला कर लेना. जिस से तुम्हारी बूब्स थोड़ी सी दिखे और उसे कुछ खाने या पीने को दो तो उसके आँखो को देखना और उसके पंत मे लंड के उभर को देखना. फिर मुझे कॉल करना.

मा- ठीक है, देखना मेरा बेटा ऐसा नही है.

अगले दिन मैं जब सोया हुवा था तो मा आकर मुझे जगाने लगी.

मा- अमन बेटा उठ जाओ सुबह हो गयी है.

मैने जैसे ही आँखे खोली मा मेरी तरफ झुकी थी और मेरी नज़र उनकी डाइरेक्ट ब्लाउस के उपर मचल रहे 2 बड़े बड़े बूब्स पर गयी. जो पहले से ज़्यादा निकली हुई थी. मा ने इस बार ब्लॅक ट्रॅन्स्परेंट ब्लाउस और सॅडी पहनी हुई थी. कही वो जान ले की मैं उनके बूब्स देख रहा हू.

इसलिए मैने नज़रे दूसरी तरफ कर लिया. खाना खाते समय मैं उनकी बूब्स को और बॉडी को निहारता रहा. फिर मैं कॉलेज चला गया. शाम को मैं घर पहुँचा उनके बूब्स को मैं फिर निहार रहा था.

मा- बेटे क्या तुम मेरे कमरे मे सो सकते हो.

मैं- जी जी मा.

मैं मा की कमरे मे पहुचा. मा ने बेड तैयार करली थी.

मा- मैं लाइट ऑफ कर रही हू बेटा.

मैं- जी मा.

हम दोनो लेट गये.
मुझे नींद नही आ रही थी. मैने धीरे से अपना हाथ उनकी पेट मे रख दी. उनकी पेट उपर नीचे हो रही थी. मेरा एक हाथ सॅडी से होती हुई. उनकी जाँघ मे आ गयी.

मैने उनकी सॅडी को पकड़ा और उसे उपर किया फिर उनकी पेटीकोआट को उपर किया. अब मेरी हाथ उनकी गड्राई हुई. झंघो पर थी और दूसरा हाथ उनकी बूब्स पर ले गया और ब्लाउस की उपर से उसे च्छुने लगा. मा थोड़ी हिली. मैं तोड़ा रुक गया और अपने हाथो को जाँघ से उनकी पनटी मे ले जेया रहा था.

फिर धीरे से मैने उनकी पनटी मे हाथ रखा. जो एकदम मखमली थी. मैने उसपर हाथ फेरना चालू कर दिया. धीरे धीरे फेरने लगा हाथ को. मा की छूट गिल्ली होने लगी थी और उनकी साँसे भी तेज हो गयी थी.

मैं धीरे से उनके मूह के पास कान को टीकाया. तो सुना की मा सिसकिया ले रही थी. फिर मैं रुक गया और उनकी पनटी को नीचे खिचने लगा. तभी उन्होने करवट बदला और मैं वही रुक गया. मैं दर गया कही वो जाग ना जाए.

मेरा लंड खड़ा हो चुका था. इसलिए मुझे मजबूरन हिलना पड़ा और मैं सो गया. अगली सुबह मेरी आँख खुली तो मैं हाथ मूह धोकर किचें मे गया. मा खाना बना रही थी. मा के बूब्स के उभर और बड़े दिख रहे थे. मैने उनके सरीर को बारीक से नीचे से उपर देखा.

मा- अमन जाओ जाकर नहा लो. खाना ठंडे हो जाएँगे.

मैं- जी मा.

मैं नःने के लिए सॉवॅर मे गया और मुझे मा की सपने आने लगी. वो जागते हुवे. वाहा मुझे मा की पनटी तंगी दिखी. तो मैने वो पनटी ली और अपने लंड मे रख हिलने लगा. ऐसा लग रहा था. जैसे उनकी ही छूट हो. मैने हिलना चालू कर दिया और जैसे ही झड़ने वाला था.

मा की आवाज़ आई.

मा- बेटा कितने देर नहोगे मुझे भी नाःना है. तभी मैने सोचा अब तो उन्हे नाहटे हुवे देखना है.

मैं- हा आता हू.

मैने सॉवॅर से बाहर निकल गया और फिर मा अंदर गयी. हमारे खिड़की मे छेड़ था. जिसे मैने एक दिन नाहटे वक़्त नोटीस की थी. वो अंदर गयी और मैं वाहा बने छेड़ से उन्हे देखने लगा. मा ने सबसे पहले अपना सॅडी उतरी. फिर पेटीकोआट को ये सब देख के मेरा लंड उफान मरने लगा.

फिर उन्होने धीरे से मेरी तरफ पीठ कर ब्लाउस उतारे और धीरे से अपनी हाथ पनटी मे ले गयी और उसे धीरे धीरे नीचे करने लगी. पनटी जाँघ से उतरती हुई पाओ के डरसन करते हुवे पूरी निकाल दी. उनकी पीठ मेरी तरफ थी इसलिए उनकी छूट और बूब्स दिखाई नही दे रहे थे.

मैं उनके इस सरीर को देख कर उस पनटी मे हिलना चालू कर दिया और उनकी पनटी मे झाड़ गया और वाहा से चला गया. कुछ देर बाद मा ना कर वापस आई. उन्होने दूसरी सॅडी पहनी हुई थी. उन्होने येल्लो सॅडी पहनी हुई थी. हम दोनो खाना खाने लगे.

फिर मेरी नज़र उनके बूब्स को दिन भर देखता रहा. फिर रात हो गयी. हमने फिर खाना खाया और कमरे मे सोने चले गये. रात के करीब 12 बाज रहे थे. मैने फिर सॅडी के उपर से उनकी पनटी मे हाथ ले गया और फिर उनकी छूट मे हाथ फेरने लगा. मा इस बार सीधी लेती थी.

मैने उनके सॅडी और पेटीकोआट को उपर की और उनकी छूट मे हाथ फेरने लगा. उनकी छूट धीरे धीरे गीले होने लगी. उन्होने सिसकिया लेना भी चालू कर दी थी. मैं हाथ फेरने का स्पीड बड़ाने लगा. मा और सिसकिया लेनी लगी. फ

ई मैने उनकी पनटी को साइड की और उस छूट को चुने लगा. तभी मा फिर हिली और मैं फिर रुक गया. फिर मैने उनकी पनटी को पकड़ कर फिर हिलने लगा और उनकी पनटी मे झाड़ गया. अगली सुबह मा ने खाना बनाया और हम खाना खाकर.

मैने उन्हे हॉस्पिटल छोड़ा और मैं कॉलेज निकल गया. फिर पदाई वगेरा कर साम को. मा को हॉस्पिटल से पिक उप कर घर आया. फिर रात मे सोते समय मेरे अंदर का साइटान जाग गया.

फिर मैं अपना हाथ उनकी पनटी मे ले गया. मैने उनकी पनटी मे हाथ रखा तो मुझे पता चला की मा ने पनटी ही नही पहनी है. मैने छूट को टच किया तो मुझे पता चला की उनमे कुछ बाल थे. मा सीधी ही लेती होती थी अब और मैं उनकी छूट मे हाथ फेरने लगा. मा धीरे धीरे गरम होने लगी.

मैं अपना एक उंगली उनकी छूट मे डालने लगा. मा की पनटी को मैने हिलाकर गंदा कर दिया त इसलिए. धोकर रखी होगी. सयद. मैने एक उंगली को उनकी चूत मे डाल दिया और डालते ही मा थोड़ी ज़ोर से सिसकी. मैं दर ही गया था.

मैने धीरे धीरे उनकी छूट मे उंगली को आयेज पीछे करने लगा और उनकी सिसकिया भी चालू हो गयी. मा अब स ससस्स स आह करने लगी. उनकी छूट गिल्ली होने लगी थी. मैने फिर एक और उंगली उनकी छूट मे डाल दी और उनकी छूट और गिल्ली होने लगी थी और अहह अया आहह करने लगी.

वो सिसकिया और लेनी लगी थी. पर उन्होने आँख नही खोली थी. मैने अपना लंड पंत से निकाला और..

और आयेज क्या हुवा पता चलेगा पार्ट 3 मे कैसी लगी स्टोरी क्या आप पार्ट के एक्शिटेड है? है, तो आप एमाइल करे ये मेरी एमाइल ईद है:

मेरी मा की छूट मे मेरा लंड वाला स्टोरी नही पड़ा तो अभी पड़े.