कामवाली और बेटे की लिव चुदाई देखी

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम राज है. मैं 48 साल का एक शादी-शुदा आदमी हू, और उप का रहने वाला हू. हमारी जॉइंट फॅमिली है, और हम सब लोग एक बड़े से घर में रहते है. मेरे घर में मेरी बीवी है, जो 45 साल की है. मेरा एक बेटा भी है, जो की 22 साल का है.

इनके अलावा मेरे 2 भाई और उनकी फॅमिलीस भी इसी घर में रहते है. सब के अपने अलग-अलग एरीयाज़ है, तो जॉइंट फॅमिली में न्यूक्लियर वाली फ्रीडम मिल जाती है.

हमारे घर में काफ़ी सालों से एक कंवली लगी हुई थी. वो कम से कम 20 साल से हमारे घर में काम करती थी. अब वो बुद्धि हो चुकी थी, और उससे इतना काम नही होता था. इसलिए उसने अपने गाओं वापस जाने का फैंसला किया.

अब कंवली के जाने से सब को काम में दिक्कत आने लगी. फिर हमने मिल कर अख़बार में इशतहार दिया एक नयी कंवली के लिए. कंवली का सेलेक्षन करने की ड्यूटी मेरी लगा दी गयी. मैने काफ़ी सारी लड़कियाँ और औरते देखी, लेकिन मुझे कोई ठीक नही लगी.

फिर एक लड़की आई मधु नाम की. वो लड़की 23 साल की थी, और उसको देख कर कोई कह नही सकता था की वो कंवली की नौकरी के लिए आई थी. मैने जब उसको पहली बार देखा, तो देखता ही रह गया.

उसने पाजामी सूट पहना हुआ था ब्लॅक रंग का. और उन कपड़ों में वो बहुत सेक्सी लग रही थी. उसका रंग गोरा था, और फिगर साइज़ तकरीबन 32-26-34 था. जब वो आके मेरे सामने बैठी, तो मैने उससे सवाल पूछने शुरू किए.

वो जब बोल रही थी, तो मेरा ध्यान उसके रसीले होंठो पर था. दिल तो कर रहा था, आयेज बढ़ कर उसको अपनी बाहों में भर लू, और उसके होंठो का सारा रस्स पी जौ. फिर मैं अपनी नज़र नीचे लेके गया, तो मुझे उसके काससे हुए चूचे दिखने लगे.

ऐसा लग रहा था की वो बिल्कुल अनचुई माल थी. और ऐसी लड़कियों को छोड़ने का कितना मज़ा आता है, ये आप सब समझ सकते है. उससे बात करके मुझे पता चला की उसने ब.आ. पास करी हुई थी, और घर के हालात की वजह से वो इस नौकरी के लिए आई थी.

मैने उसको तुरंत काम पर रख लिया. फिर अगले दिन जब वो काम पे आई, तो सब लोगों ने उससे बात-वात की. सब लोगों को वो बहुत पसंद आई, और मुझे तो वो पहले से ही पसंद आ गयी थी.

पता नही एक अजीब सा अट्रॅक्षन था उसमे, की उसको देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था. जब भी मैं उसको चलते हुए पीछे से देखता था, तो उसकी मटकती गांद देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था.

जब वो छाई देने या पोछा लगाने के लिए झुकती, तो मुझे उसके काससे हुए गोरे चूचों के दर्शन हो जाते थे. अब जब भी मैं अपनी बीवी को छोड़ता था, तो मेरे सामने उसका चेहरा आ जाता था. इससे मेरा अपनी बीवी को छोड़ने का जोश और बढ़ गया था. मेरी बीवी भी अब ये फील करने लगी थी, की मेरा उसको छोड़ते हुए का जोश पहले से ज़्यादा हो गया था.

मैं जहा जाता था, मुझे वही दिखने लगी थी. और अब मैने सोच लिया था, की उसको अपने लंड का स्वाद चखना ही था. फिर कुछ दिन ऐसे ही बीट गये. हमारे किसी रिश्तेदार की शादी थी, और पुर परिवार को जाना था.

मुझे ये अछा मौका लगा, और मैने काम का बहाना बना कर जाने से माना कर दिया. मैने सोचा की अगर नही जौंगा, तो मुझे मधु के साथ अकेले में वक़्त मिल जाएगा, और इसी का फ़ायदा लेके मैं उसको पत्ता लूँगा.

फिर सारे लोग फंक्षन पर चले गये, और मैं काम पर चला गया. शाम को जब मैं घर आ रहा था, तो बहुत खुश था. मैने केमिस्ट की दुकान से कॉनडम्स की एक डिब्बी भी लेली थी प्रोटेक्षन के लिए.

अभी मैं घर पहुँचने ही वाला था, की मेरी बीवी की कॉल आ गयी. मैने फोन उठाया, और वो बोली-

बीवी: सुनिए अक्षित (मेरा बेटा) भी घर पर ही है. उसकी तबीयत खराब थी, तो वो हमारे साथ नही आया. आप घर जाओगे तो उसको ज़रा देख लेना.

ये सुन कर तो मेरा मूड ही खराब हो गया. मैने सोचा की अगर अक्षित घर पर था, तो मैं कैसे कुछ कर सकता था मधु के साथ. मेरे सारे सपने टूट गये, और दिल में मायूसी छा गयी.

फिर मैं घर पहुँचा, और दरवाज़ा खोल कर घर के अंदर गया. अक्षित का रूम उपर वेल फ्लोर पर है. मैं उससे मिलने के लिए उपर जेया ही रहा था, की मुझे किचन से कुछ आवाज़े आई. मैं वही रुक गया, किचन की तरफ चला गया.

फिर वाहा जाके मैने जो देखा, उससे मेरे होश उडद गये. मैने देखा की मधु किचन की स्लॅब पर ब्रा पहने हुए बैठी थी, और मेरा बेटा अक्षित नीचे बैठ कर उसकी छूट चाट रहा था. ये सब देख कर मेरी कुछ समझ में नही आया.

मैने सोचा मेरा बेटा तो वही खेल खेल रहा था, जो मैं खेलने वाला था. वो कुत्तों की तरह मधु की छूट चाट-चूस रहा था, और मधु उसका सर अपनी छूट में दबा रही थी. मेरा बेटा इतनी आचे से छूट चाट-ता था, इसका मुझे ज़रा भी अंदाज़ा नही था.

कुछ देर छूट चाटने के बाद वो खड़ा हुआ, और मधु की ब्रा निकाल दी. ब्रा निकलते ही उसके गोरे-गोरे चूचे आज़ाद हो गये. फिर मेरा बेटा उसके चूचों को चूसने लग गया. अब वो मेरे बेटे का सर सहला रही थी, और उसके सर को अपने चूचों में दबा रही थी.

मेरे बेटे ने उसके चूचे चूस-चूस कर लाल कर दिए. कुछ देर चूचे चूसने के बाद मधु स्लॅब से नीचे उतरी, और घुटनो के बाल बैठ गयी. फिर उसने अक्षित का लंड पकड़ा, और अपने मूह में डाल लिया. अब वो किसी रंडी की तरह उसका लंड चूस रही थी.

अक्षित ने उसके बाल पकड़ लिए, और ज़ोर-ज़ोर से उसके मूह में धक्के मारने लगा. मधु के मूह से लार बह रहा था, और अक्षित उसको चोक कर रहा था. बीच-बीच में वो उसके मूह पर थप्पड़ भी मार रहा था.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. यहा तक आपको कहानी का मज़ा आया हो, तो कॉमेंट्स में ज़रूर बताए.