मानसी और डाक्टर मालिनी रबड़ के लंड चूत और गांड में लेने को तैयार थी। तभी मानसी ने एक आइडिया दिया, जिसे सुन कर डाक्टर मालिनी की हंसी छूट गयी।
मानसी का आइडिया था कि खिलौने चूत और गांड के अंदर लेने के बाद मानसी नीचे लेट जाएगी, और मालिनी मानसी के ऊपर लेट कर मर्द के तरह धक्के लगाते हुए चुदाई करने जैसी एक्टिंग करेगी। इसके साथ ही दोनों गांड, चूत, लंड, रंडी, कुतिया भोसड़ी, फुद्दी, चोद मेरी चूत, फाड़ मेरी चूत जैसी बातें बोलेंगी। अब आगे I
“मानसी का आडिया मुझे बहुत पसंद आया। वैसे मेरा भी ये उसूल है कि चूत गांड के मजे लेने के लिए कुछ भी किया जा सकता है, और करना भी चाहिए”।
“मानसी की बात सुन कर मैंने कहा, “वाह मानसी, क्या आईडिया आया है तेरे दिमाग में। मजा आ जाएगा आज”।
“जैसे ही मैं उठने लगी, मानसी मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली, “आंटी एक बात और”।
“मैं रुक गई और मानसी की तरफ देखने लगी”।
मानसी बोली, “आंटी, पापा ने मुझे चोदते हुए कभी भी कुछ नहीं बोला। आप बताईये अगर पापा कभी मुझे चोदते हुए कुछ बोलते, तो क्या बोलते”?
“मैं चुप-चाप मानसी के तरफ देखने लगी”।
“फिर मानसी धीरे से बोली, “पापा हुए मम्मी की जो चुदाई मैंने देखी थी, उसमें तो पापा ने मम्मी को चोदते हुए बहुत कुछ बोला था, और मम्मी भी कम नहीं थी। वो भी चुदाई करवाते हुए नीचे चूतड़ झटकाती घुमाती बहुत कुछ बोल रही थी। आंटी आज आपके नीचे लेट कर मैं भी वैसे ही करूंगी जैसे मम्मी कर रही थी”।
“आज आप मेरे ऊपर लेट कर मेरी चूत पर धक्के लगाते हुए कुछ ऐसा ही बोलिये जैसा पापा मम्मी को चोदते हुए उस दिन बोल रहे थे – रंडी, कुतिया, भोसड़ा बना दूंगा तेरी फुद्दी का जैसे शब्द। आंटी मैं भी वही सब बोलूंगी”।
“मुझे मानसी के इस बात पर थोड़ी हैरानी तो हुई, मगर मैंने सोचा अगर मानसी ऐसा ही कुछ चाहती है तो फिर ऐसे ही सही”।
मैंने कहा, “तो ठीक है सुन मानसी। अब जब कि तू फैसला कर ही चुकी है कि तू अब अपने पापा से चुदाई नहीं करवाएगी, तो आज पापा-बेटी की आख़री चुदाई करते हैं। चल मैं बनती हूं आलोक और तू बन मस्त चुदाई करवाने वाली बीस साल की मानसी और होने दे आज 44 साल के मर्द और बीस साल की लड़की की चुदाई ऐसी ही बेशर्मी वाली बातों के साथ”।
“और इसके साथ ही मैं शुरू हो गयी और मैंने बोल दिया, “चल मानसी मेरी बेटी चल उठ, अब अपने मुलायम चूतड़ों के नीचे तकिया रख और पहले अपने पापा को अपनी चूत का शहद चुसवा। मैं भी तो देखूं, मेरी बीस साल की बेटी की फुद्दी किस तरह का खट्टा-मीठा नमकीन शहद छोड़ती है”।
“जैसा मैंने बोला था मानसी वैसे लेट गयी और चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर चूत ऊपर उठा दी, और अपनी टांगें चौड़ी कर दी। टांगें फैलाते ही मानसी की गुलाबी चूत थोड़ी सी खुल गयी”।
“मानसी ने अपनी चूत की फांकें थोड़ी और फैला दीं और बोली, “आओ पापा, ये लो तैयार है मेरी फुद्दी। आओ और चूसो जितनी चूसनी है”।
“मैं मानसी की चूत चूसने के लिए मानसी की चूत पर झुक गयी। मानसी की चूत के आस-पास छोटे-छोटे झांटों के भूरे घुंघराले बाल मुझे और भी ज्यादा मस्त कर रहे था। मैंने अपने हाथ के अंगूठों से मानसी की चूत की फांकें खोली और अपनी जुबान मानसी की चूत में डाल दी। मानसी की चूत हल्के नमकीन पानी से भरी पड़ी थी”।
“नई-नई जवान हुई लड़कियों की चूत चुदाई के ख्याल से पानी भी कुछ ज्यादा ही छोड़ती हैं”।
“मानसी की चूत तो गरम ही थी, पांच मिनट की मानसी की चूत चुसाई ने मेरी चूत भी गरम कर दी”।
मैंने कहा, “चल मानसी ले लंड अपनी चूत में और वाईब्रेटर चालू कर दे। तेरी चूत की खुशबू और स्वाद ने मेरी फुद्दी भी गरम हो गयी है। मैं भी एक लंड अपनी चूत में ले कर वाईब्रेटर चालू करती हूं”।
“हम दोनों ने लंड अपनी अपनी चूत में डाले और वाईब्रेटर चालू कर दिए”।
“मस्ती चालू हो चुकी थी। दोनों चूतें गरम थीं, लंड चूतों के अंदर वाइब्रेट कर रहे थे। दोनों चूतें पानी छोड़ रही थी।
“मैं मानसी के ऊपर लेट गयी, जैसे मर्द औरत को चोदने के लिए लेटता है। मैंने मानसी को बाहों में ले कर कहा, “आजा मेरी मानसी, कब तक अपने पापा को ऐसे तरसाएगी? देख पापा का लंबा लौड़ा तेरी फुद्दी में जाने के लिए कितना उतावला हो रहा है”?
“मानसी ने आगे से जवाब दिया, “मेरा भी वही हाल है पापा। डालिये अपना पूरा लौड़ा अपनी बेटी की फुद्दी के अंदर और ऐसी चुदाई करिये अपनी बेटी की, जैसी चुदाई आज तक किसी भी पापा ने अपनी बेटी की ना की हो”।
“मानसी की बात सुनते ही मैंने कस कर मानसी को अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपने चूतड़ ऊपर-नीचे करने लगी, और मानसी की चूत पर धक्के लगाने लगी। दोनों की चूतें पानी से गीली हुई पडी थी। चूतें जब आपस में टकराती थी, तो आवाज आती थी ठप्प ठप्प फच्च फच्च”।
“पूरा माहौल ही चुदाईमय हो चुका था”।
“मानसी की चूत पर धक्के लगाते हुए मेरे मुंह से अपने आप ही निकलने लगा, “ले मानसी ले गया तेरे पापा का लम्बा लौड़ा तेरी फुद्दी में अंदर तक। मेरी जान मानसी, क्या टाइट फुद्दी है तेरी। जकड़ लिया इसने अपने पापा का लंड। मेरी जान, ले ले पापा का पूरा लंड। ले आज चोद-चोद कर बनाऊंगा तेरी टाइट फुद्दी का भोसड़ा”।
“रबड़ का लंड मेरी चूत में था ही। मानसी नीचे जोर-जोर से चूतड़ घुमा रही। चूत, लंड, फुद्दी बोलते-बोलते मेरी अपनी चूत पानी छोड़ने वाली हो गयी”।
“मजे की मस्ती में मेरी बातें और भी ज्यादा गंदी होती जा रही थी। मुझे कभी भी मजा आ सकता था”।
“और फिर वही हुआ। मैं बोलती जा रही थी, “आआआह आआह मानसी मेरी जान, ले मानसी ले, आआआह आज तो मजा ही आ गया चुदाई का। क्या चूतड़ झटक रही है मेरी बेटी, मेरी जान मानसी। ले भर दी तेरी चूत ले आआह आआआह, गया तेरी फुद्दी में, ले गया तेरी गांड में। कैसी लंड की प्यासी हो गयी है तू, रंडी की तरह चूतड़ झटका-झटका कर चुदवाती है तू मानसी। ले अपने पापा का जड़ तक ले अपनी चूत में। पापा का लम्बा लौड़ा ले।
अब चूस मेरा लौड़ा अपने मुंह में लेले मानसी, रंडी ले अपने पापा का लौड़ा मुंह में ले, चूस मेरे लंड को और जोर से चूस मानसी। ले अपने पापा के लंड की मलाई की एक एक बूंद निकाल ले”।
“उधर मानसी मस्त हो ही चुकी थी। उसका भी पानी छूटने वाला था”।
“वो भी बोले जा रही थी “आअह आंटी, रगड़ो मेरी चूत पापा, झाग निकाल दो इसकी इस फुद्दी की, फाड़ डालो इसको, आआह पूरा मजा दो पापा आज आआह आअह, मेरी जान आंटी, भर दो मेरी चूत अपने पानी से मेरी आंटी। आआह मेरे रजत आअह, और दबा कर चोद आआह मेरे राजा मेरे रजत, कुत्ते की तरह लगा धक्के गांडू, जोर-जोर से लगा, फाड़ दे मेरी चूत मेरी फुद्दी अअअअअह। आंटी लगाओ दबा कर धक्के। दबा कर चोदो पापा आज मुझे। आज फाड़ डालो मेरी फुद्दी आआहबा मस्त लौड़ा है पापा आपका”।
“मानसी पूरी मस्ती में थी। मानसी का मजा निकलने वाला था। मानसी जोर-जोर से बोलती जा रही थी। मानसी की इस तरह की बातें सुन कर मैं चुप हो कर मानसी की चूत पर धक्के लगाने लगी। मुझे अब मानसी की बातें सुनने में ही मजा आने लगा था”।
“मानसी की आखें बंद थी, और मानसी बिना रुके बोलती जा रही थी, “आआह रजतचोद और जोर से चोद रजत, आआआह फाड़ मेरी फाड़ दे आआह आआह पापा चोदो पापा, पापा कुतिया की तरह रगड़ो पापा मुझे, और जोर से पापा, मैं आपके लौड़े की चुदाई कभी नहीं भूलूंगी, पूरा लंड बाहर निकाल कर डालो पापा, आंटी आअह आपका मोटा लंड क्या मस्त चुदाई कर रही हो आप आंटी। पापा मेरे मुंह में निकालो पापा अपने लंड का गरम पानी आअह्ह। पापा आआआह पापा अअअअअ मजा आ रहा है पापा आआआह आंटी, आंटी आआह आअह आंटी”।
“बोलते-बोलते मानसी ने जोर के चूतड़ घुमाए और जोर से बोली, “गयी मैं आंटी, निकल गया मेरी चूत का पानी। आ गया मजा मुझे”।
“मानसी ढीली हो गयी और बोली, “आंटी बड़ा मजा आया आज”।
“जैसे ही मानसी की चूत ने पानी छोड़ा, मेरी भी चूत पानी छोड़ गयी। हम दोनों ही ढीली हो गयी”।
“कुछ देर बाद मानसी नीचे थोड़ा सा कसमसाई। शायद मुझे अपने ऊपर से उतरने के लिए कह रही थी”।
“मैं मानसी की ऊपर से उतरी और मानसी की बगल में ही लेट गई। हम दोनों ने रबड़ के खिलौने अपनी होनी चूत में से निकाल लिए।
“मैंने मानसी की चूत सहलाते हुए कहा, “मानसी आज आया चुदाई का असली मजा कहां थी तू इतने दिन मेरी जान”।
“मानसी भी बोली, “आंटी ये तो मुझे भी बड़ा मजा आया आज। लग रहा था जैसे सच में ही चुदाई हो रही है”।
“मेरा हाथ मानसी की चूत पर ऊपर-नीचे हो रहा था। मानसी की चूत ने इतना पानी छोड़ा था कि चूत बाहर तक गीली हुई पड़ी थी”।
“मानसी को भी समझ आ गया कि आज उसकी चूत ने बहुत पानी छोड़ा है”।
“मानसी बोली, “आंटी लग रहा है मेरी तो चूत ने बहुत पानी छोड़ा है आज, बाहर तक गीली हुई पड़ी है”।
मैंने कहा, “छोड़ा तो है मानसी। भरी पड़ी है तेरी चूत। चल मनसी टांगें उठा, तेरी चूत साफ़ करूं। मानसी ने टांगें उठा ली”।
“मैंने मानसी टांगें चौड़ी कर के अंगूठे से चूत की फांकें खोली और पूरे होंठ मानसी की चूत में घुसेड़ दिए। मानसी की फुद्दी पानी से भरी पड़ी थी। हल्के खट्टे और नमकीन पानी से। मैंने खूब पानी चाटा, खूब चूसा चूत का पानी। चूस-चूस कर सुखा दी मानसी की चूत”।
“अभी मैं मानसी की चूत चूस ही रही थी कि मानसी ने फिर जोर से चूतड़ घुमाये और आवाज निकाली, “आंटी फिर निकल गया मेरा। मुझे फिर मजा आ गया”।
“कुछ देर और चूत चूसने के बाद मैं मानसी की बगल में ही लेट गयी। मानसी की चूत चूस-चूस कर और चूत का पानी पी कर तसल्ली हो गयी थी”।
“अपने से बत्तीस साल छोटी कड़क और कसे जिस्म वाली बेतहाशा सुन्दर मानसी के साथ नंगी हो कर इस तरह से चुदाई जैसी हरकतें – चूचियां दबाना, चूत चुसाई, गांड चटाई, चूत का पानी चूसने और मानसी के होंठ चूसने से जितना मजा मुझे आया था। मैं खुद पर हैरान हो रही थी”।
“मुझे तो ऐसा भी लगने लगा था कि मानसी को जाने ही ना दूं। दिन रात उसके साथ यही कुछ – चुदाई जैसी हरकतें करती रहूं। ऐसे ही हम एक-दूसरे के ऊपर लेट कर, रबड़ के लंड अपनी गांड और चूत में लेकर बोलती रहें – “और जोर से चोदो मुझे मालिनी आंटी, बना दो अपनी रंडी, कुतिया समझ कर चोदो मुझे, चूत फाड़ दो मेरी चोद-चोद कर आंटी – ले मेरी जान, मानसी, गया तेरी गांड में, और ले मेरी गांडू रंडी, मादरचोद मानसी, तेरी गांड में मेरा लंड कुतिया”।
“सोचते-सोचते मुझे लगा मैं भी कहीं लेस्बियन ही तो नहीं बनती जा रही”?
“मगर फिर मुझे रागिनी की बात याद आयी जब उसने मुझे कहा था, “मालिनी जी आप ऐसे चूत चूसती चुसवाती हैं कि कोइ पक्की लेस्बियन भी क्या चूसेगी और क्या चुसवायेगी। क्या आप भी मेरी तरह नार्मल और लेस्बियन हैं या प्रवीणा की तरह पक्की लेबियन ही हैं”?
और मैंने हंसते हुए रागिनी से कहा था, “रागिनी मैं कोइ लेस्बियन नहीं हूं। खूब लंड लेती हूं और अच्छे मोटे लम्बे लंड मुंह में चूत और गांड दोनों सब जगह लेने की शौक़ीन भी हूं। मगर हर औरत के अंदर एक लेस्बियन छिपी होती है। हर औरत कभी ना कभी चूत चूसने-चुसवाने, गांड चाटने-चटवाने की और किसी लड़की के होंठ चूसने या चुसवाने की इच्छा रखती है”।
“जो लड़कियां और औरतें लेबियन नहीं भी होती, उनका भी कभी-कभी चूत गांड चूसने-चुसवाने का मन करता है। कभी-कभी औरतों को आपस में ये सब करने का मजा आता है। मुझे रागिनी के साथ भी ये सब करने में मजा आया था और अब मानसी के साथ भी वही सब करने में मजा आ रहा था”।
“ये सोचते-सोचते मुझे मानसी पर बड़ा प्यार आने लगा। मैं पलटी और मानसी के होंठ अपने होठों में लेकर फिर चूसने लगी। पंद्रह मिनट मानसी के होंठ चूसने के बाद मैंने मानसी को छोड़ा”।
“मानसी बोली, “क्या हुआ आंटी, एक बार और चोदने का मन है क्या”?
“मैंने हंसते हुए कहा, “नहीं मानसी, चोदने का नहीं चूसने का मन है, बस ऐसे ही प्यार आ गया था”।
“इसके कुछ देर हम दोनों ऐसे ही लेटी रही। फिर उठ कर कपड़े पहने। बाथरूम जा कर हुलिया ठीक किया, और क्लिनिक में आ गए”।
“मानसी के तीनों खिलौने मैंने वापस बक्से में पैक किये और मानसी को दे दिए। कुर्सी पर बैठते हुए मैंने कहा, “मानसी मजा गया आज”।
फिर मैंने मेज की दराज में i-pill के छह सात पैकेट निकाले और मानसी को दे दिए और बोली, ” ये लो मानसी, अगर रजत चुदाई हो जाये तो ले लेना”।
“और फिर मैं हंसते हुए बोली, “जब चुदाई हो तो मुझे बताना जरूर कि कैसी चुदाई करता है रजत। भूलना मत”।
“मानसी रबड़ के लंड वाला बक्सा और i-pill के पैकेट संभालती हुई बोली, “आंटी जब भी रजत के साथ चुदाई होगी, सबसे पहले आपको पूरी चुदाई की बातें बताऊंगी”।
“फिर मानसी चलते हुए बोली, “अब चलती हूं आंटी। आज का दिन कभी नहीं भूलूंगी”।
मैंने कुर्सी से उठते हुए कहा, “और हां मानसी याद है ना, ये रबड़ के लंड और दुसरे जुगाड़ केवल इमरजेंसी के लिए हैं। इनकी आदत नहीं पड़नी चाहिए। तुम्हारी उम्र अभी इनके साथ नहीं, असली वाले लंडों के साथ खेलने की है”।
मानसी हंसती हुई बोली, “याद है आंटी, कोशिश करूंगी इनकी जरूरत ना ही पड़े”।
मैंने कहा, “मानसी अगर कभी फिर मजा लेने का मन हो तो फोन करना। तुम्हारे साथ चुम्मा-चाटी और चुदाई का मुझे भी बड़ा मजा आया है”।
मानसी उठी और बोली, “आंटी मजा तो मुझे भी बहुत ज्यादा आया आज। दुबारा जरूर आऊंगी”।
फिर मानसी मेरे सामने खड़े हो गयी और बोली, “आंटी आप कुछ भूल रही हैं”।
मैंने हैरानी से पूछा, “भूल रही हूं? क्या भूल रही हूं मानसी”?
“मानसी ने अपने होठ थोड़े से खोल दिए”।
“मैंने सोचा तो इसकी बात कर रही थी मानसी? ये भूल रहे थी मैं”।
“मैंने मानसी को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और बोली “आजा मेरी जान मेरी मानसी” I
“ये कह कर मैंने उसके होंठ अपने होठों में ले लिए मानसी ने अपना मुंह जरा सा खोल दिया और मैंने अपनी जुबान मानसी के मुंह में सरका दी। मानसी मेरी जुबान चूसने लगी”।
“दस मिनट के बाद मैंने मानसी को छोड़ा। मैंने शंकर को बुलाया और मानसी को उसके घर छोड़ आने के लिए कह दिया”।
“जाते-जाते मानसी बड़ी ही खुश दिखाई दे रही थी। जिस तरह से मानसी मेरे साथ हिल मिल गई थी, लग ही नहीं रहा था कि अभी कुछ ही दिन पहले मानसी से मुलाक़ात हुई थी”।
“अगले दिन रागिनी का फोन आया। रागिनी बोली, “मालिनी जी, कैसी रही आपकी मुलाक़ात मानसी के साथ”।
मैंने कहा,”ठीक रही रागिनी। अब नहीं चुदवायेगी आलोक से। लेकिन ये उसने कह दिया है कि अगर आलोक उसे चोदने के लिए कहेगा तो वो ना नहीं करेगी”।
फिर मैंने कहा, “लेकिन उसके चिंता मत करो रागिनी। मुझे यकीन है आलोक उसे चुदाई के लिए नहीं कहेगा। बस तुम आलोक के लंड का ध्यान रखना”।
रागिनी बोली, “मालिनी जी वो गलती अब मैं दुबारा नहीं करने वाली। चूत और गांड दोनों चुदवाऊंगी आलोक से। आलोक को भी बोल दूंगी मानसी की चुदाई ना करे”।
मैंने कहा, “नहीं रागिनी तुम कुछ मत बोलना। अभी कुछ दिन देखो क्या होता है। कई बार इंसान वही करना चाहता है जो करने से हम उसे मना करते हैं। आलोक तो तुम्हारी बात मान जाएगा, मगर मानसी? कहीं मानसी ही ना आलोक से चुदवाने की जिद कर ले”।
मैंने रागिनी को समझाते हुए कहा, “मानसी और आलोक की चुदाई में भी तो यही हो रहा था। आखिर को मानसी है तो जवान ही। अगर कभी मानसी का मन आलोक का लम्बा लंड चूत में लेने का हो गया तो? या फिर आलोक का मन ही मानसी की टाईट चूत चोदने का आ गया तो? रागिनी होने देना जो होता है। आखिर को अब तक भी तो आलोक मानसी को चोद ही रहा था”।
फिर मैंने कुछ रुक कर फिर से कहा, “वैसे एक बात बताऊं रागिनी, मुझे लगता नहीं की अब बाप-बेटी में चुदाई की नौबत आएगी”।
तभी मुझे कुछ याद आ गया और मैंने सोचा की रागिनी को उन तीन रबड़ के खिलौनों के बारे में बताऊं या ना बताऊं जो मैंने मानसी को चूत और गांड का मजा लेने के लिए दिए थे। कुछ सोच कर मैंने ना ही बताने का फैसला किया”।
फिर मैंने कहा, “रागिनी तुम एक बार क्यों नहीं जाती यहां। मानसी के एक नए दोस्त रजत के बारे में भी तुमसे बात करनी है”।
रागिनी बोली, “मालिनी जी इस शनिवार मेरी छुट्टी है। शनिवार आ जाऊं? तसल्ली से बैठ कर बातें करंगे। क्लिनिक में भी और पीछे वाले कमरे में जा कर भी। आपका धन्यवाद भी तो करना है”।
ये कहते हुए रागिनी हंस दी।
“मैंने भी हंसते हुए कहा, “ठीक है रागिनी, मैं भी पूरी तैयारी करके रखूंगी”।
रागिनी ने कहा, “अच्छा मालिनी जी, शनिवार को पक्का मिलते हैं, नमस्ते”।