गरम बहन की चूत में भाई ने पेला लंड

ही दोस्तों, मैं कुलदीप एक बार फिर आप सब के सामने अपनी कहानी लेके आया हू. ये कहानी का दूसरा पार्ट है. उमीद है की आप लोगों ने पिछला पार्ट पढ़ा होगा. अगर नही पढ़ा, तो पहले जाके पिछला पार्ट पढ़े. तो चलिए कहानी शुरू करते है.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मेरी बेहन हरदीप फॉरिन से आई थी. उसका बदला हुआ रूप देख कर मैं हैरान था. फिर हालात कुछ ऐसे हुए की मैने अपनी बेहन को सिर्फ़ पनटी में बेड पर लेट कर फिंगरिंग करते देखा. अब आयेज बढ़ते है.

हरदीप का एक हाथ उसकी पनटी में था, जिससे वो फिंगरिंग कर रही थी. दूसरे हाथ से वो अपना बूब दबा रही थी. टीवी पर पॉर्न चल रहा था. तभी उसने मुझे सामने खड़ा देखा. मुझे सामने खड़ा देख कर वो हैरान रह गयी.

तभी उसने जल्दी से अपने आप को चादर से कवर किया. मैं जल्दी से रूम से बाहर आ गया, और बाहर आके उसकी वेट करने लगा. 2 मिनिट में वो अपने रूम से बाहर आई और बोली-

हरदीप: किसी के रूम में आने से पहले नॉक करना चाहिए. इतने भी मॅनर्स नही है तुझे.

मैं: अगर ऐसा काम करना ही है, तो रूम बंद कर लेना चाहिए. मॅनर्स तो आपको भी नही है. और वैसे भी आप पहले जैसी नही रही.

हरदीप: क्या मतलब पहले जैसी नही रही?

मैं: आप बहुत बदल गयी हो. पहले आप शरीफ थी, लेकिन अब आप बिगड़ गयी हो.

हरदीप: तू बड़ा दूध का धुला है कमीने. मेरे आने से लेके, जो तू आँखों ही आँखों में मुझे छोड़ रहा है ना. सब पता है मुझे.

मैं: आप कितनी गंदी लॅंग्वेज इस्तेमाल कर रही है. शरीफ लड़कियाँ ऐसा नही करती.

मेरा लंड हरदीप का वो सेक्सी सीन देख कर खड़ा हुआ था. उसने मेरे लंड पर हाथ रखा, और बोली-

हरदीप: और शरीफ लड़के ऐसे होते है, और अपनी ही बेहन को देख कर उनका ये हाल होता है.

मैं: ये आपको देख कर नही है.

हरदीप: किसी को भी देख कर हो, लेकिन इसको ठीक तो करना पड़ेगा ना.

मैं: मतलब?

अब वो बोली कुछ नही, और मेरे सामने अपने घुटनो पर बैठ गयी. फिर उसने मेरी ट्राउज़र्स नीचे की, और अंडरवेर निकाल लिया. इससे पहले मैं उसका इरादा समझ पाता, उसने मेरा लंड अपने मूह में डाल लिया.

जैसे ही मेरी बेहन ने मेरा लंड मूह में डाला, मैं जन्नत में पहुँच गया. उसके मूह की गर्मी ने मुझे सारे रिश्ते भुला दिए, और मैं उस पल का मज़ा लेने लगा. अब मैने नीचे देखा, तो मुझे एक रॅंड दिखाई दे रही थी, जो मेरा लंड चूस रही थी.

फिर मैं कमर हिला कर लंड उसके मूह में अंदर-बाहर करने लगा. मुझे जोश आ गया, और मैं उसके बाल पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से उसके मूह को छोड़ने लगा. कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैने उसको खड़ा किया. फिर वो बोली-

हरदीप: भाई मस्त लंड है तेरा. मुझे छोड़ोगे?

मैं: तू तो पूरी रंडी बन गयी है फॉरिन जाके.

हरदीप: तो अब मुझे अपनी रंडी बना लो. वैसे भी अब तुम्हारा स्टडी वीसा आ जाएगा, और तुम भी मेरे साथ वाहा चलोगे. तो मुझे किसी और से चूड़ने की ज़रूरत नही पड़ेगी. तुम्हारा लंड मेरी छूट शांत करने के लिए काफ़ी होगा.

ये सुन कर मैने उसकी त-शर्ट (उसने त-शर्ट और शॉर्ट्स पहनी थी) के उपर से उसके बूब पर हाथ रख दिया, और उसको बोला-

मैं: मुहे इसको चूसना है.

हरदीप: जो मर्ज़ी करो. अब सब कुछ तुम्हारा है.

फिर मैने उसकी त-शर्ट उतरवाई, और अब उसके बूब्स मेरे सामने लटक रहे थे. उसने ब्रा नही पहनी थी, फिर भी उसके बूब्स काफ़ी कड़क थे. मैं उसके बूब्स देखते ही टूट पड़ा, और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा. वो मदहोश होने लगी.

फिर उसने खुद को मुझसे अलग किया, और मुझे अपने बेड पर ले गयी. उसने मुझे लिटाया, और कपड़े उतारने को बोला. मैं अपने कपड़े उतारने लगा. फिर वो खुद भी अपने बाकी के कपड़े उतारने लगी. अब हम दोनो भाई-बेहन नंगे थे. उसकी छूट पर कुछ बाल थे, जो मुझे बहुत सेक्सी लग रहे थे.

फिर मैने अपना हाथ आयेज बढ़ाया, और पहली बार किसी लड़की की छूट को टच किया. और वो भी मेरी बेहन की छूट को. उसकी छूट छूटे ही मुझे कुछ हो गया. मैने धक्का देके उसको बेड पर लिटाया, और उसकी छूट पर अपना मूह चिपका लिया.

क्या मधुर खुश्बू आ रही थी उसकी छूट में से. फिर मैं कुत्टो की तरह उसकी छूट चाटने लगा. बड़ा मज़ा और स्वाद आ रहा था. ऐसा स्वाद मैने ज़िंदगी में कभी नही चखा था. शायद ये वासना का स्वाद था. मैं उसकी छूट चाट रहा था, और वो मेरे बालों में हाथ डाल कर मेरे मूह को अपनी छूट में दबा रही थी. कुछ देर ऐसा करने के बाद हरदीप बोली-

हरदीप: भाई अब और बर्दाश्त नही हो रहा. अब मेरी छूट तुम्हारा लंड माँग रही है.

मैने झट से उसकी टांगे खोली, और अपना लंड उसकी खूबसूरत छूट पर रगड़ने लग गया. वो आ आ की मस्त आवाज़े निकाल रही थी.

फिर मैने लंड मूह पर रख कर अंदर पुश करना शुरू किया. मेरी बेहन की छूट टाइट थी, लेकिन वो वर्जिन नही थी. मैं लंड पुश करता गया, और उसकी आहें और साँसे दोनो तेज़ हो रही थी. फाइनली अब मेरा पूरा लंड उसकी छूट में था.

दोस्तों ये इतना सुखद एहसास होता है, जिसका कोई मुक़ाबला नही है दुनिया में. मैने अपने होंठ बेहन के होंठो के साथ लगाए, और नीचे से उसकी छूट छोड़ता गया. हम दोनो को बड़ा मज़ा आ रहा था. दीदी भी चुदाई में पूरी मदहोश हो चुकी थी, और मुझे गरम कर रही थी.

आधा घंटा हम उसी पोज़िशन में एक-दूसरे के साथ चुदाई करते गये. फिर मैने अपना माल अपनी बेहन की छूट में ही निकाल दिया.

उस चुदाई के बाद मैने अपनी बेहन को बहुत छोड़ा. आज मैं अब्रॉड में हू, और वाहा मैं और मेरी बेहन खूब चुदाई करते है.

दोस्तों अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, या कुछ गीला-गीली हो गयी हो, तो फीडबॅक ज़रूर दीजिएगा. कहानी पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.