युग को गांड चुदवाता देख कर चित्रा का भी मन राज का लंड अपनी गांड में लेने का होने लगा। चित्रा ने राज को गांड चोदने के लिए मना लिया। चित्रा की पहली गांड चुदाई थी। राज का लंड चित्रा की गांड में जा ही नहीं रहा था। जैसे ही राज लंड गांड में डालने की कोशिश करता, चित्रा दर्द या डर के कारण आगे की तरफ हो जाती, और थोड़ा सा अंदर गया हुआ लंड फिसल कर बाहर निकल जाता।
गांड चुदाई के उस्ताद युग ने जब ये देखा तो उसने कहा, “ऐसे नहीं होगा राज। चित्रा की पहली गांड चुदाई है, पहली-पहली बार में बड़ा लंड गांड में डालना मुश्किल होता है। मैं बताता हूं कैसे करना है।”
अब आगे-
— चित्रा की मस्त गांड चुदाई
गांड चुदाई के माहिर युग ने मुझे और चित्रा को समझाया, “राज तू बिस्तर पर लेट जा और चित्रा तू राज के लंड पर और अपनी गांड के छेद पर खूब सारी क्रीम लगा दे। फिर लंड को एक हाथ से पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर रख और फिर उसके ऊपर धीरे-धीरे बैठ।”
“याद रख, थोड़ा लंड जब गांड में चला जाए तो तुझे उठ जाना है और थोड़ी क्रीम लंड और गांड पर लगा कर दुबारा लंड पर बैठना है। आठ-दस बार ऐसा करने से लंड अपनी जगह बनाने लगेगा, और अंदर छेद में बैठ जाएगा।”
फिर युग चित्रा के कंधे पर हाथ रख कर बोला, “चित्रा ये तो तू भी जानती होगी चुदाई से पहले चूत किस तरह फुर्र-फुर्र करके चिकना पानी छोड़ती है। गांड का छेद चूत के छेद की तरह लचीला नहीं होता और ना ही गांड में से चूत की तरह का लेसदार चिकना पानी निकलता है। यहीं कारण है गांड को चिकना करने के लिए ये चिकनाहट वाली जैल क्रीम लगाई जाती है, जिससे लंड फिसल कर गांड के अंदर चला जाए।”
मैं सोच रहा था कितना ज्ञानी है मेरा गांडू दोस्त युग त्रिपाठी।
उधर चित्रा बड़े ध्यान से युग की बातें सुन रही थी। युग आगे बोला, “एक बार तुझे गांड में लंड लेने का नुक्ता समझ आ गया तो फिर कोइ परेशानी नहीं होगी। और आठ-दस बार गांड चुदवाने की बाद तो छेद हल्का सा वैसे ही खुल जाएगा, बस फिर ये दर्द वार्ड खत्म और मजे ही मजे।”
युग की ये बात मुझे तो पता ही थी क्योंकि मैं तो स्कूल टाइम से ही युग की गांड चोदता आया था। अब चित्रा को भी ये नुक्ता समझ में आ गया। मैं बिस्तर पर खड़े खूंटे के साथ लेट गया और चित्रा की गांड का इंतजार करने लगा, कब चित्रा आ कर मेरे लंड ऊपर बैठे, और मेरा लंड चित्रा के चिकने मुलायम चूतड़ों के गुलाबी छेद में जाये।
मेरा लंड सीधा खड़ा था। चित्रा आयी और अपनी दोनों टांगें मेरे दोनों तरफ करके, मेरे लंड और अपनी गांड के छेद पर जैल लगा कर मेरे लंड पर बैठने की तैयारी करने लगी।
युग ने चित्रा को रोका और बोला, “एक मिनट चित्रा, तुम्हारा पहली-पहली बार है थोड़ी क्रीम और लगाने दो, लंड अंदर जाने में आसानी रहेगी।” ये बोल कर युग मेरे लंड पर खूब सारी क्रीम लगा दी। चित्रा के लंड पर बैठने से पहले युग ने नीचे से हाथ करके चित्रा की गांड के छेद पर भी क्रीम लगा दी।
तभी चित्रा जोर से हसी। मैंने सोचा कोइ बात तो हुई नहीं, फिर चित्रा ऐसे क्यों हसी। मैंने चित्रा से ही पूछ लिया, “चित्रा क्या हुआ, हसी क्यों?”
चित्रा वैसे ही हसते-हसते बोली, “ये तुम्हारे दोस्त युग ने क्रीम लगाते-लगाते पूरी उंगली मेरी गांड में घुसेड़ दी थी।”
मैंने भी हसते-हसते युग की तरफ देखा।
युग ने बिना किसी की तरफ देखते हुए कहा, “करना पड़ता है। उंगली से जैल गांड के अंदर भी लगानी पड़ती है।”
फिर चित्रा की तरफ देखते हुए कहा, “राज से ही पूछ लो इसको तो पता ही है।”
चित्रा इस पर कुछ नहीं बोली और जैसा युग ने कहा था चित्रा बिल्कुल वैसा ही करने लगी।
चित्रा मेरे लंड पर बैठती और जब लंड थोड़ा सा गांड के अंदर चला जाता, तो उठ जाती और लंड और गांड के छेद पर फिर से क्रीम लगा कर दुबारा वैसे ही बैठती और लंड अंदर लेने की कोशिश करती।
थोड़ी कोशिशों के बाद जैसे ही मेरा लंड चित्रा की गांड के अंदर बैठना शुरू होने लगा चित्रा ने युग से पूछा, ” युग, लग रहा है जैसे लंड गांड में बैठने लग गया है। अब क्या करूं, क्या अभी पूरा लेलूं अंदर?”
युग बोला, “अभी नहीं, अभी कुछ मत कर चित्रा। लंड अंदर बैठने का मतलब है लंड ने अपनी जगह बना रहा है। अब जाएगा अंदर।”
गांड चुदाई का ज्ञानी युग बता रहा था, “एक मिनट ऐसे ही बैठी रह, फिर उठ कर लंड निकाल ले और एक बार और क्रीम लगा लंड और गांड पर और पहले लंड का टोपा बिठा ले, फिर आधा लंड अंदर ले ले। दो-तीन बार ऐसे ही करने के बाद फिर उठ कर एक बार और क्रीम लगा, और एक ही बार में कर ले पूरा अंदर, और कर दे राज के लंड की चुदाई चालू। लंड फिसलता हुआ अंदर जाएगा और तब तुझे दर्द नहीं होगा, बस मजा ही मजा आएगा।”
“कर दे राज के लंड की चुदाई चालू” ये सुन कर चित्रा हंसते हुए बोली, “ठीक है”, और वैसा ही करने लगी जैसा युग ने बताया था।
मैं तो बस नीचे लेटा हुआ ये सब देख सुन ही रहा था। मुझे तो बस इतना ही करना था, कि अपने लंड का मजा रोक कर रखना था, जब तक लंड चित्रा की गांड के अंदर चला ना जाये और चित्रा की लंड पर उठक-बैठक शुरू हो जाए।
जैसा कि युग ने बताया था, चित्रा लंड पर बैठी और फिर लंड बाहर निकाल लिया। युग ने एक बार फिर मेरे लंड और चित्रा की गांड के छेद पर क्रीम लगा दी। चित्रा ने चार-पांच या शायद आठ-दस बार ऐसा ही किया।
चित्रा ने एक बार और लंड और गांड के छेद पर क्रीम लगाई और लंड हाथ में पकड़ कर गांड के छेद पर रखा और बोली, “तैयार हो जा राज, लगी लेने तेरा लंड अपनी गांड में अंदर तक।” और फिर चित्रा बड़े नाटकीय अंदाज में बोली, “रेडी… वन… टू… और ये थ्री।” इतना बोल कर चित्रा एक दम से लंड पर बैठे गयी।
लंड पर बैठते ही चित्रा ने कहा, “युग ये तो गया अंदर। मुझे तो लंड गांड में लेने का बड़ा अजीब सा मजा आ रहा है।” ये कह कर चित्रा लंड पर बिना हिले-डुले बैठ गयी।
लंड आखिर तक चित्रा की गांड में बैठ चुका था। चित्रा की गांड के टाइट छेद ने मेरा लंड कस के जकड़ा हुआ था।
लंड की यही जकड़न असल में गांड चोदने वाले को मजा देती है। गांड चुदवाने को क्या मजा मिलता है मैं ये बात अब तक नहीं समझ पाया। युग तो गांड चुदवाते वक़्त मुट्ठ मार कर मजा लेता था, अब देखना ये था चित्रा गांड चुदवाते वक़्त क्या करेगी।
तीन-चार बार धीरे-धीरे लंड पर ऊपर-नीचे उठक-बैठक करने के बाद चित्रा एक बार फिर रुकी और एक पक्के गांडू की तरह लंड गांड से बाहर निकाल लिया।
मैं अभी सोच ही रहा था, कि चित्रा ने लंड क्यों बाहर निकाल लिया। अब क्या करने वाली है चित्रा।
मैंने पूछा, “क्या हुआ चित्रा, बाहर क्यों निकाल लिया?”
चित्रा ने एक बार फिर क्रीम मेरे लंड और अपनी गांड के छेद पर लगाई और बोली, “मेरे पति युग ने ऐसा ही करने के लिए कहा था।”
इसके बाद चित्रा कुछ पल रुकी और फिर एक झटके के साथ लंड अंदर लिया और साथ ही लंड के ऊपर उठक-बैठक करने लगी। गांड चुदाई जोर-शोर से चालू हो चुकी थी।
युग पास खड़ा चित्रा को इतने मजे से गांड चुदवाते हुए देख कर मुस्कुरा रहा था। इधर मुझे लंड पर टाइट गांड के छेद की रगड़ाई का मजा आने लगा था।
लंड अंदर लेने में चित्रा के भी दस बारह मिनट लग गए थे। इस दौरान चित्रा की चूत भी गरम हो चुकी थी। चित्रा ने अपनी चूत पर अपना हाथ फेरना शुरू कर दिया। इधर मेरा लंड भी पानी छोड़ने के लिए तैयार ही था।
चित्रा की लंड पर उछल-कूद जारी थी। ऊपर-नीचे होते-होते चित्रा आअह राज आआह राज बोल रही थी।
चित्रा ने अपनी चूत का दाना जोर-जोर से रगड़ना शुरू कर दिया। लग ही रहा था जल्दी ही चित्र को मजा आने वाला है। मुझे बस कुछ मिनट ही और अपने लंड का पानी निकलने से रोकना था। चित्रा के साथ इस पहली पहली गांड चुदाई में मैं चित्रा को पूरा मजा देना चाहता था।
— अंग्रेजी में थ्रीसम यानी तिगड़ी की चुदाई
युग बेड के पास खड़ा ये सब देख रहा था। युग ने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा हुआ था, और धीरे-धीरे आगे-पीछे कर रहा था। युग का लंड भी खड़ा हो चुका था। लगता था युग को भी मजा आने वाला था। तभी युग सीधा बिस्तर पर चढ़ गया और अपनी टांगें मेरे दोनों तरफ करके चित्रा के सामने खड़ा हो गया।
युग का सीधा खड़ा लंड बिल्कुल चित्रा के मुंह के सामने था। युग को कुछ भी कहने की जरूरत नहीं पड़ी। चित्रा ने युग का लंड सीधा मुंह में ले लिया।
इस अंगरेजी की थ्रीसम यानी हिंदी की तिगड़ी वाली चुदाई में हम तीनो ही बराबर हिस्सा ले रहे थे।
चित्रा मेरे लंड के ऊपर उठक-बैठक कर रही थी और साथ अपने चूत का दाना रगड़ रही थी। युग का लंड चित्रा के मुंह में था। युग और चित्रा अपना-अपना काम कर रहे थे। युग चित्रा के मुंह में लंड के छोटे-छोटे धक्के लगा रहा था। मुझे युग के लटकते हुए टट्टे आगे-पीछे झूलते दिखाई दे रहे थे।
अजीब ही नजारा बन चुका था। एक मैं ही था जो सीधा लेटा हुआ चित्रा की उठक-बैठक का मजा ले रहा था, और बीच-बीच में अपने चूतड़ ऊपर-नीचे झटका रहा था।
एकाएक चित्रा की उठक-बैठक की रफ्तार तेज हो गयी। चित्रा को शायद मजा आने वाला था। चित्रा सिसकारियां लेना चाहती थी, मगर युग का लंड मुंह में होने के कारण चित्रा के मुंह में से बस हूं हूं हूं की आवाजें ही निकल रहीं थीं।
तभी चित्रा ने एक बार जोर से अपनी चूत का दाना रगड़ा, और युग का लंड मुंह से निकाला और बस इतना ही बोली, “आ गया मुझे मजा…. निकल गया मेरी चूत का पानी”, चित्रा ये कह कर एक बार जोर से हिली और उठक-बैठक करते-करते युग का लंड वापस मुंह में ले लिया।
मुझे भी मजा आने ही वाला था। मैंने भी नीचे लेटे-लेटे अपने चूतड़ जोर-जोर से ऊपर-नीचे करने शुरू कर दिए।
उधर लगता था युग भी झड़ने वाला था। चित्रा के मुंह में युग के लंड के धक्के तेज हो गए। मुझे नीचे लेटे हुए युग के चूतड़ और लटकते हुए टट्टे जोर-जोर से आगे-पीछे होते हुए दिखाई पड़ रहे थे।
तभी युग ने चित्र का सर अपने लंड पर दबा दिया और जोर से बोला, “आआआह चित्रा, निकला मेरा भी।”
युग ने लंड से पिचकारी चित्रा के मुंह में निकाल दी। चार-पांच झटकों में ही मेरा लंड भी चित्रा की गांड के अंदर ही पानी छोड़ गया।
युग ने चित्रा के मुंह में से लंड निकाल लिया, और बेड से नीचे उतर कर चित्रा को छोटा तौलिया देने लगा। शायद मुंह में निकला अपने लंड से निकली गर्म-गर्म मलाई साफ़ करने के लिए।
मगर चित्रा बोली, “ये तौलिया किस लिए युग? तेरे लंड का गरम पानी तो गया मेरे अंदर।”
चित्रा की उठक-बैठक रुक गयी और चित्रा मुझसे बोली, “राज तेरा भी लगता है निकल गया है। मुझे अपनी गांड में कुछ कुछ गर्म-गर्म सा लग रहा है। उतर जाऊं, या कुछ और करना है?”
मैंने कहा, “नहीं चित्रा कुछ नहीं करना है। मेरा भी लंड पानी छोड़ गया है, मेरा भी निकल गया है।”
ये सुन कर चित्रा जरा सा ऊपर हुई। चित्रा की गांड में से मेरे लंड का पानी टप-टप करके निकल मेरे लंड के ऊपर और लंड के आस-पास फ़ैल गया। तौलिया अभी भी युग के हाथ में ही था। जैसे ही चित्रा मेरे ऊपर से नीचे उतरी, युग ने तौलिया चित्रा के हाथ में दे दिया।
— लो जी हो गयी चित्रा की गांड चुदाई भी
चित्रा ने पहले तौलिये से अपनी गांड साफ़ की और फिर मेरे लंड से सारा पानी साफ़ किया और हंसते हुए बोले, “लो जी आज से एक काम और शुरू हो गया। अब आगे से चूत के साथ साथ गांड चुदाई भी हुआ करेगी।”
उधर मैं सोच रहा था कि पता नहीं युग चित्रा की गांड चोदेगा या नहीं। मैं तो यहां रहूंगा नहीं, इसका मतलब अंकल की चांदी हो जाएगी, एक तंग दरवाजा और मिल जाएगा अंकल के लंड को अंदर जाने के लिए।
मैंने मन ही मन कहा, “वाह री चित्रा, तेरा भी जवाब नहीं।”
चित्रा उठी और बाथरूम जाते हुए बोली, “क्या मस्त चुदाई हुई है आज। मजा ही आ गया। मैं जरा बाथरूम हो कर आती हूं फिर सोचते हैं अब क्या करना है। रात तो अभी बहुत बाकी है तुम लोग भी बाथरूम जा कर हल्के हो आओ।”
“रात तो अभी बहुत बाकी है।” मतलब चित्रा का मन अभी और चुदाई करवाने का था।
मैं और युग भी बाथरूम चले गए। मैं मूत कर वापस आ कर सोफे पर बैठ गया। युग अभी भी बाथरूम में ही था।
कुछ देर में ही चित्रा भी आ गयी, और आते ही मुझसे बोली, “लो भई राज, तेरी ये इच्छा भी पूरी हो गयी। अब गांड चुदाई भी हो गयी। तुझे मेरे चिकने मुलायम चूतड़ चोदने की बड़ी तलब थी। अब?”
मैंने कहा , “अब क्या? पहले तो कुछ खाते हैं, फिर देखेंगे क्या अब क्या करना है। युग से भी पूछ लेते हैं।”
युग बाथरूम से आया तो चित्रा ही बोली, “हो गया हल्का युग? अब क्या करना है। आजा थोड़ा खा लेते हैं फिर देखेंगे क्या मन बनता है।”
फिर चित्रा ने व्हिस्की कि बोतल उठाते हुए कहा, “एक एक छोटा पेग बनाऊं?”
मैंने तो वैसे ही उन दोनों से कम पी थी लेकिन इतनी चुदाई के बाद हम तीनों का नशा उतर चुका था।
कहावत भी तो है “मीट को हजम करने के लिए शराब की जरूरत होती है और शराब को हजम करने के लिए शबाब यानी चुदाई की जरूरत होती है।”
हमारे जवाबों का इंतजार किये बिना चित्रा ने छोटे छोटे पेग बना दिए। तीनों ही सोफे पर नंगें बैठे थे। तली हुई मच्छी के साथ व्हिस्की के हल्के-हल्के घूंट लगा रहे थे। इस तरह पीने का तो अलग सा ही मजा आ रहा था।
दो पेग व्हिस्की अंदर जाते ही फिर से पेशाब की तलब होने लगी। सब बारी-बारी से बाथरूम गए और फ्रेश हो कर फिर वापस कमरे में आ गए।
हम दोनों की बीच में बैठते ही चित्रा बोली, “अब बताओ क्या करना है?”