सिनिमा में भाई और बहन के सेक्स की कहानी

इंटर्वल में लाइट्स ओं हुई, और मैने भी झट से लोड को अंदर किया. मैने ये भी देखा की दीदी के दूसरे तरफ 2 मर्द ही बैठे थे. दीदी के बगल में बैठे आदमी से मेरी नज़र मिली. फिर दीदी ने हमे इंट्रोड्यूस किया.

दीदी: अनिल ये प्रकाश है, और इनके बगल वाला विनोद है, और प्रकाश ये मेरा बाय्फ्रेंड अनिल है.

उनके बगल में बैठे दोनो आदमी उठ गये तो उनके साथ दीदी भी उठ गयी.

दीदी: मैं बातरूम से आती हू.

मैं देखता रहा और वी दोनो दीदी की कमर में हाथ डाल हॉल से बाहर निकल गये.

“अब तो तुम्हारी रंडी दोनो से छुड़वा कर ही आएगी”, मेरे बगल में बैठी औरत ने कहा. मैं अपनी दीदी के साथ मस्ती लेने में इतना बिज़ी था की मैने बगल में बैठी लड़की पर ध्यान ही नही दिया था. मैने उसकी तरफ देखा, तो उसके बगल वाली सीट खाली था. फिर मैने झूठ कहा-

मैं: मैं उसको सैंकड़ो बार छोड़ चुका हू, रंडी की छूट ढीली कर दी है. कुटिया जिससे चुड़वति है चुडवाए. तेरा यार कहा गया, बातरूम?

मैने लड़की की तरफ ध्यान से देखा. वो मेरी दीदी की तरह स्लिम-ट्रिम नही थी, काँटा की तरह गड्राई हुई थी. उसका ब्लाउस खुला था, लेकिन चूचियाँ ब्रा कप के पीछे थी. उस लड़की ने स्कर्ट पहनी हुई थी. लड़की ने ट्राउज़र के उपर से लोड को दबाया और कहा-

लड़की: साला निकँमा था. तुम्हारी माल ने एक साथ 2-2 लोडो को एक घंटे से ज़्यादा सहलाया है. लेकिन तुम दोनो में से कोई नही झाड़ा. और ये बेटीचोड़ उतनी देर में टीन बार झाड़ गया. जितनी देर उसका लोड्‍ा टाइट करने में लगती थी, उससे कम समय में झाड़ जाता था. एक तो इस गंदी सिनिमा ने और दूसरे तुम्हारी रंडी की हरकतों ने मुझे बहुत गरम कर दिया है. अब मुझे ठंडा करो, मुझे छोड़ो.

मैं: यहा, इतने लोगों के सामने?

जब मेरी बेहन को भाई के सामने दूसरे मर्द से मस्ती लेने में शरम नही आ रही थी, तो मुझे क्या शरम. लेकिन हॉल में इतने लोगों के सामने चुदाई कैसे हो सकती थी. मैने लड़की को ध्यान से देखा. चूचियाँ 34 इंच की रही होंगी. उसका फेस मेरी मा या बेहन जैसा रौंद नही, ओवल था. गोरा रंग था.

मैने थाइस को सहलाते हुए स्कर्ट के कपड़े को उपर किया. उसकी थाइस किसी मेच्यूर औरत जैसी नही थी. किसी नॉर्मल लड़की के थाइस जैसी सुडौल थी.

मैं: तुम बहुत प्यारी हो. चलो किसी होटेल में चलते है.

लड़की ने लोड्‍ा को ज़ोर से दबाया और बोली: यार मुझे मालूम है की चेर पर बैठ कर बढ़िया से चुदाई नही हो सकती है. चुदाई का पूरा मज़ा नही आएगा. लेकिन अगर 5 बजे तक घर नही पहुँची, तो मेरा बाप पहले मुझे खुद छोड़ेगा और बाद में लोहा गरम कर बर में घुसा देगा.

लड़की: बेटीचोड़ को विश्वास है की मैं कॉलेज पढ़ाई करने के साथ-साथ छुड़वाने भी जाती हू. मेरा कोई रेग्युलर यार नही है, जब मस्ती चढ़ती है, तो किसी सिनिमा हाल में चली जाती हू. तुम अपनी वाली का रंडी-पन्न देखने में बिज़ी हो, अगाल-बगल, आयेज-पीछे देखो, बहुत कुटिया चुड़वते हुए दिख जाएँगी. किस एअर में हो?

मैं: फर्स्ट एअर केमिस्ट्री हॉन्स.

लड़की: मैं कंचन, 3र्ड एअर फयचोलोगी हॉन्स.

मुझे आश्चर्या हुआ की लड़की ने अपना रियल इंट्रोडक्षन दिया. इतना ही नही, मेरी बेहन भी 3र्ड एअर फयचोलोगी हॉन्स में थी. दीदी ने अपनी क्लासमेट को ज़रूर पहचान लिया होगा.

कंचन: सर्प्राइज़िंग्ली, तुम्हारी रंडी बिना चुडवाए वापस आ गयी. मुझे लगता है की साली दोनो को चेर पर ही छोड़ेगी.

मैने भी नज़र घुमा कर देखा. हॉल में दीं लाइट थी ही. दोनो आदमी दीदी की कमर में हाथ डाले वैसे ही आ गये. मैने ध्यान दिया की बुर्क़ा के पीछे से दीदी कंचन को बहुत ध्यान से देख रही थी. कुछ पल देखा होगा और दीदी बैठ गयी.

तीनो शायद बातरूम ही गये थे. ज़रूर तीनो के बीच कोई डील हुई होगी. दोनो नये यारों के साथ दीदी सीट पर वापस आई. लेकिन इस बार वो मेरे बगल में नही बैठी, और दोनो आदमियों के बीच बैठी.

कंचन: देख लो, लगता है की तुम्हारी रंडी को उन दोनो आदमियों का लोड्‍ा तुम्हारे लोड से ज़्यादा पसंद आ गया है. देखते रहो, वो ज़रूर दोनो को छोड़ेगी.

मैं दीदी की तरफ ही देख रहा था. बातरूम जाने के पहले दीदी ने मुझे दोनो से इंट्रोड्यूस किया था. पहले जो मेरे बगल में बैठा था वो अब दीदी की दूसरी तरफ था. मेरे बगल में विनोद बैठा था.

विनोद: अनिल, तुम्हारी माल बहुत ही मस्त है, और बहुत दिलदार भी. वो तो हम तीनो के साथ किसी होटेल में चल कर छुड़वाना चाहती थी, लेकिन हमारे पास समय नही है. तुम तो अपनी माल को डेली छोड़ते ही हो, अभी हमे इसकी जवानी का मज़ा लेने दो.

जब मेरी बेहन खुद 2-2 आदमी के साथ मज़ा लेना चाहती थी, तो मैं क्या बोलता. लेकिन ये सुन कर मैं बहुत खुश हुआ, की दीदी उन दोनो आदमियों के सामने मुझसे, अपने छ्होटे भाई से, छुड़वाना चाहती थी.

हॉल में दीं लाइट थी. स्क्रीन पर आड्स शुरू हो गयी थी, और दोनो आदमियों ने दीदी के बुर्क़ा को कमर के उपर तक उठा दिया. मुझे ही नही कंचन को भी दीदी की झांतो भारी छूट दिखाई दी. दीदी ने चेहरे के उपर से भी कवर हटाया ही था, की हॉल की लाइट ऑफ हो गयी.

दीदी घर से सलवार कुर्ता पहन कर निकली थी. लेकिन उस समय उसके बदन पर ना सलवार थी, और ना ही कुर्ता. ज़रूर बातरूम में जेया कर दीदी ने नीचे के कपड़े को उतार कर अपने हॅंड बाग में रखा होगा, और सिर्फ़ बुर्क़ा पहन कर वापस आ गयी थी.

कमर के नीचे दीदी नंगी हो गयी थी. उसके चाहने वालो ने बुर्क़े को हेड के उपर से निकाल दिया. मेरी प्यारी बेहन, मेरी 21 साल की दीदी सर से पावं तक नंगी थी. विनोद ने मुझे बुर्क़ा दिया.

विनोद: इसको संभाल कर रखो. अब जब तक सिनिमा चलेगा तब तक हमारा लोड्‍ा तुम्हारी माल के बर के अंदर ही रहेगा. बहुत ही मस्त माल है तुम्हारी रंडी.

विनोद ने ये लाउड्ली कहा, और अगाल-बगल के काई लोगों ने सुना होगा.

विनोद: रानी, तुमने प्रकाश को बहुत मज़ा दे दिया है. अब मेरे लोड को अपनी छूट का रस्स पीने दो.

विनोद ने ही नही उसके दोस्त प्रकाश ने भी अपनी ट्राउज़र और अंडरवेर बाहर निकाल लिए थे.

पीछे से एक आवाज़ आई, “जितना छोड़ना है छोड़ो ना, हल्ला क्यूँ कर रहे हो?”

दीदी अपनी जगह से उठी, और विनोद के घुटनो के बीच खड़ी हुई. मैने दीदी के कड़क छूतदों को दबाया और सहलाया. दीदी को पहली बार ही नंगा देख रहा था. हॉल की सभी लाइट्स बंद थी. मोविए स्टार्ट हो गयी थी. स्क्रीन की लाइट में अगर किसी ने मेरी बेहन के चेहरे को देखा भी होगा, तो पहचानना मुस्किल था.

मेरी बेहन अनिता 5 फीट 5 इंच लंबी थी. उसको अपनी जवानी दिखना बढ़िया से आता था. हमेशा टाइट ड्रेस पहनती थी, जो उसके स्लिम ट्रिम फिगर पर बहुत सूट करती थी. 34 इंच की चूचियाँ, गुलाबी-पन्न लिया हुआ गोरा रंग, 23-24 इंच की पतली कमर, और उसके चूतड़ 32-34 इंच के होंगे. पेट सपाट था, और प्यूबिक एरिया पर झांतो की फसल थी.

विनोद ने उसको अपने लोड्‍ा पर बिता लिया था. अनिता सिनिमा की स्क्रीन की तरफ देखती हुई अपनी बर को लोड पर अड्जस्ट करने लगी. 2-3 मिनिट गुज़रे.

विनोद: रानी, लोड की पूरी लंबाई तेरी मस्त बर के अंदर घुस गयी है. तुमने कहा की रोज़ चुड़वति हो, फिर भी तुम्हारी बर बहुत गरम तो है ही, बहुत ही टाइट और रसीली भी है.

स्क्रीन की तरफ देखती हुई मेरी दीदी अपने छूतदों को लोड के उपर-नीचे उछाल रही थी. मैं अपनी बेहन की बेशर्मी देखने में बिज़ी था. कंचन भी नंगी हो गयी थी. उसने मेरा ट्राउज़र और अंडरवेर अपनी लेग्स से पुश करते हुए मेरी लेग्स से बाहर निकाल दिया.

दीदी के दोनो यारों की तरह मैं भी नंगा था. कंचन स्क्रीन की तरफ देखते हुए नही वो मुझे फेस करते हुए मेरी गोदी पर बैठी. मैने एक हाथ से लोड को पकड़े रखा. कंचन मुझे किस करते हुए, मेरे कंधो को पकड़ अपनी छूट को मेरे लोड पर दबाती गयी.

मैने नही देखा की विनोद ने उसको कहा टच किया कहा दबाया.

कंचन: खबरदार जो मुझे दोबारा हाथ लगाया. अब अगर मुझे दोबारा च्छुआ तो कंप्लेन कर दूँगी.

कंचन मुझे चूमते हुए बैठे-बैठे छोड़ने लगी. उसकी चूचियाँ मेरी बेहन की चूचियों से बड़ी थी. दोनो रंडियों की जांघें टकरा रही थी. मेरी बेहन सिनिमा स्क्रीन की तरफ देखती हुई अपने पार्ट्नर के लोड पर उछाल रही थी. कंचन एक हाथ से मेरे कंधो को पकड़ कर दूसरे हाथ से मेरी दीदी की चूचियों को सहलाते हुए मुस्कुरा रही थी.

इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में. इस पार्ट का मज़ा आया हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करना.