बहन की चुदाई के प्लान की हॉट कहानी

ही दोस्तों, मेरा नाम विक्रांत है. आप सब मुझे प्यार से विकी भी बुला सकते है. मेरी उमर 19 साल है, और मैं कॉलेज में पढ़ता हू. मेरी फॅमिली में मेरे अलावा मम्मी, पापा, दादा, दादी, और मेरी बड़ी बेहन है.

पापा का बिज़्नेस है, और उनकी कमाई अची ख़ासी है. सीधे-सीधे बतौ, तो हम अमीर है. हमारे घर में 2 नौकरणिया है, और एक ड्राइवर है. अब बात करते है इस कहानी के मैं कॅरक्टर की. जो की है मेरी दीदी.

मेरी दीदी 21 साल की है, और वो भी कॉलेज में पढ़ती है. दीदी का रंग गोरा है, और हाइट 5’6″ है. शरीर भरा हुआ है उनका, और वो सोनाकशी सिन्हा जैसी लगती है. अब आप लोग समझ ही सकते है की उनकी बॉडी कितनी सेक्सी होगी.

दीदी को पापा के पैसों की बहुत अकड़ है. वो कभी भी किसी को भी कुछ भी बोल देती है, और किसी की परवाह नही करती. यहा तक की वो मेरी भी परवाह नही करती और मुझे अकड़ दिखती है.

ये बात 3 महीने पहले की है. मेरी एक गर्लफ्रेंड थी, जिसके बारे में दीदी को पता चल गया. और उन्होने वो बात घर पर बता दी. जिस वजह से मुझे बहुत गालियाँ पड़ी.

मुझे इस बात का बहुत गुस्सा लगा, लेकिन मैं दीदी का कुछ बिगाड़ नही सकता था. उनको लगता था की वो सबसे उपर है. लेकिन उनको ये नही पता था, की हर छूट का मालिक एक लंड होता है.

मैने अपना गुस्सा दबाए रखा, और सही मौके की वेट करने लगा. और फिर एक दिन वो मौका आ ही गया. हमारे घर के ड्राइवर का नाम जनक था.

जनक 40 साल का आदमी था, और पिछले 12 साल से हमारे यहा काम कर रहा था. पापा उसको अपना छ्होटा भाई मानते थे, और उसकी हमारे घर में उसकी पूरी इज़्ज़त थी.

लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिससे उस आदमी की सारी इज़्ज़त मिट्टी में मिल गयी. दीदी को एग्ज़ॅम के लिए जाना था, और वो लाते हो रही थी. हालाकी उसमे उसकी खुद की ही ग़लती थी, क्यूंकी वो खुद ही लाते उठी थी.

फिर जब वो गाड़ी में बैठने लगी, तो उसको याद आया की वो बाग लाना भूल गयी. तो उसने जनक को बाग लाने के लिए कहा. जनक जल्दी से अंदर गया, और बाग लेके गाड़ी तक पहुँचने ही वाला था, की अचानक से बाग खुल गया, और दीदी की बुक्स नीचे गिर गयी.

नीचे फ्लोर पर तोड़ा पानी था, तो बुक्स गीली हो गयी. दीदी गाड़ी से बाहर आई, और उसने सब के सामने जनक को थप्पड़ मार दिया. जनक बेचारा वही रोने लग गया. मम्मी ने ये देख लिया, और दीदी को दांता. लेकिन उसको परवाह नही थी.

मेरी और जनक की अची बनती थी, तो उसी दिन शाम को मैने सोचा की उससे दीदी की तरफ से माफी मांगू. ये सोच कर मैं उसके सर्वेंट क्वॉर्टर में गया.

जब मैं उसके रूम के बाद पहुँचा, तो मैने देखा जनक मूठ मार रहा था. मूठ मारते हुए वो दीदी का नाम ले रहा था. वो बोल रहा था-

जनक: आहह सपना (मेरी दीदी का नाम), कितनी मस्त है रे तू. साली तूने मुझे थप्पड़ मारा ना.

मैं भी तेरी गांद पर थप्पड़ मार-मार कर तो तुझे छोड़ूँगा. मैं तुझे सीखौँगा की किसी की इज़्ज़त कैसे करते है.

ये देख कर पहले तो मुझे गुस्सा आया. लेकिन फिर मुझे अपना गर्लफ्रेंड वाला बदला याद आ गया. मैने सोचा की मैं जनक के साथ मिल कर दीदी से बदला ले सकता था.

यही सोच के मैं जल्दी से जनक के रूम के अंदर घुस गया. मुझे सामने देख कर वो हड़बड़ा गया, और जल्दी से अपना लंड पंत के अंदर करने लगा. फिर वो बोला-

जनक: बाबा आप? मुझे बुला लेते कोई काम था तो.

मैं: जनक तुम क्या कर रहे थे?

जनक: कुछ भी तो नही बाबा.

मैं: मैने देखा की तुम क्या कर रहे थे. और नाम दीदी का ले रहे थे.

जनक: मार करना बाबा, वो थप्पड़ का गुस्सा था, जो निकाल रहा था. मुझे माफ़ कर देना बाबा.

और ये बोल कर जनक ने अपना सर झुका लिया. फिर मैने बोला-

मैं: अगर गुस्सा निकालना ही है तो सच में छोड़ के निकालो ना. ताकि उसको भी पता चले.

जनक: मतलब?

मैं: मतलब मुझे भी उसको सबक सीखना है. तो अगर मैं और तुम मिल जाए, तो हम सपना को मज़े से अपनी रंडी बना कर छोड़ सकते है.

ये सुन जनक हैरान होते हुए बोला-

जनक: लेकिन बाबा, साब जी(मेरे पापा) को पता चला तो वो मुझे जान से मार देंगे.

मैं: उनको कुछ नही पता चलेगा. तू बोल, मेरे साथ है की नही?

जनक: बाबा उस थप्पड़ ने मुझे बहुत बेइज़्ज़त किया है. मैं तो सपना की छूट फाड़ दूँगा. आप बस बताओ क्या करना है.

मैने फिर उसको सारा प्लान बताया. कुछ दीनो बाद जब प्लान का फर्स्ट स्टेप कंप्लीट हो गया, तो मैं मों-दाद के घर से जाने की वेट करने लगा. अब वो फर्स्ट स्टेप क्या था, वो मैं आपको आयेज बतौँगा.

मैने जनक को भी बोल दिया था, तैयार रहने के लिए. फिर एक दिन मों-दाद को एक फंक्षन पर जाना था. फंक्षन शहर से डोर था, और उनको वाहा 2 दिन लगने वाले थे. मैने जनक से पहले ही बोल दिया, की वो मों-दाद के साथ ना जाए, और कुछ ना कुछ बहाना करके यही रुक जाए.

उसने वैसा ही किया. जब तक पापा उसको उनके साथ जाने के लिए बोलते, उससे पहले ही उसने गाओं में किसी के बीमार होने का बहाना बना दिया, और घर पर ही रुक गया.

अब आ गया वो दिन जिस दिन मों-दाद जेया चुके थे. अब घर पर दादा-दादी थे, और मैं और दीदी थे. रात हो चुकी थी. मैं अपने कमरे में सोने चला गया, और दीदी अपने कमरे में चली गयी.

दीदी सोते वक़्त कम से कम कपड़े पहनती है. उन्होने बेबी पिंक शॉर्ट्स, और शॉर्ट त-शर्ट पहनी थी. उनकी थोड़ी कमर, और पूरी जांघें दिख रही थी. दिल तो कर रहा था, की मैं ही दीदी को छोड़ डालु. लेकिन मेरे उनको छोड़ने में अभी टाइम था.

रात के 12 बाज गये थे. दीदी सो गयी थी. मैने जनक को फोन किया, और उसको घर के अंदर बुलाया. मैने सेक्यूरिटी कॅमरास की रेकॉर्डिंग बंद कर दी थी.

फिर जनक को मैने धीरे से रूम के अंदर भेज दिया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.