बहन के बेटे की शादी में रांड़-पन

ही फ्रेंड्स, मैं हू 24 साल की गोरी, लंबी, भरे बदन की सुनीता. मेरे नागिन से लंबे बाल, बड़ी-बड़ी काली कजरारी आँखें, मोटे से चमकते मेरे दाँत, सीना बिल्कुल शेप में, 36″ साइज़ की मेरी क़ास्सी हुई चूचियाँ, थोड़ी सी उभरी हुई मेरी गांद, उस पर हिरनी सी मेरी चाल.

इसीलिए तो राह चलते हर वर्ग के बुड्ढे जवान और किशोर मुझ पर आहें भरते है. सैर सपाटा करना, मॅन पसंद छ्होरों से छुड़वाना मेरी हॉबी है. अब मैं कहानी पर आती हू.

ये बिल्कुल सॅकी स्टोरी है. बात पिछले महीने यानी जून की है. मेरी बेहन काबीता के बेटे को एक आफ्रिकन काली लड़की से प्यार हो गया था. उसी की शादी अटेंड करने मैं देल्ही आई थी, जिसमे बहुत सारे आफ्रिकन लोग भी आए थे. मेहमआनो के लिए होटेल बुक किया गया था.

होटेल के जिस रूम में मैं थी, उसके बाजू वाले रूम में लड़की के मौसा-मौसी, उनका 18 साल का बेटा, और करीब 20 साल की बेटी थी. मैं भी लड़के की मौसी थी, और वो लोग भी मौसा मौसी थे. सो हमारा आचे से इंट्रोडक्षन हो चुका था.

हमारे रूम के आयेज लंबा सा पॅसेज था, जिसके एक किनारे पर लिफ्ट लगा हुआ था. रात के करीब 08 बजे मैं बाहर जाने के लिए निकली. लिफ्ट के पास हल्के से अंधकार में मौसा का बेटा-बेटी आपस में लिपटे हुए एक-दूसरे को चूम रहे थे. मुझे देख दोनो अलग होके संकोच से खड़े हो गये.

मैं बोली: डोंट माइंड, एंजाय.

ये कह कर मैं बाहर चली गयी. करीब एक घंटे बाद जब मैं लौट रही थी, तो गार्डेन में मौसा-मौसी आपस में लिपटे चुम्मा-छाती कर रहे थे.

मैं बोली: क्यूँ संधान यही शुरू हो गयी. रूम तो था.

मौसी शरमाते हुए बोली: रूम में बेटा-बेटी थे, और ये मान नही रहे थे.

मैं बोली: श हो, चलो उपर.

मैं बेटा-बेटी को एंगेज करती हू. तुम लोग खुल कर चुड़वव. सब लोग उपर आ गये. मैं उसके बेटा-बेटी की तरफ मुखातिब हो कर बोली-

मैं: चलो हम लोग ग़मे खेलते है.

दोनो मेरे पीछे मेरे रूम में आ गये.

मैं बोली: लिफ्ट के पास जो कर रही थी, यहा मस्ती से कर लो.

लेकिन दोनो संकोच कर रहे थे.

मैं बोली: अर्रे कोई बात नही है. सब चलता है.

कहते हुए मैं छ्होरे का हाथ अपने हाथ में लेकर छ्होरी की चूची पर रख दी, और छ्होरी के हाथ को छ्होरे के लंड पर रख दी. तोड़ा संकोच उन लोगों को था, पर पूरा नही.

मैं फिर बोली: मुझसे संकोच बिल्कुल ना करो. मैं तो बिल्कुल स्वतंतरा विचारों की हू. ये देखो.

ये कहते हुए छ्होरे के हाथ को मैं अपनी चूचियों पर रख दी, और फिर छ्होरी की टॉप उतार कर उसकी बड़ी-बड़ी काली चूचियों को आज़ाद कर दिया. अब दोनो का संकोच पूरी तरह से हॅट गया था. मैने छ्होरे की पंत भी उतार दी. पंत उतरने के साथ उसका मोटा लंबा विशाल लंड फुफ्कार्ता हुआ बाहर हो गया.

मैं तो उस विशाल लंड को देख अचंभित हो गयी. छ्होरी ने लंड हाथ में लिया, और उसे सहलाने और चूमने लगी. छ्होरा चूचियों को मूह में लिए चूस रहा था. अब दोनो संकोच के बिना आज़ादी से एक-दूसरे में गुठे हुए थे.

उसकी क्रिया को देख मेरी छूट में भी आग सुलगने लगी. गुटम-गूती के बीच मैं भी कुछ-कुछ उसके फोरप्ले में शामिल हो जाती. छ्होरा जब छूट में एंगेज होता, मैं छ्होरी की चूचियों को मसालती सहलाती. छ्होरी जब चुम्मा-छाती में व्यस्त होती, मैं लंड को हाथ में लेके सहल देती. मसलन चुदाई का खेल पुर शबाब पर था. इतने में छ्होरा बोला-

छ्होरा: चल अब घोड़ी बन जेया.

छ्होरी घुटनो के बाल घोड़ी बन गयी. उसकी छूट पीछे से एक-दूं मूह खोले लंड को निमत्रन दे रही थी. कह रही थी आजा-आजा. छ्होरा लंड छूट के पास रग़ाद रहा था. किंतु उसे अब तक जन्नत का द्वार नही दिखा था. मैने अपने हाथो से लंड को छूट के मुहाने पर फिट करके छ्होरे की गांद को ज़ोर से दबा दिया.

लोड्‍ा बर को चीरता हुआ उंड़र प्रवेश कर गया, और छ्होरी चिहुक उठी. साथ में मैं भी कल्पना कर चिहुक उठी की लंड बर में जाने से छ्होरी को क्या फील हुआ होगा. छ्होरा उछाल-उछाल कर ढाका-धक छोड़ने लगा. छ्होरी भी गांद हिला-हिला जर छ्होरे को सुपोर्ट दे रही थी.

10 मिनिट की धुआ-दार चुदाई के बाद उन्होने पोज़िशन बदली. अब छ्होरी ने बेड के किनारे चिट लेते हुए टाँग उठा दी थी. छ्होरा खड़ा-खड़ा बर में लोड्‍ा डाल रहा था. लोड्‍ा बर के आंद्र गया और छ्होरे ने घचा-घच छोड़ना शुरू कर दिया. इस पोज़िशन में भी लगभग 10 मिनिट चुदाई चली.

अब ये चुदाई का लास्ट सेशन था. इसमे छ्होरी बेड पर बिल्कुल चिट लेट गयी, और टाँगो को फैला दी थी. छ्होरे ने बर के मुहाने पर लंड को रखा और घच से लोड्‍ा बर में घुसा दिया. छ्होरी आ आ कर बैठी. उसके मज़े का अंदाज़ा मुझे फील हो रहा था, और मेरी छूट भी धड़क रही थी.

छ्होरा घचा-घच छोड़ रहा था. छ्होरी आ आ आ कर मज़े ले लेकर गांद उछाल-उछाल कर छुड़वा रही थी. इधर मेरी छूट से पानी की धारा तपाक रही थी. मैं देखी अब छ्होरा-छ्होरी दोनो चरम पर थे. छ्होरा भी आ आ श श करके धक्के तेज़-तेज़ मारता.

छ्होरी आ आ छिलाती: मार घचा-घच, और ज़ोर से छोड़.

अगले ही पल छ्होरा आ आ आ कर शांत हो गया. छ्होरी भी आ आ कर शांत हो चुकी थी. छ्होरा छ्होरी के सीने से अलग हो कर एक तरफ लूड़क गया था. वो दोनो जीतने शांत हो गये थे, मेरे अंदर उतनी ही हलचल बढ़ गयी थी.

अब मैं भी ताबड़तोड़ छुड़वाना चाह रही थी. मैं छ्होरे के लंड को हाथ में लेके सहला रही थी. लंड धीरे-धीरे जाग भी रहा था. छ्होरे ने मेरी तरफ देखा. मैने झट छ्होरे को चुंबन दिया, जिससे छ्होरा गदगद हो गया.

अब लंड में लगभग पूरा तनाव आ गया था. छ्होरा उठा, और मेरी बर की तरफ मूह ले गया. मेरी चिकनी, सॉफ, गोरी, चमकदार छूट को देख छ्होरा पागलों की भाँति मेरी छूट पर टूट पड़ा. वो बहुत ही बेरेहमी से चाट रहा था छूट को. वो कभी मेरी गोरी-गोरी चूचियाँ भी सहलाता. अब मुझे काफ़ी मज़ा मिल रहा था. मैं बहुत ही एग्ज़ाइटेड हो चुकी थी.

मैं बोली: अब जल्दी से लंड को छूट में डालो.

छ्होरा बोला: पहले मुझे इस सुंदर गोरी गुलाबी छूट का आचे से दीदार करने दो. पता नही ज़िंदगी में फिर कभी इतनी सनडर छूट देखने को मिले ना मिले.

मेरी छूट से लगातार पानी बह रहा था, जिसे छ्होरा गाता-गत पिए जेया रहा था.

मैं बोली: अब ज़्यादा मत छातो उस पानी को नुकसान करेगा.

छ्होरे ने हस्स कर बोला: तुम नुकसान की बात करती हो. इस जन्नत के द्वार से यूरिन भी निकल गया तो मैं गतगत पी जौंगा. इससे निकली हर बूँद अमृत है अमृत.

मैं बोली: चलो बहुत हुआ. अब लोड्‍ा बर में डाल मेरी जलन को डोर करो. मैं जाली जेया रही हू.

उसने मेरे गांद को थपथपाया. मैं समझ गयी ये मुझे घोड़ी बना के छोड़ना चाहता था.

मैं बोली: मेरी नाज़ुक बर तुम्हारे मूसल जैसे लंड को उस पोज़िशन में नही ले पाएगी. इसी तरह छोड़ो.

वो मान गया और मेरी बर पर लोड्‍ा रगड़ने लगा. छ्होरी जो इतनी देर से शांत थी, वो उठी, उसने लंड को मेरी बर के च्छेद पर रखा, और छ्होरे की गांद पर ज़ोर प्रहार किया. लोड्‍ा मेरी बर को फाड़ता चीरता बर में समा गया. मैं तो दर्द से बिलबिला गयी.

छ्होरी ने अपनी बड़ी चूचियों को मेरे मूह पर रख दिया था. छ्होरा धीरे-धीरे छोड़ने लगा था मुझे. अब दर्द की जगह मज़ा मिल रहा था.

मैं: आ आ आ हाए राजा, छोड़ो मेरे राजा, ज़ोर से छोड़ो.

इन आवाज़ो के साथ मैं मस्ती से छुड़वा रही थी. इतने मोटे लंड से चूड़ने का मज़ा ही और था. लंड बर की दीवारों से कॅसा हुआ था. छ्होरा अब ढाका-धक कर घचा-घच छोड़ रहा था. मैं मस्ती से गांद उछला-उछला कर छुड़वा रही थी.

10 मिनूट की चुदाई पर मैं चरम पर पहुँच चुकी थी. मेरी बर और टाइट हो गयी. छ्होरे का लोड्‍ा और भी ज़्यादा फूल गया था. यही वक़्त था जब बर और लोड में घमासान युध होता है. मैं बेतहाशा चिल्ला-चिल्ला कर आ आ आ करते हुए “ज़ोर से ज़ोर से” कह कर बहुत ही तेज़ी से गांद हिलने लगी थी.

उतनी ही ज़ोर से छ्होरा तबाद-तोड़ मेरी बर को कूट रहा था. वो भी ज़ोरो से आ आ आ करने लगा. मेरी बर में लंड का गरमा-गरम फुहार पड़ा. मेरी छूट की धारा भी फुट पड़ी, और दोनो शांत हो गये. अब मेरी बर की गर्मी गरम धार से बिल्कुल मिट चुकी थी. छ्होरा मेरी बाई तरफ लुड़का हुआ था. छ्होरी लालायित से मेरी बर से बहते हुए रस्स को देख रही थी.

फिर वो संकोच को डोर भगा कर, अपना मूह बर पर रख कर, बहती धार को चाटने लगी. अब हम लोगों ने अपने-अपने कपड़े पहने, और उसके रूम की तरफ चल दिए. बर की भयंकर कुटाई के कारण मुझसे चला नही जेया रहा था. आख़िर किसी तरह उसके रूम में पहुचि. फिर संधान की तरफ देख मैं हस्स कर बोली-

मैं: करवा ली ना बर की गर्मी शांत? और मेरी बर में जो आग लग गयी, उसे कों शांत करेगा? संधान बोली: बोल ना, मैं इसे भेज देती हू.

मैं बोली: वो आएगा?

संधान बोली: मैं हू इसकी बेगम, ये है मेरा गुलाम, जाएगा कैसे नही? तुम जैसी गोरी कमसिन छ्होरी के लिए तो ये मर्द अपना सब कुछ कुर्बान कर देगा.

मैं: तो फिर भेजो.

अब उस मौसा से मैं कैसे चुडवाई, अगले अपिसोडे में मैं बतौँगी. तब तक के लिए मेरी कहानी आपको कैसी लगी मुझे यहा ज़रूर बताना. पुष्परानी.कुशवाहा@गमाल.कॉम

धन्यवाद, शुभ रात्रि.