बारिश में फस्स कर बुड्ढे से चूतड़ चुस्वाया

ही दोस्तों, मेरा नाम अर्पणा है. मैं 21 साल की हू, और कॉलेज में पढ़ती हू. मेरी हाइट 5’6″ है, और रंग गोरा है. फिगर मेरा 34-28-36 है. दिखने में मैं मस्त लगती हू, और लड़कों के लंड मुझे देख कर खड़े हो जाते है. ये कहानी मेरे साथ हुए गंगबांग की है, जिसको मैं शायद कभी भी भूल नही पौँगी. ये गंगबांग पिछले साल हुआ. तो चलिए मैं अपनी कहानी शुरू करती हू.

मैं एक अप्पर-मिड्ल-क्लास फॅमिली से बिलॉंग करती हू. मेरे पापा एक बिज़्नेसमॅन है, और मम्मी हाउसवाइफ है. एक बड़ा भाई भी है मेरा, जो इंग्लेंड में जॉब करता है. हमारे पास 2 गाड़ियाँ है, और बड़ा सा घर है. घर में 2 नौकर है. पुर आराम की ज़िंदगी है हमारी.

पिछले साल मेरे बाय्फ्रेंड का बर्तडे था. उसने अपने फार्महाउस पर पार्टी रखी थी, और मुझे तो वाहा जाना ही था. मैने एक ब्लू कलर की वन-पीस ड्रेस पहनी, और गाड़ी में पार्टी के लिए निकल गयी. फार्महाउस शहर से 30 काइलामीटर डोर था, तो मुझे वाहा पहुँचने में आधा घंटा लग गया.

पार्टी में काफ़ी फ्रेंड्स आए हुए थे, और सब बोल रहे थे की मैं बहुत सेक्सी लग रही थी. बोलते भी कैसे नही. मेरी ड्रेस घुटनो से काफ़ी उपर थी, और मेरी मस्त जांघें दिख रही थी. उपर से मेरी आधी क्लीवेज नज़र आ रही थी. बहुत सेक्सी लग रही थी मैं.

फिर पार्टी शुरू हुई. मेरे बाय्फ्रेंड ने केक कट किया, और हम सब खाने-पीने लगे. पार्टी में बियर भी खूब चली, और फिर सब डॅन्स करने लगे. डॅन्स करते हुए मुझे सस्यू आ गयी, तो मैं वॉशरूम चली गयी. वॉशरूम से आके मैने देखा मेरा बाय्फ्रेंड दूसरी लड़की के साथ बाहों में बाहें डाल कर नाच रहा था.

मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया. फिर वो उसको किस करने ही वाला था की मैने उसको हाथ पकड़ कर खींच लिया, और रूम में ले गयी. फिर मैने उसको बोला-

मैं: मैने तुम्हे कितनी बार कहा है, की तुम्हारा ये दूसरी लड़कियों से चिपकना मुझे पसंद नही है. तुम्हे जो करना है करो मेरे साथ, मैने कभी माना किया है तुम्हे? पिछली बार तुमने कहा तुम्हे सेक्स करना है तो मैने करने दिया ना.

बाय्फ्रेंड: यार कम से कम आज तो मुझे एंजाय कर लेने दो.

इस तरह हमारी काफ़ी लड़ाई हुई, और मैं पार्टी से नाराज़ होके निकल गयी. शाम के 6 बाज चुके थे, और बाहर बारिश हो रही थी. मैं गाड़ी में बैठी, और घर के लिए निकल पड़ी.

अभी मैं आधे रास्ते ही पहुँची थी, की एक सुनसान रास्ते पर मेरी गाड़ी रुक गयी. मुझे लगा पता नही आज के दिन और क्या-क्या बुरा होगा मेरे साथ. मैने काफ़ी बार गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश की, लेकिन वो स्टार्ट नही हुई.

फिर मैने किसी को फोन लगाने की कोशिश की, तो सिग्नल डाउन था. मैं फिर गाड़ी से बाहर आई, और बॉनेट खोला. मुझे कुछ समझ नही आया की क्या प्राब्लम थी, पर बारिश की वजह से मैं भीग ज़रूर गयी. मेरी ड्रेस गीली हो गयी, जिस वजह से मैं और सेक्सी लगने लगी.

अब मैं वापस गाड़ी में जाके बैठ गयी, और बारिश रुकने का इंतेज़ार करने लगी. तभी 2 मनचले आके मेरी गाड़ी की विंडोस नॉक करने लगे. मुझे दर्र लगने लगा. वो मेरी तरफ देख कर गंदे-गंदे इशारे करने लगे. लेकिन गाड़ी लॉक थी, तो वो कुछ कर नही पाए.

तभी मैने सामने से एक बुड्ढे अंकल को गाड़ी की तरफ आते देखा. उनके हाथ में मोटा डंडा था. मैं वो डंडा देख कर और दर्र गयी. लेकिन वो डंडा मेरे लिए नही, उन लड़कों को भागने के लिए था. अंकल ने तेज़ी से पास आते हुए उन लड़कों को गाली निकली, और वो लड़के भाग गये.

फिर उन्होने मुझे बाहर से इशारा करके पूछा की मैं वाहा क्या कर रही थी. मैने विंडो खोली और कहा-

मैं: अंकल मेरी गाड़ी बंद पद गयी है. कोई मचनिक है यहा?

अंकल: बेटा मैं गाड़ी तो देख सकता हू, लेकिन इस वक़्त बहुत बारिश है. तुम्हे बारिश बंद होने तक रुकना पड़ेगा. तुम चाहो तो मेरा घर पास ही में है, तुम वाहा वेट कर सकती हो.

ये बोल कर अंकल ने मुझे रेनकोट दिया. उन्होने खुद भी एक पहना हुआ था. मैने सोचा की यहा रुकी तो ठंड से मॅर जौंगी, तो मैने रेनकोट लिया, और पहन कर बाहर आ गयी. फिर हम उनके घर की तरफ चल पड़े.

उनका घर छ्होटे लकड़ी के कॉटेज की तरह बना हुआ था. हम अंदर गये, तो अंदर आग जल रही थी, और बाहर से काफ़ी बेहतर था. उन्होने मुझे कहा-

अंकल: तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए कॉफी बनता हू. ठंड लग रही होगी तुम्हे.

फिर वो अंदर कॉफी लेने चले गये. मैं आग के पास जाके बैठ गयी, और तपिश लेने लगी. मेरे कपड़े गीले थे, तो आग से भी इतना फराक नही पद रहा था. फिर जब अंकल आए तो उन्होने देखा की मैं काँप रही थी.

वो बोले: तुम्हारे गीले कपड़ों की वजह से तुम्हे ज़्यादा ठंड लग रही है. मैं कुछ कपड़े देखता हू तुम्हारे लिए, तुम चेंज कर लो.

फिर वो अंदर गये, और छ्होटे साइज़ की जीन्स और त-शर्ट लेके आए. मुझे देते हुए वो बोले-

अंकल: बेटी उस रूम में जाके चेंज कर लो.

मैने कपड़े उठाए, और रूम में चली गयी. आक्चुयल में वो रूम नही था. 4×4 का छ्होटा स्टोर रूम था. अंदर जाके मैने अपनी ड्रेस उतरी, और अब मैं ब्रा-पनटी में थी. मेरी ब्रा-पनटी ज़्यादा गीली नही थी, तो मैने उनको नही उतरा.

फिर जब मैं जीन्स पहनने के लिए नीचे झुकी, तो मेरी गांद पीछे की दीवार पर लगी, और वाहा लगी कील ज़ोर से मेरे चूतड़ में घुस गयी. मेरी ज़ोर की चीख निकली, और मैं आयेज की तरफ हुई. जब पीछे हाथ लगा कर देखा तो खून निकल रहा था. मैं खून देख कर रोने लग गयी.

मुझे बहुत दर्द हुआ. मेरी चीख सुन कर अंकल आए और रूम के बाहर से पूछा-

अंकल: क्या हुआ बेटी?

जब मैं कुछ नही बोली, तो वो दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गये. उन्होने मेरे चूतड़ में से खून निकलते देखा, और बोले-

अंकल: ओह तेरी, इसमे तो कील लग गयी. रूको मैं देखता हू.

ये बोल कर वो घुटनो के बाल बैठ गये. कील मेरी पनटी के नीचे मेरे चूतड़ में घुसा था. अंकल ने मेरी पनटी साइड की, और अपना मूह मेरे चूतड़ पर लगा कर खून चूसने लगे. मेरी आ निकल गयी, और मेरे हाथ सामने दीवार पर टिक गये.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेर करे.