मानसी के साथ चुदाई की कहानी सुनते-सुनाते रागिनी और आलोक एक और चुदाई के लिए तैयार हो चुके थे। रागिनी की चूत चुदाई हो चुकी थी, और अब गांड चुदाई चल रही थी। आगे क्या हुआ जानिये इस भाग में।
रागिनी डाक्टर मालिनी को बता रही थी।
“थोड़ी देर गांड चुदवाने के बाद मैंने आलोक से कहा, “आलोक बस, बहुत हो गयी मेरी गांड की रगड़ाई। अब गांड में से लंड निकालो, और चूत में डाल कर चूत की भी ऐसे ही रगड़ाई करो जैसी रगड़ाई गांड की की है”।
“ये सुनते ही आलोक ने जरा सा मेरे चूतड़ों को ऊपर की तरफ किया। मेरे चूतड़ ऊपर उठते ही मेरी चूत का छेद आलोक के लंड के बिल्कुल सामने आ गया। आलोक ने लंड चूत के छेद पर रखा, और एक ही बार में झटके से लंड चूत में डाल दिया”।
“पीछे से इस तरह से आलोक का लम्बा लंड पूरा जड़ तक चूत में बैठ रहा था। आलोक के जोरदार धक्के मेरी मस्ती बढ़ा रहे थे। जब आलोक का लंड एक झटके के साथ मेरी चूत में घुसता था, तो अलोक के बड़े-बड़े लटकते हुए टट्टे मेरी गीली चूत पर पट्ट पट्ट फट्ट फट्ट फच्च फच्च की आवाज करते हुए टकराते थे। मुझे जन्नत का मजा आ रहा था। मैं चूतड़ आगे-पीछे करके आलोक का पूरा लंड चूत में ले रही थी”।
मेरे मुंह से पता नहीं क्या-क्या निकल रहा था, “आआह आलोक ये होती है चुदाई , रगड़ दे आलोक मेरी चूत। कर दे आज इसका कचरा। बड़ा तरसाया है मेरी इस निकम्मी चूत ने तुझे, फाड़ इसको, दिखा तारे इसको आआह मेरी राजा आलोक लगा जोर से”।
“आलोक भी नशे में बोल रहा था , “आह मेरी जान, कैसे चुदवाती है साली तू हट हट कर। फिर आलोक ने पूरा लंड बाहर निकाल लिया और बोला “ले साली रागिनी गया तेरी चूत में”। और फिर वैसी ही पट्ट फट्ट फच्च की आवाज करता हुआ लंड अंदर तक चूत में बैठ गया”।
“पता नहीं मालिनी जी उस दिन की चुदाई में मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था। मैं बोलती जा रही थी, “आह राजा, ऐसे ही चोद, पूरा लंड निकाल कर डाल मेरी गांड में, मेरी चूत में आआह। आलोक चोद मुझे चोद, और चोद, फाड़ मेरी चूत आआआह आअह आलोक निकलने वाला है मेरी चूत का पानी। लगा जोर लगा आलोक। अअअअअह आआआह आआह निकला आलोक निकला मेरा आह आलोक आआह”।
“मेरे चूतड़ अपने आप ही जोर से हिले और मेरी चूत का पानी निकल गया, और मैं ढीली हो गई”।
“आलोक ने पांच-सात मिनट कस के धक्के लगाए और धक्के लगाने के बाद रुक गया। आलोक के लंड ने पानी नहीं छोड़ा था, और आलोक का खड़ा लंड मेरी चूत में ही था। मेरी चूत तो ऐसे लग रहा था, जैसे आलोक के लंड से भरी हुई थी”।
“उस वक़्त शराब के सुरूर और चुदाई के मजे की मस्ती में आलोक से पूछा, “क्या हुआ आलोक, साले लगता है तेरा तो अभी खड़ा ही है, निकला नहीं माल तेरे लंड में से”?
“आलोक का लंड तो मेरी चूत में ही था। आलोक ने मेरी गांड में पूरी उंगली घुसेड़ दी। गांड का छेद आलोक के लंड की चुदाई से फ़ैल चका था। आलोक की उंगली फिसलती हुई गांड के छेद में चली गयी। और फिर आलोक उसी मस्ती में बोला, “अभी नहीं निकला मेरे लंड का पानी, मेरी रानी अभी तो तेरे से लौड़ा चुसवाना है”।
“मालिनी जी वैसे भी हमारा एक रूटीन होता था। चूत या गांड चुदाई के बाद अक्सर मैं आलोक का लंड मुंह में लेकर चूसती थी, और आलोक मेरे मुंह में ही लंड का पानी निकालता था”।
“उसके बाद मालिनी जी, हमने थोड़ा आराम किया। एक-एक पैग हम दोनों ने और लगाया, और फिर आलोक ने मुझे नीचे लिटा कर मेरे मुंह के बिल्कुल ऊपर अपने लंड की मुट्ठ मरने लगा। मेरा मुंह खुला था, और आलोक बोलता जा रहा था, “रागिनी मेरी जान अब निकलेगा शहद तेरे मुंह में”।
“जैसे ही आलोक का लंड पानी छोड़ने को हुआ आलोक जोर से बोला, “रागिनी चूस”।
“मैं समझ गयी कि आलोक का लंड पानी छोड़ने को था। मैंने लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। दो ही मिनट में आलोक के मुंह में से सिसकारी निकली, “आआह मेरी रागिनी, ले निकला”। और इसके साथ ही भल-भल करते आलोक के लंड के गर्म-गर्म पानी से मेरा मुंह भर गया। मैंने पानी का एक-एक कतरा गले से नीचे उतार लिया”।
“मैं आलोक का लंड तब तक चूसती रही जब तक आलोक का लंड पूरी तरह बैठ नहीं गया”।
“पहले चूत चुदाई, फिर गांड चुदाई, और अब गर्म-गर्म मलाई मुंह में। सच ऐसा और इतना मजा मुझे बहुत दिनों से नहीं आया था। आलोक का लंड तो वैसे भी पानी बहुत छोड़ता है”।
“जब इस ताबड़-तोड़ चुदाई से हम दोनों की तसल्ली हो गयी, तो हम दोनों अगल-बगल ही लेट गये”।
“कुछ सोचते-सोचते मुझे मानसी और प्रभात की चुदाई का ध्यान आ गया। मैंने आलोक से पूछा, “आलोक क्या मानसी फिर चुदी उस लड़के से – क्या नाम था, प्रभात से”?
अलोक ने फिर कुछ रुक कर कहा, “रागिनी, इस बारे मुझे नहीं पता। ना मैंने मानसी से इस बारे में पूछा ही, ना ही उसने ही मुझे कुछ बताया। लेकिन मुझे लगता है नहीं चुदी होगी। अगर मानसी उस लड़के प्रभात के साथ चुदाई का मजा ले रही होती, तो फिर मेरे पास चुदाई के लिए ना आती”।
आलोक फिर बोला, “चलो रागिनी एक मिनट के लिए मान भी लेते हैं कि मानसी प्रभात के बीच अभी भी चुदाई होती है, और मेरे पास भी मानसी चुदाई के लिए आती है। तो फिर भी तो मानसी मुझे बता ही देती”।
“अब मुझसे इतनी भी नहीं शर्माती मानसी, कम से कम चुदाई करवाते वक़्त तो नहीं ही शर्माती”। फिर आलोक जैसे अपने आपसे ही बोला, “जिस तरीके से मानसी खुद अपनी टांगें उठा कर चूत की फांकें खोल कर मेरे सामने लेटती है, वहां शर्म की गुंजाईश ही कहां बचती है”।
– डॉक्टर मालिनी के क्लिनिक में रागिनी की बात पूरी हुई, और साथ ही हुई चूत गांड की चुसाई।
“अपनी आलोक से हुई चुदाई की पूरी दास्तान सुना कर रागिनी चुप हो गयी”।
“मैंने भी टेप रिकार्डर बंद कर दिया”।
“रागिनी की बातों से मेरी गांड में खुजली मच गयी और चूत पानी छोड़ने लगी। अगर आलोक सामने होता तो मैंने भी रागिनी वाली गाली देकर आलोक को बोलना था, “चल इधर आ भोसड़ी के आलोक, चल आजा और मेरी गांड में अपना लम्बा लंड डाल”।
“मगर आलोक तो था नहीं, मैंने कुर्सी पर ही अपनी गांड रगड़ी, और साथ ही चूत पर खुजली की। रागिनी ने ये देखा तो बोली, “क्या हुआ मालिनी जी आपका भी गांड चुदवाने का मन आ गया क्या”?
“रागिनी तो अब मेरे सामने पूरी तरह ही खुल चुकी थी”।
“जब मैं कुछ नहीं बोली, तो रागिनी ने ही कहा, “मालिनी जी एक बात बोलूं? जिस दिन आलोक आपसे बात करने आएगा, आप एक बार चुदवा लेना उससे। आलोक चूत तो मस्त चोदता ही चोदता है, गांड भी मस्त चोदता है”।
“कुछ पल चुप रहने के बाद रागिनी बोली, “वैसे भी सच बताऊं मालिनी जी, लम्बे लंड से चूत में लेने का मजा तो आता ही आता है, गांड में लेने का भी बहुत मजा आता है। जब लंड का सुपाड़ा गांड के आख़री हिस्से से टकराता है, तब चूत में भी कुछ-कुछ होता है। गांड चुदवानी हो तो लम्बा लंड ही ढूंढना चाहिए। आलोक के लंड जैसा लम्बा”।
“मैं बोली तो कुछ नहीं, मगर मन ही मन मैंने फैसला कर लिया, अगर मौक़ा मिला आलोक से गांड चुदवाउंगी जरूर”।
“मैंने रागिनी से कहा, “रागिनी, आलोक तो जब आएगा तब आएगा – तब की तब देखेंगे, अभी भी तो कुछ करें। तेरी कहानी ने तो मेरी चूत फिर से गरम कर दी। आजा एक बार और चूत चाट कर मजा ले लें”।
“रागिनी हंसते हुए बोली, “चलिए मालिनी जी, इस चूत चुसाई के लिए तो में हमेशा तैयार रहती हूं”।
“मैं उठी, साथ ही रागिनी भी उठ गयी। अंदर आ कर कपड़े उतार दिए। इस बार मैं नीचे थी, और रागिनी ऊपर। रागिनी के चूतड़ खोल कर मैंने ऐसे गांड चुसाई की, कि रागिनी मजे के मारे आआआह मालिनी जी ओह मालिनी जी ही बोलती जा रही थी। फिर एक-दूसरे के ऊपर उल्टा लेट कर एक-दूसरे की चूत चूस-चूस कर पानी छुड़ाया और वापस क्लिनिक वाले कमरे में आ गयीं”।
“मैंने प्रभा को बुला कर चाय मंगवाई। चाय पीते-पीते रागिनी बोली, “मालिनी जी चूत का मजा लेने में तो आप भी कम नहीं हैं, पूरा मजा लेती हैं आप”।
“मैं बस हंस दी और रागिनी की इस बात का कोइ जवाब नहीं दिया”।
“बात जारी रखते हुए मैंने रागिनी से पूछा, “रागिनी आलोक ने अपनी और मानसी की चुदाई के बारे में तुम्हें इतना सब कुछ तुम्हें बता दिया, फिर भी तुमने आलोक से ये नहीं पूछा कि आलोक की मानसी की पहली बार की चुदाई कब और किन हालात में हुई? मेरे लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि आलोक और मानसी की सब से पहली चुदाई कैसे शुरू हुई और किसकी पहल से शुरू हुई? मानसी की पहल से फिर या आलोक ने पहल की”?
रागिनी बोली, “सच बात तो ये है मालिनी जी, कि मेरी आलोक से ये पूछने की हिम्मत ही नहीं हुई। वैसे तो आलोक बोलता है उसके और मानसी के बीच मानसी की पहल से चुदाई शुरू हुई, मगर मुझे अभी भी आलोक की इस बात पर विश्वास नहीं आता”।
रागिनी आगे बोली, “मालिनी जी मुझे आलोक की इस बात पर कैसे विश्वास होता कि मानसी ने आलोक को चुदाई के लिए मजबूर किया, आलोक ने मानसी को नहीं। आप ही बताईये कोइ नई-नई जवान हुई बेटी अपने बाप को चुदाई के लिए कैसे मजबूर कर सकती है? ऐसा तो है नहीं कि आलोक ने कभी चूत देखी ही ना हो। मुझे तो ये बात कुछ जमती नहीं लगती”।
“या फिर ऐसा भी तो हो सकता है कि आलोक ने मानसी के साथ उसकी और प्रभात की चुदाई की बातें पूछते-पूछते मानसी की चूत गर्म कर दी, और उसको उकसा कर खुद ही उसे चुदाई के लिए पटा लिया हो”।
“और मालिनी वैसे भी आलोक रोज रात को शराब पीता ही है। क्या पता शराब के नशे में मानसी के जबरदस्ती चुदाई कर दी हो। उधर मानसी को भी इस जबरदस्ती वाली चुदाई में आलोक के लम्बे लंड से चुदने का मजा आया हो, और वो बाप बेटी के इस चुदाई के रास्ते पर चल पड़ी हो”।
“मालिनी जी सच्चाई तो यही है कि चुदाई अगर जबरदस्ती भी हो तो भी लंड अंदर जाते ही चूत तो पानी छोड़ती ही है। चुदाई का मजा तो आता ही है। उस पर आलोक का लम्बा लंड। मैंने इतने लंड चूत में लिए, आलोक जैसा लम्बा लंड मुझे एक भी नहीं मिला। क्या पता मानसी को एक बार आलोक का लम्बा लंड चूत में लेने के बाद आलोक के लम्बे लंड का चस्का ही लग गया हो”।
रागिनी आगे बोली, “या फिर ऐसा हो सकता है कि मानसी एक बार प्रभात से चुदाई का मजा लेने के बाद वैसा मजा लेना चाहती हो और जवानी के जोश में चूत खोल कर आलोक के आगे लेट गयी हो। मानसी जैसी जवान लड़की की खुली चूत सामने देख कर किसी का भी मन भी चुदाई का हो सकता है, फिर चाहे वो बाप हो या भाई”।
“अब चूत देख कर कोइ इंसान कैसे अपने पर काबू रख सकता है। आलोक भी तो इंसान ही है, कोइ भगवान तो है नहीं।
“मालिनी जी, ये सारी बातें सोच-सोच कर मेरी आलोक से आगे बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई।
“रागिनी कुछ चुप हुई और बोली, “मालिनी जी असल में यही वो बातें हैं जिनके चलते तो मुझे आपकी याद आयी। एक मनोचिकित्स्क को समझने और उसे सुलझाने का अपना ढंग होता है। मानसी की अपने पापा के साथ चुदाई जैसे हालात के चलते शुरू हुई होगी उसका हल भी वैसा ही होगा”।
“रागिनी की ये बात बिल्कुल ठीक थी। हस्पताल में काम करने के कारण रागिनी बहुत सारी चीजों को अच्छे से समझती थी”।
“मैंने रागिनी से कहा, “मैं तुम्हारी बात समझ रही हूं रागिनी। मगर चुदाई कैसे भी शुरू हुई हो रागिनी, मगर पूरी बात समझने के लिए ये जानना तो बहुत जरूरी है कि चुदाई की शुरूआत आलोक ने की या मानसी ने की”।
“चुदाई में तो कुछ भी हो सकता है रागिनी, वो भी तब जब रातों में सामने बीस साल की जवान लड़की लेटी हो और आस-पास कोइ भी ना हो”।
फिर कुछ सोचते हुए मैंने रागनी से पूछा, “और रागिनी, तुमने आलोक और मानसी के बीच हो रही इस चुदाई के बारे में मानसी से बात की”?
रागिनी इस बार थोड़ा चुप से हुई और फिर उसने जवाब दिया, “जी मालिनी जी की। असल मे जिस दिन मेरी आलोक से वो व्हिस्की वाली चुदाई हुई थी, मानसी से बात करने का फैसला तो मैंने तभी कर लिया था। मैं तो ये जानने के लिए उतावली हुई पड़ी थी कि आखिर ऐसा भी क्या हुआ होगा की बाप-बेटी की चुदाई शुरू हो गयी”।
“वैसे मालिनी जी बात करने के अलावा कोइ और चारा भी तो नहीं था”।
“मैंने एक मिनट के लिए सोचा कि आलोक अगर सच में ही आलोक मानसी को चोदने से मना करता है, मगर मानसी नहीं मानती तो मेरे समझाने से मानसी समझ जाएगी और उन दोनों की चुदाई बंद हो जाएगी”।
“इसके बाद मैं मानसी से बात करने का मौक़ा ढूढ़ने लगी, और आखिर एक दिन मौक़ा मिल ही गया”।
मैं रागिनी से पूछा, “तो रागिनी क्या निकला मानसी से बात करके। क्या लगा तुम्हें उसकी बातों से”।
रागिनी बोली, “मालिनी जी मानसी से बात करके कुछ निकलना-निकालना तो दूर, मेरी उम्मीद से उल्ट मानसी ने अपनी बातों से मुझे ही लाजवाब कर दिया, और मेरी बोलती ही बंद कर दी। मानसी ने जिस तरीके से मुझसे बात की, उससे मुझे ये तो यकीन हो गया कि चुदाई जिसकी भी पहल से शुरू हुई हो मानसी को इस चुदाई का रत्ती भर भी पछतावा नहीं है”।
“और फिर मालिनी जी मानसी से बात करने के बाद तो मुझे कुछ भी नहीं सूझा सिवाए इसके कि जितना भी जल्दी हो सके मैं आपसे मिलूं और आपसे इस बारे में सलाह लूं”।
मैंने रागिनी से पूछा, “रागिनी, ऐसा भी क्या कह दिया एक बीस साल की लड़की ने कि तुम्हारी बोलती बंद हो गयी”?
– मानसी की अपनी मम्मी के साथ गुफ्तगू
रागिनी ने जैसे ही अपनी और मानसी के बीच हुई बातें बताने के लिए बोलना शुरू किया, मैंने टेप रिकार्डर फिर से चालू कर दिया।
रागिनी बता रही थी, “जिस दिन आलोक और मेरी शराब पी कर चुदाई हुई थी और जिस दिन आलोक ने मुझे अपनी और मानसी की चुदाई के बारे मैं बताया था, मैंने उसी दिन ये फैसला कर लिया था कि मानसी से जल्दी से जल्दी बात करनी ही पड़ेगी, और इस चुदाई वाले मामले को और आगे बढ़ने से रोकना होगा। मैं बस मौक़ा ढूढ़ रही थी, कि कब और कैसे मानसी से बात करूं”।
“एक दिन आलोक घर पर नहीं था। मैं और मानसी ड्राइंग रूम में बैठे थे। मानसी कोइ किताब पढ़ रही थी, और मैं TV देख रही थी। मुझे लगा यही सही टाइम था, अब मानसी से बात करनी चाहिए”।
“मैंने मानसी को कहा, “मानसी मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी”।
मानसी ने कहा, “करो मम्मी इसमें पूछने की क्या बात है”? ये कह कर मानसी फिर किताब पढ़ने लगी।
“मैं कुछ रुकी। मेरे कुछ ना बोलने से मानसी मेरी तरफ देखने लगी”।
“मैंने हिम्मत बटोर कर कहा, “मानसी सच बताना, क्या तुम्हारे और तुम्हारे पापा के बीच जिस्मानी रिश्ते बन चुके हैं”?
“मेरे इतना पूछने पर जिस तरह से मानसी ने मुझे जवाब दिया, उसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी। मानसी ने बड़ी ही तल्खी के साथ जवाब दिया, “जिस्मानी रिश्ते? आपका मतलब चुदाई के रिश्ते? मम्मी आप मुझसे ये पूछ रही हैं या बता रही हैं”?
“मुझे मानसी की बेशर्मी पर हैरानी हुई और मुझे गुस्सा भी बहुत आया। मानसी को मेरा, अपनी मम्मी का भी लिहाज नहीं था”?
“फिर भी मैंने अपने गुस्से पर काबू रखा और कहा, “हां बेशर्म लड़की – मैं तेरे और तेरे पापा में चुदाई के रिश्तों की बात कर रही हूं। मैं तुझसे ये पूछ रही हूं, अब बता ऐसे रिश्ते बन चुके हैं क्या”?
मानसी ने उसी ऊंची आवाज में जवाब दिया, “हां बन चुके हैं। होती है हममें चुदाई। तो”?
मानसी ने जिस अंदाज में चुदाई वाली बात मानी थी, उससे एक बार तो मुझे समझ ही नहीं आया ये हो क्या रहा था। फिर भी मैंने पूछा, “मानसी ये तू क्या बोल रही है? जानती भी है पिता और बेटी में इस तरह का चुदाई का रिश्ता गलत होता है”।
“मानसी ने मेरी इस बात का कोइ जवाब नहीं दिया, और किताब की तरफ देखती रही”।
मैंने ही मानसी से पूछा, “मानसी क्या आलोक तुम्हें चुदाई के लिए मजबूर करता है? तुम्हें चुदाई के लिए उकसाता है या जबरदस्ती तुम्हारी चुदाई करता है”?
मानसी उसी बेशर्मी की साथ किताब से सर उठा कर मेरी तरफ देखते हुए कहा, “नहीं मम्मी, ऐसा कुछ नहीं होता जैसा आप समझ रही हैं। पापा मेरे चाहने और मेरे कहने पर ही मेरी चुदाई करते हैं”।
मैंने पूछा, “मगर क्यों मानसी? क्यों तुम ऐसा चाहती हो? क्यों करवाती हो अपने पापा से चुदाई”?
मानसी की बेशर्मी बढ़ती जा रही थी। वो बोली, “क्यों का क्या मतलब मम्मी? चुदाई किस लिए करवाई जाती है”?
मानसी की इस तरह वाली बेशर्मी वाली बातों से तो मुझे ही शर्म आने लग गयी। मुझे गुस्सा भी आ रहा था, मगर मैंने अपने आप पर काबू किया हुआ था।
मैंने दुबारा मानसी से पूछा, “क्यों तुम अपने ही पापा से चुदाई करवाती हो? क्या कभी बाप-बेटी में भी चुदाई होती है”?
अब जो मानसी ने कहा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। मानसी ने किताब मेज पर पटक दी और बोली, “मम्मी, बाप-बेटी में चुदाई होती है और हो रही है, और ये इसलिए हो रही है क्योंकि एक बीवी को अपने पति से चुदाई करवाने की फुर्सत नहीं है। आपके पास पाप से चुदाई करवाने का टाइम नहीं है”।
“लग ही नहीं रहा था कि ये सब बातें एक मां-बेटी कि बीच हो रही थी”।