आधी रात को आंटी के साथ सुहागरात

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम धीरज है. मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़े. उमीद है आपको पिछला पार्ट पसंद आएगा.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा, की कैसे मैं आंटी के सेक्सी जिस्म को देख कर पागल हुआ जेया रहा था. उनको देख कर मेरा लंड बैठ ही नही रहा था. जब मुझे नींद नही आई, तो मैने अपने बिस्तर के गद्दे को छोड़ना शुरू कर दिया. तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया, और जब मैने देखा, तो बाहर आंटी खड़ी थी. अब आयेज बढ़ते है.

मेरे सामने आंटी अपनी शॉर्ट्स और त-शर्ट में खड़ी थी. मेरे पाजामे में मेरा लंड खड़ा था. मैं उनको उपर से नीचे देखने लगा, और उनकी सेक्सी बॉडी में खो गया. तभी आंटी ने अहम् अहम् की आवाज़ की, तो मुझे होश आया. फिर मैं बोला-

मैं: आंटी आप यहा? सब ठीक तो है?

आंटी: अंदर नही बुलाओगे?

मैं: ज़रूर आंटी, प्लीज़ आइए.

अंदर बेड पर चादर की ऐसी हालत हुई पड़ी थी, जैसे अभी घमासान चुदाई हुई हो. चादर का ये हाल देख कर आंटी ने स्माइल की, और बोली-

आंटी: यहा क्या डॅन्स कर रहे थे?

मैं हस्सा और बोला: नही आंटी, वो रात को ऐसे ही सोता हू मैं.

आंटी: लगता है पुर मज़े से सोते हो.

मैने भी बेशरम बन कर बोल दिया: अकेले सोने में कैसा मज़ा आंटी?

आंटी: अछा, अभी से बेड में कंपनी चाहते हो?

मैं: कों नही चाहता आंटी?

आंटी: तभी सुबा से लेके अभी तक मुझे ताड़ रहे हो?

मैं: आंटी आपने देख लिया मुझे?

आंटी: अब कोई नज़रो से इतना अंदर तक जाने की कोशिश करेगा तो नोटीस तो होगा ही ना.

मैं: आंटी आप हो ही ऐसी, की आप से नज़र ही नही हॅट रही थी.

आंटी: क्यूँ, ऐसा क्या है मुझमे?

मैं: क्या नही है आंटी? आप जैसी हॉट आंटीस के तो हम जैसे लड़के सपने देखा करते है.

आंटी: सिर्फ़ सपने ही देख सकते हो, या कुछ कर भी सकते हो?

मैं: वो तो मौका मिलने पर है.

आंटी: तो समझो मौका दे दिया.

ये बोल कर आंटी ने मूह दूसरी तरफ घुमा लिया, और अपनी शॉर्ट्स का बटन आयेज से खोल कर शॉर्ट्स नीचे करने उतार दी. जब आंटी शॉर्ट्स नीचे करने के लिए नीचे झुकी, तो उनकी गांद क्या बड़ी हो गयी थी, और कमाल लग रही थी. उनकी गांद देख कर ही मेरे मूह में पानी आ गया.

फिर उन्होने उधर मूह किए हुए ही कहा: अब पनटी भी मुझे ही उतारनी पड़ेगी क्या?

मैं समझ गया की अब जो करना था मुझे ही करना था. फिर मैं जल्दी से घुटनो के बाल बैठा, और आंटी के छूतदों पर अपने हाथ रखे. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मेरे हाथो में 2 पिल्लो आ गये थे. फिर मैने पनटी के उपर से ही आंटी की गांद में अपना मूह डाल दिया, और उनकी गांद की खुश्बू सूंघने लगा.

क्या मस्त खुशु आ रही थी आंटी की गांद में से. मैं अपना मूह उनकी गांद में घुसता चला जेया रहा था, और आंटी अब आ आ की आवाज़े करने लग गयी थी. फिर मैने उनकी पनटी उतरी, और अब उनकी खूबसूरत गांद मेरे सामने थी. उनकी गांद पर एक भी बाल नही था.

गांद देखते ही उसको चाटने की बड़ी तगड़ी इक्चा मेरे मॅन में आई, और मैने अपना मूह उनकी गांद के चियर में डाल दिया. अब मैं अपनी जीभ नीचे से उपर उनकी गांद में फेरने लगा. मेरे ऐसा करने से आंटी मदहोश होने लगी, और उन्होने उपर से अपनी त-शर्ट उतार दी.

फिर उन्होने हाथ सामने बेड पर रखे, और झुक कर मुझे गांद और छूट दोनो का आक्सेस दिया. उनकी गांद और छूट के च्छेदो को देख कर मैं पागल हो गया. इतनी खुशी बाइ गोद मुझे आज तक नही हुई थी, जितनी उस वक़्त हो रही थी.

फिर मैने उनकी छूट से जीभ फिरनी शुरू की, और गांद के च्छेद तक लेके जाने लगा. बहुत अछा स्वाद आ रहा था, जो मेरी वासना को और बढ़ा रहा था. आंटी भी गांद हिला-हिला कर छूट और गांद चटाई का मज़ा ले रही थी, और आ आ की आवाज़े निकाल रही थी.

कुछ देर चाट-चाट कर मैने औबती के दोनो च्छेद गीले कर दिए. फिर मैं खड़ा हुआ, और आंटी भी सीधी खड़ी हो गयी. मैने आंटी की पीठ पर किस करना शुरू किया, और किस करते-करते मैने उनकी ब्रा का हुक खोल दिया. आंटी के सामने एक मिरर लगा था, जिसमे मैं आंटी को मदहोश होते देख सकता था.

जैसे ही मैने उनकी ब्रा निकली, उनके रस्स से भरे गुब्बारे आज़ाद हो गये. फिर मैने उनके बाल भी खोल दिए. आंटी क्या सेक्स की देवी लग रही थी नंगी होके. कोई बोल ही नही सकता था की वो एक आंटी थी. फिर मैं पीछे से ही अपने हाथ आयेज लेके गया, और मैने अपने हाथ आंटी के रस्स भरे गुब्बारो पर डाले.

इतने बड़े बूब्स थे उनके, की एक हाथ में एक बूब भी समा नही रहा था. मैं उनके बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा, और निपल्स को मसालने लग गया. आंटी मदहोश होने लगी. उन्होने भी अपने हाथ मेरे हाथो पर रख लिए, और बूब्स और ज़ोर से डबवाने लगी.

नीचे मेरा लंड पाजामे के अंदर से आंटी की नंगी गांद से रग़ाद खा रहा था. आंटी भी गांद पीछे की तरफ निकाल कर मेरे लंड को दबा रही थी. फिर मैने आंटी को घुमाया, और हम दोनो की नज़रे आपस में मिली.

आंटी की नज़रो में मुझे चुदाई की प्यास सॉफ नज़र आ रही थी. मैं भी उनका स्वाद लेने के लिए कब से तरस रहा था. फिर मैने आंटी को अपनी बाहों में खींचा, और अपने होंठ उनके रसीले होंठो के साथ लगा दिए.

हम दोनो की किस शुरू होते ही वाइल्ड हो गयी, और हम दोनो पागलों की तरह एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे. बड़ा स्वास आ रहा था आंटी के होंठ चूसने में. साथ में मैं आंटी की नंगी कमर और छूतदों पर हाथ फेर रहा था. फिर मैने किस तोड़ी, और अपनी त-शर्ट निकाल कर उपर से नंगा हो गया.
उसके बाद फिरसे मैने और आंटी ने अपनी किस कंटिन्यू करी. अब मेरी नंगी चेस्ट से आंटी के नंगे गुब्बारे टच हो रहे थे. बड़ा कामुक एहसास होता है जब किसी औरत का नंगा बदन और मर्द का नंगा बदन आपस में मिलते है.

इसके आयेज की कहानी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी. कहानी के इस पार्ट में अगर आपको मज़ा आया हो, तो इसको ज़्यादा से ज़्यादा शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.