3 दोस्तों और आंटी के बीच हुई चुदाई की कहानी

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम गोपाल है. मेरी उमर 19 साल है, और मैं कॉलेज में पढ़ता हू. मैं देल्ही के वसंत विहार में रहता हू. हाइट मेरी 5’9″ है, और लंड मेरा 7 इंच है. तो चलिए अब ज़्यादा बातें किए बिना मैं आप सब को अपनी कहानी बताता हू.

2 महीने पहले मैं और मेरे 2 फ्रेंड्स संदीप और राज पुंजब में घूमने जेया रहे थे. वो दोनो मेरी ही उमर के है. संदीप की हाइट 5’8″ है, और राज की 5’11”. हम दोनो काफ़ी पुराने दोस्त है. संदीप का लंड 6.5 इंच का है, और राज का 7 इंच का है.

हम तीनो ट्रेन में जेया रहे थे. 5 घंटे का सफ़र था, और हम खूब मस्ती मज़ाक कर रहे थे. आस-पास वाले लोग भी हम तीनो की मस्ती देख कर हस्स रहे थे. ऐसे ही करते-करते एक घंटा बीट गया.

बातें करते हुए मेरी नज़र सामने वाली सीट पर गयी. वाहा पर एक भारी-भरकम आंटी बैठी थी. जब मैने आंटी को देखा, तो मेरी नज़र उस पर ही टिक गयी. वो हमारी तरफ ही देख रही थी. उसके कपड़े देख कर लग रहा था, की वो पुंजब से थी, क्यूंकी उसने सलवार-सूट पहना हुआ था.

आंटी 40-45 साल के आस-पास लग रही थी. उसका साइज़ तकरीबन 36-32-40 होगा, और वेट 80-90 क्ग होगा. मुझे ऐसी भारी-भरकम आंटीस बहुत पसंद है जिनके बड़े-बड़े चूतड़ होते है. उसकी स्किन बड़ी सॉफ थी, हालाकी वो इतनी गोरी नही थी.

जब मैने आंटी को हमारी तरफ देखते हुए देखा, तो मैं उस पर लाइन मारने लग गया. मैं बीच-बीच में उसको इशारा दे रहा था, लेकिन अभी तक उसने कोई रिप्लाइ नही दिया था. उसकी बॉडी देख कर मेरा लंड खड़ा हो चुका था. लेकिन अभी तक मेरे दोस्तों को ये नही पता था, की मैं उस पर लाइन मार रहा था. वो अपनी बातों में बिज़ी थे.

फिर ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी, और मैं नीचे कुछ लेने के बहाने से जाने लगा. जब मैं उसके पास से गुज़रा, तो वो बोली-

वो औरत: क्या आप मेरे लिए एक पानी की बॉटल ला देंगे.

मैं: जी ज़रूर आंटी.

और फिर उसने मुझे स्माइल पास की. मैं समझ गया था की वो भी मुझे लाइन दे रही थी. नही तो इतने लोगों के बीच में से उसने मुझे ही क्यूँ पानी की बॉटल लाने के लिए बोला. फिर मैने नीचे उतार कर पानी लिया.

जो पैसे उसने वापस दिए, मैने उसमे से एक 10 का नोट लिया, और उस पर अपना नंबर लिख दिया. फिर मैने उसको पानी की बॉटल और बाकी के पैसे दे दिए, और जाके अपनी सीट पर बैठ गया. अब हमारी इशारे-बाज़ी और तेज़ हो गयी थी.

मैने फिर उसको इशारा करके नोट पर लिखे हुए नंबर के बारे में बताया. उसने अपना पर्स अपने बूब्स में रखा हुआ था. उसने पर्स निकाल कर उसमे से नोट निकाला, और उससे मेरा नंबर लिया.

उसके पास नों-आंद्रीद फोन था. इससे मुझे क्लियर हो गया की वो किसी विलेज से थी. फिर उसी वक़्त उसने मेरा नंबर डाइयल किया. मैने फोन पिक किया, और हमारी बात शुरू हुई. वो पंजाबी में बोल रही थी, लेकिन मैं आपको हिन्दी में बतौँगा.

आंटी: हेलो.

मैं: हेलो, हंजी क्या हाल है.

आंटी: ठीक है आप बताओ.

मैं: मैं भी ठीक.

आंटी: तुम बहुत स्मार्ट हो.

मैं: आप भी बहुत सेक्सी हो.

आंटी: अछा.

मैं: जी.

आंटी: चलो फिर मेरे घर, मैं तुम्हे मज़ा दूँगी.

मैं: कहा है आपका घर?

उसका घर एक विलेज में था. उसके हज़्बेंड की डेत हो चुकी थी काफ़ी साल पहले, और अब घर में वो और उसके बुड्ढे सास-ससुर ही थे. उसका एक बेटा था, जो कॅनडा में पढ़ता था.

आंटी: बताओ आओगे मेरे साथ?

मैं: मेरे दोस्त भी है मेरे साथ.

आंटी: उनको भी ले चलो. मैं तुम तीनो को मज़ा दूँगी.

उसकी ये बात सुन कर मैं समझ गया था की आंटी बहुत भूखी थी. फिर मैने अपने दोस्तों से इस बारे में बात की. उन्होने भी जब आंटी को देखा, तो उनको भी आंटी कामुक लगी. फिर हम सब आंटी के साथ जाने के लिए तैयार हो गये.

2 घंटे बाद आंटी का स्टेशन आया, और उसने मुझे इशारा कर दिया. फिर हम बाहर आए, और वो रिक्षव पर बैठ गयी. उसने मुझे फोन पर उसकी रिक्कशे फॉलो करने को कहा. हम तीनो भी रिक्कशे पर बैठ गये, और उसको फॉलो करने लगे.

फिर एक घर के आयेज रिक्कशे रुकी, और आंटी घर का गाते खोल कर अंदर चली गयी. हम थोड़ी डोर ही रुक गये. फिर आंटी की कॉल आई.

उसने कहा: गाते खुला है. चुप-छाप अंदर आओ, और डाई तरफ की सीडीयान चढ़ कर उपर चले जाना. उपर एक रूम है. अंदर जाके मेरा इंतेज़ार करना.

हम तीनो फिर घर के अंदर गये, और उपर रूम में चले गये. हमे नीचे से आवाज़े आ रही थी. आंटी अपने सास-ससुर को बोल रही थी, की वो ताकि हुई थी, और उपर जेया रही थी रेस्ट करने. ये बोल कर वो उपर आ गयी.

हम तीनो रूम में तैयार बैठे थे. आंटी जैसे ही अंदर आई, हम तीनो खड़े हो गये. फिर मैं आयेज बढ़ा, और आंटी को जाके अपनी बाहों में भर लिया. क्या गद्देदार बदन था उसका. जब मेरी जांघें आंटी की मोटी जांघों के साथ टच हुई, तो मेरा लंड खड़ा हो गया.

फिर मैने आंटी को किस करना शुरू कर दिया, और वो भी मेरा साथ देने लगी. मैं साथ में उसका एक बूब भी दबाने लग गया. मुझे किस करते देख कर संदीप आंटी के पीछे चिपक गया, और उसकी गांद पर अपना लंड रगड़ने लग गया.

राज भी आंटी का दूसरा बूब दबाने लग गया. फिर हम तीनो ने मिल कर आंटी को उपर से नंगा कर दिया. अब वो सिर्फ़ सलवार में थी. आंटी बेड पर बैठ गयी, और संदीप और राज उसका एक-एक बूब चूसने लग गये. मैं आंटी के होंठ चूस रहा था.

फिर संदीप बूब्स चूस्टे हुए उनकी सलवार का नाडा खोलने लगा. हमने आंटी को बेड पर लिटाया, और उनकी सलवार और पनटी उतार दी. अब वो नंगी हमारे सामने बेड पर पड़ी थी. उसका शरीर देख कर तो हम टीन भी कम लग रहे थे उसके लिए.

हम तीनो ने भी अपने कपड़े उतार दिए. सबसे पहले मुझे उसको छोड़ना था, तो मैं जल्दी से उसकी टाँगो के बीच आया, और अपना लंड उसकी छूट पर रगड़ते हुए अंदर डाल दिया. आंटी की हल्की आ निकली, और मैं अपना लंड अंदर-बाहर करके उसको छोड़ने लग गया.

संदीप ने अपना लंड आंटी के मूह में दे दिया, और राज के लंड को वो अपने हाथ से हिला रही थी. मुझे आंटी को छोड़ने में बड़ा मज़ा आ रहा था. उनकी छूट बहुत गरम थी. मैं उनके बूब्स दबा रहा था, और उनको छोड़े जेया रहा था.

फिर संदीप बोला: मुझे भी छोड़ने दे यार.

ये सुन कर मैने अपना लंड छूट से निकाला, और आंटी के मूह में डाल दिया. अब संदीप आंटी की छूट का मज़ा ले रहा था. फिर हमने पोज़िशन बदली, और संदीप नीचे हुआ और आंटी को उपर कर लिया. राज आंटी के पीछे से आया, और उनके चूतड़ खोलने लगा.

आंटी समझ गयी की वो उसकी गांद मारने वाला था, तो वो चूड़ते हुए आयेज हो गयी. फिर राज ने अपने लंड पर तेल लगाया, और लंड आंटी की गांद में दबाने लग गया. 2-3 बार धक्का देने पर लंड पदुप की आवाज़ से अंदर चला गया. अब आंटी के दोनो च्छेदो में लंड थे.

फिर मैने आयेज जाके आंटी के मूह में लंड डाल दिया. अब हम तीनो पुर मज़े से आंटी को छोड़ रहे थे. आंटी का बदन इतना भरा हुआ था, की हम तीनो कही भी दबा रहे थे. फिर राज ने आंटी की गांद पर थप्पड़ मारने शुरू कर दिए, जिससे उनके मूह की आवाज़े तेज़ हो गयी.

लेकिन मूह में लंड होने की वजह से आवाज़े डब कर ही रह गयी. हम तीनो ऐसे ही एक-एक करके बार-बार आंटी के सारे च्चेड़ो को छोड़ रहे थे. हमने आंटी को तब तक छोड़ा, जब तक की हमारा मॅन भर नही गया. जब हमारी चुदाई ख़तम हुई, तो आंटी बेड पर नंगी बेसूध होके पड़ी थी.

फिर हम सब ने अपने-अपने कपड़े पहने, और आंटी को वही लेता हुआ छ्चोढ़ कर घर से बाहर आ गये. उसके बाद हम स्टेशन पर गये, और हमने अगली ट्रेन पकड़ ली. थोड़ी देर बाद मुझे आंटी का फोन आया. वो बोली-

आंटी: मुझे आज सालों बाद इतना मज़ा आया है. जब कभी दिल करे, मेरे पास आ जाना अपनी प्यास बुझाने.

दोस्तों कहानी का मज़ा आया हो तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे. मैं आपके कॉमेंट्स की वेट करूँगा.