रिस्की चुदाई का मज़ा या सज़ा

अब स्टोरी को मई आयेज बढ़ने से पहले पिछली बाते रिमाइंड करवाता हू.

मई अपने कूसिओं भाई की शादी मे बिहार जाता हू और साथ मे मेरी कज़िन बेहन निशात की फ्रेंड सदाफ़ भी थी. और उससे मेरी तालुकात आयेज बढ़े और हमारे बीच सेक्स हुआ, डटे था 3 एप्रिल 2021.

अब आयेज…

हम लोग सेक्स के बाद अपने वेल रूम मे आ गये थे जहाँ आकेर हम ने देखा के निशात सो कर थी उसके बाद हम लोग भी जल्दी ही सो गये. फिर जब सुबा आँख खुली तो मई देखा के सदाफ़ और निशात बैठी हुई थी और आपस मे बैठ कर बाते कर रही थी.

मई भाई उठ कर बैठ गया और दोनो की बाते सुनने लगा तभी सदाफ़ मेरे तरफ देख कर स्माइल दी. और निशात से बोलने लगी के उसे कल रात बहोट अकचे से नींद आया और आइसा आराम उसे आज तक क्वि नही मिला होगा. फिर मेरे तरफ देखते हुए एक नौघट्य सो स्माइल दी.

उसके कुछ देर बाद हम लोग फ्रेश हो कर नास्टा किए और फिर मई वापस अपने रूम मे आ गया. और आकेर शाम की हल्दी की रसम के वक़्त का कपड़ा सब सेट करने लगा क्यू के साम के वक़्त भाई की हल्दी होने वाली थी.

उसके बाद मेरे ही रूम मे निशात और सदाफ़ भी अपने बाग ले कर आ गयी. फिर हम लोग आपस मे बाते करने लगे निशात काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी क्ल होने वेल शादी के लिए और क्या क्या पहनना है कैसे रेडी होना है वो सब बाते चल रही थी.

तब मेरी खाला ने निशात को किसी काम के लिए आवाज़ दे कर बोलाई तो निशात चली गयी. अब मई और सदाफ़ रूम मे थे तो मई भी रूम के गाते के तरफ गया और फिर चारो तरफ देख कर सदाफ़ की तरफ आया और उसे पकड़ कर एक ज़ोर दार किस करने लगा.

सयद सदाफ़ की भी मर्ज़ी यही थी के मई उसे किस करू क्यू के जैसे ही मैने उसे पकड़ा था वो भी मुझे खुद से पकड़ ली और मेरे किस का साथ देने ल्गी.

पर मान मे हम दोनो को दर भी था क्यू के गाते खुले थे कोई भी रूम मे आ सकता था इस लिए हम लोग जल्दी ही एक दूसरे से अलग हो गये.

सदाफ़ का फेस देख कर मुझे तो ऐसा फील हो रहा था के मानो वो पूरी मूड मे आ गयी थी. तो मैने उससे पूछा-

मई : तो क्या इरादा है डोर बंद करू?

सदाफ़ : पहले तो कुछ नही बोली पर फिर बोली के पागल हो गये हो आप इतना रन्निंग वक़्त मे.

मई : तो क्या हुआ?

सदाफ़ : अरी नही निशात आजाएगी आप होश मे आययए.

मई : हेस्ट हुए बोला : मस्ती कर रहा हू डार्लिंग. मई जनता हू के काम का घर है. पर तुम सामने होती हो तो मई खुद पर कंट्रोल नही कर पता.

सदाफ़ : कंट्रोल तो मुझे भी नही हो रहा है पर कर भी क्या सकती हू.

मई : कल कैसा लगा था?

सदाफ़ : बहोट ही मज़ेदार था और रात के बाद से मेरा तो मॅन और कर रहा है.

मई : तो फिर आज रात को फिर करेंगे ना.

सदाफ़ : (मायूसी के साथ) : कैसे मौका मिलेगा आज हलड़ी के बाद साब लोग रात भर जागने वेल है.

मई : ठीक है मई कुछ करता हू .

इससे आयेज कोई बात होती उतने मे ही निशात वापस आगयइ और हम लोगो को बात प्लाटनि पड़ी और हम लोग इधेर उधेर की बाते करने लगे. कुछ देर बाद मुझे मेरे खलू बोला लिए और वो लोग वही रह गयी.

मई नीचे जब खलू के पास गया तो उन्होने मुझे मार्केट भेज दिए अपने भाई के बेटे के साथ. मार्केट वहाँ से 22 क.म की दूरी पर थी. वहाँ से बहोट सारी ज़रूरी समान लाना था.

जहाँ जाने के बाद जब मई वापस आया तो 3 ब्ज गये थे जब मई घर आया तो सदाफ़ को देख कर मई डांग रह गया. वो येल्लो ड्रेस मे क़यामत लग रही उस का ड्रेस टाइट होने के कारण उसके बदन का सेफ बहोट ही जान लेवा था. मई नोटीस कर्राहा था के वहाँ पर बाकी लड़के भी सदाफ़ पर नज़र रखहे हुए थे.

अब मुझे भी नहाना था और रेडी होना था तो खाला ने पहले मुझ पर गुस्सा की के 3 बाज गया है और तुम अवी तक कुछ खाए नही हो. तो मई बोला खाला से के मई समान लाने गया हुआ था मार्केट. तो खाला ने मुझसे कहा तो तुम गये क्यू वो तुम्हारा काम था क्या जिसकी ज़िमदारी है वो अपना काम करे.

दरअसल खाला मुझे बहोट मनती है. वो बिल्कुल मुझे अपने ही बाकछे की तरहा प्यार करती है. उसके बाद मई खाना खाया और फिर नहाने के लिए गया तो देखा के सब जघा लोगो से भरा हुआ था. तो मई बिल्डिंग कर ग्राउंड फ्लोर पर बने हुए वॉशरूम मे जाने लगा.

जब नीचे उतार रहा था तो सदाफ़ मेरे आस पास थी मई उसके बिल्कुल बगल से गुज़रा. और उसके कान मे बोला के बहोट हॉट लग रही हो. आज मई तुम्हे छोड़ने वाला नही हू. वो मुस्कुराते हुए इधेर उधेर देख कर उपेर चली गयी.

उसके बाद मई नहा कर रेडी हो गया और रसम सुरू हो गया. सब लोग अपने अपने काम मे बिज़ी थे. चारो तरफ लोग भरे हुए थे. और मई बस मौका के तलाश मे था के कैसे मुझे खाली जघा मिले. वैसे मेरे दिमाग़ मे एक ऑप्षन ये भी था के लास्ट नाइट जिस रूम मे हम दोनो के बीच सब कुछ हुआ उसी रूम मे आज भी सेट कर लूँगा.

पर आज रात सब के जागे रहने की वजा से वो ऑप्षन मुस्किल लग रहा था. पर मुझे आज भी सदाफ़ को छोड़े बगैर चैन नही मिलने वाला था. वक़्त गुज़रता गया रात भी हो चुका था. सब लोग खा चुके थे और 1 बाज चुका था.

उस बीच बहोट लोग सोने के लिए चले गये थे. और टेन्षन की बात ये थी के हम लोगो के रूम मे भी कुछ लोग सो गये थे और छत पर भी मर्द लोगो का सोने का इंतेज़ाम था.

रात मे निशात मुझ से बोली भैया हम लोगो का जघा भी फुल है और हम लोगो को नींद भी आराही है क्या करू कहाँ जौन.

तब मई निशात को बोला नीचे वाला मिट्टी वेल घर मे अगर सोना चाहोगी तो सो लो वरना और कोई ऑप्षन्स नही है. ये सुन कर सदाफ़ मेरी तरफ देखी और अजीब सा मूड बना कर मुझे देखने लगी.

मई समझ गया के सदाफ़ क्या छाती है. पर हम लोगो के पास वो रूम के इलावा कोई और ऑप्षन नही था. निशात भी राज़ी हो गयी थी. तो मई ने निशात से कहा के बस एक चटाई ले लेना तुम दोनो चोकी पर सो जाना. और मई नीचे चटाई बिछा कर सो जवँगा तो निसत चटाई खोजने गयी.

तब ही सदाफ़ मुझ से बोली ये आप ने क्या किए एक ही रूम था हमारे पास अब निशात वहाँ होगी तो कुछ भी नही हो सकेगा.

फिर मई बोला अगर वो रूम मे सोने का प्लान नही करता तो हमारे बीच वैसे भी कुछ नही हो पता और रात भर सो भी नही पाते हम लोग.

ये सुन कर वो चुप हो गयी और पीछे से निशात एक चटाई लेते हुए आगयइ हम लोग भी ताकया ले कर वो वेल रूम पहुच गये.

सब अपनी अपनी जघा जा कर लेट गये निशात और सदाफ़ चोकी पर लेट गयी. और मई नीचे चटाई बिछा कर वही लेट गया. सदाफ़ मेरे तरफ मूह घुमा कर लेती हुई थी और मुझे . से ही किस . किस दे रही थी.

मुझे सदाफ़ को छोड़ने का मान कर्राहा ठीक उसी तरहा सदाफ़ का भी मुझ से छुड़वाने का मान कर रहा था. पर निशात के होने की वजा से हम दोनो कुछ कर नही पा रहे थे.

कुछ देर बाद निशात गहरी नींद मे सो गयी थी पर हम दोनो अवी भी जाग रहे थे. तब ही मई सदाफ़ के सामने उठ कर खड़ा हो गया और निशात को किस करने लगा वो वैसे ही लेट कर थी.

सदाफ़ तो आइसे ही सेक्सी थी उपेर से येल्लो ड्रेस होने के कारण वो और भी खिल रही थी. मई किस करते करते सदाफ़ की बूब्स को भी कपड़े के उपेर से मसल रहा था.

सदाफ़ भी पूरे जोश मे थी वो मेरे लीप को चूसे जा रही थी. बहोट मज़ा आरहा था हम दोनो को ही. मई सदाफ़ के उपेर आगया था ये बात जानते हुए भी के बगल मे निशात भी सो कर है.

मई सदाफ़ के गले को चूम रहा था और सिने पर किस कर रहा था. अब तक जो भी हो रहा था कपड़े के उपेर से ही हो रहा था. फिर सदाफ़ अपनी कमीज़ को उपर उठा कर अपना सीना को खोल दी. मई साँझ गया के उसे अपना बूब्स चुसवाना है.

तो मई सदाफ़ की ब्रा को उपेर उठा कर दोनो बूब्स खोल दिया और सदाफ़ की टाइट बूब्स चूसने लगा. एक एक कर के दोनो बूब्स को चूसने के बाद मई सदाफ़ की नवी को चूसने लगा जिससे वो अपने मूह पर हाथ रख कर काँपने लगी.

वो पूरा मदहोश थी तब ही मैने सदाफ़ की सलवार का नारा खोला और सलवार को सदाफ़ की घुटने तक उतार दिया. पर सदाफ़ ने वापस अपनी सलवार को आपेर खींची और निशात की तरफ देखने लगी.

जब तक वो पूरा कन्फर्म नही हुई तब तक उस ने अपनी सलवार को पकड़े रखी. फिर मई आहिस्ते आहिस्ते सलवार नीचे खींचता गया और वो ढील छोड़ती गयी.

वो अंदर कुछ पहनी तो नही थी. जिस कारण सदाफ़ की कोमल छूट जो एक दम गीली हो गयी थी जिस पर मई किस कर लिए. मेरे किस लेते ही सदाफ़ उछाल पड़ी.

पर मई नही रुका मई फिर सदाफ़ की छूट की लीप को अपने होंटो मे ले कर चूसना सुरू कर दिया. अब तो मानो सदाफ़ बेचीन होने लगी.

उसकी मूह से लका लका सा आवाज़ निकल रहा था. फिर वो अचानक से मुझे उठाई और खुद चोकी से उतरी और अपनी सलवार खोल कर मेरे चटाई पर आकेर लेट गयी. मई उसकी हिम्मत देख कर और बेचैन हो गया.

फिर सदाफ़ की दोनो पाओ को फैला कर उस की छूट मे अपना मूह डाल कर चूसने लगा. मई अपने ज़बान को सदाफ़ की छूट के अंदर बहेर कर रहा था. वो भी मेरे सिर को पकड़ कर अपनी छूट पर दबा रही थी.

वो इतनी बेचीन थी के आइसा लग रहा था के वो मुझे अपने छूट मे ही घुसा लेगी. कुछ ही पल के बाद सदाफ़ की छूट का टेस्ट और भी नमकीन हो गया और वो कनपटी हुई छूट से हल्की हो गयी. मई सदाफ़ की छूट का सारा रस्स पी गया.

सदाफ़ बहोट ही ताकि हुई दिख रही थी मई भी ठीक उसके बगल मे लेट गया. तो सदाफ़ मेरे सर को पकड़ कर अपने लीप से मेरे लिप्स को जोड़ कर किस करने लगी.

मुझे भी बहोट ही ज़ोर का नींद आरहा था फिर भी हम एक दूसरे को किस कर्रहे थे और किस करते करते क्ब सो गये पता ही नही चला.

जब नींद से जागे तो सदाफ़ मुझ से लिपट कर सोई हुई थी अवी मई नींद की खुमारी मे ही था के मैने मोबाइल देखा तो 5 ब्ज रहे थे.

तो मई उठ कर बैठ गया और ज्ब मैने चोकी के तरफ नज़र किया. तो देखा वहाँ निशात नही थी. मेरा तो मानो पाओ तले ज़मीन घिसक गया.

मुझे समझ आगया के निशात ज़्ब देख ली और जान गयी है. क्यू की सदाफ़ बिगर सलवार पहने ही सोई थी यानी वो नीचे से नंगी थी. उपेर से मेरे साथ सोई थी.

मैने जल्दी से सदाफ़ को उठाया तो सदाफ़ चौंके हुए उत्ति तो मैने उसे जल्दी से सलवार पहनने को कहा. तब तक वो भी समझ गयी थी के मई उसे ये क्यू बोल रहा हू.

वो मुझ से पौकने लगी निशात कहाँ है तो मई उसे बोला के मई जब उत्ता तो वो यहाँ नही थी. ये सुन कर वो काफ़ी घबरा गयी और हड़बड़ते हुए सलवार पहें कर रूम का गाते खोलने गयी. तब वो बोली के घर बहेर से बंद है.

इतना सुनते ही मेरी गंद फट गयी के अब क्या करेंगे हम लोग. सदाफ़ बोलने लगी हम लोग बुरी तरहा फस गये है. निशात अब तक सब को बतला दी है लगता है इसलिए किसी ने हमे एक रूम मे बंद कर दिया है. इधेर मेरा भी दिमाग़ काम नही कर्राहा था.

तब ही सदाफ़ अपना मोबाइल उठाई और निशात को कॉल करने जेया ही रही थी के उसके मोबाइल पर निशात का पहले से ही व्हातसाप पर मसाज आया हुआ था.

पहले तो मेसेज वो पढ़ी और मोबाइल को चोकी पर रख कर वही बैठ गयी मैने. उससे पूछा के क्या लिखी है मेसेज मे? पर सदाफ़ खामोश रही. तो मैने उस मसाज को खुद से पढ़ा, जिसमे लिखा था…

मेसेज:

निशात- मई सुबा 4 ब्जे उठी तो तुझे बगल मे नही पाई तो मई उठ कर बैठ गयी. पर जैसे ही मई उत्ति तो तुझे और भाय्या को आइसे हालत मे देख कर मई चौंक गयी. मैने तुझे उठना चाहा पर मुझे ठीक नही लगा इस लिए मई वहाँ से निकल गयी. मई दरवाजा बाहर से बंद कर दी हू ता के कोई दूसरा वहाँ ना आ जाए और चाभी मेरे पास है. जब तू उठ जाएगी मुझे फोन कर लेना मई आकेर गाते खोल दूँगी. पर तू ये मत समझ के मई किसी को बोल दूँगी. पर मई तुम से और भयया से कुछ बात करना चाहूँगी .

ये म्स्ग देख कर थोड़ी तो जान मे जान आई के. निशात किसी को नही बताने वाली है हमारे बारे मे. लेकिन फिर भी एक शरम सा फील हो रहा था और सदाफ़ भी उससे फेस करने मे घबरा रही थी.

आयेज की कहानी अगले पार्ट मे. कॉमेंट्स या एमाइल करके अपना फीडबॅक ज़रूर दे ताकि मई अगला पार्ट जल्दी ला साकु.