पति के सामने दर्जी ने चोदा-1

मेरा नाम शालु है. अभी मेरी उमरा 32 साल है. मई 5 फ्ट 5 इंच लंबी हू, गुलबीपन लिए हुए गोरा रंग, तीखे नयन-नक्स है मेरे. 36 सी इंच साइज़ की मांसल चुचिया, 26 इंच की कामद और 34 इंच का पीच्चे की ऑर उभरा हुआ चुटटर लोगो को अपनी ऑर खींचता है.

मुझे अपने बदन मे जो सबसे बढ़िया अंग लगता है वो है मेरी लंबी और सुडौल जांघे. मेरे शरीर पर ना कही एक्सट्रा माँस है और ना कही कम. सब कुछ बहुत ही आकर्षक है.

मेरे पति विनोद एक बड़ी फॅक्टरी मे सीनियर मॅनेजर है. उनकी भी बढ़िया पर्सनॅलिटी है. घर की जवान नौकरानी पारो के अलावा वे अपने काई फ्रेंड्स और कॉलीग्स की पत्नी और बहनो को छोड़ते है.

लेकिन ये कहानी मेरे पति के चुदाई की नही मेरी चुदाई की कहानी है.

मई एक आमिर किसान के घर मे पैदा हुई, पाली बढ़ी हुई. जवानी चढ़ि और मेरी सुंदरता के चर्चे चारो तरफ होंने लगे. पहला किस्मत वाला आदमी हमारे ही स्कूल के हिन्दी टीचर थे. उन्होने मुझे चूमा, चुचि मसला, सलवार के उपर से छूट दबाया और उसी दिन मेरे बाबूजी को इसकी खबर हो गयी.

अगले दिन से स्कूल जाना बंद हो गया. घर मे ही टुटीओन लेती रही और किसी तरह से मेट्रिक पास किया.

जून मे मेट्रिक का रिज़ल्ट निकला और अगले महीने जुलाइ मे विनोद से मेरी शादी हो गयी. शादी के पहले से ही मई भी इंटरनेट उसे करती थी लेकिन कभी किसी सेक्स साइट को नही खोला था.

लेकिन विनोद ने सुहाग रात को ही पहले मुझे एक ग्रूप चुदाई की वीडियो दिखाए और किसी सेक्स साइट से एक चुदाई की कहानी पढ़कर सुनाई. जैसा वो चाहता था मई पूरी गरम हो गयी और पहली ही रात मैने रंडी जैसा बेशरम होकर चुडवाया जैसा वीडियो मे देखा था.

मैने भी विनोद का लवदा चूसा और उसने मेरी छूट छाती. मई कुँवारी ही थी और पहली ही रात यूयेसेस ने टीन बार छोड़ा. पहली चुदाई मे जब छूट फटी, विनोद ने मेरी वर्जिनिटी ली तो मुझे बहुत दर्द हुआ था.

विनोद की भी पहली ही चुदाई थी और वो 7-8 मिनिट छोड़ कर ही झाड़ गया था. लेकिन बाद मे यूयेसेस ने 2 बार और छोड़ा और दोनो बार करीब 20 मिनिट छोड़ा. लेकिन 3 बार की चुदाई के बाद भी ना शारीरिक गर्मी शांत हुई ना ही मानसिक शांति मिली.

टीन बार छोड़ कर विनोद सू गया लेकिन मेरी आँखो से नींद गायब थी. मुझे कुछ और चाहिए था लेकिन क्या वो मुझे खुद मालूम नही था. विनोद के सू जाने के बाद मैने उसी सेक्स साइट से, जो विनोद ने खोल रखी थी यूयेसेस मे से 7 कहानिया पढ़ ली. और पहली ही रात मे मुझे चुदाई की कहानिया पढ़ने की जो लत लगी वो अब भी है.

मई और पारो अक्सर मिलकर चुदाई की वीडियो देखते है और कहानी भी पढ़ते है. मई डेली 4-5 कहानिया पढ़ती ही हू.

चुदाई की कहनिओ मे मुझे अंजान लोगो के साथ की चुदाई की कहानिया सबसे ज़्यादा पसंद आने लगी. हमारी सुहाग रात के बाद 15 दिन भी नही गुजरा की मुझे किसी अंजान आदमी के साथ चुदाई करने की चाहत पैदा हो गयी. लेकिन अंजान आदमी से चुडवाया का मौका ही नही मिला.

करीब 2 महीना ससुराल मे रहने के बाद विनोद मुझे अपने साथ फॅक्टरी की कॉलोनी मेी ले आया. वाहा सब कुछ नया था. सिर्फ़ एक ही चीज़ पुराना था और वो था मेरी चुदाई की कहानी पढ़ने की आदत.

मुझे दर्जी के साथ की चुदाई की कहानी इतनी पसंद आई की मई यूयेसेस कहानी को बार बार पढ़ने लगी. वो कहानी एक खूबसूरत, जवान औरत की एक दर्जी के 4 इंच लंबे लवदा से छुड़वाने की कहानी थी.

यूयेसेस कहानी को बार बार पढ़ने के बाद भी मुझे समझ नही आया की अपने पति के 7 इंच लंबा और बढ़िया मोटा लवदा से 8 महीना छुड़वाने के बाद भी वो औरत दर्जी के 4 इंच लंबा लवदा से छुड़वाने के लिए क्यो पागल रहती थी. सेक्स साइट पर दर्जी के साथ की चुदाई की और भी कानहनिस पढ़ी.

सभी कहनिओ मे यही लिखा गया था की औरत को दर्जी के साथ की चुदाई अपने पति के साथ की चुदाई से ज़्यादा बढ़िया लगती थी. मैने फ़ैसला लिया की मई भी किसी दर्जी के साथ छुड़वा कर देखूँगी की असल बात क्या है.

विनोद मुझे अक्टोबर के पहले साप्ताह मे अपने क्वॉर्टर मे लाए थे. दीवाली 15 दीनो के बाद ही थी. मई दीवाली मे अपने घर या ससुराल मे रहना चाहती थी लेकिन ससुर जी ने ऑर्डर दिया की मई पति के साथ ही राहु.

इश्स बात पर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैने डिसाइड किया की यूयेसेस कहानी की हेरोयिन जैसा ही मई भी दीवाली के समय किसी दर्जी से चड़वौनगी. यूयेसेस बार दीवाली गुरुवार को थी.

दीवाली से 5 दिन पहले, शनिवार को विनोद ने प्रपोज़ किया की हम शहर मे सिनिमा देखने चलेंगे. मई तुरंत मान गयी.

मई – सिनिमा देखने से पहले हम कुछ शॉपिंग भी करेंगे. मुझे दीवाली के लिए एक नया सलवार सूट सिलाना है, रेडीमेड सेट मुझे पसंद नही आता है.

विनोद – रानी, पहले बोलना चाहिए था ना. अभी डबल कीमत डोगी तो भी कोई टेलर नया ऑर्डर नही लेगा.

मई – लेकिन ट्राइ करने मे क्या प्राब्लम है?

और जैसा यूयेसेस कहानी की हेरोइन के साथ हुआ वोही हमारे साथ भी हुआ. हुँने पहले शॉपिंग की. एक दूसरे के लिए रेडीमेड क्लोद्स के साथ मैने अपने लिए सलवार सूट का कपड़ा लिया. शॉपिंग के बाद हुँने खाना खाया. यूयेसेस के बाद एक मोविए देखी.

हम रात के 11.40 बजे घर वापस आने के लिए लौटे. मैने सारी सेट पहना था और कार मे पति के साथ आयेज बैठी थी. विनोद बाते कर रहे थे लेकिन मेरी नज़र रास्ते मे आने वाले दुकानो पर थी. आधा रास्ता से ज़्यादा गुजर गया.

मैने टीन टेलर के शॉप देखी लेकिन सभी बंद थे. फिर हम एक एसे जगह से गुज़रे जान्हा एक साथ काई दुकाने थी. वाहा से हमारा घर करीब 25 केयेम था. और मेरे चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आई.

मई – विनोद कार रोको, साइड मे पार्क करो.

विनोद ने कार रोकी. मई बिना कुछ बोले कपड़ो का बंड्ल लेजर एक एसे दुकान मे घुसी जिसका शटर आधा बंद था. दुकान के उपर बोर्ड था,

“शालु टेलरिंग हाउस”

मई झुक कर दुकान के अंदर घुसी.

विनोद – शालु, रुक जाओ, इश्स समय दुकान मेी घुसना सेफ नही है. हम अपने सोसाइटी के टेलर को कहेंगे तो वो दीवाली तक तुम्हारा सूट तैयार कर देगा.

लेकिन मई अपने सोसाइटी के टेलर काल्पेश से नही छुड़वाना चाहती थी. वो मुझे और मेरी फॅमिली को बढ़िया से जानता था. वो मेरे लिए अंजान नही था. मई किसी अंजान दर्जी से छुड़वाना चाहती थी. मेरे पीच्चे विनोद भी दुकान मे घुस गये.

लेकिन दुकान के अंदर का सीन वैसा नही था जैसा कहानी मेी पढ़ा था.. किसी दुबले पतले अधेड़ (मिड्ल एज्ड) आदमी के बदले कोई 30-32 साल का हटता-कटता, जवान और मजबूत दिखने वाहा आदमी स्विंग मशीन चला रहा था. यूयेसेस के सारे बाल काले थे जब की कहानी वाले दर्जी के आधा बाल सफेद थे.

उस दर्जी ने कदमो की आहत सुन्न हमारी ऑर देखा.

दर्जी – दुकान बंद हो चुका है. आप लोग घर जाईए.

उस सरजी की पर्सनॅलिटी तो बढ़िया थी ही उसकी मीठी लेकिन बुलंद आवाज़ ने मुझे बहुत इंप्रेस किया. अपनी बात ख़तम कर वो मेरी तरफ घूर घूर कर देखने लगा. अंडाउटेड्ली, मेरी खूबसूरती उससे भी बहुत पसंद आ गयी थी.

दर्जी – साहब, इतनी खूबसूरत औरत को साथ मे लेकर इतनी रात मे घर से बाहर नही निकलना चाहिए. क्यो मेरी नियत खराब करने पर तुले है आप दोनो.

ये दर्जी कहानी वाले दर्जी से बिल्कुल अलग था और ये आदमी मुझे बहुत पसंद आ गया. यूयेसेस ने डाइरेक्ट्ली कह दिया की मेरी खूबसूरती और जवानी देख कर उसकी नियत खराब हो रही है.

दर्जी बेशरम जैसा मुझे घूर ही रहा था.

मई – भैया, हम लोग इश्स जगह के लिए नये है. हम किसी और दर्जी को नही जानते. तुम्हारे दुकान पर अपना नाम देख कर हम यान्हा आए है. मेरा नाम शालूहाई. मुझे दीवाली की रात पहन-ने के लिए एक पंजाबी सूट सिलवाना है. प्लीज़ अपनी बहन को निराश मत करो.

मेरी बात सुनकर दर्जी मुस्कुराया.

दर्जी – में साहब, शालु मेरी बहन नही मेरी घरवाली है. और दूसरी बात, मेरे पास पहले से ही बहुत काम है. मई और कोई काम नही ले सकता.

यह सुन्न कर की जो नाम मेरा है वोही उसकी पत्नी का भी है, मई बहुत खुश हो गयी. मई तो बोलना चाहती थी की मुझे भी अपनी पत्नी ही समझ लो लेकिन अपने को कंट्रोल कर लिया. मैने फिर रिक्वेस्ट किया.

मई – यार, कितना भी काम हो तो भी एक सलवार सूट का सिलाई तो कर ही सकते हो. प्लीज़ मेरा नाप ले लो.

मई दर्जी को कन्विन्स करने का ट्राइ कर रही थी लेकिन विनोद रूम मे किनारे रखे चेर पर चुप छाप बैठा था.

दर्जी – शालु, आप अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ, मई दीवाली के पहले ड्रेस तैयार कर दूँगा.

दर्जी ने मुझे नंगा होंने कहा. उसकी बात सुन्न मुझे लगा की रूम मे बहुत ही पवरफुल बॉम्ब फटा हो. मैने शर्म से आँखे नीचे झुका ली. मुझे लगा की दर्जी की इनडीसेंट बात सुन्न कर विनोद गुस्सा होगा,दर्जी को गाली देगा लेकिन विनोद चुप रहा.

दर्जी की बात सुन्न मई पानी पानी हो गयी. मई चाहती थी वो मुझे प्यार से, मीठी बातो से पटाए, नाप लेते समय चुचि, छूट, चुटटर को सहलाए और मुझे नंगा कर के छोड़े. लेकिन ये आदमी मुझे खुद नंगा होने बोल रहा था.

मई – चलो विनोद घर चलते है. मुझे कुछ नही सिलवाना.

मई वापस जाने के लिए घूमी और दर्जी फुर्ती से उठा. उसने दौर कर शटर को पूरा गिरा दिया. वापस हमारे पास आया.

दर्जी – साहब, भगवान आपको बहुत तरक्की दे, हमेशा खुश रखे. मई सिर्फ़ आज के सूट का नही, जब तक जिंदा रहूँगा आप के घर के सभी लोगो का कपड़ा मुफ़्त मे, वो भी प्राइयारिटी मे सिलता रहूँगा.

मैने इश्स से पहले इतनी खूबसूरत औरत नही देखी. इतनी बढ़िया जवानी नही देखी. प्लीज़ साहब, मुझे आपकी घरवाली को नंगा देखना है.

दर्जी ने इतना कुछ कहा फिर भी विनोद चुप छाप बैठा रहा. विनोद की पर्सनॅलिटी भी बढ़िया थी लेकिन मुझे लगा की दर्जी की पर्सनॅलिटी देख कर विनोद दर्र गया है इश्स लिए चुप बैठा है.

मेरे दिमाग़ मे यूयेसेस समय तक यह बात नही आई थी की विनोद क्यूक्कल्ड है और अपने घर की औरतो को दूसरे से चुड़वाते देखना चाहता है. दर्जी की बात सुन्न कर भी विनोद चुप रहा. मुझे और क्या चाहिए था. दर्जी की बाते सुन्न, उसकी हर्क़ुआत देख मेरी छूट गीली होंने लगी थी. फिर भी मई चाहती थी की दर्जी ही पहल करे.

दर्जी की बातो का विनोद ने कोई जबाब नही दिया. मैने ही दर्जी के आँखो मे देखा.

मई – तुम मेरी मजबूरी का फाइयदा उठा रहे हो और तुम्हे ये लग रहा है की मुझे नंगा करोगे तो मेरा घरवाला तुम्हे कुछ नही बोलेगा. जिंदगी भर जैल मे आता पीसना पड़ेगा!

लेकिन दर्जी के उपर कोई असर नही हुआ.

दर्जी – तुम भी कुँवारी नही हो. सैकड़ो बार छुड़वा चुकी हो. एक बार मेरे सामने नंगी हो जाओगी तो तुम्हारी खूबसूरती कम नही हो जाएगी.

तुम्हारा घरवाला भी सामने बैठा इश्स लिए है मई तुम्हारा कोई नाजायज़ फाइयदा नही उतौँगा. बस, मुझे अपनी असल खूबसूरती देखने दो. जिंदगी भर तुम लोगो के कपड़े मुफ़्त मे स्टिच करता रहूँगा. अपनी जवानी देखने दो शालु.

दर्जी ने अपनी बात ख़तम की. बे झिझक वो मेरे पास आया. ना विनोद ने उससे टोका और ना मैने उससे रोका.

यूयेसेस ने मेरा आँचल नीचे खींचा. सारी के फोल्ड को खोला. सारी नीचे गिर गया. पेटिकोट का नडा खींचा. पेटिकोट भी नीचे गिरा. मैने जान भूख कर यूयेसेस दिन पनटी नही पहना था. कमर के नीचे मई नंगी थी. छूट पर बड़े-बड़े झांट थे. वो मेरे सामने आया और छूट को सहलाने लगा.

दर्जी बहुत धीरे से बोला-

“रानी बहुत ही ज़्यादा सुंदर हो, अब बर्दास्त नही हो रहा है. छोड़ने दो.“

यूयेसेस ने इतना धीरे कहा था की विनोद ने शायद सुना ही नही. विनोद की चुप्पी ने मुझे एनकरेज किया. मैने भी धीरे से कहा-

“फिर सोच क्या रहे हो? पहले इश्स नमार्द के सामने मुझे छोड़ लो फिर नाप लेना.”