जॉब के चक्कर मे चूत चुड गयी-2

ही फ्रेंड्स, मई 24 साल की प्यारी सी संगीता हू. मेरी काली गहरी ज़ूलफे, मदिरा छिड़कते मेरे ये मस्त-मस्त दो नैन, रस्स से भरे मेरे दो गुलाबी होंठ और मेरे गोरे-गोरे गालो के सब दीवाने है.

मेरे इस रूप के जाल मे जो भी फ़ससा, बस फ़ससा ही रह गया. संगेमरमर जैसे मेरे बदन का तो कहना ही क्या है. मेरे इस बदन पर जो बड़े-बड़े चूचे है, उसकी तो दुनिया दीवानी है. हर कोई मेरे इन काससे हुए चूचो का मज़ा लेना चाहता है.

मेरी उभरी हुई मस्त गांद के तो कहने ही क्या है. जब मई मटक-मटक कर चलती हू, तो चाहे वो बच्चे हो, बुड्दे हो, या जवान हो, सबके लंड खड़े हो जाते है. मुझे देख-देख कर सब आहें भरते है और हाए-हाए करते है.

मई बस इसी तरह से अपने जवान और मादक जिस्म का प्रयोग करती हू और हमेशा जवान, स्मार्ट और हॅंडसम लड़को से अपनी छूट चुड़वाती हू और उनको अपने रूप का रस्स-पॅयन करवाती हू. अब मई अपनी कहानी पर आती हू-

पिछले पार्ट मे आपने पढ़ा था, की कैसे मई जॉब करने के लिए अपना घर छोढ़ कर बंगलोरे चली गयी. फिर मैने वाहा एक होटेल मे पैसो के लिए अपनी चुदाई करवाई, लेकिन चुदाई करने वाले मे दूं नही था. उसके अगले दिन मई जॉब इंटरव्यू के लिए गयी. अब आयेज-

वाहा और भी बहुत सारे लड़के और लड़किया इंटरव्यू देने आने हुए थे. मेरा नंबर 14त था. फिर मेरा नाम पुकारा गया और मई अंदर चली गयी. इंटरव्यू बोर्ड मे टोटल 5 लोग थे. उनमे से एक लॅडीस थी.

कंपनी के सेयो बीच मे बैठे थे और मई इंटरव्यू के लिए अंदर बोर्ड के सामने खड़ी हुई थी. मैने सब लोगो का अभिनंदन किया. जब विक्रम सेठ(सेयो) ने मुझे देखा, तो देखता ही रह गया. फिर 2 मिनिट देखते रहने के बाद, लेडी मेंबर ने बात शुरू की.

लेडी मेंबर: अकटुल्ली आप इतनी सुंदर है, की आप पर से नज़र ही नही हट रही है.

मई उनकी ये बात सुन कर मुस्कुरा दी. विक्रम सेठ ने मेरे अकॅडेमिक सर्टिफिकेट माँगे और मैने फुल्ली अरेंज किए हुए सारे सर्टिफिकेट उनके सामने कर दिए. फिर उन्होने मुझसे पूछा-

विक्रम सेठ: 2 साल हो गये आपको म.टेक. किए हुए. इससे पहले आप कहा जॉब कर रही थी?

मई: नही, इससे पहले मई कही जॉब नही कर रही थी. ये मेरा फर्स्ट टाइम है.

विक्रम सेठ: ओक.

फिर उन्होने मुझे बाहर वेट करने के लिए बोल दिया. उस वक़्त 12 बाज रहे थे और इंटरव्यू का रिज़ल्ट 3 बजे आने वाला था. फिर मई रिज़ल्ट का वेट करने लगी. 3 बजे मुझे दूसरे चेंबर मे बुलाया गया. जब मई अंदर गयी, तो वाहा विक्रम सेठ अकेले बैठे थे. उन्होने मुझे बोला-

विक्रम सेठ: वेलकम संगीता डार्लिंग. आओ बैठो.

और उन्होने मुझे बैठने का इशारा किया. विक्रम सेठ ने मुझे सॉफ-सॉफ शब्दो मे कहा-

विक्रम सेठ: तुम बहुत खूबसूरत हो, इसलिए तुम्हे सेलेक्ट किया गया है. लेकिन तुम्हे मुझे कंपनी देनी होगी. अगर मंज़ूर है तो अपायंटमेंट लेटर लेलो, नही तो तुम जेया सकती हो.

मई ये जॉब छोढ़ना नही चाहती थी, इसलिए मैने ओक कर दिया. फिर सेठ ने मुझे अंदर जाने को कहा और मई अंदर चली गयी. वो भी मेरे पीछे-पीछे आ गया. जैसे ही हम रूम मे आए, तो उसने पीछे से मुझे अपनी आगोश मे ले लिया. अब मेरी बड़ी-बड़ी चूचिया उसके हाथ मे थी. मई बोली-

मई: मेरी छूट बहुत गहरी है. अगर कही तुम छोड़ते-छोड़ते अंदर चले गये, तो अपायंटमेंट लेटर कों देगा मुझे? इसलिए पहले मुझे लेटर डेडॉ.

उसने कहा: तुम तो बहुत चालू लगती हो.

ये बोल कर सेठ ज़ोर-ज़ोर से हासणे लग गया. फिर उसने बाहर से एक आदमी को आवाज़ दी. आदमी आया और उसने सेठ से पूछा-

आदमी: एस सिर?

जाओ जाके संगीता की अपायंटमेंट लेटर बनवा कर लेके आओ. वो आदमी वाहा से चला गया. फिर विक्रम सेठ मेरे तरफ मुखातिब हुआ और बोला-

विक्रम सेठ: और कुछ भी चाहिए?

मई: अगर मई तुम्हारे पास रहूंगी, तो मेरे रहने, खाने, पीने का इंतेज़ां तुम करोगे.

विक्रम सेठ: हा-हा बिल्कुल.

फिर ये कह कर सेठ ने मेरे गालो को चूमना शुरू कर दिया. उसके बाद वो मेरे रसीले होंठो को चूसने लग गया. होंठो को चूस्टे-चूस्टे वो मेरी चूचियो पर आ गया और मेरी नरम चूचियो को दबाने लग गया.

अब उसका खड़ा हुआ लंड मेरी गांद को फील हो रहा और मुझे इस बात का अंदाज़ा हो रहा था, की उसका लंड कितना विशाल था. फिर सेठ मे मेरी चूचियो से पल्लू हटाया और मेरा ब्लाउस खोलने लग गये. उन्होने मेरे ब्लाउस का हुक खोला और उसको मेरे जिस्म से अलग कर दिया.

अब मई सिर्फ़ ब्रा मे उसके सामने थी. मुझे ब्रा मे देख कर सेठ का लंड उछाले मारने लगा. फिर मैने अपनी सारी भी उतार दी और मुझे ब्रा और पेटिकोट मे देख कर सेठ बड़बड़ाने लगा-

विक्रम सेठ: सेक्सी, बहुत सेक्सी.

ये कहते हुए सेठ मुझे अपनी आगोश मे कसता गया. फिर मैने सेठ की पंत और अंडरवेर दोनो उतार दिए. अंडरवेर उतारते ही उसका बड़ा सा लंड मेरे सामने आ गया और मई उसके लंड को देख कर डांग रह गयी और बोली-

मई: आज तो मेरी बर का भड़ता बन जाएगा. धीरे से छोड़िएगा सेठ जी.

फिर मैने सेठ के लंड को अपने हाथ मे लिया. उसका लंड इतना बड़ा था, की किसी नीग्रो का लंड भी उसके लंड के सामने फीका पद जाएगा. सेठ का लंड एक-दूं तंन कर खड़ा था और फंफना रहा था.

खड़ा हुआ लंड सेठ की नाभि से टकरा रहा था. फिर वो मेरी चूचियो से खेलने लगा और उसका बड़ा सा लंड मेरी छूट पर टकराने लग गया. मेरी चिकनी, गोरी और सपाट छूट को देख कर सेठ के सबर का बाँध टूट गया.

अब वो जल्दी से जल्दी अपने लंड को मेरी गरम छूट की आगोश मे डाल देना चाहता था. फिर सेठ मे मुझे अपनी तरफ खींच कर चिट लिटा दिया. वो मुझे बेड के किनारे पर ले गया और मेरी टाँगो को खोल कर अपने कंधो पर रख दिया.

अब मेरी छूट उसके लंड के बिल्कुल सामने थी. फिर उसने अपने 10 इंच लंबे और 4 इंच मोटे लंड को मेरी छूट के मूह पर रगड़ना शुरू कर दिया. रगड़ते-रगड़ते जब उसके मोटे लंड का टोपा मेरी छूट मे अटका, तो उसको पता लग गया, की उसका लंड मेरी छूट के मूह पर था.

अब उसको मेरी जन्नत का द्वार मिल चुका था. फिर क्या था, सेठ ने अपने लोड को ज़ोर से और बेरेहमी से धक्का दिया और मेरी चीख निकल गयी. उसका लोड्‍ा मेरी बर की दीवारो को चीता हुआ अंदर चला गया, लेकिन अभी सिर्फ़ 2 इंच लोड्‍ा ही अंदर गया था.

फिर सेठ ने दूसरा धक्का मारा और उस धक्के के साथ मेरी गांद उपर की तरफ उछाल गयी और सेठ का आधा लंड मेरी बर मे चला गया. अब सेठ का गढ़े जैसा लोड्‍ा जब एक औरत की बर मे जाएगा, तो दिक्कत तो होगी ही. तभी सेठ बोला-

विक्रम सेठ: बहुत मज़ा आ रहा है मुझे. मैने आज तक ऐसी बर नही छोड़ी है.

मई बोली: आज जी भर कर छोड़ ले सेठ. और मुझे भी खुश कर देना.

विक्रम सेठ: हा बिल्कुल.

ये बोल कर सेठ ने मेरी बर मे तीसरा धक्का दिया. इस बार सेठ का पूरा लोड्‍ा मेरी बर मे चला गया. उसका लोड्‍ा सीधा मेरी बच्चे-दानी को जाके लगा और मई दर्द से बिलबिला उठी. लेकिन सेठ को अभी भी तसल्ली नही हुई थी.

उसने देखा, की उसका तोड़ा सा लोड्‍ा अभी भी बाहर था. फिर उसने एक और ज़ोर का धक्का लगाया और उसका पूरा लोड्‍ा मेरी छूट को चीरट-फाड़ता हुआ, मेरी बर मे समा गया. अब सेठ को तसल्ली हुई और उसने दे दाना दान मेरी छूट छोड़नी शुरू कर दी.

सेठ पूरा ज़ोर लगा कर मेरी छूट को छोड़ रहा था और मई भी गांद उछाल-उछाल कर उसका साथ दे रही थी. करीब 20 मिनिट की चुदाई के बाद मई काँपने लग गयी और मेरा शरीर अकड़ गया. लेकिन सेठ मुझे लगातार छोड़ता ही रहा. फिर थोड़ी देर बाद मई सेठ को बोली-

मई: अब ज़रा पटट्री बदल लो. एक ही पटट्री पर कितनी गाड़ी दौदाओगे?

फिर सेठ ने मेरी बर मे से अपना लंड निकाला और मई कुटिया बन गयी. मई उसको बोली-

मई: आ मेरे डॉगी राजा, अब अपनी कुटिया को छोड़ दे.

मेरी बर अब पीछे की तरफ निकली हुई थी. सेठ ने जंप मार कर अपना लोड्‍ा मेरी छूट मे पेल दिया. अब बिना किसी रुकावट के उसका पूरा लोड्‍ा मेरी बर मे समा गया. मुझे सेठ से चूड़ने मे बड़ा मज़ा आ रहा था.

डॉगी पोज़िशन मे सेठ ने मुझे 20 मिनिट छोड़ा और मेरी छूट ने फिरसे पानी की धार छोढ़ दी. अब मेरी छूट से पानी ताप-ताप करके निकल रहा था. मई फिरसे उसको आसान बदलने को बोली और उससे पूछा-

मई: अब कितना और छोड़ोगे सेठ? मेरी बर का तो बुरा हाल हो गया है.

विक्रम सेठ बोला: इतना ज़बरदस्त माल है तू. तुझे इतनी जल्दी थोड़ी छोढ़ुंगा.

मई: ठीक है, छोड़ सेयेल. जितना मॅन करे उतना छोड़. मई भी हार नही मान-ने वाली.

फिर मैने अपनी टाँगो को फैला दिया, जिससे छूट का मूह पूरा खुल गया. फिर मई बोली-

मई: आज सेठ, जितना दिल करे छोड़ ले अपनी रानी को.

सेठ ने अपना लोड्‍ा मेरी बर मे ठोका और मैने टाँगो को सत्ता कर अपनी बर को टाइट कर लिया. वो मुझे पागलो की तरह छोड़ने लग गया और बोलने लगा-

विक्रम सेठ: हाए रे! हाए रे! क्या मज़ा आ रहा है आहह.. बहुत मज़ा आ रहा है मुझे.

मई: छोड़ता जेया सेठ, छोड़ता जेया. और छोड़ मुझे आअहह.. ज़ोर से छोड़ सेयेल आहह.. छोड़ डाल और फाड़ डाल मेरी इस छूट को.

सेठ भी चिल्ला-चिल्ला कर बोल रहा था-

सेठ: ले साली रंडी, ले. और ले मेरा लंड आ.. आज तेरी छूट फाड़ डालूँगा. ले और ले आहह..

सेठ बोलता जेया रहा था और धक्के देता जेया रहा था. फिर करीब 20 मिनिट की घमासान लड़ाई के बाद, दोनो जंगी योढ़ा शांत पद गये. अब सेठ के चेहरे पर संतुष्टि के भाव नज़र आ रहे थे. फिर वो बोला-

विक्रम सेठ: जितना सुकून आज तुमने मुझे दिया है, उतना मुझे कभी किसी से नही मिला. मुझे जाना नही होता, तो मई कल फिरसे तुम्हारी चुदाई का मज़ा लेता.

फिर मई वापस आने के लिए तैयार हो रही थी. सेठ ने मुझे अपायंटमेंट लेटर दी और रेहान-सहन के खर्च के लिए 50 हज़ार रुपय दिए. फिर मई होटेल मे वापस आ गयी. रूम मे आने पर रूम बॉय मेरे पास आया और बोला-

रूम बॉय: आज एक कमसिन छ्होरा मिला है.

मैने उसको माना किया, तो वो बोला-

रूम बॉय: आपके कहने पर ही मैने बुकिंग ली है. अब तो आपको करना ही पड़ेगा.

फिर मैने बोला: फिर ऐसा करना, उसको 11 बजे ले आना.

11 बजे रूम बॉय एक-दूं कमसिन छ्होरे को मेरे रूम मे ले आया. उस छ्होकरे ने भी मेरी घमासान चुदाई की. मई चुड-चुड कर मस्त से पस्त हो गयी. लेकिन आज मुझे काफ़ी पैसा भी मिला और जॉब भी मिल गयी थी.

इस स्टोरी मे इतना ही दोस्तो. मुझे अपनी फीडबॅक ज़रूर भेजिएगा.