जवान लड़की और बस कंडक्टर का वासना का खेल

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम नीना है. मेरी उमर 36 साल है, और मैं एक शादी-शुदा औरत हू. मेरा एक 10 साल का बेटा है, और मेरे पति एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते है. हम लोग उप से है. ये जो कहानी मैं आप सब को बताने जेया रही हू, वो आज से 14 साल पहले की है.

उस वक़्त मैं कॉलेज में पढ़ती थी, और 22 साल की थी. मैं रेग्युलर बस से कॉलेज आती-जाती थी. काई बार मेरी फ्रेंड भी मेरे साथ होती थी. लेकिन ज़्यादातर मैं अकेली ही होती थी. उसी दौरान मैं एक बस कंडक्टर से चूड़ी थी. चलिए बताती हू की सब कैसे हुआ.

जैसा की मैने बताया मैं 22 साल की थी. मेरी हाइट 5’4″ थी, और फिगर 32-27-34 था. बॉडी एक-दूं टाइट थी मेरी, और रंग एक-दूं गोरा. बहुत से लड़के मुझ पर लाइन मारते थे, और मुझे उनका लाइन मारना बहुत अछा लगता था.

जिस बस में मैं आती-जाती थी, वो सरकारी बस थी. वाहा एक नया कंडक्टर आया था. वो लड़का कोई 25-26 साल का था, और दिखने में भी ठीक-ताक था. मेरी उसके लिए कोई ऐसी मंशा नही थी. लेकिन फिर उसने मुझे इतना गरम कर दिया, की मैं उसके लंड पर चढ़ने के लिए मजबूर हो गयी.

जिस बस में मैं जाती थी, वाहा अक्सर भीड़ होती थी. क्यूंकी सुबा के वक़्त सब अपने काम पर जाते है. तो इस वजह से मुझे खड़े होके जाना पड़ता था. एक दिन ऐसे ही मैं बस में खड़ी हुई थी. मैने पाजामी-कुरती पहनी हुई थी, और उपर हाथ करके सपोर्ट लेके खड़ी थी. तभी वो सामने से आया, और टिकेट पूछने लगा.

बस में काफ़ी भीड़ थी, और बिना सपोर्ट के बॅलेन्स करना मुश्किल था. मुझे पाजामी की जेब से पैसे निकालने थे, लेकिन अगर मैं हाथ नीचे करती, तो गिर जाती. वो समझ गया था की मुझे जेब से पैसे निकालने में दिक्कत हो रही थी, तो उसने हाथ बढ़ाया, और मेरी जेब में डाल कर पैसे निकाल लिए.

जैसे ही उसका हाथ मेरी जेब में जाके मेरी जाँघ से टच हुआ, मेरी बॉडी में करेंट सा दौड़ गया. मुझे ऐसी फीलिंग आई, जैसी पहले कभी नही आई थी. शायद पहली बार किसी मर्द ने मुझे च्छुआ था, इसलिए ऐसा हुआ था. फिर उसने पैसे काटे, और बाकी के वापस जेब में डाल दिए. उसके बाद वो अगले पॅसेंजर के पास चला गया.

मुझे इसमे बहुत मज़ा आया. मैं सारा दिन उसी इन्सिडेंट को याद करने अपने आप में ही स्माइल करती रही. फिर वापस जाने के टाइम पर बस खाली थी, तो मुझे सीट मिल गयी. इस बार जब मैं उससे टिकेट लेने लगी, तो मेरी हस्सी छूट गयी. उसने भी मुझे देख कर स्माइल पास कर दी.

अगले दिन फिरसे वैसा हुआ. मैने जान-बूझ कर हाथ नीचे नही किया, और उसने फिरसे पैसे मेरी जेब से निकाले. मुझे इसमे बड़ा मज़ा आया. अब जब भी भीड़ होती, मैं उसको मेरी जेब से पैसे निकालने का इशारा कर देती. वो भी समझ चुका था की मैं ये जान-बूझ कर रही थी.

फिर अगला स्टेप उसने लिया. बस में भीड़ थी, और वो मेरे पास टिकेट काटने आया. मैने फिरसे उसको जेब में हाथ डाल कर पैसे निकालने का इशारा किया. इस बार उसने जेब में हाथ डाला, लेकिन पैसे निकालने से पहले वो मेरी जाँघ पर हाथ फेरने लगा. वो अपना हाथ मेरी पनटी के बॉर्डर तक ले गया, और उसमे उंगली डालने लगा.

इससे मैं बड़ी उत्तेजित हो गयी, और मेरी छूट गीली होने लगी. फिर जैसे ही उसका हाथ मेरी छूट तक पहुँचा, मैने उसका हाथ रोका, और उसको पैसे निकाल कर दिए. फिर वो मुझे देख कर स्माइल करने लगा. मैं थोड़ी दर्र गयी थी, तो मैने उसको स्माइल पास नही की.

उसी दिन सारे पॅसेंजर्स की टिकेट्स काटने के बाद वो मेरे पीछे आके खड़ा हो गया. भीड़ होने का उसने फ़ायदा उठाया, और वो मुझसे चिपक गया. मुझे उसका खड़ा हुआ लंड अपनी गांद पर फील हो रहा था. मेरी छूट गीली होती जेया रही थी, और मुझे दर्र भी लग रहा था. मैं समझ नही पा रही थी की मैं क्या करू. तभी मेरा स्टॉप आ गया, और मैं बस से उतार गयी.

उस दिन रात में मुझे बस में जो हुआ उसी के ख़याल आते रहे. मैं सोच-सोच कर मुस्कुराती रही. सब कुछ सोचते हुए मेरा हाथ अपने आप ही मेरी छूट पर चला गया, और मैं अपनी छूट को सहलाने लगी. अब मुझे अगले दिन का इंतेज़ार था.

फिर अगले दिन मैं बस में चढ़ि, तो बस में भीड़ नही थी. मुझे पस्सेगे वाली सीट मिल गयी. फिर वो आया टिकेट काटने, लेकिन आज मैं उसको जेब में हाथ डालने को नही बोल सकती थी. मैने उसको पैसे दिए, और वो टिकेट काट कर आयेज चला गया. मेरा सारा मूड खराब हो गया. मैने सोचा चलो शाम को सही.

लेकिन सारी टिकेट्स काटने के बाद वो मेरे पास आके खड़ा हो गया. फिर मुझे अपने कंधे पर कुछ महसूस हुआ. मैने देखा, तो ये उसका हाथ था. उसके हाथ को अपने कंधे पर देखते ही मैं उत्तेजित होने लगी.

वो वही नही रुका. वो धीरे-धीरे अपना हाथ नीचे की तरफ सरकने लगा, और सरकते हुए उसका हाथ मेरे एक बूब पर आ गया. ओह मी गोद, मुझे पता नही क्या हो रहा था. मेरी छूट धड़ा-धड़ पानी छ्चोड़ने लगी. मुझे मज़ा भी आ रहा था, और दर्र भी लग रहा था की बस में कोई हमे देख ना ले.

फिर उसने मेरे बूब को हल्के से दबाया. इससे मैं काँप गयी. मेरी साँसे तेज़ थी, और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. वो वाहा भी नही रुका, और अपना हाथ मेरी क्लीवेज पर रख कर उंगली रगड़ने लगा. मैं तो जैसे पागल हो रही थी.

उसके बाद उसने हाथ अंदर डाल लिया, और ब्रा में ले-जाके बूब पर रख लिया. उसने अपनी 2 उंगलियों से मेरे निपल्स को मसलना शुरू किया. मेरे मूह से हल्की सिसकियाँ निकालने लगी. माहौल बड़ा कामुक हो गया था. तभी ड्राइवर ने ब्रेक लगाई, और उसने जल्दी से हाथ बाहर निकाल लिया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको फ्रेंड्स में शेर ज़रूर करे.