हवस भरे बाप के अपने बेटे की फ्रेंड को चोदने की कहानी

हेलो फ्रेंड्स, मैं हू जवाहर. प्यार से लोग मुझे जीतू कहते है. मेरी उमर 50 साल है, और मैं गूव्ट. जॉब पर हू. मैं उप से हू, और मेरे पास पैसों की कोई कमी नही है, तो मैने बहुत ऐश की है.

मेरा लंड 8 इंच का है, और मैने बहुत छूट छोड़ी है. जवान, बुद्धि, मोटी, पतली हर तरह की औरतें मैने छोड़ी हुई है. मैने कभी शादी नही की, तो मेरी अपनी कोई फॅमिली नही है. मा-बाप मेरे काफ़ी सालों पहले गुज़र चुके है.

मेरी लाइफ का एक ही मोटिव है, और वो है ऐश करना. मरने से पहले खुल के जीना. वारिस के नाम पर मैने कुछ साल पहले एक बेटा गोद लिया था. उसका नाम पवन है.

मैने उसका सारा खर्च किया, और वो अब कॉलेज में है. लड़का सयाना है, और मेरी इज़्ज़त करता है. वैसे इज़्ज़त तो करेगा ही, जब इतना पैसा छ्चोढ़ के जौंगा उसके लिए. तो चलिए अब मैं कहानी पर आता हू.

जैसा की मैने बताया मेरा बेटा कॉलेज में पढ़ता है. वो सेकेंड एअर में है. अभी कुछ दिन पहले की ही बात है, की वो एक लड़की को अपने साथ घर पर ले आया. उस लड़की का नाम मनीषा था, और वो उसकी क्लासमेट थी.

मैं घर पर था, और बेल बाजी. जब मैने दरवाज़ा खोला, तो मनीषा पवन के साथ खड़ी थी. जैसे ही मैने मनीषा को देखा, तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी. दोस्तों, वो इतनी क्यूट थी, की उसको देखते ही मेरा उस पर दिल आ गया.

उसने ब्लॅक पाजामी-सूट पहना था. साथ में दुपट्टा था. बाल उसके हल्के ब्राउन थे, और हाइट 5’6″ के आस-पास होगी. होंठ उसके पिंक थे, और दिल कर रहा था की अभी चूस लू. फिगर उसका 32-28-34 होगा.

उसने मुझे नमस्ते बोला, लेकिन मैं इतना मगन था, की कोई जवाब नही दिया. फिर पवन ने मुझे आवाज़ लगाई, तो मैं होश में आया, और उसको जवाब दिया. फिर मैने दोनो को अंदर आने दिया. अंदर आके पवन बोला-

पवन: बाबा ये मेरी क्लासमेट है. इसको स्टडीस में थोड़ी प्राब्लम थी, तो मैं इसको घर ले आया.

मैं: कोई बात नही बेटा, स्टडीस में तो हेल्प करना बनता है. और वो भी इतनी प्यारी लड़की को.

मेरे मूह से तारीफ सुन कर मनीषा शर्मा गयी. फिर मैने उनको कॉफी लाके दी. पवन उसको अपने रूम में ले गया.

जब वो जेया रही थी, तो मैं उसकी मटकती गांद देख कर पागल हो रहा था. मुझे अब उस काली को छोड़ना ही था हर कीमत पर. लेकिन मैं सोच रहा था, की ये सब होगा कैसे. सर से लेके पावं तक करेंट थी साली.

फिर मैं बार-बार पवन के रूम के अंदर-बाहर होता रहा ताकि मैं मनीषा के दीदार कर साकु. जब वो कुछ बोलने के लिए मूह खोलती, तो मेरा दिल करता मैं उसके मूह में अपना लंड डाल डू.

उसकी गोरी गर्दन देख-देख कर तो मेरा लंड काबू से बाहर हो रहा था. इतना दीवानापन मैने आज तक किसी के लिए महसूस नही किया था. फिर वो चली गयी, और मैने अपना लंड उसका नाम ले-ले कर हल्का किया.

मेरे सर पर उसको छोड़ने का फितूर सॉवॅर हो गया. फिर मैं प्लान बनाने लगा. मैने घर में जगह-जगह कॅमरा फिट कर दिए. अब वो भी हफ्ते में 2-3 बार आ जाती थी. जब वो जीन्स पहनती थी, तो उसकी गांद मस्त दिखती थी.

फिर एक दिन मैं उनके लिए छाई लेके गया. जब मैं उसको छाई दे रहा था, तो मैने जान बूझ कर उस पर कॉकरोच फेंक दिया. वो कॉकरोच देख कर उछाल पड़ी, और छाई उस पर गिर पड़ी. उसकी सारी जीन्स छाई से भीग गयी.

अब उसके पास कपड़े बदलने के अलावा कोई चारा नही था. मैने उसको बातरूम में जाके चेंज करने के लिए कहा (मैने पहले से बातरूम में कॅमरास लगा दिए थे). वो बातरूम गयी, और मैने उसको पवन की जीन्स दे दी थी.

फिर मैने उसकी जीन्स ली, और उसको ढोने के लिए ले गया. ढोने से पहले मैने उसकी जीन्स पर छूट वाली जगह को आचे से सूँघा. क्या खुश्बू थी उसकी छूट की, सूंघ कर मेरा लंड खड़ा हो गया. फिर मैने उसकी जीन्स पर ही मूठ मार ली. उसके बाद मैने उसकी जीन्स को धो कर सूखा दिया.

फिर वो चली गयी. मैने उसके जाने के बाद कॅमरा की रेकॉर्डिंग देखी. क्या कमाल का जिस्म था उसका. उसने पहले अपनी जीन्स उतारी. नीचे उसने ब्लॅक पनटी पहनी हुई थी. पनटी में वो बवाल लग रही थी.

फिर उसने पनटी उतार दी. अब उसकी क्लीन-शेव्ड छूट मेरे सामने थी. उसकी छूट बिल्कुल पिंक थी, जैसी पॉर्न वीडियोस में होती है. मैं फिरसे अपने आप को रोक ना सका, और वीडियो देखते हुए अपने लंड का पानी निकाल दिया. अब तो मेरा और भी मॅन कर रहा था उसको पटक-पटक कर छोड़ने का.

फिर कुछ दिन ऐसे ही बीट गये. अब मेरे पास उसकी कपड़े बदलने की और मूतने की वीडियोस थी. मैं उन्ही वीडियोस को देख कर रोज़ अपना लंड हिलता था. फिर एक दिन मैने पवन को किसी काम के बहाने से कही भेज दिया. उस वक़्त मनीषा घर पर ही थी.

फिर मैने उससे बातें करनी शुरू कर दी. मैने जान-बूझ कर उसके सामने कहा-

मैं: आह…

मनीषा: क्या हुआ अंकल?

मैं: ये मेरी पीठ में दर्द सा निकल रहा है. मुझसे खड़ा नही हुआ जेया रहा.

मनीषा: रूको आप, मैं आपकी हेल्प करती हू.

मैं: हा बेटी, ज़रा हाथ डेडॉ तो बेहतर होगा.

फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा, और मुझे खींच कर खड़ा किया. उसका हाथ मेरे हाथ में आते ही मेरे जिस्म पर करेंट सा लगा. उसने उस दिन रेड आंड वाइट त-शर्ट, और ब्लू जीन्स पहनी हुई थी.

मैने अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख लिया, जो बार-बार उसके चूचे को टच कर रहा था. क्या मज़ा आ रहा था. मेरा वेट ज़्यादा था, तो मैं जहा चाहे उसके बदन पर हाथ फेर रहा था.

फिर हम दोनो मेरे रूम में पहुँच गये. वाहा हम बेड के पास पहुँचने ही वाले थे, की मैने जान-बूझ कर गिरने का ड्रामा किया, और उसको साथ लेकर बेड पर गिर गया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, लंड खड़ा हो गया हो, या छूट में पानी आ गया हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करना.