ही दोस्तों, मैं अंकुश वापस आ गया हू, अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. उम्मीद करता हू, की आपको पिछले पार्ट की तरह ये पार्ट भी पसंद आएगा.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की किस तरह मैने कॉलेज में अपनी दीदी को मुकेश सिर का लंड चूस्टे हुए देखा. उनको ऐसे देख कर मेरे पावं तले से ज़मीन खिसक गयी. जो चीज़ मैने कभी सोची नही थी, आज मैं वही देख रहा था. अब आयेज बढ़ते है.
दीदी उपर से पूरी नंगी थी, और उनके बड़े-बड़े बूब्स एक-दूं आकड़े हुए थे. नीचे उन्होने रेड कलर की लेगैंग्स पहनी थी, जिसमे वो बहुत सेक्सी लग रही थी.
दोस्तों आप खुद इमॅजिन करके देखिए, एक गोरी-चित्ति लड़की, आधी नंगी, और वो भी रेड लेगैंग्स में. क्या कमाल का कंबो बनता है.
मैं दीदी को ऐसे देख कर हैरान था, दुखी भी था, लेकिन मेरा लंड भी खड़ा था. फिर मुकेश सिर ने दीदी को अपनी बाहों में लिया, और उनके होंठो को मज़े से चूसने लग गये.
मैं समझ नही पा रहा था, की दीदी ऐसा क्यूँ कर रही थी. क्या ये कोई मजबूरी थी, या उनकी छूट की आग थी. ये सवाल मुझे खाए जेया रहा था.
फिर मुकेश सिर ने टेबल पर से समान हटाया, और दीदी को टेबल पर लिटा दिया. दीदी की आधी बॉडी टेबल पर थी, और कमर से नीचे की बॉडी नीचे लटकी हुई थी.
मुकेश सिर ने दीदी की लेगैंग्स को कमर से पकड़ा, और उसको नीचे खींच कर निकाल दिया. अब दीदी सिर्फ़ ब्लू कलर की पनटी में थी. उनका गोरा बदन ब्लू पनटी में ज़बरदस्त लग रहा था. अब मैं ये भूल गया था, की अंदर जो लड़की नंगी लेती थी, वो मेरी बेहन थी. और मैने लंड निकाल कर हिलना शुरू कर दिया था.
फिर सिर दीदी के पैरों के पास गये, और उनके पैरों को चूमने लग गये. चूमते-चूमते वो उपर की तरफ जाने लगे. जब वो दीदी की जांघों के पास आए, तो दीदी सिसकियाँ लेने लगी. मेरा भी दिल कर रहा था दीदी की जांघें चूमने का.
मुकेश सिर उपर जाते गये, और दीदी की छूट को पनटी के उपर से किस करने लग गये. दीदी आहें भरने लग गयी. फिर उन्होने पनटी भी उतार दी, और दीदी की छूट में मूह डाल कर चाटने लगी.
दीदी ‘आहह मुकेश आहह मुकेश’ बोलने लगी, और उनके सर को अपनी छूट में दबाने लग गयी. इधर मेरे मूह से भी पानी आने लग गया था. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई पॉर्न वीडियो देख रहा था.
मुकेश सिर छूट चाट-ते हुए अपने दोनो हाथ दीदी के बूब्स पर ले गये, और उनके बूब्स भी साथ-साथ मसालने लगे. इससे दीदी और ज़ोर की सिसकियाँ लेने लग गयी.
फिर मुकेश सिर खड़े हुए, और उन्होने अपने सारे कपड़े उतार दिए. उनका लंड तकरीबन 6 इंच का था. उनका खड़ा हुआ लंड दीदी की छूट की तरफ इशारा कर रहा था. फिर वो दीदी को बोले-
मुकेश सिर: आजा रानी, इट’स वेटिंग फॉर योउ.
ये सुन कर दीदी जल्दी से टेबल पर घोड़ी बन गयी, और अपनी जीभ मूह से बाहर निकाल कर मुकेश सिर को देखने लगी. मुकेश सिर ने अपना लोड्ा हाथ में लिया, और दीदी के मूह में डाल दिया.
दीदी ने अपना हाथ उनके लोड पर रखा, और उसको सहलाते हुए मज़े से चूसने लगी. मैं हैरान था की मेरी पवितरा दीदी इतनी बड़ी रंडी भी हो सकती थी. लेकिन मेरे लंड को इससे कोई मतलब नही था, वो तो प्री-कम निकाले जेया रहा था.
अब मुकेश सिर दीदी के बाल पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से उसके मूह में धक्के देने लग गये. वो दीदी को चोक कर रहे थे, लेकिन दीदी का रिक्षन किसी पॉर्न वीडियो की हेरोयिन की तरह ही था. वो उनके लंड को ऐसे चूस रही थी, जैसे कोई गणना चूस रही हो.
5 मिनिट ऐसे ही मुकेश सिर दीदी के मूह को छोड़ते रहे. फिर उन्होने अपना लंड उनके मूह से बाहर निकाला, और दीदी जल्दी से सीधी लेट गयी.
मुकेश सिर दीदी की टाँगो के बीचे में आए, और अपना लंड दीदी की छूट पर सेट किया. फिर वो लंड को अंदर पुश करने लगे. दीदी आ आ करने लगी, और मुकेश सिर का लंड बिना किसी रुकावट के उनकी छूट के अंदर चला गया. लंड डाल कर वो बोले-
मुकेश सिर: तुम्हारी छूट बहुत गरम है ऋतु. हर बार डालने पर उतना ही मज़ा आता है.
दीदी: ये छूट तुम्हारी ही तो है जानू. और इसका मज़ा भी तुम्हारा है.
मुकेश सिर की बात सुन कर मैं समझ गया की ये वो पहली बार नही छोड़ रहे थे दीदी को. पहले भी काई बार छोड़ा था उन्होने. फिर मुझे अपनी बेवकूफी का एहसास हुआ, की इतने टाइम तक दीदी के इस सच का पता ही नही चला.
मुकेश सिर अब दीदी को मज़े से छोड़ रहे थे, और दीदी भी पूरा मज़ा लेके चुड रही थी. उनका लंड पूरा दीदी की छूट में जाता हुआ नज़र आ रहा था. जब लंड पूरा अंदर जाता, तो उनके टटटे दीदी की गांद के साथ टकराते. पुर रूम में ठप-ठप की आवाज़े आ रही थी.
फिर मुकेश सिर ने दीदी के फेस को पकड़ा, और उनको अपनी तरफ खींचा. दीदी सी शेप में हो गयी थी. अब सिर दीदी के होंठो को चूस रहे थे, और नीचे से उनकी छूट छोड़े जेया रहे थे. ठप-ठप की आवाज़ अब पूछ-पूछ की आवाज़ में बदल गयी थी.
इसका मतलब ये था की दीदी की छूट का पानी निकल चुका था. मुकेश सिर बीच-बीच में उनके मूह पर थप्पड़ भी लगा रहे थे. और हर थप्पड़ के बाद दीदी किसी रंडी की तरह मुस्कुराती थी.
15 मिनिट उसी पोज़िशन में छोड़ने के बाद, मुकेश सिर ने दीदी को घोड़ी बना लिया. अब दीदी का मूह विंडो की तरफ था जहा मैं खड़ा था.
मुकेश सिर ने पीछे से लंड दीदी की छूट में डाला, और तेज़-तेज़ धक्के देने लगे. दीदी के बड़े-बड़े गोरे बूब्स हर झटके पर हिलने लगते. वाह! क्या ज़बरदस्त सीन था. अपनी बेहन को किसी से चूड़ते देखने में शरम तो आती है, लेकिन मज़ा उससे भी ज़्यादा आता है.
दीदी आहह अया कर रही थी. तभी दीदी ने अचानक से विंडो की तरफ देखा. उनकी नज़र सीधी मुझ पर पड़ी. लेकिन मुझे देख कर दीदी घबराई नही, बल्कि और ज़ोर की सिसकियाँ लेते हुए मज़ा लेने लगी.
10 मिनिट की चुदाई के बाद मुकेश सिर का माल निकालने वाला था. उन्होने दीदी से पूछा-
मुकेश सिर: कहा निकालु जान?
दीदी: क्यूँ पूच रहे हो जान? हर बार की तरह मेरे अंदर ही निकाल दो.
मुकेश सिर ने अपने धक्को की स्पीड तेज़ कर दी, और आ आ करते हुए झाड़ गये. फिर दीदी वही पर लेट गयी, और मुकेश सिर पास वाली चेर पर बैठ गये.
अब शो ख़तम हो चुका था, तो मेरा वाहा कोई काम नही था. मैं जल्दी से वाहा से निकल गया.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. इस पार्ट का मज़ा आया हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.