भाभी ने चूत की आग देवर के लंड से बुझाई

ही फ्रेंड्स, मेरा नामे सोनम है. मैं मुंबई से हू. मेरी उमर 30 साल है. मेरी शादी अशोक से हुई थी, और हमारी शादी को 2 साल होने लगे है. लेकिन अभी तक हम दोनो में सेक्स नही हुआ. मैं अशोक को शुरू से पसंद नही करती थी, और ना ही वो मुझे पसंद करता था.

अशोक का एक भाई है, जिसका नामे मोहन है. आंड उसकी उमर 27 साल की है. वो देखने में बहुत सुंदर है. हम दोनो में बात होती भी तो सिर्फ़ एक ही टॉपिक पर की अशोक भैया के साथ आपका रिलेशन्षिप कैसा है. वो शायद जानता था की हम दोनो में कुछ तो बुरा चल रहा था.

धीरे-धीरे सब ऐसा ही चलता रहा, और मेरी सेक्स की भूख मुझे उत्तेजित करती की किसी के साथ करू? एक साल तो मैं खुद ही फिंगरिंग करके खुद को शांत करती रही. पर मुझे अपने अंदर लंड डलवाना था, ताकि मैं पूरी शांत हो साकु.

एक दिन मुझे लगा की क्यूँ ना मैं अशोक के भाई मोहन के साथ प्यार की बात करू, और सेक्स भी करू. लेकिन कही ना कही मुझे दर्र भी लगता था, की एक ही घर में ये सब होगा तो कही अशोक को पता लग गया तो क्या होगा मेरा. बुत मैने उमीद रखी. और ये सोच कर मोहन से बात करने का सोचा. ताकि सेक्स करके मैं शांत हो साकु.

मैं 1-2 दिन सोचती रही, की मोहन से बात शुरू कैसे करू. फिर एक दिन अशोक ने कहा की उसको बिज़्नेस के काम से कुछ दिन के लिए बाहर जाना होगा. और ये मेरे लिए अछा मौका था. ताकि मैं अशोक के जाने के बाद मोहन से प्यार की बात कर साकु.

अगले दिन अशोक घर से चला गया, और मैने मोहन को फोन पर मेसेज किया-

मैं: मोहन, मैं तुमसे मिलना चाहती हू.

उसने मुझे कहा: ओक.

और फिर वो मेरे रूम में आया, और मैं उसके पास आ गयी. फिर मैने उससे पूछा-

मैं: मोहन तुमको तो पता है की तेरे भैया और मेरे रिलेशन्स शादी से अब तक कैसे है. और मुझे अभी तक एक पति का प्यार नही मिला.

वो मेरी बात को शायद समझ रहा था. तभी अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ा, और धीरे से मेरे पास आया, और फिर बोला-

मोहन: भाभी मैं जानता हू सब.

ये सुन कर कही ना कही मुझे लगा की वो भी प्यार की तरफ इशारा कर रहा था.

फिर मैने उसको बोला: मोहन क्या तुम मुझसे प्यार करोगे?

उसने मुझे जवाब दिया: हा, क्यूँ नही. मैं तो खुद आपको बहुत पसंद करता हू, और भैया के होते हुए मेरी हिम्मत नही हुई ये सब बातें आपसे करने की.

जैसे ही मोहन ने ये सब बोला, तभी उसने मेरे लिप्स कर किस की. फिर उसने मेरी नेक पर किस किया. उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और उठा कर बेड पर लिटा दिया. धीरे-धीरे वो मेरे उपर आया. मैने अपनी आँखें बंद कर ली, और सिर्फ़ प्यार का मज़ा लेने लगी.

वो मुझे किस करता गया करता गया. किस करते-करते उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, और हम दोनो प्यार करते गये. अचानक उसने अपना लंड ज़ोर से मेरे अंदर डाला. उसका धक्का इतनी ज़ोर का था, की मेरी चीख निकल गयी. फिर वो लंड मेरी छूट के अंदर-बाहर करने लगा.

अब वो मुझे पागलों की तरह किस कर रहा था, और नीचे से लंड पेले जेया रहा था मेरी छूट में. मुझे इतनी सॅटिस्फॅक्षन मिल रही थी, सालों से कही खो गयी थी. उसी पोज़िशन में वो मुझे छोड़ता गया, और तकरीबन 20 मिनिट में उसने मेरी छूट में अपना माल भर दिया.

फिर हम दोनो शांत हुए, और ये सब अशोक के ना आने तक चलता रहा. मोहन ने मुझे इतना प्यार दिया, की अब वो रोज़ मेरी छूट में अपना लंड डाल देता, और काफ़ी वक़्त तक हमारा सेक्स चलता रहा.

एक दिन अचानक अशोक का फोन आया की वो वापस आ रहा था. उसकी ये बात सुन कर मैं सोच में पद गयी की अशोक के आने के बाद मोहन से प्यार कैसे होगा. फिर ये सब मैने मोहन से शेर क्या.

मोहन ने मुझे हॉंसला दिया और कहा: दररो मत, हम प्यार वैसे ही करेगे जब भैया ऑफीस जाएँगे.

मुझे ये सुन कर खुशी हुई की मोहन मेरे साथ था.

अगले दिन अशोक घर वापस आ गया, और अब मोहन और मेरी इशारों-इशारों में बातें होने लगी. अशोक को हम दोनो के बारे में कुछ नही पता लगा. फिर अचानक अशोक ने मेरे से उसी रात प्यार करने को कहा. मेरा दिल सिर्फ़ मोहन को प्यार करने का था.

अशोक को बुरा ना लगे, इसलिए मैने उसके साथ सेक्स किया. बुत जो फीलिंग्स मुझे मोहन के साथ आती थी, वो अशोक के साथ नही आई. मैने ये सब मोहन को बताया.

फिर मोहन ने कहा: तुम सिर्फ़ मेरी हो.

उसने एक प्लान बनाया और कहा-

मोहन: रात जब अशोक भैया सो जाएँगे, तुम मेरे रूम में आ जाना, और सेक्स करके चली जाना.

ये सुन कर बहुत दर सा लगा. बुत मुझे प्यार करना था. उस रात करीब 12 बजे मैं मोहन के रूम में गयी, और रूम को लॉक कर दिया. पहले हमने पॉर्न वीडियोस देखी, देखते-देखते वो मेरे पास आया और उसने मेरे बदन की खुश्बू का एहसास लिया और फिर किस शुरू हुई.

फिर मोहन ने धीरे-धीरे मेरे कपड़े उतारने शुरू किए. मेरे को और मज़ा आने लगा. मोहन ने मेरे को अपनी बाहों में ले लिया और लेग्स से लेकर मेरे को उपर तक किस किया. मेरे दिमाग़ में सेक्स चढ़ा हुआ था, और फिर एक-दूं से उसने मेरे अंदर लंड डाला और ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करने लगा.

हम दोनो को इतना मज़ा आ रहा था, की रुकने का दिल नही किया. सेक्स करते-करते 2 गाँते हो गये थे. फिर अचानक याद आया की मुझे वापस जाना था अपने रूम में. इधर मोहन मुझे छ्चोढ़ नही रहा था. मैने उसको रोका और कहा-

मैं: अब बस करो, नही तो अगर तुम्हारे भैया को पता लग गया तो रोज़ सेक्स नही कर पाएँगे.

मैं फिर उसी वक़्त अपने रूम में वापस आ गयी. अशोक सो रहा था, और मैं चुपके से आ कर बेड पर लेट गयी. अगले दिन जब अशोक ऑफीस चला गया, और मैं किचन के काम कर रही थे, तो पीछे से मोहन ने आ कर मुझे हग कर लिया, और मेरी कमर पर हाथ रखा.

फिर वो बोला: मैं आपसे बहुत प्यार करता हू.

फिर उसने मेरे को पीछे नेक पर किस किया, और हम सेक्स किचन में ही करना स्टार्ट हो गये. करते-करते 1 घंटा हो गया. इतने में अशोक के आने का टाइम हो गया. बुत मोहन का दिल अभी भी करने को कर रहा था.

तो मैने कहा: हम रात को करेगे सेक्स, जब अशोक सो जाएगा.

उसी रात फिर मैने सोचा की आज मैं मोहन के पास नही जाती, ताकि अशोक को शक ना हो जाए. बुत उसी वक़्त मुझे मोहन का मेसेज आया की जल्द से आ जाओ रूम में. मेसेज देख कर मुझसे रहा नही गया, और मैं फिर रात के 12 बजे उसके पास चली गयी.

सेक्स वीडियोस देखी हमने, फिर सेक्स करते पूरी रात हो गयी. फिर सुबा जब उठे, मैं एक-दूं वाहा से भागी, और अपने रूम में आ गयी ताकि अशोक को पता ना लगे की क्या हुआ.

सो कुछ वक़्त ऐसा ही चलता गया. अशोक को हम दोनो के बारे कुछ पता नही लगा, और घर में मोहन और मैं च्छूप-च्छूप कर प्यार करते रहे.

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