कहानी जिसमे पति-पत्नी की चुदाई को नंदोई ने देखा

हेलो फ्रेंड्स, नमस्ते. आशा करती हू आप सब चुदाई की कहानिया पढ़ के खुश होंगे. आप की खुशी में और थोड़ी खुशी मिलने के लिए मैं लेके आ रही हू आप सब के लिए मेरी पहली कहानी.

ये कहानी मेरी नीज़ी ज़िंदगी पे आधारित कुछ चुदाई के क़िस्सो पर है. जो मैं आप सब के साथ क्षाहनी के ज़रिए शेर करूँगी. तो उससे पहले की कहानी शुरू हो, मैं आप सब को मेरे बारे में बता डू.

मैं श्वेतश्री, उमर 25 साल, एक शादी-शुदा औरत हू. सुंदर होने के नाते मुझे सब से अटेन्षन मिलती थी. रास्ते पे जाते वक़्त हर कोई मुझे थोड़ी देर के लिए ही सही निहारता ज़रूर था. इन सब से तो मैं भली-भाँति जानती थी की मर्दों का तो यही काम होता है.

मेरी बॉडी स्ट्रक्चर 34-26-36 है. लड़के हो या बुड्ढे, मुझे देख के वो लोग अपनी आँखें सेक ही लेते थे. आपको अगर इमॅजिन करना हो, तो आप मृणाल ठाकुर को इमॅजिन कर सकते हो. मेरी फिगर आप सब को कैसी लगी आप मुझे बता सकते हो.

ये मेरी पहली कहानी है, तो कही-कही पे ग़लती हो सकती है. तो अब मैं आप सब को कहानी की तरफ ले चलती हू.

मेरी शादी ग्रॅजुयेशन फाइनल एअर को ही फिक्स हो गयी थी, और एग्ज़ॅम ख़तम होते ही अमे से मेरी शादी हो गयी. मेरे हब्बी अमे मुझसे 4 साल बड़े थे. शादी के बाद हम दोनो ने बहुत एंजाय किया, और वो मुझे हनिमून के लिए डार्जीलिंग ले गये थे.

वाहा हम दोनो ने टाइम स्पेंड करते हुए काफ़ी मस्ती की. अगर सुहग्रात और हनिमून के बारे में बतौँगी तो वो एक लंबी सीरीस ही बन जाएगी. खैर उसमे एंजाय्मेंट तो थी, पर वो सब नॉर्मल ही थी, जो की एक पति-पत्नी करते है.

नयी-नयी शादी की थी, इसलिए भरपूर मज़े ले रहे थे हम दोनो एक-दूसरे के साथ. तो असली कहानी शुरू होती है मेरी शादी के कुछ 3 मंत्स के बाद.

तब हनिमून से आए हमे कुछ 20 दिन ही हुए होंगे, और तब मेरी ननद अनिता का 8त मंत चालू था. अगर देखा जाए, तो ननद के प्रेग्नेंट होने के बाद उनको अपने माइके आना होता है डेलिवरी के टाइम.

पर दीदी खुद नही आई अपनी मा के यहा. क्यूंकी नंदोई मनीष यानी अनिता दीदी के पति, वो नौकरी करते थे, और दीदी उनके पास ही रहना चाहती थी.

जैसे-जैसे दीदी के मंत्स बढ़ते गये, उनको रेस्ट चाहिए थी. तो मेरी सासू मा दीदी के पास चली गयी थी. ननद और नंदोई हमारे पास वाले टाउन में ही रहते थे.

उनकी देख भाल करने के लिए मेरी सासू मा उनके वाहा गयी हुई थी. पर उन्होने मुझे वाहा बुला दिया ननद के पास, और खुद घर वापस चली आई कुछ काम के सिलसिले में. मैं वाहा कुछ 8-10 दिन के लिए रुकने वाली थी.

जैसे ही सासू मा का काम ख़तम होता, मुझे अपने ससुराल वापस जाना था. मैं 8-10 दिन के लिए जेया रही थी तो साथ में अमे भी आए हुए थे. नंदोई यानी मनीष जी को मैं जीजा जी ही बोलती थी.

जीजा जी सुबा 9:30 को जाते, और शाम 5 से पहले वापस आ जाते थे. खाना बनाने और घर के काम हो जाने के बाद दिन भर कुछ काम नही था. सिर्फ़ दीदी का ख़याल रखते हुए उनसे बात करती थी.

दीदी, मैं और अमे मिल के बैठते थे, और गॉसिप्स करते थे. उनके सो जाने के बाद मैं टीवी देखती या अगर पति होते तो उनके साथ टाइम स्पेंड करती. दीदी के घर पे होते हुए भी अमे और मैं फुल मस्ती कर रहे थे.

रात को तो करते ही थे, पर दिन में दीदी के सो जाने के बाद हम दोनो का अपना काम चालू हो जाता था. हमारी रोमॅंटिक लाइफ अची चल रही थी.

एक दिन जीजा जी सुबा ऑफीस के लिए निकल रहे थे, और डाइनिंग टेबल पे नाश्ता कर रहे थे, और मैं किचन में जीजा जी का लंच बॉक्स पॅक कर रही थी. तब अमे बेडरूम से उठ के बाहर आए, और डोर के पास से न्यूज़ पेपर उठा के पढ़ते हुए जीजा जी के पास बैठ गयी.

हब्बी: गुड मॉर्निंग, जीजा जी.

जीजा जी: मॉर्निंग, गुड मॉर्निंग.

हब्बी: अर्रे आप तो तैयार हो गये ऑफीस के लिए. मैं तो कब से आपके साथ वॉक पे जाने का सोच रहा था.

जीजा जी: सेयेल साहब, वो मॉर्निंग वॉक होता है, नून वॉक नही. वैसे जब से आए हो, तब से बोल ही रहे हो, कभी आते नही.

हब्बी: अवँगा जीजा जी, काल पक्का.

जीजा जी: पक्का?

हब्बी: जी बिल्कुल.

जीजा जी: देखते है कैसे. सुबा उतोगे तो ही चलोगे ना. तुम लोग तो देर रात तक सोते ही नही. जल्दी सोया करो, तो जल्दी उतोगे ना.

जीजा जी की ये बात मैं समझ गयी की वो क्या बोलना चाहते थे. पता नही अमे समझे होंगे की नही. फिर मैं जीजा जी का लंच बॉक्स लेके बाहर आई.

मैं: जीजा जी, लीजिए आपका बॉक्स.

फिर जीजा जी हाथ धोके लंच बॉक्स और उनका बाग लेके निकल गयी.

मैं: जल्दी से नहा लो. नाश्ता ठंडा हो जाएगा. तब तक मैं दीदी को नाश्ता करवाती हू.

मैं किचन की और जेया रही थी, की अमे ने मुझे पीछे से पकड़ लिया, और गले पे किस करने लगे.

मैं: अर्रे छ्चोढिए मुझे, अपना काम कीजिए पहले.

हब्बी: वही तो कर रहा हू.

मैं: छ्चोढो ना. नाश्ता ठंडा हो जाएगा.

हब्बी: गरम बीवी को छ्चोढने का मॅन ही नही करता.

तब दीदी मुझे आवाज़ लगती है, तो अमे मुझे छ्चोढ़ देते है, और मैं दीदी के पास नाश्ता लेके जाती हू. उस दिन दीदी लंच करके सो गयी, तो दीदी के सोने के बाद हम अपने काम में लग गये. घर का मैं डोर तो लॉक्ड था. इसलिए हम बेफिकर होके कर रहे थे.

दीदी सो रही थी, इसलिए हमने बेडरूम का डोर भी बंद नही किया था, और चुदाई कर रहे थे. मैं नीचे थी, और अमे मेरे उपर चढ़ा हुआ था. हम मिशनरी पोज़िशन में चुदाई कर रहे थे.

मैं अपनी पैर को अमे के कमर से लपेटे हुई थी. अमे मेरी हाथो को पकड़ते हुए मुझे झटके मार रहे थे. तभी अचानक बेडरूम के दरवाज़े के बाहर मैने जीजा जी को देखा.

जीजा जी शॉक्ड होते हुए मुझे यानी हमारी चुदाई देख रहे थे. और हम दोनो की नज़रे एक होती है.

कहानी कैसी लगी आप सब को, मुझे मैल करके ज़रूर बताना? जैसे की ये मेरी पहली कहानी थी, तो मुझे मेरी ग़लतियाँ भी बताना.

युवर्ज़,

श्वेतश्री