ही दोस्तों, मेरा नाम प्रेम है. और मैं अपनी कहानी का लास्ट पार्ट लेके आया हू. पिछले पार्ट में आब सब ने पढ़ा, की कैसे मैने गाओं की एक लड़की गूंजा को अपने प्यार के जाल में फसाया, और उसकी चुदाई करके मज़ा लिया. अब आयेज चलते है.
चुदाई के बाद मैने अपना सारा माल गूंजा के मूह में दे दिया. उसके बाद थोड़ी देर तक गूंजा मेरे साथ लेती रही, और फिर वो वापस अपने घर चली गयी.
फिर अगले दिन से मेरे मज़े शुरू हो गये. गूंजा बार-बार मुझसे मिलने आती, और हम मज़े से चुदाई करते. हम कभी जंगल में, कभी खेत में, कभी घर में चुदाई करते. लाइफ मस्त चल रही थी.
लेकिन एक दिन हम पकड़े गये. शाम का वक़्त था, और मेरा लंड गूंजा की छूट में था. हम दोनो पुर जोश में लगे हुए थे. तभी मेरे रूम का दरवाज़ा किसी ने नॉक किया. हम दोनो एक-दूं से घबरा गये. फिर मैने गूंजा से कहा-
मैं: फिकर मत करो, कोई गाओं वाला होगा.
मैने अपनी बनियान और लूँगी पहनी, और दरवाज़ा खोला. अभी मैने तोड़ा सा दरवाज़ा खोला ही था, की गूंजा की बेहन सजनी धक्का मार कर अंदर आ गयी. अब मैं आपको सजनी के बारे मैं बताता हू.
सजनी गूंजा से एक साल छ्होटी थी, यानी 19 साल की थी. उसका फिगर 32-26-34 था. वो गूंजा से पतली थी, लेकिन रंग उसका गोरा था. उसकी आँखें नीली थी, जो उसके चेहरे पर बहुत जचती थी. उसका चेहरा बहुत खूबसूरत था. और ऐसे मूह में लंड डालने का मज़ा बहुत आता है.
अछा फिर वो अंदर आई, और गूंजा की तरफ देख कर बोली-
सजनी: अछा तो ये रंगरलिया चल रही है यहा. घर पर कुछ बोल के जाती हो, और यहा आके ये सब करती हो. मैं अभी बताती हू घर पर.
ये बोल कर सजनी वाहा से जाने लगी. गूंजा अभी कपड़े पहन रही थी, और वो मुझे उसको रोकने को बोली. मैं जल्दी से सजनी के पीछे भागा. सजनी भी भागती हुई अपने घर की तरफ जेया रही थी.
फिर मैने उसको खेतो में पकड़ लिया, और हम दोनो पकड़ा-पकड़ी में नीचे गिर गये. मैने उसको बोला-
मैं: अर्रे बात तो सुन.
सजनी: हा बोलो.
मैं: एक मिनिट साँस लेने दे.
सजनी: हा लेलो.
मैं: अछा दिक्कत क्या है. उसकी शादी किसी से तो करोगे ना. और वो उसके साथ सेक्स भी करेगा. तुम्हे घर पर बता कर क्या मिलेगा?
सजनी: मैं चाहती हू की वो तुमसे डोर हो जाए.
मैं: ऐसा क्यूँ?
मैं: क्यूंकी मैं भी तुमसे प्यार करती हू, और शादी करना चाहती हू.
उसकी ये बात सुन कर मेरा मॅन खुश हो गया. मुझे लगा की अब तो उसको भी छोड़ूँगा. फिर मेरे खुराफाती दिमाग़ में एक चाल सूझी. मैने उसको बोला-
मैं: अछा अगर मैं उसको छ्चोढ़ डू, तो तुम नही बताॉगी किसी को?
सजनी: उसको छ्चोढना काफ़ी नही है. तुम्हे मुझे अपनाना होगा.
मैं: चलो ठीक है.
सजनी: ऐसे नही, मेरे सामने बोलो उसको.
मैं: ओक बाबा, जैसा तुम कहो. चलो मैं उसको लेके आता हू.
फिर मैं वापस गया गूंजा को लेने. थोड़ी डोर से वो आ ही रही थी. मैं उसके पास गया और उसको सारी बात बताई. फिर मैने कहा-
मैं: गूंजा अगर इस वक़्त बचना है, तो मुझे तुम्हे बोलना पड़ेगा की मैने तुम्हे छ्चोढ़ दिया है. लेकिन ये सिर्फ़ एक झूठ होगा. हमे एक प्लान बनाने के लिए टाइम चाहिए. तब तक यही नाटक करना पड़ेगा की हम अलग हो गये है.
गूंजा मेरी बात मान गयी, और मैने सजनी के सामने उसको ये बोल दिया. इससे सजनी भी खुश हो गयी. फिर गूंजा और सजनी दोनो वाहा से चली गयी. 2 दिन बाद शाम को सजनी मेरे रूम पर आई कुछ खाने को लेके.
उसने लहंगा चोली डाला हुआ था, और वो मेरे पास बेड पर बैठ कर मुझे अपने हाथो से खिलाने लगी. मैं तो उसको मादक कमर को ही देखे जेया रहा था. फिर जब वो जाने लगी, तो मैने उसका हाथ पकड़ लिया. जब उसने पीछे देखा, तो मैने उसको कहा-
मैं: सिर्फ़ ये खाने से मेरा कुछ नही होगा. मुझे तो तुम्हे भी खाना है.
सजनी: तो माना किसने किया है.
बस फिर क्या था, मैने उसको अपनी बाहों में भर लिया, और हम दोनो किस करने लगे. मैं अपने हाथ उसकी पीठ पर फेरते हुए उसकी गांद तक ले गया, और लहंगा उपर उठा कर उसकी गांद दबाने लगा.
इससे वो सिसक उठी, और जोश में आके मेरे होंठ चूसने लग गयी. फिर मैने उसकी चोली खोली, और उसके बूब्स बाहर आ गये. उसके बूब्स ज़्यादा बड़े नही थे, लेकिन निपल्स उन पर पिंक थे.
मैने उसके बूब्स को दबाना शुरू किया, और उसके निपल्स चूसने लग गया. वो मेरे सर को अपने बूब्स में दबाने लग गयी. उसकी कामुक आहें मुझे और उत्तेजित कर रही थी.
फिर मैने खड़े-खड़े ही उसके लहँगे का नाडा खोल कर लहंगा नीचे गिरा दिया. अब वो मेरे सामने एक देसी ककचे में खड़ी थी.
फिर मैने उसको बिस्तर पर लिटाया, और उसके बदन को उपर से नीचे तक चूमने लग गया. मैने उसका कक्चा भी उतार दिया, और अब उसकी कुवारि, और गोरी छूट मेरे सामने थी.
उसकी छूट के बीच का माज़ पिंक कलर का था. फिर मैने उसकी छूट को चाटना शुरू किया. वो मज़े से आहें भरने लगी. मैं ज़ोर-ज़ोर से उसकी छूट चाटने लगा, जिससे उसका पानी निकल गया. मैने उसका सारा पानी पी लिया.
फिर मैने अपने कपड़े उतारे, और अपने लंड को मसालते हुए उसको देखा. वो शरमाने लग गयी. फिर मैने उसको लंड चूसने को कहा. वो झट से मेरे सामने घोड़ी बन गयी, और मेरे लंड को मूह में ले लिया.
मैने उसके सर पर हाथ रखा, और ज़ोर-ज़ोर से उसका मूह छोड़ने लग गया. बड़ा मज़ा आ रहा था. उसकी साँस बार-बार रुक रही थी, जिससे वो खाँसी करती थी बार-बार. अब उसकी सील तोड़ने का टाइम था.
मैने उसको उसी पोज़िशन में घुमाया, और पीछे से उसकी छूट पर अपना लंड रगड़ने लग गया. वो अहहा आ कर रही थी, और मुझे अंदर डालने को बोल रही थी.
फिर मैने उसके चूतड़ कस्स के पकड़े और फॅक से अपना लंड उसकी छूट में घुसा दिया. उसकी सील टूट गयी, और आधा लंड उसकी छूट में चला गया. वो चीखे मारने लगी, और उसकी छूट में से खून निकल आया.
मैने ज़रा भी परवाह नही की, और ताबाद-तोड़ धक्के मार कर उसको छोड़ने लग गया. पहले वो दर्द से चिल्ला रही थी, लेकिन कुछ देर बाद मज़े से आहें भरने लग गयी.
उसकी छूट से पानी बहने लगा, और जांघों की टक्कर से ठप-ठप की आवाज़े आ रही थी. 20 मिनिट मैने उसको इसी पोज़िशन में छोड़ा. उसकी गांद मैने नोच-नोच कर लाल कर दी थी.
अब मेरा निकालने वाला था. उसने भी मुझे उसके अंदर ही पानी निकालने को बोला. लेकिन मैं फासने वाला नही था. मैने अपना माल उसकी पीठ पर निकाल दिया.
उस दिन के बाद जब तक मैं उस गाओं में रहा, मैने दोनो बहनो को खूब छोड़ा. फिर मेरा वाहा काम ख़तम हो गया, और मैं बिना कुछ बोले वाहा से गायब हो गया.
तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी. अगर पसंद आए तो कॉमेंट ज़रूर करे.