आज मेरा प्लान था कि दिन भर चुदाई करेंगे। आंटी किचन में गई तो मैं किचन में जाके आंटी की गांड को सहलाने लग गया।
आंटी: प्राश ये क्या कर रहे हो? अभी रात को ही हमने चुदाई की है।
मैं: हां तो मेरा मन अभी नहीं भरा ना। ये देखो आपको देखते ही मेरा लंड कैसे खड़ा होके सलामी दे रहा है।
मैंने आज आंटी की गांड मारने का सोचा था। मैंने आंटी का गाउन ऊपर किया, और उनकी गांड को चाटने लगा
आंटी: आह ओह प्राश ये क्या कर रहे हो? मैंने ये कभी नहीं किया है।
वैसे आंटी सच कह रही थी। उनकी गांड बहुत ही टाइट थी। मैंने थोड़ा तेल लिया, और आंटी की गांड में डाल के उंगली अंदर बाहर करने लगा। 5 मिनट बाद मैंने अपना लंड निकाल के आंटी की गांड में डाल दिया। अब मैं आंटी को डॉगी स्टाइल में चोद रहा था। आंटी के लिये ये पहली बार था, तो वो दर्द से चिल्ला रही थी।
आंटी: प्राश आह आह प्राश भोंसड़ी के, बहुत दर्द हो रहा है। मुझे छोड़ दे आह।
मैंने एक नहीं सुनी, और अपने धक्के चालू रखें। मैं आंटी की गांड में ही झड़ दिया। ये सब बाहर से प्रेम देख रहा था। क्यूंकि चूतिए हर्ष ने दरवाज़ा खुला ही रखा था, और प्रेम ने घर में आके हमारी रासलीला देख ली थी, और फ़ोटोज़ भी निकाले और अंदर जाके आंटी को दिखाने लगा।
प्रेम: अब मुझे भी चोदने का मौक़ा दो, वरना ये सब मैं हर्ष और उसके पापा को दिखाऊंगा।
आंटी: नहीं प्लीज़, ऐसा मत करो। तुम जो करना चाहते हो, वो कर लो।
मैं एक-दम चौक गया। मुझे नहीं पता था आंटी इतनी जल्दी मान जाएंगी। तो वो आंटी को लेके बेडरूम में चला गया और अंदर से आह आह की आवाज़े आने लगी, और फिर प्रेम आधे घंटे बाद बाहर आया। आंटी सुबह से 3 बार चुद चुकी थी।
फिर शाम को हर्ष घर पे आया, और हम वीडियो गेम खेल के, फिर खाना खा के सो गये। आज रात भी आंटी को चोदने का मन था, पर आंटी बहुत थकी हुई थी।
मेरे दिमाग़ में एक प्लान आया कि क्यों ना आंटी को प्रेम और मैं दोनों मिल के चोदे। तो फिर मैंने प्रेम के साथ मिल के प्लान बनाया।
अगले दिन जैसे ही हर्ष कॉलेज गया, मैं आंटी के पास चला गया, और आंटी को मूड में लाने की कोशिश करने लगा। आंटी बेड पे लेटी थी। मैं उनके पास जाकर उनके चूचे चूसने लगा। फिर दबाने लगा। मैं दोनों हाथों से आंटी के निप्पल को दबा रहा था। अब आंटी मूड में आ गई। वो ख़ुद उठी और मेरी अंडरवियर निकाल के मेरा लंड चूसने लगी।
आज आंटी अलग ही मूड में थी। मैं बेड पे बैठा था और आंटी लंड चूस रही थी। तो इसका फ़ायदा उठा के मैंने प्रेम को कॉल किया। वो आराम से आवाज़ किए बिना अंदर आया, और इधर आंटी मेरा लंड चूस रही थी, तो वो पीछे से आया। मैंने उसको आंटी को चोदने का इशारा किया।
उसने अपना 6 इंच का लंड निकाला, और पीछे से आंटी की चूत में लंड डाल दिया। आंटी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि अचानक से ये क्या हुआ। आंटी चौंक गई और उठने ही वाली थी, कि मैंने आंटी को पकड़ लिया और मुंह में लंड दे दिया।
अब आंटी मेरा लंड भी चूस रही थी, और पीछे से प्रेम आंटी को धक्के लगा रहा था। क़रीब 10 मिनट बाद मैं बेड पे लेट गया, और आंटी को मेरे लंड पे बिठाया, और नीचे से धक्के मारने चालू किए। उधर प्रेम अपना लंड लेके आंटी के पास गया, और आंटी उसका लंड चूस रही थी।
एक तरफ़ आंटी प्रेम का लंड भी चूस रही थी, और मेरे लंड पे बैठ के धक्के भी खा रही थी। 6-8 मिनट बाद मैंने प्रेम को आंटी की चूत मारने को बोला। अब आंटी 2 लंड एक साथ ले रही थी। मैं आंटी की गांड मार रहा था और प्रेम आंटी की चूत मार रहा था।
आंटी: आह आह प्राश, और चोद अपनी रंडी को, और ज़ोर-ज़ोर से चोद। तूने मुझे सबसे अच्छा सरप्राइज दिया है। आह आह आह आह मैंने ऐसी चुदाई कभी नहीं की।
प्रेम और मैं आंटी को धक्के पे धक्के लगा रहे थे, और आंटी ख़ुशी और दर्द से चिल्ला रही थी। ऐसा क़रीब-क़रीब 15 मिनट तक चला। हम थोड़े थक गए और बेड पे बैठ गये। अब आंटी दोनों के लंड चूस रही थी पूरी बेडरूम में चूसने की आवाज़े गूंजने लगी। थोड़ी देर बाद हमने राउंड 2 करना चालू कर दिया। अब मैं आंटी की चूत मार रहा था, और प्रेम आंटी की गांड मार रहा था, और आंटी फिर से दर्द से चिल्लाने लगी।
आंटी: प्राश आह आह, और चूत फाड़ दे मेरी आज। आई आई मर गई रे आह आह आह।
15 मिन बाद प्रेम थक के लेट गया, लेकिन मैं अभी चूत मार रहा था। 20 मिनट बाद मैं आंटी की चूत में झड़ गया, और आंटी से चिपक के सो गया। शाम होने से पहले मैं उठ गया, और आंटी के साथ शावर लेने चला गया। वहां भी आंटी की मोटी गांड देख के मेरा फिर मन हो गया। अब आंटी को बाथरूम की दीवार की तरफ़ करके मैं उनकी गांड मारने लगा।
अब आंटी चिल्ला नहीं रही थी, बस हल्की सी आवाज़ निकाल रही थी आह आह आह की। आधे घंटे बाद हम शावर से बाहर निकले, और हॉल में टीवी देखते बैठे। प्रेम भी उठ के घर जाने से पहले आंटी को किस करने लगा, और घर चला गया। थोड़ी देर बाद हर्ष घर पे आ गया और फिर हम रात को खाना खा के सो गये। मुझे आंटी के पास सोना था, तो हर्ष के सोते ही मैं आंटी के रूम में जाके नंगा होके सो गया।
सुबह 5 बजे मेरी नींद खुली तो आंटी मेरा लंड चूस रही थी। सुबह हमारा फिर से चुदाई का मॉर्निंग सेशन हो गया, और मैं हर्ष के कमरे में जाके सो गया। मेरे घर वाले आने वाले थे, तो मैं भी घर जाने को निकलने लगा। हर्ष हॉल में बैठा था, और उसकी मां उसके पीछे खड़ी थी। मैंने जाने से पहले आंटी की गांड दबाई, और मुस्कुरा कर वहां से निकल आया।
अब जब भी हमारा चुदाई का मन होता है तो पुष्पा आंटी हमारे घर आ जाती है, या मैं हर्ष के घर चला जाता हूं। और कही जगह नहीं मिलती, तो हम टेरेस पे जाके भी चुदाई करते है।
हां तो दोस्तों ये थी मेरी और हर्ष की मम्मी यानी पुष्पा आंटी की कहानी। फीडबैक पर दें। मेरी कहानी आपको पसंद आती है, तो फीडबैक अवश्य भेजें।